GOPAL JI ARTI IN ALL LANGUAGES

ARTI IN ASSAMESE

|| শ্ৰী গোপাল জীৰ আৰতি ||

 

আৰতি দম্পতি কিশোৰ।

তান মন ধন বলিদান।

 

গৌৰশ্যাম মুখ নিৰ্খান লিজাই।

হৰি কা ৰূপ নয়ন ভৰি প্ৰজাই|

 

ৰবি শশী শ্ৰেণীৰ শৰীৰে আকৰ্শ কৰিছিল।

তাহি নিৰাখী মেৰো মন লোভা ||

 

নীলা হালধীয়া চেপ্টাম।

কুঞ্জবিহাৰী গিৰিবৰধাৰী ||

 

ফুলন চেজ ফুলৰ মালা।

ৰত্ন সিংহাসনে নণ্ডলালাত বহিছিল।

 

কাঞ্চন থাৰ কাপুৰৰ ৱিক।

হৰি আ নিৰ্মল ভাই বুকুত|

 

শ্ৰী উত্তমম গিৰিবৰ্ধাৰী।

আৰতি ডো সকাল পুৰুষ নাৰী ||

 

 

নদ-নদনাদং ব্ৰজ ভন কিশোৰী।

পৰমতা স্বামী অচল জৰি ||

ARTI IN BENGALI

|| শ্রী গোপাল জিয়ার আরতি ||

 

আরতি দম্পতি কিশোর কি।

দেহ ও সম্পদ ত্যাগের মতো

 

গৌরশ্যম মুখি নির্জন লিয়ে।

হরি নয়ন ভরি পী জাই রুপ ।।

 

রবি শশী কোটি বদনের গৌরব।

তাহি নির্খি মরো মানুষ লোবা।

 

হলুদ ওড়নায় ভরে ময়ূর।

কুঞ্জবিহারি গিরিভারধারী।

 

ফুলান সেজে ফুলের মালা।

সিংহাসনে বসে নন্দলাল

 

কাঞ্চন থার কাপুরের বেত।

হরি আয়ে নির্মল ভাই বুক।

 

শ্রী পুরুষোত্তম গিরিবারধারী।

আরতি করুন, স্থূল পুরুষ ও স্ত্রী।

 

নন্দনন্দন বৃজভান কিশোরী।

পরমানন্দ স্বামী অবীচল জোরি |

ARTI IN BODO

Bodo and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Arti written in Awadhi dialect. 

 

॥ श्री गोपाल जी की आरती ॥

आरती युगल किशोर की कीजै।
तन मन धन न्योछावर कीजै॥

 

गौरश्याम मुख निरखन लीजै।
हरि का रूप नयन भरि पीजै॥

 

रवि शशि कोटि बदन की शोभा।
ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥

 

ओढ़े नील पीत पट सारी।
कुंजबिहारी गिरिवरधारी॥

 

फूलन सेज फूल की माला।
रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला॥

 

कंचन थार कपूर की बाती।
हरि आए निर्मल भई छाती॥

 

श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी।
आरती करें सकल नर नारी॥

 

नंदनंदन बृजभान किशोरी।
परमानंद स्वामी अविचल जोरी॥

ARTI IN DOGRI

Dogri and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Arti written in Awadhi dialect. 

 

॥ श्री गोपाल जी की आरती ॥

आरती युगल किशोर की कीजै।
तन मन धन न्योछावर कीजै॥

 

गौरश्याम मुख निरखन लीजै।
हरि का रूप नयन भरि पीजै॥

 

रवि शशि कोटि बदन की शोभा।
ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥

 

ओढ़े नील पीत पट सारी।
कुंजबिहारी गिरिवरधारी॥

 

फूलन सेज फूल की माला।
रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला॥

 

कंचन थार कपूर की बाती।
हरि आए निर्मल भई छाती॥

 

श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी।
आरती करें सकल नर नारी॥

 

नंदनंदन बृजभान किशोरी।
परमानंद स्वामी अविचल जोरी॥

ARTI IN ENGLISH

|| Shri Gopal Ji Ki Aarti ||

Aarti Yugal Kishore Ki Kijay.
Tann Mann Nyochavar Kijay.

Gaurshyam Mukh Nirkhan Leejay.
Hari Ka Swaroop Nayan Bhari Peejay.

Ravi Shashi Koti Badan Ki Shobha.
Tahi Nirakh Mero Mann Lobha.

Odde Neel Peet Pat Sari.
Kunj Bihari Girivardhari.

Phulan Ki Sej Phulan Ki Mala.
Ratