LAKSHMI MAA CHALISA IN ALL LANGUAGES

CHALISA IN ASSAMESE

|| দোহা||

মাৎমালক্ষ্মী, অনুগ্ৰহকৰিহৃদয়তমাতটোকৰক।

ইচ্ছা, পাৰুভহু, মোৰচাৰিওফালে।

 

|| সোরথা ||

এইময়ূৰআৰ্ডা, হাতৰগাঁঠি, ভিক্ষা।

উপআইনকাৰুসুবাস, জয়জাননীজগদম্বিক

 

।।চৌপাই।।

সিন্ধুসুতাআইসুমিৰাউতহি।গ্যণবুধিবিধাডোমহিদ্বিতীয়।

আপুনিযিকোনোৰদৰেএকেনহয়।সকলোপদ্ধতিপূৰৱাহুয়েআমাকগাধাকৰে।

 

জয়জয়জগতজননিজগদম্বা।আপোনালোকসকলোৱেআওলাম্বা।

আপুনিসকলোহ্নহৈআছে।এইটোআমাৰআকাৰযোগ্যঅনুৰোধ।

 

জগজননিজয়সিন্ধুকুমাৰী।তুমিদিনানৰঅভিলাপ।

বিনয়ননিৰন্তৰতুহীনমহাৰাণী।অনুগ্ৰহকৰিকাৰুজগজাননীভৱানী

 

কেহিপদ্ধতিয়েতিহাৰিকপ্ৰশংসাকৰে।সুধিলিজাঅপৰাধবিছাৰী

অনুগ্ৰহকৰিদৃষ্টিচিত্তোমামঅৰি।জগজননীএনটৰিটিশুনামৰি|

 

সুখপ্ৰদানকাৰী।সংকটহাৰোআমাৰমাক।

এটেনুহুযেতিয়াবিষ্ণুমাথয়ো।সিন্ধু, পিয়ো২তচৌদ্দটাৰত্ন।

 

চৌদ্দটাগহনাত, আপুনিসুখৰাচি।সেৱাকিয়োপ্ৰভুবানীদাসী

যেতিয়াজন্মহয়য’তভগৱানলেহা।সেৱাকিন্নাৰৰূপ।

 

পুৰুষেপ্ৰবাহলঘুকৰিলেবিষ্ণুনিজেই।লিনহেউঅৱধপুৰীঅৱতাৰা

তাৰপিছতআপুনিজনকপুৰতউপস্থিতহৈছিল।সেৱাকিয়োহৃদযন্ত্ৰপুলাখী

 

গ্ৰহণকৰাটোহিইণ্টাৰ-মিয়ামি।পৃথিৱীৰস্বামীয়েত্ৰিভুৱনক’লে।

আপোনাৰএকেইশক্তিশালীশক্তিনাই।শিখাৰমহিমাকওঁক।

 

মন-শৰীৰৰপ্ৰতিশ্ৰুতিহৈছেএটামন্ত্ৰালয়।মনৰখাফলৰপাই।

তাজিপ্ৰৱঞ্চনাআৰুচতুৰতা।উপাসনাহৈছেমানলাইৰএকবিবিধউপায়।

 

আৰুশেহতীয়াকৈমইকাণটোনিভিয়েদিছিলো।কোনেএইপাঠটোমনলৈআনিছিল।

তাকোকোনোদুখনাই।আকাঙ্ক্ষিতপাৱাইফলচই।

 

দুৰ্ঘটনাটোৰদুৰ্ঘটনা।তিনিমাত্ৰিকউষ্ণতাভৱবন্ধনহৰিনি।

লক্ষ্মীমাতাকিআৰতি, ওমজয়লক্ষ্মীমাতা, মৈয়াজয়লক্ষ্মীমাতা

 

চালিচাপঢ়িবলৈ।ধ্যানকৰকআৰুশুনক।

টাকুএটাৰোগ।ল’ৰাইত্যাদিসম্পদসম্পত্তিপাৱাই।

 

পুত্ৰীনঅৰুসম্পত্তিহেনা।অন্ধবধিৰকঁপিআটিদিনা।

ভিআইপিআৰবোলেৰপাঠ।সন্দেহইকেতিয়াওহৃদয়লৈনাআনিব।

 

পাঠকৰৱদিনচালিচা।অনুগ্ৰহকরেটা, গওৰাসেআসো।

আপোনাৰবহুতোসুখৰসম্পদআছে।কাহুৰকোনোঅভাৱনাই।

 

বাৰমাহৰউপাসনা।তেহিচামধন্যআৰুনহয়দুজা|

প্ৰতিদিনে, পাঠটোএজনমানুহমাহি।আনকিসেইজগবোৰতোতেওঁলোকককোৱানহয়।

 

পলিথোডমইব্ৰনকৰোঁ।লেপৰীক্ষাধ্যান।

বিশ্বাস-ব্রতডাম্পি।হয়চিধাউপজাইআপোনাৰপ্ৰেমা

 

জয়জয়লক্ষ্মীভৱানী।তেওঁলোকসকলোবোৰগুণৰগুণতডাঙৰহয়।

আপোনাৰএটাতীক্ষ্ণশক্তিশালীজগআছে।আপুনিদয়ালুহ’বপাৰে।

 

মহিঅনাথৰভালহোৱাএতিয়ালিজাই।দুখৰখাকাটাভক্তিমহিদিজাই|

আমাৰক্ষমাবাদদিবলৈপাহৰা।দৰ্শনডজাইদাহনিহাৰী

 

বিনদৰ্শনবিচলিতবিষয়া।আপুনিকষ্টতগধুৰ।

জ্ঞানশৰীৰতআছে।সকলোৱেআপোনাৰমনতজানে।

 

চতুৰ্ভুজৰদ্বাৰাপ্ৰপত্ৰখনধৰিৰখা।পেংম’ৰএতিয়াকাৰ্হুপ্ৰতিৰোধ|

মইব্ৰজন।গ্যণবুধিমহিনহয়আধী।

 

॥দোহা।।

দুখজনকঘটনাৰদুখজনকদুখ, হাৰো- জয়তীজয়ীজয়লক্ষ্মী, শত্ৰুকধ্বংসকৰক।

ৰামদাসধাৰীধ্যান, বিনয়কৰতআৰুজোৰদিয়ক।মাথুলক্ষ্মীৰস’তে, কৰহুদয়াৰমূল।

CHALISA IN BENGALI

|| দোহ||

মাতুলক্ষ্মীদয়াকরুন, অন্তরেবাসকরুন।

আকাঙ্ক্ষাপ্রমাণকরুন, তবেআমারআশা

 

 

||সোরাথা||

ভাঁজকরাহাতদিয়েমিনতিকরলেন।

সববিধিকারাউসুবাস, জয়জনানীজগদম্বিকা

 

||চৌপাই||

ইন্দিরাসুতাআমিসুমিরুতোহি।জ্ঞানবুদ্ধিবিঘাদোমোহি

আপনারসমানকেউনেই।সবহালালপুরুষআমাদের

 

জয়জয়জগৎজনানীজগদম্বা।আপনিসকলেরমধ্যেএকমাত্র।

আপনিসমস্তকিছুরএকমাত্রবাসিন্দা।এটিআমাদেরঅনুরোধ

 

জগজনানীজয়সিন্ধুকুমারী।দীনানেরতুমিউপকারী

বিজয়ী, আপনিসর্বদাআপনারউচ্চতা।কৃপাকরজগজানানিভবানী।

 

কেহিলৈপ্রশংসাতিহারি।বদলেগেছেঅপরাধেরঅপরাধ

কৃপাদর্শনচিতাবোমামাওরি।জগজন্নিমিনতিরশুনানি

 

জ্ঞান, সুখ, সুখদানকারী।আমাদেরমাসমস্যায়পড়েছেন

ক্ষীরসিন্ধুযখনবিষ্ণুমাথায়ো।সিন্ধুতেচৌদ্দরত্নদেবে

 

চৌদ্দরত্নেতুমিসুখরসি।লর্ডমেইডহিসাবেশ্বরেরসেবা

জবজবজাহানযেখানেহুজুরলেহন।কীভাবেআপনারপরিষেবাপরিবর্তনকরবেন

 

 

বিষ্ণুনিজেইযখনপুরুষতনুপ্রবাহিতহয়।লেনহেউઅવধপুরীঅবতার।

তখনআপনিজনকপুরপ্রকাশকরলেন।আমারহৃদয়পরিবেশনকরবেননা

 

গৃহীতআত্মাত্রিভুবনজগতেরপ্রভু

আপনারমতোশক্তিশালীশক্তিনেই।বলুনশিখা, গৌরব, বলখানি।

 

আপনারমনেরসেবাকরুন, মন্ত্রিত্বকরুন।আপনারপছন্দসইফলটিসন্ধানকরুন।

জালিয়াতিজালিয়াতিএবংবুদ্ধিমানতা।পূজাৰমনালিযেনবিবিধ

 

আরকোথায়নিভেযেতেপারিবলি।এইপাঠকেমাথায়এনেছে

কোনসমস্যানেই. মনকাঙ্ক্ষিতফলতাই।

 

ত্রাহিতরিজয়দুঃখেরস্বস্তি।ত্রিবিধথার্মভবাবন্ধনহরিনী।

লক্ষ্মীমাতাকিআরতি, ওমজয়লক্ষ্মীমাতা, মাইয়াজয়লক্ষ্মীমাতা

 

যিনিপড়াচালাচ্ছেনমনদিয়েশুনুন, শুনুন

টাকাউহ’লএকরোগআক্রান্ত।পুত্রইত্যাদিসম্পদসম্পত্তি

 

সোনলেসআরুসম্পতিহিনা।অন্ধবধিরকুষ্ঠরোগ

বিপ্রবোলায়কইকরীরাবায়ে।মনেমনেকখনওসন্দেহকরবেননা

 

চালিশাদিনআবৃত্তিকরল।দয়াকরেতৌরিষাকেদোয়াকরুন

আনন্দগুলিপ্রচুরপরিমাণেহয়।কাহুরঅভাবনেই

 

বারোমাসপূজা।আপনারদ্বারাধন্যএবংধন্যনা

প্রতিদিনআপনারমনপড়ুনআমিকিছুবিশ্বেরবলাউচিতনয়

 

 

আমিবহুগুণপ্রশংসাকরি।পরীক্ষায়মনোযোগদিন

দ্রুতনামারউপরভরসাকরা।হৈসিদ্ধউদজাইতোরপ্রেমা।

 

জয়জয়জয়লক্ষ্মীভবানী।পুণ্যসকলেরমধ্যেছড়িয়েদেওয়াহোক

আপনিএকটিশক্তিশালীশক্তিহতেপারেতুমিআমারপ্রতিসদয়হও, নাহি

 

মহিএতিমএখনমনেআছেসংহতকটিভক্তিমোহিদিজাই

আমাকেক্ষমাকরুনএবংআমাদেরক্ষমাভুলেযানদর্শনদজাইদশানিহারী।

 

দিশাহীনঅফিসার।আপনিখুবকষ্টভোগকরছেন

নাহিনমোহিনীদেহেজ্ঞান।সবআপনারমনেজানতেপারে

 

ফর্মচতুষ্কোণএবংধরেরাখুন।যন্ত্রণাএখনযন্ত্রণাথেকেরক্ষাকরাহয়।

আমিকীভাবেবড়াইকরব? জ্ঞানবুধিমহিনাহিঅধিকারী

 

||দোহা ||

ট্রাইট্রাইদুখহরিনী, হারোভেগিসবট্রাজেডি।জয়তীজয়তিজয়লক্ষ্মী, শত্রুকেধ্বংসকর।

সর্বদারামদাসধরিধ্যান, প্রাণেপ্রাণেমিনতিকরি।করুরহমতেরমূলমাতুলক্ষ্মীদাসকে

CHALISA IN BODO

Bodo and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

दोहा
 
मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥
सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार।
ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार॥ टेक॥
 
सोरठा
 
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
 
 
॥ चौपाई ॥
 
सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरबहु आस हमारी॥
 
जै जै जगत जननि जगदम्बा। सबके तुमही हो स्वलम्बा॥
तुम ही हो घट घट के वासी। विनती यही हमारी खासी॥
 
जग जननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी।
 
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी। जगत जननि विनती सुन मोरी॥
 
ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥
क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिंधु में पायो॥
 
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रूप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
 
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रकट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
 
अपनायो तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥
तुम सब प्रबल शक्ति नहिं आनी। कहं तक महिमा कहौं बखानी॥
 
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन- इच्छित वांछित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मन लाई॥
 
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करे मन लाई॥
ताको कोई कष्ट न होई। मन इच्छित फल पावै फल सोई॥
 
त्राहि- त्राहि जय दुःख निवारिणी। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणि॥
जो यह चालीसा पढ़े और पढ़ावे। इसे ध्यान लगाकर सुने सुनावै॥
 
ताको कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै।
पुत्र हीन और सम्पत्ति हीना। अन्धा बधिर कोढ़ी अति दीना॥
 
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
 
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
 
प्रतिदिन पाठ करै मन माहीं। उन सम कोई जग में नाहिं॥
बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
 
करि विश्वास करैं व्रत नेमा। होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी महारानी। सब में व्यापित जो गुण खानी॥
 
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयाल कहूं नाहीं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजे॥
 
भूल चूक करी क्षमा हमारी। दर्शन दीजै दशा निहारी॥
बिन दरशन व्याकुल अधिकारी। तुमहिं अक्षत दुःख सहते भारी॥
 
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥
रूप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
 
कहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्धि मोहिं नहिं अधिकाई॥
रामदास अब कहाई पुकारी। करो दूर तुम विपति हमारी॥
 
दोहा
 
त्राहि त्राहि दुःख हारिणी हरो बेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी करो शत्रुन का नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर करहु दया की कोर॥
 
।। इति लक्ष्मी चालीसा संपूर्णम।।

CHALISA IN DOGRI

Dogri and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

दोहा
 
मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥
सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार।
ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार॥ टेक॥
 
सोरठा
 
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
 
 
॥ चौपाई ॥
 
सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरबहु आस हमारी॥
 
जै जै जगत जननि जगदम्बा। सबके तुमही हो स्वलम्बा॥
तुम ही हो घट घट के वासी। विनती यही हमारी खासी॥
 
जग जननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी।
 
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी। जगत जननि विनती सुन मोरी॥
 
ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥
क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिंधु में पायो॥
 
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रूप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
 
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रकट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
 
अपनायो तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥
तुम सब प्रबल शक्ति नहिं आनी। कहं तक महिमा कहौं बखानी॥
 
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन- इच्छित वांछित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मन लाई॥
 
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करे मन लाई॥
ताको कोई कष्ट न होई। मन इच्छित फल पावै फल सोई॥
 
त्राहि- त्राहि जय दुःख निवारिणी। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणि॥
जो यह चालीसा पढ़े और पढ़ावे। इसे ध्यान लगाकर सुने सुनावै॥
 
ताको कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै।
पुत्र हीन और सम्पत्ति हीना। अन्धा बधिर कोढ़ी अति दीना॥
 
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
 
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
 
प्रतिदिन पाठ करै मन माहीं। उन सम कोई जग में नाहिं॥
बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
 
करि विश्वास करैं व्रत नेमा। होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी महारानी। सब में व्यापित जो गुण खानी॥
 
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयाल कहूं नाहीं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजे॥
 
भूल चूक करी क्षमा हमारी। दर्शन दीजै दशा निहारी॥
बिन दरशन व्याकुल अधिकारी। तुमहिं अक्षत दुःख सहते भारी॥
 
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥
रूप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
 
कहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्धि मोहिं नहिं अधिकाई॥
रामदास अब कहाई पुकारी। करो दूर तुम विपति हमारी॥
 
दोहा
 
त्राहि त्राहि दुःख हारिणी हरो बेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी करो शत्रुन का नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर करहु दया की कोर॥
 
।। इति लक्ष्मी चालीसा संपूर्णम।।

CHALISA IN ENGLISH

DOHA:

Maatu Lakshmi Kari Kripaa, Karahu Hriday Mein Vaas I
Manokamana Siddh Kari, Puravahu Meri Aas I I

Sindhusuta Main Sumiron Tohi, Gyaan Buddhi Vidhya Dehu Mohi II
Tum Samaan Nahin Kou Upakaari, Sab Vidhi Puravahu Aas Hamaari II

Jai Jai Jagat Janani Jagadambaa, Sab Ki Tumahi Ho Avalambaa II
Tumahii Ho Ghat Ghat Ki Waasi, Binti Yahi Hamarii Khaasi II

Jag Janani Jai Sindhu Kumaari, Deenan Ki Tum Ho Hitakaari II
Vinavon Nitya Tumhi Maharani, Kripa Karo Jag Janani Bhavaani II

Kehi Vidhi Stuti Karon Tihaarii, Sudhi Lijain Aparaadh Bisari II
Kriapadrishti Chita woh Mam Orii, Jagat Janani Vinatii Sun Mori II

Gyaan Buddhi Jai Sukh Ki Daata, Sankat Harahu Hamaare Maata II
Kshir Sindhu Jab Vishnumathaayo, Chaudah Ratn Sindhu Mein Paayo II

Sindhusuta Main Sumiron Tohi, Gyaan Buddhi Vidhya Dehu Mohi II
Tum Samaan Nahin Kou Upakaari, Sab Vidhi Puravahu Aas Hamaari II

Jai Jai Jagat Janani Jagadambaa, Sab Ki Tumahi Ho Avalambaa II
Tumahii Ho Ghat Ghat Ki Waasi, Binti Yahi Hamarii Khaasi II

Jag Janani Jai Sindhu Kumaari, Deenan Ki Tum Ho Hitakaari II
Vinavon Nitya Tumhi Maharani, Kripa Karo Jag Janani Bhavaani II

Kehi Vidhi Stuti Karon Tihaarii, Sudhi Lijain Aparaadh Bisari II
Kriapadrishti Chita woh Mam Orii, Jagat Janani Vinatii Sun Mori II

Gyaan Buddhi Jai Sukh Ki Daata, Sankat Harahu Hamaare Maata II
Kshir Sindhu Jab Vishnumathaayo, Chaudah Ratn Sindhu Mein Paayo II

Chaudah Ratn Mein Tum Sukhraasi, Seva Kiyo Prabhu Banin Daasi II
Jab Jab Janam Jahaan Prabhu Linhaa, Roop Badal Tahan Seva Kinhaa II

Swayam Vishnu Jab Nar Tanu Dhaara, Linheu Awadhapuri Avataara II
Tab Tum Prakat Janakapur Manhin, Seva Kiyo Hriday Pulakaahi II

Apanaya Tohi Antarayaami, Vishva Vidit Tribhuvan Ki Swaami II
Tum Sam Prabal Shakti Nahi Aani, Kahan Tak Mahimaa Kahaun Bakhaani II

Mann Karam Bachan Karai Sevakaai, Mann Eechhit Phal Paai II
Taji Chhal Kapat Aur Chaturaai, Pujahi Vividh Viddhi Mann Laai II

Aur Haal Main Kahahun Bujhaai, Jo Yah Paath Karai Mann Laai II
Taako Koi Kasht Na Hoi, Mann Eechhit Phal Paavay Soii II

Traahi- Traahii Jai Duhkh Nivaarini, Trividh Tap Bhav Bandhan Haarini II
Jo Yeh Parhen Aur Parhaavay, Dhyan Laga Kar Sunay Sunavay II

Taakon Kou Rog Na Sataavay, Putr Aadi Dhan Sampati Paavay II
Putraheen Dhan Sampati Heena, Andh Badhir Korhhi Ati Diinaa II

Vipr Bulaay Ken Paath Karaavay, Shaankaa Dil Mein Kabhi Na Laavay II
Path Karaavay Din Chalisa, Taapar Krapaa Karahin Gaurisaa II

Sukh Sampatti Bahut-Si Paavay, Kami Nanhin Kaahuu Ki Aavay II
Baarah Maash Karen Jo Puja, Tehi Sam Dhanya Aur Nahin Dujaa II

Pratidin Paath Karehi Man Manhi, Un sam koi Jag Mein Naahin II
Bahuvidhi Kaya Mein Karahun Baraai, Ley Parikshaa Dhyaan Lagaai II

Kari Vishvaas Karay Vrat Naima, Hoi Siddh Upajay Ur Prema II
Jai Jai Jai Lakshmi Bhavani, Sab Mein Vyaapit Ho Gun khaani II

Tumhro Tej Prabal Jag Maahin, Tum Sam Kou Dayaalu Kahun Naahin II
Mohi Anaath Ki Sudhi Ab Lijay, Sannkat Kaati Bhakti Bar Deejay II

Bhool chook Karu Shamaa Hamaari, Darshan Deejay Dasha Nihaari II
Bin Darshan Vyaakul Adhikari, Tumhin Akshat Dukh Shatte Bhaari II

Nahin Mohi Gyaan Buddhi Hai Tan Mein, Sab Jaanat Ho Apane Mann Mein II
Roop Chaturbhuj Karke Dhaaran, Kasht Mor Ab Karahu Nivaaran II
Kehi Prakaar Mein Karahun Badai, Gyaan Buddhi Mohin Nahin Adhikaai II

DOHA:

Traahi Traahi Dukh Haarini, Harahu Vegi Sab Traas I
Jayati Jayati Jai Lakshmi, Karahu Shatru Ka Naas II

CHALISA IN GUJRATI

|| દોહા||

માતુલક્ષ્મીકૃપાકરો, દિલમાંરહો.

ઇચ્છાસાબિતકરો, પરંતુમારીઆશા

 

 

||સોરથા||

આમોરનાઅરદાસછે, હાથજોડીનેવિનંતી.

સબવિધીકરોu સુવાસ, જયજાનનીજગદમ્બિકા

 

||ચૌપાઈ||

ઇન્દિરાસુતાહુંસુમિરુતોહી. જ્Buddાનબુધિવિઘાદોમોહી

કોઈતમારીસમાનનથી. બધાકાયદેસરમાણસોઆપણાછે

 

જયજયજગતજનાણીજગદંબા. તમેબધામાંએકલાછો.

તમેબધીવસ્તુઓનોએકમાત્રરહેવાસીછો. આઅમારીવિનંતીછે

 

જગજાનીજયસિંધુકુમારી. દીનનનુંતમેફાયદાકારકછો

વિજેતા, તમેહંમેશાંતમારીમહત્તાછો. કૃપાકરોજગજનનિભવાણી॥

 

કેહિકાયાંવખાણતિહારી।ગુનાનોગુનોબદલાઈગયોછે

કૃપાદર્શનચિત્વોમામાઓરી. જગજનીઅરજસાંભળીમોરી

 

જ્wisdomાન, સુખ, સુખઆપનાર. અમારીમાતામુશ્કેલીમાંછે

ક્ષિરાસિંધુજ્યારેવિષ્ણુમથાયો. સિંધુમાંચૌદઝવેરાતચૂકવો

 

તમેચૌદઝવેરાતમાંસુખરાસી. ભગવાનમેઇડતરીકેભગવાનનીસેવાકરો

જબજબજહાંજ્યાંસ્વામીલેંહા. તમારીસેવાકેવીરીતેબદલવી

 

જ્યારેપુરુષતનુપ્રવાહકરેત્યારેવિષ્ણુપોતે. લિન્હુઅવધપુરીઅવતારા॥

પછીતમેજનકપુરપ્રગટકર્યા. મારાહૃદયનીસેવાનકરો

 

દત્તકઆત્માત્રિભુવનજાણીતાવિશ્વનાભગવાન

તમારીપાસેસમાનમજબૂતશક્તિનથી. કહેજ્યોત, મહિમા, બોખાણી।

 

તમારામનનીસેવાકરો, મંત્રાલયકરો. તમેઇચ્છોતેઇચ્છિતફળમેળવો.

છેતરપિંડીઅનેકુશળતા. પૂજાહિમનાલીજેવાપરચુરણ

 

અનેહુંક્યાંબુઝાઇશકુંછું. જેણેઆપાઠમગજમાંલાવ્યો

કઈવાંધોનથી. મનએઇચ્છિતફળછેતેથી॥

 

તૃહિત્રિજૈદુreliefખમુક્તિ।ત્રિવિધથર્મભાવબંધનહરિણી॥

લક્ષ્મીમાતાકીઆરતી, ઓમજયલક્ષ્મીમાતા, મૈયાજયલક્ષ્મીમાતા

 

જેચાલીસાવાંચેછેધ્યાનથીસાંભળો, સાંભળો

ટાકાઉરોગનોસતાવનારછે. પુત્રવગેરેસંપત્તિસંપત્તિ

 

સોનલેસઅરુસંપતિહીના. બ્લાઇન્ડબહેરારક્તપિત્ત

વિપ્રબોલાયેકૈકરિરાવાયે।દિલમાંક્યારેયશંકાનકરો

 

ચાલીસાએદિવસનોપાઠકર્યો. કૃપાકરીવૃષેષાનેધન્યકરો

આનંદઘણોછે. કહુનીકમીનથી

 

 

બારમહિનાપૂજા. ધન્યછેઅનેતમારાદ્વારાઆશીર્વાદનથી

રોજવાંચોતમારુંમનમારેએવુંકહેવુંનજોઈએકેઅમુકવિશ્વમાં

 

હુંગુણાકારનીપ્રશંસાકરીશકું. પરીક્ષાપરધ્યાનઆપો

નમાપરઝડપીવિશ્વાસકરવો. હોયસિદ્ધઉડજાઇurરપ્રેમા॥

 

જયજયજયલક્ષ્મીભવાની. ગુણોદરેકમાંફેલાય

તમેએકમજબૂતબળબનીશકેતારેમારાપરકૃપાકરવીજોઈએ, નાહી

 

મોહીઅનાથહવેયાદઆવેછેસંકટકટીભક્તિમોહિદિજાઇ

મનેક્ષમાકરોઅનેઅમારીક્ષમાભૂલીજાઓદર્શનદજાઇદશાનિહારી॥

 

દ્રષ્ટિવિનાવ્યથિતઅધિકારી. તમનેભારેવેદનાછે

નહીંમોહિનીએશરીરમાંડહાપણછે. તમારામનમાંબધાજાણીશકે

 

ફોર્મચતુર્ભુજઅનેપકડી. વેદનાનેહવેદુsufferingખથીબચાવીશકાયછે.

હુંકેવીરીતેબડાઈમારું? જ્anaાનાબુધિમોહિનહિઅધીકાઇ

 

||દોહા||

ટ્રાઇટ્રાઇદુખહરિની, હારોવેગીબધીદુર્ઘટના. જયતીજયતીજયલક્ષ્મી, શત્રુનોનાશકરો.

રામદાસધારીધ્યાનહંમેશા, ઉત્સાહથીવિનંતી. મધુલક્ષ્મીદાસપર, કરહુદયાનામૂળ

CHALISA IN HINDI

दोहा
 
मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥
सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार।
ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार॥ टेक॥
 
सोरठा
 
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
 
 
॥ चौपाई ॥
 
सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरबहु आस हमारी॥
 
जै जै जगत जननि जगदम्बा। सबके तुमही हो स्वलम्बा॥
तुम ही हो घट घट के वासी। विनती यही हमारी खासी॥
 
जग जननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी।
 
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी। जगत जननि विनती सुन मोरी॥
 
ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥
क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिंधु में पायो॥
 
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रूप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
 
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रकट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
 
अपनायो तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥
तुम सब प्रबल शक्ति नहिं आनी। कहं तक महिमा कहौं बखानी॥
 
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन- इच्छित वांछित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मन लाई॥
 
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करे मन लाई॥
ताको कोई कष्ट न होई। मन इच्छित फल पावै फल सोई॥
 
त्राहि- त्राहि जय दुःख निवारिणी। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणि॥
जो यह चालीसा पढ़े और पढ़ावे। इसे ध्यान लगाकर सुने सुनावै॥
 
ताको कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै।
पुत्र हीन और सम्पत्ति हीना। अन्धा बधिर कोढ़ी अति दीना॥
 
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
 
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
 
प्रतिदिन पाठ करै मन माहीं। उन सम कोई जग में नाहिं॥
बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
 
करि विश्वास करैं व्रत नेमा। होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी महारानी। सब में व्यापित जो गुण खानी॥
 
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयाल कहूं नाहीं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजे॥
 
भूल चूक करी क्षमा हमारी। दर्शन दीजै दशा निहारी॥
बिन दरशन व्याकुल अधिकारी। तुमहिं अक्षत दुःख सहते भारी॥
 
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥
रूप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
 
कहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्धि मोहिं नहिं अधिकाई॥
रामदास अब कहाई पुकारी। करो दूर तुम विपति हमारी॥
 
दोहा
 
त्राहि त्राहि दुःख हारिणी हरो बेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी करो शत्रुन का नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर करहु दया की कोर॥
 
।। इति लक्ष्मी चालीसा संपूर्णम।।

CHALISA IN KANNADA

|| ದೋಹಾ ||

 

ಮಾತು ಲಕ್ಷ್ಮಿ ದಯವಿಟ್ಟು ಕರುಣೆ ಮಾಡಿ, ನಿಮ್ಮ ಹೃದಯದಲ್ಲಿ ನೆಲೆಸಿರಿ.

 

ಬಯಕೆಯನ್ನು ಸಾಬೀತುಪಡಿಸಿ, ಆದರೆ ನನ್ನ ಭರವಸೆ

 

 

|| ಸೊರಥಾ ||

 

ಇದು ನವಿಲು ಅರ್ಡಾಸ್, ಮಡಿಸಿದ ಕೈಗಳಿಂದ ಮನವಿ ಮಾಡುತ್ತದೆ.

 

ಸಬ್ ವಿಧಿ ಕರೌ ಸುವಾಸ್, ಜೈ ಜನನಿ ಜಗದಂಬಿಕಾ

 

 

|| ಚೌಪೈ ||

 

ಇಂದಿರಾ ಸೂತಾ I ಸುಮಿರೂ ತೋಹಿ. ಜ್ಞಾನ ಬುದ್ಧ ವಿಘಾ ದೋ ಮೋಹಿ

 

ಯಾರೂ ನಿಮಗೆ ಸಮಾನರಲ್ಲ. ಎಲ್ಲಾ ಕಾನೂನುಬದ್ಧ ಪುರುಷರು ನಮ್ಮವರು

 

 

 

ಜೈ ಜೈ ಜಗತ್ ಜನನಿ ಜಗದಂಬ. ನೀವು ಎಲ್ಲರಲ್ಲಿ ಒಬ್ಬರೇ.

 

ನೀವು ಎಲ್ಲದರ ಏಕೈಕ ನಿವಾಸಿ. ಇದು ನಮ್ಮ ವಿನಂತಿ

 

 

 

ಜಗ್ಜನಾನಿ ಜೈ ಸಿಂಧು ಕುಮಾರಿ. ದಿನನ್ ನೀವು ಪ್ರಯೋಜನಕಾರಿ

 

ವಿಜೇತ, ನೀವು ಯಾವಾಗಲೂ ನಿಮ್ಮ ಹೈನೆಸ್. ಕೃಪಾ ಕರೋ ಜಗ ಜನಾನಿ ಭವಾನಿ

 

 

 

ಕೆಹಿ ಕಾನೂನು ಹೊಗಳಿಕೆ ತಿಹಾರಿ. ಅಪರಾಧದ ಅಪರಾಧ ಬದಲಾಗಿದೆ

 

ಕೃಪಾ ದರ್ಶನ ಚಿತವ್ವೋ ಮಾಮಾ ಒರಿ. ಜಗ್ಜನ್ನಿ ಮೋರಿಯನ್ನು ಕೇಳಿ

 

 

 

ಬುದ್ಧಿವಂತಿಕೆ, ಸಂತೋಷ, ಸಂತೋಷವನ್ನು ನೀಡುವವನು. ನಮ್ಮ ತಾಯಿ ತೊಂದರೆಯಲ್ಲಿದ್ದಾರೆ

 

ವಿಷ್ಣು ಮಾಥಾಯೋ ಬಂದಾಗ ಕ್ಷೀರಸಿಂಧು. ಸಿಂಧುದಲ್ಲಿ ಹದಿನಾಲ್ಕು ಆಭರಣಗಳನ್ನು ಪಾವತಿಸಿ

 

 

 

ನೀವು ಹದಿನಾಲ್ಕು ಆಭರಣಗಳಲ್ಲಿ ಸುಖರಸಿ. ದೇವರನ್ನು ಲಾರ್ಡ್ ಸೇವಕಿ ಎಂದು ಸೇವೆ ಮಾಡಿ

 

ಜಬ್ ಜಬ್ ಜಹಾನ್ ಅಲ್ಲಿ ಲಾರ್ಡ್ ಲೆನ್ಹಾ. ನಿಮ್ಮ ಸೇವೆಯನ್ನು ಹೇಗೆ ಬದಲಾಯಿಸುವುದು

 

 

 

ಗಂಡು ತನು ಸ್ಟ್ರೀಮ್ ಮಾಡಿದಾಗ ವಿಷ್ಣು ಸ್ವತಃ. ಲಿನ್ಹೆವು ಅವಧ್ಪುರಿ ಅವತಾರಾ

 

ನಂತರ ನೀವು ಜನಕ್ಪುರವನ್ನು ಬಹಿರಂಗಪಡಿಸಿದ್ದೀರಿ. ನನ್ನ ಹೃದಯವನ್ನು ಸೇವಿಸಬೇಡಿ

 

 

 

ದತ್ತು ಆತ್ಮ ವಿಶ್ವದ ಪ್ರಭು ತ್ರಿಭುವನ್

 

ನಿಮಗೆ ಅದೇ ಬಲವಾದ ಶಕ್ತಿ ಇಲ್ಲ. ಜ್ವಾಲೆ, ಮಹಿಮೆ ಹೇಳಿ, ಬಖಾನಿ ಹೇಳಿ.

 

 

 

ನಿಮ್ಮ ಮನಸ್ಸನ್ನು ಸೇವೆ ಮಾಡಿ, ಸೇವೆಯನ್ನು ಮಾಡಿ. ನಿಮಗೆ ಬೇಕಾದ ಹಣ್ಣನ್ನು ಹುಡುಕಿ.

 

ಮೋಸದ ವಂಚನೆ ಮತ್ತು ಚಾಕಚಕ್ಯತೆ. ಪೂಜಾಹಿ ಮನಾಲಿ ವಿವಿಧ ರೀತಿಯ

 

 

 

ಮತ್ತು ನಂದಿಸಿದ ಸ್ಥಳವನ್ನು ನಾನು ಎಲ್ಲಿ ಹೇಳಬಲ್ಲೆ. ಈ ಪಾಠವನ್ನು ಯಾರು ಮನಸ್ಸಿಗೆ ತಂದರು

 

ಯಾವುದೇ ಸಮಸ್ಯೆ ಇಲ್ಲ. ಮನಸ್ಸು ಅಪೇಕ್ಷಿತ ಹಣ್ಣು ಆದ್ದರಿಂದ

 

 

 

ತ್ರಾಹಿ ಟ್ರಾಹಿ ಜೈ ದುಃಖ ಪರಿಹಾರ. ತ್ರಿವಿಧಾ ಥರ್ಮ್ ಭವ ಬಂಧನ್ ಹರಿಣಿ

 

ಲಕ್ಷ್ಮಿ ಮಾತಾ ಕಿ ಆರತಿ, ಓಂ ಜೈ ಲಕ್ಷ್ಮಿ ಮಾತಾ, ಮೈಯಾ ಜೈ ಲಕ್ಷ್ಮಿ ಮಾತಾ

 

 

 

ಚಾಲಿಸಾ ಓದುವವನು ಎಚ್ಚರಿಕೆಯಿಂದ ಆಲಿಸಿ, ಆಲಿಸಿ

 

ತಕಾವು ರೋಗ ಪೀಡಕ. ಮಗ ಇತ್ಯಾದಿ ಸಂಪತ್ತು ಆಸ್ತಿ

 

 

 

ಮಗವಿಲ್ಲದ ಅರು ಸಂಪತಿ ಹೀನಾ. ಕುರುಡು ಕಿವುಡ ಕುಷ್ಠರೋಗ

 

ವಿಪ್ರ ಬೋಲಾಯ್ ಕೈ ಕರಿರವಾಯೆ. ಹೃದಯದಲ್ಲಿ ಎಂದಿಗೂ ಅನುಮಾನಿಸಬೇಡಿ

 

 

 

ಚಾಲಿಸಾ ದಿನ ಪಠಿಸಿದರು. ದಯವಿಟ್ಟು ಟೌರಿಸಾ ಅವರನ್ನು ಆಶೀರ್ವದಿಸಿ

 

ಸಂತೋಷಗಳು ಹೇರಳವಾಗಿವೆ. ಕಹುಗೆ ಕೊರತೆಯಿಲ್ಲ

 

 

 

ಹನ್ನೆರಡು ತಿಂಗಳು ಪೂಜೆ. ನಿಮ್ಮಿಂದ ಆಶೀರ್ವದಿಸಲ್ಪಟ್ಟಿಲ್ಲ ಮತ್ತು ಆಶೀರ್ವದಿಸಲ್ಪಟ್ಟಿಲ್ಲ

 

ಪ್ರತಿದಿನ ನಿಮ್ಮ ಮನಸ್ಸನ್ನು ಓದಿ ಕೆಲವು ಜಗತ್ತಿನಲ್ಲಿ ನಾನು ಅದನ್ನು ಹೇಳಬಾರದು

 

 

 

 

 

ನಾನು ಬಹುಸಂಖ್ಯೆಯನ್ನು ಹೊಗಳುತ್ತೇನೆ. ಪರೀಕ್ಷೆಗೆ ಗಮನ ಕೊಡಿ

 

ನಾಮವನ್ನು ವೇಗವಾಗಿ ನಂಬುವುದು. ಹೋಯ್ ಸಿದ್ಧ ಉದ್ಜೈ ಉರ್ ಪ್ರೇಮಾ

 

 

 

ಜೈ ಜೈ ಜೈ ಲಕ್ಷ್ಮಿ ಭವಾನಿ. ಸದ್ಗುಣಗಳು ಎಲ್ಲರಲ್ಲೂ ಹರಡಲಿ

 

ನೀವು ಬಲವಾದ ಶಕ್ತಿಯಾಗಿರಲಿ ನಹಿ, ನೀವು ನನಗೆ ದಯೆ ಹೇಳಬೇಕು

 

 

 

ಮೋಹಿ ಅನಾಥರಿಗೆ ಈಗ ನೆನಪಿದೆ ಸಂಕತ್ ಕತಿ ಭಕ್ತಿ ಮೋಹಿ ಡಿಜೈ

 

ನನ್ನನ್ನು ಕ್ಷಮಿಸಿ ಮತ್ತು ನಮ್ಮ ಕ್ಷಮೆಯನ್ನು ಮರೆತುಬಿಡಿ ದರ್ಶನ್ ದಜೈ ದಶಾ ನಿಹಾರಿ

 

 

 

ದೃಷ್ಟಿ ಇಲ್ಲದೆ ತೊಂದರೆಗೀಡಾದ ಅಧಿಕಾರಿ. ನೀವು ಭಾರೀ ಸಂಕಟ

 

ನಹಿನ್ ಮೋಹಿನಿ ದೇಹದಲ್ಲಿನ ಬುದ್ಧಿವಂತಿಕೆ. ನಿಮ್ಮ ಮನಸ್ಸಿನಲ್ಲಿ ಎಲ್ಲರಿಗೂ ತಿಳಿಯಲಿ

 

 

 

ಚತುರ್ಭುಜವನ್ನು ರೂಪಿಸಿ ಮತ್ತು ಹಿಡಿದುಕೊಳ್ಳಿ. ನೋವುಗಳನ್ನು ಈಗ ನೋವಿನಿಂದ ತಡೆಯಲಾಗಿದೆ.

 

ನಾನು ಹೇಗೆ ಬಡಿವಾರ ಹೇಳುತ್ತೇನೆ? ಜ್ಞಾನ ಬುಧಿ ಮೋಹಿ ನಹಿನ್ ಅಧಿಕಾರಿ

 

 

 

|| ದೋಹಾ ||

 

ತ್ರೈ ಟ್ರೈ ದುಖ್ ಹರಿಣಿ, ಹಾರೋ ವೆಜಿ ಎಲ್ಲಾ ದುರಂತ. ಜಯತಿ ಜಯತಿ ಜೈ ಲಕ್ಷ್ಮಿ, ಶತ್ರುಗಳನ್ನು ನಾಶಮಾಡಿ.

 

ರಾಮದಾಸ್ ಧಾರಿ ಧ್ಯಾನ್ ಯಾವಾಗಲೂ, ಹುರುಪಿನಿಂದ ಮನವಿ ಮಾಡಿ. ಕಾರ್ಹು ಮರ್ಸಿಯ ತಿರುಳು ಮಾತು ಲಕ್ಷ್ಮಿ ದಾಸ್ ಮೇಲೆ

CHALISA IN KASHMIRI

Kashmiri and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

दोहा
 
मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥
सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार।
ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार॥ टेक॥
 
सोरठा
 
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
 
 
॥ चौपाई ॥
 
सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरबहु आस हमारी॥
 
जै जै जगत जननि जगदम्बा। सबके तुमही हो स्वलम्बा॥
तुम ही हो घट घट के वासी। विनती यही हमारी खासी॥
 
जग जननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी।
 
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी। जगत जननि विनती सुन मोरी॥
 
ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥
क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिंधु में पायो॥
 
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रूप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
 
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रकट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
 
अपनायो तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥
तुम सब प्रबल शक्ति नहिं आनी। कहं तक महिमा कहौं बखानी॥
 
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन- इच्छित वांछित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मन लाई॥
 
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करे मन लाई॥
ताको कोई कष्ट न होई। मन इच्छित फल पावै फल सोई॥
 
त्राहि- त्राहि जय दुःख निवारिणी। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणि॥
जो यह चालीसा पढ़े और पढ़ावे। इसे ध्यान लगाकर सुने सुनावै॥
 
ताको कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै।
पुत्र हीन और सम्पत्ति हीना। अन्धा बधिर कोढ़ी अति दीना॥
 
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
 
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
 
प्रतिदिन पाठ करै मन माहीं। उन सम कोई जग में नाहिं॥
बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
 
करि विश्वास करैं व्रत नेमा। होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी महारानी। सब में व्यापित जो गुण खानी॥
 
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयाल कहूं नाहीं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजे॥
 
भूल चूक करी क्षमा हमारी। दर्शन दीजै दशा निहारी॥
बिन दरशन व्याकुल अधिकारी। तुमहिं अक्षत दुःख सहते भारी॥
 
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥
रूप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
 
कहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्धि मोहिं नहिं अधिकाई॥
रामदास अब कहाई पुकारी। करो दूर तुम विपति हमारी॥
 
दोहा
 
त्राहि त्राहि दुःख हारिणी हरो बेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी करो शत्रुन का नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर करहु दया की कोर॥
 
।। इति लक्ष्मी चालीसा संपूर्णम।।

CHALISA IN KONKANI

Konkani and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

दोहा
 
मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥
सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार।
ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार॥ टेक॥
 
सोरठा
 
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
 
 
॥ चौपाई ॥
 
सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरबहु आस हमारी॥
 
जै जै जगत जननि जगदम्बा। सबके तुमही हो स्वलम्बा॥
तुम ही हो घट घट के वासी। विनती यही हमारी खासी॥
 
जग जननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी।
 
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी। जगत जननि विनती सुन मोरी॥
 
ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥
क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिंधु में पायो॥
 
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रूप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
 
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रकट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
 
अपनायो तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥
तुम सब प्रबल शक्ति नहिं आनी। कहं तक महिमा कहौं बखानी॥
 
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन- इच्छित वांछित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मन लाई॥
 
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करे मन लाई॥
ताको कोई कष्ट न होई। मन इच्छित फल पावै फल सोई॥
 
त्राहि- त्राहि जय दुःख निवारिणी। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणि॥
जो यह चालीसा पढ़े और पढ़ावे। इसे ध्यान लगाकर सुने सुनावै॥
 
ताको कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै।
पुत्र हीन और सम्पत्ति हीना। अन्धा बधिर कोढ़ी अति दीना॥
 
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
 
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
 
प्रतिदिन पाठ करै मन माहीं। उन सम कोई जग में नाहिं॥
बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
 
करि विश्वास करैं व्रत नेमा। होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी महारानी। सब में व्यापित जो गुण खानी॥
 
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयाल कहूं नाहीं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजे॥
 
भूल चूक करी क्षमा हमारी। दर्शन दीजै दशा निहारी॥
बिन दरशन व्याकुल अधिकारी। तुमहिं अक्षत दुःख सहते भारी॥
 
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥
रूप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
 
कहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्धि मोहिं नहिं अधिकाई॥
रामदास अब कहाई पुकारी। करो दूर तुम विपति हमारी॥
 
दोहा
 
त्राहि त्राहि दुःख हारिणी हरो बेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी करो शत्रुन का नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर करहु दया की कोर॥
 
।। इति लक्ष्मी चालीसा संपूर्णम।।

CHALISA IN MAITHILI

Maithili and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

दोहा
 
मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥
सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार।
ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार॥ टेक॥
 
सोरठा
 
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
 
 
॥ चौपाई ॥
 
सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरबहु आस हमारी॥
 
जै जै जगत जननि जगदम्बा। सबके तुमही हो स्वलम्बा॥
तुम ही हो घट घट के वासी। विनती यही हमारी खासी॥
 
जग जननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी।
 
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी। जगत जननि विनती सुन मोरी॥
 
ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥
क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिंधु में पायो॥
 
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रूप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
 
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रकट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
 
अपनायो तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥
तुम सब प्रबल शक्ति नहिं आनी। कहं तक महिमा कहौं बखानी॥
 
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन- इच्छित वांछित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मन लाई॥
 
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करे मन लाई॥
ताको कोई कष्ट न होई। मन इच्छित फल पावै फल सोई॥
 
त्राहि- त्राहि जय दुःख निवारिणी। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणि॥
जो यह चालीसा पढ़े और पढ़ावे। इसे ध्यान लगाकर सुने सुनावै॥
 
ताको कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै।
पुत्र हीन और सम्पत्ति हीना। अन्धा बधिर कोढ़ी अति दीना॥
 
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
 
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
 
प्रतिदिन पाठ करै मन माहीं। उन सम कोई जग में नाहिं॥
बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
 
करि विश्वास करैं व्रत नेमा। होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी महारानी। सब में व्यापित जो गुण खानी॥
 
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयाल कहूं नाहीं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजे॥
 
भूल चूक करी क्षमा हमारी। दर्शन दीजै दशा निहारी॥
बिन दरशन व्याकुल अधिकारी। तुमहिं अक्षत दुःख सहते भारी॥
 
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥
रूप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
 
कहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्धि मोहिं नहिं अधिकाई॥
रामदास अब कहाई पुकारी। करो दूर तुम विपति हमारी॥
 
दोहा
 
त्राहि त्राहि दुःख हारिणी हरो बेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी करो शत्रुन का नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर करहु दया की कोर॥
 
।। इति लक्ष्मी चालीसा संपूर्णम।।

CHALISA IN MALAYALAM

|| ദോഹ||

 

മാതുലക്ഷ്മിദയവായികരുണകാണിക്കൂ, നിങ്ങളുടെഹൃദയത്തിൽവസിക്കുക.

ആഗ്രഹംതെളിയിക്കുക, പക്ഷേഎന്റെപ്രതീക്ഷ

 

 

||സോരത||

മടക്കിവെച്ചകൈകളാൽഅപേക്ഷിക്കുന്നമയിൽഅർദാസ്ഇതാണ്.

സബ്വിധികരu സുവാസ്, ജയ്ജനാനിജഗദാംബിക

 

 

||ചup പൈ||

ഇന്ദിരസൂതI സുമിരോതോഹി. ഗ്യാൻബുദ്ധൻവിഘാഡോമോഹി

ആരുംനിങ്ങൾക്ക്തുല്യരല്ല. നിയമാനുസൃതരായഎല്ലാപുരുഷന്മാരുംനമ്മുടേതാണ്

 

ജയ്ജയ്ജഗത്ജനാനിജഗദമ്പ. എല്ലാവരിലുംനിങ്ങൾമാത്രമാണ്.

എല്ലാകാര്യങ്ങളിലുംനിങ്ങൾമാത്രമാണ്താമസിക്കുന്നത്. ഇതാണ്ഞങ്ങളുടെഅഭ്യർത്ഥന

 

ജഗ്നാനിജയ്സിന്ധുകുമാരി. ദിനാന്റെനിങ്ങൾപ്രയോജനകരമാണ്

വിജയി, നിങ്ങൾഎല്ലായ്പ്പോഴുംനിങ്ങളുടെഹൈനെസ്ആണ്. കൃപകരോജാഗ്ജനാനിഭവാനി

 

 

കെഹിലോസ്തുതിതിഹാരി. കുറ്റകൃത്യങ്ങളുടെകുറ്റകൃത്യംമാറി

കൃപദർശനംചിറ്റാവോമാമഒറി. മോറിയെകേൾക്കാൻജഗ്ഗാനിഅപേക്ഷിക്കുന്നു

 

ജ്ഞാനം, സന്തോഷം, സന്തോഷംനൽകുന്നയാൾ. ഞങ്ങളുടെഅമ്മകുഴപ്പത്തിലാണ്

വിഷ്ണുമാത്യോആയിരിക്കുമ്പോൾക്ഷീരസിന്ധു. സിന്ധുവിൽപതിനാല്ആഭരണങ്ങൾനൽകുക

 

പതിനാല്ആഭരണങ്ങളിൽനിങ്ങൾസുഖാരാസി. ലോർഡ്വേലക്കാരിയായിദൈവത്തെസേവിക്കുക

ജബ്ജബ്ജഹാൻഎവിടെപ്രഭുലെൻഹ. നിങ്ങളുടെസേവനംഎങ്ങനെമാറ്റാം

 

പുരുഷതനുഅരുവിചെയ്യുമ്പോൾവിഷ്ണുതന്നെ. ലിൻ‌ഹെഅവധ്പുരിഅവതാര

അപ്പോൾനിങ്ങൾജനക്പൂർവെളിപ്പെടുത്തി. എന്റെഹൃദയത്തെസേവിക്കരുത്

 

ദത്തെടുത്തആത്മാവ്ലോകപ്രഭുത്രിഭുവൻ

നിങ്ങൾക്ക്ഒരേശക്തമായശക്തിയില്ല. ജ്വാല, മഹത്വം, ബഖാനിപറയുക.

 

നിങ്ങളുടെമനസ്സിനെസേവിക്കുക, ശുശ്രൂഷചെയ്യുക. നിങ്ങൾക്ക്ആവശ്യമുള്ളഫലംകണ്ടെത്തുക.

വഞ്ചനാപരമായവഞ്ചനയുംവിവേകവും. പൂജാഹിമനാലിപലവകപോലെ

 

കെടുത്തിക്കളഞ്ഞതായിഎനിക്ക്എവിടെപറയാൻകഴിയും? ആരാണ്ഈപാഠംമനസ്സിലേക്ക്കൊണ്ടുവന്നത്

കുഴപ്പമൊന്നുമില്ല. മനസ്സ്ആവശ്യമുള്ളഫലമാണ്

 

ട്രാഹിട്രാഹിജയ്ദുorrow ഖം. ത്രിവിദ്ധതെർംഭവബന്ധൻഹരിനി॥

ലക്ഷ്മിമാതാകിആരതി, ഓംജയ്ലക്ഷ്മിമാതാ, മായജയ്ലക്ഷ്മിമാതാ

 

ചാലിസവായിക്കുന്നയാൾശ്രദ്ധയോടെകേൾക്കുക, ശ്രദ്ധിക്കുക

ടാകാവുഒരുരോഗത്തെപീഡിപ്പിക്കുന്നയാളാണ്. മകൻമുതലായവസ്വത്ത്സ്വത്ത്

 

സോൺലെസ്അരുസമ്പതിഹീന. അന്ധനായബധിരകുഷ്ഠരോഗി

വിപ്രബോലായ്കൈകരിരവായെ. ഹൃദയത്തിൽഒരിക്കലുംസംശയിക്കരുത്

 

ചാലിസദിവസംപാരായണംചെയ്തു. ടur രിസയെഅനുഗ്രഹിക്കൂ

ആനന്ദങ്ങൾധാരാളം. കഹുവിന്ഒരുകുറവുമില്ല

 

പന്ത്രണ്ട്മാസംആരാധിക്കുക. നിങ്ങൾഅനുഗ്രഹിക്കപ്പെട്ടവരല്ല

എല്ലാദിവസവുംനിങ്ങളുടെമനസ്സ്വായിക്കുകചിലലോകത്ത്ഞാൻഅത്പറയരുത്

 

ഞാൻബഹുജനത്തെപ്രശംസിക്കട്ടെ. പരീക്ഷയിൽശ്രദ്ധിക്കുക

നാമയെവേഗത്തിൽവിശ്വസിക്കുന്നു. ഹോയ്സിദ്ധ്ഉജ്ജൈഉർപ്രേമ

 

ജയ്ജയ്ജയ്ലക്ഷ്മിഭവാനി. സദ്‌ഗുണങ്ങൾഎല്ലാവരിലുംവ്യാപിക്കട്ടെ

നിങ്ങൾഒരുശക്തമായശക്തിയായിരിക്കട്ടെനഹി, നിങ്ങൾഎന്നോട്ദയകാണിക്കണം

 

മോഹിഅനാഥയെഇപ്പോൾഓർക്കുന്നുസങ്കത്കതിഭക്തിമോഹിഡിജായ്

എന്നോട്ക്ഷമിച്ച്ഞങ്ങളുടെക്ഷമമറക്കുകദർശൻദജയ്ദശനിഹാരി

 

കാഴ്ചയില്ലാത്തഉദ്യോഗസ്ഥൻ. നിങ്ങൾകനത്തകഷ്ടപ്പാടാണ്

നഹിൻമോഹിനിശരീരത്തിലെജ്ഞാനമാണ്. എല്ലാവരുംനിങ്ങളുടെമനസ്സിൽഅറിയട്ടെ

 

ചതുരാകൃതിയിലാക്കിപിടിക്കുക. വേദനഇപ്പോൾകഷ്ടതയിൽനിന്ന്തടയുന്നു.

ഞാൻഎങ്ങനെവീമ്പിളക്കും? ജ്ഞാനബുധിമോഹിനഹിൻഅധികായ്

 

||ദോഹ||

ട്രായ്ട്രായ്ദുഖ്ഹരിനി, ഹാരോവെജിഎല്ലാംദുരന്തം. ജയതിജയതിജയ്ലക്ഷ്മി, ശത്രുവിനെനശിപ്പിക്കുക.

രാംദാസ്ധരിധ്യാൻഎപ്പോഴും, with ർജ്ജസ്വലതയോടെഅപേക്ഷിക്കുക. കാർഹുമേഴ്‌സിയുടെകാതൽമാതുലക്ഷ്മിദാസിൽ

CHALISA IN MEITEI

Meitei and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

दोहा
 
मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥
सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार।
ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार॥ टेक॥
 
सोरठा
 
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
 
 
॥ चौपाई ॥
 
सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरबहु आस हमारी॥
 
जै जै जगत जननि जगदम्बा। सबके तुमही हो स्वलम्बा॥
तुम ही हो घट घट के वासी। विनती यही हमारी खासी॥
 
जग जननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी।
 
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी। जगत जननि विनती सुन मोरी॥
 
ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥
क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिंधु में पायो॥
 
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रूप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
 
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रकट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
 
अपनायो तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥
तुम सब प्रबल शक्ति नहिं आनी। कहं तक महिमा कहौं बखानी॥
 
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन- इच्छित वांछित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मन लाई॥
 
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करे मन लाई॥
ताको कोई कष्ट न होई। मन इच्छित फल पावै फल सोई॥
 
त्राहि- त्राहि जय दुःख निवारिणी। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणि॥
जो यह चालीसा पढ़े और पढ़ावे। इसे ध्यान लगाकर सुने सुनावै॥
 
ताको कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै।
पुत्र हीन और सम्पत्ति हीना। अन्धा बधिर कोढ़ी अति दीना॥
 
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
 
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
 
प्रतिदिन पाठ करै मन माहीं। उन सम कोई जग में नाहिं॥
बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
 
करि विश्वास करैं व्रत नेमा। होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी महारानी। सब में व्यापित जो गुण खानी॥
 
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयाल कहूं नाहीं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजे॥
 
भूल चूक करी क्षमा हमारी। दर्शन दीजै दशा निहारी॥
बिन दरशन व्याकुल अधिकारी। तुमहिं अक्षत दुःख सहते भारी॥
 
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥
रूप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
 
कहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्धि मोहिं नहिं अधिकाई॥
रामदास अब कहाई पुकारी। करो दूर तुम विपति हमारी॥
 
दोहा
 
त्राहि त्राहि दुःख हारिणी हरो बेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी करो शत्रुन का नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर करहु दया की कोर॥
 
।। इति लक्ष्मी चालीसा संपूर्णम।।

CHALISA IN MARATHI

|| डोहा||

मातुलक्ष्मीकृपयाकृपाकरुनआपल्याअंत: करणातराहा.

इच्छादाखवा, पणमाझीआशा

 

 

||सोरठा||

दुमडलेल्याहातांनीविनवणीकरणाराहामोरअर्दासआहे.

सबविधीकरौसुवास, जयजनानीजगदंबिका

 

||चौपाई||

इंदिरासुतामीसुमिरूतोही।ज्ञानबुद्धीविघदोमोहि

कोणीहीआपल्यासारखेनाही. सर्वकायदेशीरपुरुषआमचेआहेत

 

जयजयजगतजननीजगदंबा।आपणसर्वांपैकीएकआहात.

आपणसर्वगोष्टींचारहिवासीआहात. हीआमचीविनंतीआहे

 

जगजनानीजयसिंधुकुमारी।दीनानतूंहितकारक

विजेता, आपणनेहमीचआपलामानसआहात. कृपाकरोजगजनानीभवानी॥

 

 

 

केहिविधिस्तुतितिहारी।गुन्ह्याचागुन्हाबदललाआहे

कृपादर्शनचित्तवोमामाओरि।जगजनीकैफियतऐकूनमोरी

 

शहाणपण, आनंद, आनंददेणारा. आमचीआईसंकटातआहे

क्षीरसिंधुजेव्हाविष्णूमथायो।सिंधूमध्येचौदादागिनेद्या

 

चौदादागिन्यांमध्येतूसुखरासी।लॉर्डमेडम्हणूनदेवाचीसेवाकरा

जबजबजहांजहांस्वामीलेन्हा।आपलीसेवाकशीबदलावी

 

विष्णूजेव्हानरतनुवाहतो।लिन्हुअवधपुरीअवतारा॥

मगआपणजनकपूरप्रकटकेला. माझ्यामनाचीसेवाकरुनकोस

 

दत्तकआत्माविश्वाचाभगवानत्रिभुवनज्ञात

आपल्याततशीसामर्थ्यनाही. म्हणेज्योती, महिमाम्हणा, बखानी।

 

सेवाकरा, आपल्यामनाचीसेवाकरा. आपल्यालापाहिजेअसलेलेफळशोधा.

लबाडीआणिफसवणूक. पूजाहीमनालीसारख्यासंकीर्ण

 

आणिमीकुठेविझतअसेन? हाधडाकोणीमनातआणला

काहीचअडचणनाही. मनहेइच्छितफळआहे॥

 

त्राहीतीजयदु: खनिवारण।त्रिविधाथर्मभवबंधनहरिणी॥

लक्ष्मीमाताकीआरती, ओमजयलक्ष्मीमाता, मैयाजयलक्ष्मीमाता

 

जोचालीसावाचतोकाळजीपूर्वकऐका, ऐका

टाकाऊहारोगाचाछळकरणाराआहे. पुत्रवगैरेसंपत्ती

 

सोनलेसअरुसंपतीहीना।आंधळाबहिराकुष्ठरोग

विप्रबोलायेकैकरीरवये।मनातकधीचशंकाघेऊनका

 

चालिसाचापाठकेला. कृपयावृषभआशीर्वादद्या

सुखविपुलआहेत. कहूचीकमतरतानाही

 

बारामहिनेपूजा. धन्यआणितुलाआशीर्वादनाही

दररोजआपलेमनवाचामीअसेम्हणूनयेकीकाहीजगात

 

मीबहुगुणांचेकौतुककरू. परीक्षेकडेलक्षद्या

नामावरदृढविश्वासठेवणे. होईसिद्धउडजाईउरप्रेमा॥

 

जयजयजयलक्ष्मीभवानी।सगळ्यांमध्येपुण्यपसरवोत

आपणएकमजबूतशक्तीअसूशकतेतूमाझ्याशीदयाळूपणाम्हणायलानको

 

मोहीअनाथआताआठवलेसंकेतकटीभक्तिमोहिदिजाई

मलामाफकराआणिआमचीक्षमाविसरादर्शनदजाईदशनिहारी॥

 

दृष्टीनसलेलेव्यथितअधिकारी. आपणखूपदु: खभोगतआहात

नाहींमोहिनीहेशरीरातीलशहाणपणआहे. सर्वांनातुमच्यामनातठाऊकअसूशकेल

 

चतुर्भुजफॉर्मधारणकरा. वेदनाआताहोण्यापासूनप्रतिबंधितआहे.

मीकशीबढाईमारू? ज्ञानबुधिमोहिंनाहींअधिकाई

 

||दोहा||

ट्रैत्रिकदुखहरिणी, हरोवेगीसर्वत्रासदायक. जयतीजयतीजयलक्ष्मी, शत्रूचानाशकरा.

रामदासधरणीध्यान, सदैवविनवणी. करुळूदयाचेगाभाम्हणजेमातुलक्ष्मीदासवर

CHALISA IN NEPALI

Nepali and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 
दोहा
 
मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥
सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार।
ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार॥ टेक॥
 
सोरठा
 
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
 
 
॥ चौपाई ॥
 
सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरबहु आस हमारी॥
 
जै जै जगत जननि जगदम्बा। सबके तुमही हो स्वलम्बा॥
तुम ही हो घट घट के वासी। विनती यही हमारी खासी॥
 
जग जननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी।
 
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी। जगत जननि विनती सुन मोरी॥
 
ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥
क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिंधु में पायो॥
 
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रूप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
 
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रकट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
 
अपनायो तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥
तुम सब प्रबल शक्ति नहिं आनी। कहं तक महिमा कहौं बखानी॥
 
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन- इच्छित वांछित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मन लाई॥
 
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करे मन लाई॥
ताको कोई कष्ट न होई। मन इच्छित फल पावै फल सोई॥
 
त्राहि- त्राहि जय दुःख निवारिणी। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणि॥
जो यह चालीसा पढ़े और पढ़ावे। इसे ध्यान लगाकर सुने सुनावै॥
 
ताको कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै।
पुत्र हीन और सम्पत्ति हीना। अन्धा बधिर कोढ़ी अति दीना॥
 
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
 
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
 
प्रतिदिन पाठ करै मन माहीं। उन सम कोई जग में नाहिं॥
बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
 
करि विश्वास करैं व्रत नेमा। होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी महारानी। सब में व्यापित जो गुण खानी॥
 
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयाल कहूं नाहीं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजे॥
 
भूल चूक करी क्षमा हमारी। दर्शन दीजै दशा निहारी॥
बिन दरशन व्याकुल अधिकारी। तुमहिं अक्षत दुःख सहते भारी॥
 
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥
रूप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
 
कहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्धि मोहिं नहिं अधिकाई॥
रामदास अब कहाई पुकारी। करो दूर तुम विपति हमारी॥
 
दोहा
 
त्राहि त्राहि दुःख हारिणी हरो बेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी करो शत्रुन का नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर करहु दया की कोर॥
 
।। इति लक्ष्मी चालीसा संपूर्णम।।

CHALISA IN ODIA

|| ଦୋହା||

ମତୁଲକ୍ଷ୍ମୀଦୟାକରିଦୟାକର, ନିଜହୃଦୟରେରୁହ |

ଇଚ୍ଛାପ୍ରମାଣକର, କିନ୍ତୁମୋରଭରସା |

 

 

||ସୋରଥା||

ଏହାହେଉଛିମୟୂରଆର୍ଡାସ୍, ଫୋଲଡ୍ହାତରେନିବେଦନକରେ |

ସାବବିଦୀକାରୁସୁୱାସ, ଜୟଜାନାନିଜଗଦମ୍ବିକା |

 

||ଚାଉପାଇ||

ଇନ୍ଦିରାସୁଟାମୁଁସୁମିରୋତୋହି | ଜିଆନ୍ବୁଦ୍ଧଭିଗାଦୋମୋହି |

ତୁମସହିତକେହିସମାନନୁହଁନ୍ତି | ସମସ୍ତଆଇନଜୀବୀଆମର

 

ଜୟଜୟଜଗତଜନନୀଜଗଦମ୍ବା | ଆପଣସମସ୍ତଙ୍କମଧ୍ୟରୁକେବଳଜଣେ |

ତୁମେସମସ୍ତଜିନିଷରଏକମାତ୍ରବାସିନ୍ଦା | ଏହାଆମରଅନୁରୋଧ |

 

ଜଗଜାନିଜୟସିନ୍ଧୁକୁମାରୀ | ଦୀନାନ୍ତୁମେଲାଭଦାୟକ |

ବିଜେତା, ତୁମେସର୍ବଦାତୁମରଉଚ୍ଚତା | କ୍ରିପାକରୋଜଗଜନନୀଭବାନୀ।

 

କେହିଆଇନତିହାରୀଙ୍କରପ୍ରଶଂସା | ଅପରାଧରଅପରାଧବଦଳିଯାଇଛି |

କ୍ରିପାଦର୍ଶନଚିତାଭୋମାମାଓରି | ଜଗଜାନିମୋରିଶୁଣନ୍ତୁ

 

ଜ୍ଞାନ, ସୁଖ, ସୁଖପ୍ରଦାନକାରୀ | ଆମମାଅସୁବିଧାରେଅଛନ୍ତି |

ଯେତେବେଳେବିଷ୍ଣୁମାଥୟୋସିନ୍ଧୁରେଚଉଦଟିଅଳଙ୍କାରଦିଅ |

 

ଚଉଦଟିଅଳଙ୍କାରରେତୁମେସୁଖରାସୀ | ଭଗବାନଦାସଭାବରେଭଗବାନଙ୍କରସେବାକର |

ଜବ୍ଜବ୍ଜାହାନ୍ଯେଉଁଠାରେପ୍ରଭୁଲେନ୍ହା | ଆପଣଙ୍କରସେବାକିପରିପରିବର୍ତ୍ତନକରିବେ |

 

ପୁରୁଷତନୁପ୍ରବାହିତହେଲେବିଷ୍ଣୁନିଜେ |

ତା’ପରେତୁମେଜାନକପୁରକୁପ୍ରକାଶକଲ | ମୋରହୃଦୟରସେବାକରନାହିଁ

 

ପୋଷ୍ୟପ୍ରାଣଜଗତରପ୍ରଭୁତ୍ରିଭୂଭାନ୍ଜଣାଶୁଣା |

ତୁମରସମାନଶକ୍ତିଶାଳୀଶକ୍ତିନାହିଁ | ଅଗ୍ନିକୁହ, ଗglory ରବ, ବଖାନିକୁହ |

 

ତୁମରମନସେବାକର, ମନ୍ତ୍ରଣାଳୟକର | ଆପଣଚାହୁଁଥିବାଫଳଖୋଜ |

ଠକାମିଏବଂଚତୁରତା | ପୂଜାହିମନାଲିବିବିଧପସନ୍ଦକରନ୍ତି |

 

ଏବଂମୁଁକେଉଁଠାରେଲିଭାଇପାରିବିବୋଲିକହିପାରେ | କିଏଏହିଶିକ୍ଷାକୁମନକୁଆଣିଲା |

କଣସିଅସୁବିଧାନାହିଁ | ମନହେଉଛିଇଚ୍ଛାକୃତଫଳତେଣୁ।

 

ଦୁsmଖରୁମୁକ୍ତି | ତ୍ରିଭିଧାଥର୍ମଭବବାନ୍ଧନହରିନୀ।

ଲକ୍ଷ୍ମୀମାତାକିଆରତୀ, ଓମ୍ଜୟଲକ୍ଷ୍ମୀମାତା, ମାୟାଜୟଲକ୍ଷ୍ମୀମାତା |

 

ଯିଏଚଲିସାପନ୍ତି | ଭଲଭାବରେଶୁଣ, ଶୁଣ |

ଟାକାଉଜଣେରୋଗନିର୍ଯାତକ | ପୁଅଇତ୍ୟାଦିସମ୍ପତ୍ତିସମ୍ପତ୍ତି |

 

ସୋନଲେସ୍ଆରୁସାମ୍ପତିହେନା | ଅନ୍ଧବଧିରକୁଷ୍ଠରୋଗୀ

ବିପ୍ରାବୋଲାଇକେକରୀରାଭାଇ | ହୃଦୟରେକେବେବିସନ୍ଦେହକରନାହିଁ |

 

ଚଲିସାଦିନପାଠକରିଥିଲେ | ଦୟାକରିତaur ରିସାଙ୍କୁଆଶୀର୍ବାଦକରନ୍ତୁ |

ଭୋଗପ୍ରଚୁରଅଟେ | କାହୁଙ୍କରକage ଣସିଅଭାବନାହିଁ |

 

ବାରମାସପର୍ଯ୍ୟନ୍ତପୂଜାକର | ତୁମଦ୍ୱାରାଆଶୀର୍ବାଦଏବଂଆଶୀର୍ବାଦପ୍ରାପ୍ତନୁହେଁ |

ପ୍ରତିଦିନତୁମରମନପread | କିଛିଦୁନିଆରେମୁଁଏହାକହିବାଉଚିତ୍ନୁହେଁ |

 

ମୁଁବହୁଗୁଣରପ୍ରଶଂସାକରିପାରିବି | ପରୀକ୍ଷାପ୍ରତିଧ୍ୟାନଦିଅନ୍ତୁ |

ନାମକୁଶୀଘ୍ରବିଶ୍ୱାସକରିବା | ହୋସିଦ୍ଧ

 

ଜୟଜୟଜୟଲକ୍ଷ୍ମୀଭବାନୀ | ଗୁଣସମସ୍ତଙ୍କଠାରେବିସ୍ତାରହେଉ |

ଆପଣଏକଶକ୍ତିଶାଳୀଶକ୍ତିହୁଅନ୍ତୁ | ତୁମେମୋପ୍ରତିଦୟାଳୁକହିବାଉଚିତ୍, ନାହି |

 

ମୋହିଅନାଥଙ୍କୁଏବେସ୍ମରଣକରାଯାଇଛି | ସଙ୍କଟକାଟିଭକ୍ତମୋହିଡିଜାଇ |

ମୋତେକ୍ଷମାକରଏବଂଆମରକ୍ଷମାଭୁଲିଯାଅ | ଦର୍ଶନଦାଜାଇଦଶାନିହାରୀ।

 

ବିନାଦର୍ଶନରେବିବ୍ରତଅଧିକାରୀ | ତୁମେଭାରିଯନ୍ତ୍ରଣାଭୋଗୁଛ |

ନାହିନ୍ମୋହିନୀଶରୀରରେଜ୍ଞାନଅଟେ | ସମସ୍ତେଆପଣଙ୍କମନରେଜାଣିପାରନ୍ତି |

 

ଚତୁର୍ଭୁଜଫର୍ମଏବଂଧରିରଖନ୍ତୁ | ଯନ୍ତ୍ରଣାବର୍ତ୍ତମାନଯନ୍ତ୍ରଣାକୁରୋକାଯାଇପାରିବ |

ମୁଁକିପରିଗର୍ବକରିବି? ଜନ୍ନାବୁଦ୍ଧୀମୋହିନାହିନ୍ଆଡିକାଇ |

 

||ଦୋହା||

 

ଭେଜିସମସ୍ତଦୁଖଦଘଟଣା | ଜୟତିଜୟତିଜୟଲକ୍ଷ୍ମୀ, ଶତ୍ରୁକୁବିନାଶକର |

ରାମଦାସଧାରୀସବୁବେଳେ, ଜୋରଦାରନିବେଦନକରନ୍ତୁ | ମଥୁଲକ୍ଷ୍ମୀଦାସଙ୍କଉପରେ, କରହୁଦୟାରମୂଳ |

CHALISA IN PUNJABI

|| ਦੋਹਾ||

ਮਤੁਲਕਸ਼ਮੀਕ੍ਰਿਪਾਕਰਕੇਮਿਹਰਕਰੋ, ਆਪਣੇਹਿਰਦੇਵਿਚਵੱਸੋ.

ਇੱਛਾਸਾਬਤਕਰੋ, ਪਰਮੇਰੀਉਮੀਦਹੈ

 

 

||ਸੋਰਥਾ||

ਇਹਮੋਰਅਰਦਾਸਹੈ, ਹੱਥਜੋੜਕੇਬੇਨਤੀਕਰਦਾਹੈ.

ਸਭਵਿਧੀਕਰਉਸੁਵਾਸ, ਜੈਜਨਨੀਜਗਦਾਮਬੀਕਾ

 

||ਚੌਪਈ||

ਇੰਦਿਰਾਸੁਤਾਮੈਂਸੁਮਿਰੋਤੋਹੀ।ਗਿਆਨਬੁਧੀਵਿਗਾਹਦੋਮੋਹੀ

ਕੋਈਵੀਤੁਹਾਡੇਬਰਾਬਰਨਹੀਂਹੈ. ਸਾਰੇਕਨੂੰਨੀਆਦਮੀਸਾਡੇਹਨ

 

ਜੈਜੈਜਗਤਜਾਨੀਜਗਤਦੰਬਾ।ਤੁਸੀਂਸਭਵਿਚੋਂਇਕੋਇਕਹੋ.

ਤੁਸੀਂਸਭਚੀਜ਼ਾਂਦੇਇਕਲੌਤੇਨਿਵਾਸੀਹੋ. ਇਹਸਾਡੀਬੇਨਤੀਹੈ

 

ਜਗਜਨਨਿਜੈਸਿੰਧੁਕੁਮਾਰੀ।ਦੀਨਾਨਦੇਤੁਸੀਂਲਾਭਕਾਰੀਹੋ

ਜੇਤੂ, ਤੁਸੀਂਹਮੇਸ਼ਾਂਆਪਣੀਉੱਚਤਾਹੋ. ਕ੍ਰਿਪਾਕਰੋਜਗਜਾਨੀਭਵਾਨੀ॥

 

ਕੇਹੀਕਾਨੂੰਨਸਿਫਤਤਿਹਾਰੀ।ਜੁਰਮਦਾਅਪਰਾਧਬਦਲਗਿਆਹੈ

ਕ੍ਰਿਪਾਦਰਸ਼ਨਚਿਤਵਵੋਮਾਮਾਓਰੀ. ਜਗਜਨੀਬੇਨਤੀਸੁਣਿਮੋਰੀ

 

ਬਖਸ਼ਣਹਾਰ, ਖੁਸ਼ੀ, ਖੁਸ਼ੀਦੇਣਵਾਲਾ. ਸਾਡੀਮਾਂਮੁਸੀਬਤਵਿਚਹੈ

ਕ੍ਸ਼ੀਰਾਸਿੰਧੂਜਦਵਿਸ਼ਨੂੰਮਥਯੋ।ਸਿੰਧੂਵਿਚਚੌਦਾਂਗਹਿਣੇਅਦਾਕਰੋ

 

ਤੁਸੀਂਚੌਦਾਂਗਹਿਣਿਆਂਵਿਚਸੁਖਰਾਸੀ. ਲਾਰਡਮੇਡਦੇਤੌਰਤੇਰੱਬਦੀਸੇਵਾਕਰੋ

ਜਬਜਬਜਾਨਜਿਥੇਸੁਆਮੀਲੈਨਹਾ।ਆਪਣੀਸੇਵਾਨੂੰਕਿਵੇਂਬਦਲਣਾਹੈ

 

ਵਿਸ਼ਨੂੰਆਪੇਜਦੋਂਨਰਤਨੁਧਾਰਾ।ਲਿਨਹੁਅਵਧਪੁਰੀਅਵਤਾਰਾ॥

ਫਿਰਤੁਸੀਂਜਨਕਪੁਰਪ੍ਰਗਟਕੀਤਾ. ਮੇਰੇਦਿਲਦੀਸੇਵਾਨਾਕਰੋ

 

ਅਪਣਾਇਆਰੂਹਤ੍ਰਿਭੁਵਨਜਾਣਿਆਸੰਸਾਰਦਾਮਾਲਕ

ਤੁਹਾਡੇਕੋਲਉਨੀਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀਸ਼ਕਤੀਨਹੀਂਹੈ. ਕਹੋਬਲਣ, ਮਹਿਮਾ, ਕਹੋਬਚਨੀ।

 

ਆਪਣੇਮਨਦੀਸੇਵਾਕਰੋ, ਸੇਵਾਕਰੋ. ਲੋੜੀਂਦਾਫਲਲੱਭੋ.

ਧੋਖਾਧੜੀਧੋਖਾਧੜੀਅਤੇਚਲਾਕ. ਪੂਜਹਿਮਨਾਲੀਵਰਗੀਫੁਟਕਲ

 

ਅਤੇਮੈਂਬੁਝਾਕਿੱਥੇਕਹਿਸਕਦਾਹਾਂ. ਜਿਸਨੇਇਹਸਬਕਯਾਦਕੀਤਾ

ਕੋਈਸਮੱਸਿਆਨਹੀਂਹੈ. ਮਨਇੱਛਤਫਲਹੈਸੋ॥

 

ਤ੍ਰੈਤ੍ਰੈਜਾਇਦੁਖਰਾਹਤ॥ਤ੍ਰਿਵਿਧਾਥਰਮਭਾਵਬੰਦਨਹਰਿਣੀ॥

ਲਕਸ਼ਮੀਮਾਤਾਕੀਆਰਤੀ, ਓਮਜੈਲਕਸ਼ਮੀਮਾਤਾ, ਮਾਈਆਜੈਲਕਸ਼ਮੀਮਾਤਾ

 

ਉਹਜੋਚਾਲੀਸਾਪੜ੍ਹਦਾਹੈਧਿਆਨਨਾਲਸੁਣੋ, ਸੁਣੋ

ਟਕਾਉਇੱਕਬਿਮਾਰੀਸਤਾਉਣਵਾਲਾਹੈ. ਪੁੱਤਰਆਦਿਦੌਲਤਦੀਜਾਇਦਾਦ

 

 

ਸੋਨਰਹਿਤਅਰੁਸੰਪਤਿਹੀਨਾ।ਅੰਨ੍ਹਾਬੋਲ਼ਾਕੋੜ੍ਹ

ਵਿਪ੍ਰਬੋਲੈਕੈਕਰਿਰਾਵਾਏ।ਦਿਲਵਿਚਕਦੇਸ਼ੱਕਨਾਕਰੋ

 

ਚਾਲੀਸਾਨੇਪਾਠਕੀਤਾ।ਕ੍ਰਿਪਾਕਰਕੇਟੌਰਿਸਾਨੂੰਅਸੀਸਦਿਉ

ਆਨੰਦਬਹੁਤਹਨ. ਕਾਹੂਦੀਕੋਈਘਾਟਨਹੀਂਹੈ

 

ਬਾਰਾਂਮਹੀਨਿਆਂਤੋਂਪੂਜਾ. ਧੰਨਹੈਅਤੇਤੁਹਾਡੇਦੁਆਰਾਮੁਬਾਰਕਨਹੀਂਹੈ

ਹਰਰੋਜ਼ਆਪਣੇਮਨਨੂੰਪੜ੍ਹੋਮੈਨੂੰਇਹਨਹੀਂਕਹਿਣਾਚਾਹੀਦਾਕਿਕੁਝਸੰਸਾਰਵਿੱਚ

 

ਮੈਂਬਹੁਗੁਣਾਂਦੀਪ੍ਰਸ਼ੰਸਾਕਰਸਕਦਾਹਾਂਇਮਤਿਹਾਨਵੱਲਧਿਆਨਦਿਓ

ਤੇਜ਼ਵਿਸ਼ਵਾਸ਼ਹੋਇਸਿਧਉਦਜੈਪ੍ਰੇਮ॥

 

ਜੈਜੈਜੈਲਕਸ਼ਮੀਭਵਾਨੀ।ਗੁਣਸਾਰਿਆਂਵਿਚਫੈਲਜਾਣ

ਤੁਹਾਨੂੰਇੱਕਮਜ਼ਬੂਤ​​ਸ਼ਕਤੀਹੋਸਕਦਾਹੈਤੁਹਾਨੂੰਮੇਰੇਤੇਮਿਹਰਬਾਨਹੋਣੀਚਾਹੀਦੀਹੈ, ਨਾਹੀਂ

 

ਮੋਹੀਅਨਾਥਹੁਣਯਾਦਆਗਿਆਸੰਕਟਕਟੀਭਕਤਿਮੋਹਿਦੀਜੈ॥

ਮੈਨੂੰਮਾਫਕਰੋਅਤੇਸਾਡੀਮਾਫੀਨੂੰਭੁੱਲਜਾਓਦਰਸਨਦਾਜੈਦਸ਼ਾਨਿਹਾਰੀ॥

 

ਬਿਨ੍ਹਾਂਦਰਸ਼ਣਦੇਦੁਖੀਅਧਿਕਾਰੀ।ਤੁਸੀਂਬਹੁਤਦੁਖੀਹੋ

ਨਾਹੀਨਮੋਹਿਨੀਸਰੀਰਵਿਚਬੁੱਧੀਹੈ. ਸਾਰੇਤੁਹਾਡੇਦਿਮਾਗਵਿਚਜਾਣਸਕਦੇਹਨ

 

ਫਾਰਮਚਤੁਰਭੁਜਅਤੇਹੋਲਡਕਰੋ. ਪੀੜਾਨੂੰਹੁਣਦੁਖੀਹੋਣਤੋਂਰੋਕਿਆਜਾਂਦਾਹੈ.

ਮੈਂਕਿਵੇਂਸ਼ੇਖੀਮਾਰਾਂ? ਜਨਾਬੁਧਿਮੋਹਿਨਹੀਅਧਿਕਾਇ॥

 

 

||ਦੋਹਾ||

ਤ੍ਰੈਤ੍ਰਿਦੁਖਹਰਿਣੀ, ਹਰਿਵੇਗੀਸਭਦੁਖਾਂਤ।ਜੈਯਤਿਜੈਯਤਿਜੈਲਕਸ਼ਮੀ, ਦੁਸ਼ਮਣਨੂੰਨਸ਼ਟਕਰੋ.

ਰਾਮਦਾਸਧਰੀਧਿਆਨਹਮੇਸ਼ਾ, ਜੋਸ਼ਨਾਲਬੇਨਤੀਕਰੋ. ਕਰਤੂਮਿਹਰਦਾਮੂਲ, ਮਤੂਲਕਸ਼ਮੀਦਾਸਤੇ

CHALISA IN SANSKRIT

Sanskrit and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 
दोहा
 
मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥
सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार।
ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार॥ टेक॥
 
सोरठा
 
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
 
 
॥ चौपाई ॥
 
सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरबहु आस हमारी॥
 
जै जै जगत जननि जगदम्बा। सबके तुमही हो स्वलम्बा॥
तुम ही हो घट घट के वासी। विनती यही हमारी खासी॥
 
जग जननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी।
 
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी। जगत जननि विनती सुन मोरी॥
 
ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥
क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिंधु में पायो॥
 
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रूप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
 
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रकट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
 
अपनायो तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥
तुम सब प्रबल शक्ति नहिं आनी। कहं तक महिमा कहौं बखानी॥
 
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन- इच्छित वांछित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मन लाई॥
 
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करे मन लाई॥
ताको कोई कष्ट न होई। मन इच्छित फल पावै फल सोई॥
 
त्राहि- त्राहि जय दुःख निवारिणी। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणि॥
जो यह चालीसा पढ़े और पढ़ावे। इसे ध्यान लगाकर सुने सुनावै॥
 
ताको कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै।
पुत्र हीन और सम्पत्ति हीना। अन्धा बधिर कोढ़ी अति दीना॥
 
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
 
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
 
प्रतिदिन पाठ करै मन माहीं। उन सम कोई जग में नाहिं॥
बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
 
करि विश्वास करैं व्रत नेमा। होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी महारानी। सब में व्यापित जो गुण खानी॥
 
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयाल कहूं नाहीं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजे॥
 
भूल चूक करी क्षमा हमारी। दर्शन दीजै दशा निहारी॥
बिन दरशन व्याकुल अधिकारी। तुमहिं अक्षत दुःख सहते भारी॥
 
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥
रूप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
 
कहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्धि मोहिं नहिं अधिकाई॥
रामदास अब कहाई पुकारी। करो दूर तुम विपति हमारी॥
 
दोहा
 
त्राहि त्राहि दुःख हारिणी हरो बेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी करो शत्रुन का नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर करहु दया की कोर॥
 
।। इति लक्ष्मी चालीसा संपूर्णम।।

CHALISA IN SANTALI

Santali and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 
दोहा
 
मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥
सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार।
ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार॥ टेक॥
 
सोरठा
 
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
 
 
॥ चौपाई ॥
 
सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरबहु आस हमारी॥
 
जै जै जगत जननि जगदम्बा। सबके तुमही हो स्वलम्बा॥
तुम ही हो घट घट के वासी। विनती यही हमारी खासी॥
 
जग जननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी।
 
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी। जगत जननि विनती सुन मोरी॥
 
ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥
क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिंधु में पायो॥
 
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रूप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
 
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रकट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
 
अपनायो तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥
तुम सब प्रबल शक्ति नहिं आनी। कहं तक महिमा कहौं बखानी॥
 
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन- इच्छित वांछित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मन लाई॥
 
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करे मन लाई॥
ताको कोई कष्ट न होई। मन इच्छित फल पावै फल सोई॥
 
त्राहि- त्राहि जय दुःख निवारिणी। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणि॥
जो यह चालीसा पढ़े और पढ़ावे। इसे ध्यान लगाकर सुने सुनावै॥
 
ताको कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै।
पुत्र हीन और सम्पत्ति हीना। अन्धा बधिर कोढ़ी अति दीना॥
 
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
 
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
 
प्रतिदिन पाठ करै मन माहीं। उन सम कोई जग में नाहिं॥
बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
 
करि विश्वास करैं व्रत नेमा। होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी महारानी। सब में व्यापित जो गुण खानी॥
 
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयाल कहूं नाहीं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजे॥
 
भूल चूक करी क्षमा हमारी। दर्शन दीजै दशा निहारी॥
बिन दरशन व्याकुल अधिकारी। तुमहिं अक्षत दुःख सहते भारी॥
 
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥
रूप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
 
कहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्धि मोहिं नहिं अधिकाई॥
रामदास अब कहाई पुकारी। करो दूर तुम विपति हमारी॥
 
दोहा
 
त्राहि त्राहि दुःख हारिणी हरो बेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी करो शत्रुन का नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर करहु दया की कोर॥
 
।। इति लक्ष्मी चालीसा संपूर्णम।।

CHALISA IN SINDHI

Sindhi and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 
दोहा
 
मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥
सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार।
ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार॥ टेक॥
 
सोरठा
 
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
 
 
॥ चौपाई ॥
 
सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरबहु आस हमारी॥
 
जै जै जगत जननि जगदम्बा। सबके तुमही हो स्वलम्बा॥
तुम ही हो घट घट के वासी। विनती यही हमारी खासी॥
 
जग जननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी।
 
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी। जगत जननि विनती सुन मोरी॥
 
ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥
क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिंधु में पायो॥
 
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रूप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
 
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रकट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
 
अपनायो तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥
तुम सब प्रबल शक्ति नहिं आनी। कहं तक महिमा कहौं बखानी॥
 
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन- इच्छित वांछित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मन लाई॥
 
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करे मन लाई॥
ताको कोई कष्ट न होई। मन इच्छित फल पावै फल सोई॥
 
त्राहि- त्राहि जय दुःख निवारिणी। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणि॥
जो यह चालीसा पढ़े और पढ़ावे। इसे ध्यान लगाकर सुने सुनावै॥
 
ताको कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै।
पुत्र हीन और सम्पत्ति हीना। अन्धा बधिर कोढ़ी अति दीना॥
 
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
 
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
 
प्रतिदिन पाठ करै मन माहीं। उन सम कोई जग में नाहिं॥
बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
 
करि विश्वास करैं व्रत नेमा। होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी महारानी। सब में व्यापित जो गुण खानी॥
 
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयाल कहूं नाहीं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजे॥
 
भूल चूक करी क्षमा हमारी। दर्शन दीजै दशा निहारी॥
बिन दरशन व्याकुल अधिकारी। तुमहिं अक्षत दुःख सहते भारी॥
 
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥
रूप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
 
कहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्धि मोहिं नहिं अधिकाई॥
रामदास अब कहाई पुकारी। करो दूर तुम विपति हमारी॥
 
दोहा
 
त्राहि त्राहि दुःख हारिणी हरो बेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी करो शत्रुन का नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर करहु दया की कोर॥
 
।। इति लक्ष्मी चालीसा संपूर्णम।।

CHALISA IN TAMIL

|| தோஹா||

மாதுலக்ஷ்மிதயவுசெய்துகருணைகாட்டுங்கள், உங்கள்இதயத்தில்வாழுங்கள்.

ஆசையைநிரூபிக்கவும், ஆனால்என்நம்பிக்கை

 

 

||சோரதா||

மடிந்தகைகளால்மன்றாடும்மயில்அர்தாஸ்இது.

சப்விதிகராவ்சுவாஸ், ஜெய்ஜனனிஜெகதம்பிகா

 

||சup பாய்||

இந்திராசூதாநான்சுமிரூதோஹி. ஞானபுத்தவிகாதோமோஹி

யாரும்உங்களுக்குசமமானவர்கள்அல்ல. சட்டபூர்வமானஆண்கள்அனைவரும்எங்களுடையவர்கள்

 

ஜெய்ஜெய்ஜகத்ஜனனிஜெகதம்பா. நீங்கள்அனைவருமேஒருவரே.

எல்லாவற்றிலும்நீங்கள்மட்டுமேவசிப்பவர். இதுஎங்கள்கோரிக்கை

 

ஜக்ஜனானிஜெய்சிந்துகுமாரி. தினனின்நீங்கள்நன்மைபயக்கும்

வெற்றியாளர், நீங்கள்எப்போதும்உங்கள்உயர்நிலை. கிருபாகரோஜக்ஜனனிபவானி

 

கெஹிசட்டம்புகழ்திஹாரி. குற்றத்தின்குற்றம்மாறிவிட்டது

கிருபாதரிசனம்சிட்டாவ்வோமாமாஓரி. ஜக்ஜன்னிகெஞ்சிமோரியைக்கேளுங்கள்

 

ஞானம், மகிழ்ச்சி, மகிழ்ச்சியைக்கொடுப்பவர். எங்கள்அம்மாசிக்கலில்இருக்கிறார்

விஷ்ணுமாதாயோபோதுக்ஷிரசிந்து. சிந்துவில்பதினான்குநகைகளைசெலுத்துங்கள்

 

நீங்கள்பதினான்குநகைகளில்சுகராசி. இறைவன்பணிப்பெண்ணாககடவுளைசேவிக்கவும்

ஜப்ஜப்ஜஹான்எங்கேலார்ட்லென்ஹா. உங்கள்சேவையைஎவ்வாறுமாற்றுவது

 

ஆண்தனுஓடும்போதுவிஷ்ணுதானே. லின்ஹேஅவத்புரிஅவ்தாரா

பின்னர்நீங்கள்ஜனக்பூரைவெளிப்படுத்தினீர்கள். என்இதயத்திற்குசேவைசெய்யாதே

 

தத்தெடுக்கப்பட்டஆன்மாஉலகின்இறைவன்திரிபுவன்

உங்களுக்குஅதேவலுவானசக்திஇல்லை. சுடர், மகிமைஎன்றுசொல்லுங்கள், பகானிசொல்லுங்கள்.

 

உங்கள்மனதிற்குசேவைசெய்யுங்கள், ஊழியம்செய்யுங்கள். நீங்கள்விரும்பும்பழத்தைக்கண்டுபிடி.

மோசடிமோசடிமற்றும்புத்திசாலித்தனம். பூஜாஹிமணாலிஇதரபோன்றவை

 

நான்எங்கேஅணைக்கிறேன்என்றுசொல்லமுடியும். இந்தபாடத்தையார்மனதில்கொண்டுவந்தார்கள்

எந்தபிரச்சனையும்இல்லை. மனம்விரும்பியபழம்எனவே

 

டிராஹிடிராஹிஜெய்துக்கநிவாரணம். திருவிதாதெர்ம்பவபந்தன்ஹரினி

லக்ஷ்மிமாதாகிஆர்த்தி, ஓம்ஜெய்லக்ஷ்மிமாதா, மையாஜெய்லக்ஷ்மிமாதா

 

சாலிசாவைப்படிப்பவர்கவனமாகக்கேளுங்கள், கேளுங்கள்

தகாவ்ஒருநோயைத்துன்புறுத்துபவர். மகன்முதலியனசெல்வச்சொத்து

 

மகன்இல்லாதஅருசம்பதிஹீனா. குருட்டுகாதுகேளாதகுஷ்டரோகி

விப்ராபோலாய்கைகரிரவயே. இதயத்தில்ஒருபோதும்சந்தேகிக்கவேண்டாம்

 

சாலிசாஓதநாள். தயவுசெய்துடூரிசாவைஆசீர்வதியுங்கள்

இன்பங்கள்ஏராளம். கஹுவுக்குபஞ்சமில்லை

 

பன்னிரண்டுமாதங்களுக்குவழிபாடு. ஆசீர்வதிக்கப்பட்டவர், உங்களால்ஆசீர்வதிக்கப்படவில்லை

தினமும்உங்கள்மனதைப்படியுங்கள்சிலஉலகில்நான்அதைசொல்லக்கூடாது

 

நான்பெருக்கத்தைபுகழ்வேன். தேர்வில்கவனம்செலுத்துங்கள்

வேகமாகநம்பும்நாமா. ஹோய்சித்த்உட்ஜாய்உர்பிரேமா

 

ஜெய்ஜெய்ஜெய்லக்ஷ்மிபவானி. நல்லொழுக்கங்கள்அனைவருக்கும்பரவட்டும்

நீங்கள்ஒருவலுவானசக்தியாகஇருக்கட்டும்நீங்கள்என்னிடம்தயவுசெய்துசொல்லவேண்டும், நஹி

 

மோஹிஅனாதைஇப்போதுநினைவுக்குவருகிறதுசங்கத்கதிபக்திமோஹிடிஜாய்

என்னைமன்னித்துஎங்கள்மன்னிப்பைமறந்துவிடுங்கள்தர்ஷன்தஜாய்தஷாநிஹாரி

 

பார்வைஇல்லாமல்துன்பப்பட்டஅதிகாரி. நீங்கள்கடும்துன்பம்

நஹின்மோகினிஎன்பதுஉடலில்உள்ளஞானம். உங்கள்மனதில்அனைவருக்கும்தெரியட்டும்

 

படிவம்நான்குமற்றும்பிடி. வலிகள்இப்போதுதுன்பத்திலிருந்துதடுக்கப்படுகின்றன.

நான்எப்படிதற்பெருமைகாட்டுவது? ஞானபுதிமோஹிநஹின்ஆதிகை

 

||தோஹா||

ட்ராய்ட்ராய்துக்ஹரினி, ஹரோவெகிஎல்லாம்சோகம். ஜெயதிஜெயதிஜெய்லட்சுமி, எதிரிகளைஅழிக்கவும்.

ராம்தாஸ்தரிதியான்எப்போதும், வீரியத்துடன்மன்றாடுங்கள். கருமெர்சியின்மையமானமாதுலட்சுமிதாஸில்

CHALISA IN TELUGU

|| దోహా||

మాతులక్ష్మిదయచేసిదయచేయండి, మీహృదయంలోనివసించండి.

కోరికనునిరూపించండి, కానీనాఆశ

 

 

 

 

 

||సోరత.||

ఇదినెమలిఅర్దాస్, ముడుచుకున్నచేతులతోవేడుకుంటుంది.

సబ్విధీకరౌసువాస్, జైజననిజగదంబిక

 

||చౌపాయ్||

ఇందిరాసూతాI సుమిరూతోహి. జ్ఞాన్బుద్ధివిఘాదోమోహి

మీకుఎవరూసమానంకాదు. చట్టబద్ధమైనపురుషులుఅందరూమనమే

 

జైజైజగత్జననిజగదంబ. అన్నిటిలోమీరుఒక్కరే.

మీరుఅన్నిటికీమాత్రమేనివాసి. ఇదిమాఅభ్యర్థన

 

జగ్జనానిజైసింధుకుమారి. దినన్మీరుప్రయోజనకరంగాఉన్నారు

విజేత, మీరుఎల్లప్పుడూమీహైనెస్. కృపాకరోజగ్జననిభవానీ

 

కెహిలాప్రశంసలుతిహారీ. నేరనేరంమారిపోయింది

కృపదర్శన్చితావ్వోమామాఓరి. జగ్జన్నీమోరీవినండి

 

జ్ఞానం, ఆనందం, ఆనందంఇచ్చేవాడు. మాతల్లిఇబ్బందుల్లోఉంది

విష్ణుమాతయోఉన్నప్పుడుక్షిరసిందు. సింధులోపద్నాలుగుఆభరణాలుచెల్లించండి

 

పద్నాలుగుఆభరణాలలోమీరుసుఖరాసి. లార్డ్మెయిడ్గాదేవునికిసేవచేయండి

జబ్జబ్జహాన్ఎక్కడలార్డ్లెన్హా. మీసేవనుఎలామార్చాలి

 

 

మగతనుప్రవాహంచేసినప్పుడువిష్ణువుస్వయంగా. లిన్హేఅవధ్‌పురిఅవతారా

అప్పుడుమీరుజనక్‌పూర్‌నువెల్లడించారు. నాహృదయానికిసేవచేయవద్దు

 

దత్తతతీసుకున్నఆత్మప్రపంచప్రభువుత్రిభువన్

మీకుఅదేబలమైనశక్తిలేదు. మంట, కీర్తిచెప్పండి, బఖానీచెప్పండి.

 

మీమనసుకుసేవచేయండి, పరిచర్యచేయండి. మీకుకావలసినపండ్లనుకనుగొనండి.

మోసపూరితమోసంమరియుతెలివి. పూజాహిమనాలిఇతరాలు

 

మరియునేనుఎక్కడచల్లారుఅనిచెప్పగలను. ఈపాఠాన్నిఎవరుగుర్తుకుతెచ్చారు

అక్కడఏసమస్యలేదు. మనస్సుకావలసినపండుకాబట్టి

 

ట్రాహిట్రాహిజైదుorrow ఖంఉపశమనం. త్రివిధథర్మ్భవబంధన్హరిని

లక్ష్మిమాతాకిఆర్తి, ఓంజైలక్ష్మిమాతా, మైయాజైలక్ష్మిమాతా

 

చలీసాచదివినవాడుజాగ్రత్తగావినండి, వినండి

తకావుఒకవ్యాధిపీడకుడు. కొడుకుమొదలైనవారుసంపదఆస్తి

 

కుమారుడుఅరుసంపతిహీనా. బ్లైండ్చెవిటికుష్ఠురోగి

విప్రాబోలాయ్కైకరీరవాయే. హృదయంలోఎప్పుడూసందేహించకండి

 

చలిసాపఠనంరోజు. దయచేసిటౌరిసానుఆశీర్వదించండి

ఆనందాలుపుష్కలంగాఉన్నాయి. కహుకుకొరతలేదు

 

పన్నెండునెలలుఆరాధించండి. మీరుఆశీర్వదించబడలేదు

ప్రతిరోజూమీమనస్సుచదవండికొన్నిప్రపంచంలోనేనుఅలాఅనకూడదు

 

నేనుగుణకారాన్నిప్రశంసిస్తాను. పరీక్షపైశ్రద్ధవహించండి

నామానువేగంగానమ్ముతారు. హోయ్సిద్ధ్ఉడ్జైఉర్ప్రేమా

 

జైజైజైలక్ష్మిభవానీ. సద్గుణాలుప్రతిఒక్కరిలోవ్యాపించనివ్వండి

మీరుబలమైనశక్తిగాఉండండినాహీ, మీరునాతోదయగాచెప్పాలి

 

మోహిఅనాధఇప్పుడుగుర్తుకువచ్చిందిసంకత్కాటిభక్తిమోహిడిజాయ్

నన్నుక్షమించుమరియుమాక్షమాపణనుమరచిపోండిదర్శన్దజాయిదశనిహారీ

 

దృష్టిలేకుండాబాధపడుతున్నఅధికారి. మీరుభారీగాబాధపడుతున్నారు

నహీన్మోహినిశరీరంలోజ్ఞానం. మీమనసులోఅందరికీతెలుస్తుంది

 

చతురస్రంమరియుపట్టుకోండి. నొప్పులుఇప్పుడుబాధనుండినిరోధించబడ్డాయి.

నేనుగొప్పగాచెప్పుకోవడంఎలా? జ్ఞానబుధిమోహినహిన్అధికై

 

||దోహా||

ట్రాయ్ట్రాయ్దుఖ్హరిని, హారోవెగిఅన్నీవిషాదం. జయతిజయతిజైలక్ష్మీ, శత్రువునునాశనంచేయండి.

రామ్‌దాస్ధారిధ్యాన్ఎప్పుడూ, ఉత్సాహంతోవిజ్ఞప్తిచేయండి. కర్హుమెర్సీయొక్కప్రధానమైనమాతులక్ష్మిద

CHALISA IN URDU

۔

متولکشمیبراہمہربانیرحمکریں،اپنےدلمیںبسرکریں۔

خواہشثابتکرو،لیکنمیریامیدہے

 

 

سورتھا

یہمورکےارداسہیں،جوڑتےہوئےہاتھوںسےالتجاکرتےہیں۔

سبودھیکاراؤسوواس،جئےجانانیجگادمبیکا

 

||چوپائی

اندراسوٹامیںسومروتوہی۔ گیانبودھیویگہدوموہی

آپکےبرابرکوئینہیںہے۔ سارےحلالآدمیہمارےہیں

 

جئےجئےجگتجانانیجگدبہ۔ آپسبمیںسےصرفایکہیہے۔

آپہیہرچیزکےبسنےوالےہیں۔ یہہماریدرخواستہے

 

جگجنانیجئےسندھوکماری۔ دینانتمفائدہمندہو

فاتح،آپہمیشہاپنیعظمتہیں۔ کرپاکروجگجانانیبھاوانی۔

 

کیہیقانونتعریفتہاڑی۔ جرمکاجرمبدلگیا

کرپادرشنچیتاومامااوری۔ جگجنیالتجاسنائیموری

 

دانشمندی،خوشی،خوشیدینےوالا۔ ہماریوالدہمشکلمیںہیں

کشیراسنڈھوجبوشنومتھائو۔ سندھومیںچودہزیوراتاداکریں

 

چودھریزیوراتمیںآپسکھرسی۔ لارڈمیڈکےطورپرخداکیخدمتکرو

جبجہاںجانجہاںربلینھا۔ اپنیخدمتکوکیسےبدلاجائے

 

وشنوخودجبنرتنيوندی۔ لینھےاودھپوریاوتارا۔

تبآپنےجنکپورکاانکشافکیا۔ میرےدلکیخدمتنہکرو

 

اپنایاروحلارڈآفٹریوانکادنیاجاناجاتاہے

آپکےپاساتنیہیمضبوططاقتنہیںہے۔ شعلہکہو،شانکرو،بکھانیکہو۔

 

اپنےدماغکیخدمتکرو،وزارتکرو۔ آپچاہتےہیںمطلوبہپھلتلاشکریں۔

دھوکہدہیاورفریبکاری۔ پوجاہیمنالیجیسےمتفرق

 

اورمیںکہاںبجھاسکتاہوں۔ جواسسبقکوذہنمیںلایا

کوئیمسئلہنہیںہے. دماغمطلوبہپھلہےلہذا۔

 

تریتریجیغمرنج۔ تریویدھتھرمبھاوابندھنہرینی۔

لکشمیماتاکیآرتی،اومجئےلکشمیماتا،مایاجئےلکشمیماتا

 

وہجوچالیسہپڑھتاہےغورسےسنو،سنو

تکاؤایکبیماریکاشکارہے۔ بیٹاوغیرہدولتکیجائیداد

 

سونلیساروسمپتیہینا۔ اندھےبہرےکوڑ

وپرابولاکائےکریروے۔ کبھیدلمیںشکنہکریں

 

چالیسہکادنتلاوتہوا۔ برائےمہربانیتوریساکوبرکتدیں

خوشیاںبہتہیں۔ کہوکیکمینہیںہے

 

بارہمہینوںتکعبادتکرو۔ آپکومبارکاورمبارکنہیں

ہرروزاپنےدماغکوپڑھیںمجھےکسیدنیامیںیہنہیںکہناچاہئے

 

 

میںکثرتکیتعریفکروں۔ امتحانپرتوجہدیں

نامہپرتیزاعتمادکرنا۔ ہوئیسدھاودجurیپریما۔

 

جئےجئےجئےلکشمیبھاوانی۔ سبمیںخوبیاںپھیلائیں

آپایکمضبوطقوتبنجائیںآپمجھپرمہربانیفرمائیں،نہیں

 

موہییتیمابیادآیاسنتکٹیبھکتیموہیدیجئ

مجھےمعافکردواورہماریمغفرتکوبھولجاؤدرشندجائےدشانیہاری۔

 

ویژنکےبغیرپریشانافسر۔ آپکوبھاریتکلیفہو

نہینموہینیجسممیںحکمتہے۔ سبآپکےذہنمیںجانسکتےہیں

 

فارمچوکوراورپکڑو. دردکوابتکلیفسےبچایاجارہاہے۔

میںکسطرحڈینگوںگاجنابڈھیموہھینہیںادھیکائی

 

||دوحہ۔

ٹریٹریدوکھہرینی،ہیروویگیتمامالمیہ۔ جئےتیجئےتیجئےلکشمی،دشمنکوختمکردیں۔

رامداسدھریدھیانہمیشہ،زورسےدُعاکریں۔ کارھورحمتکابنیادیمٹولکشمیداسپر

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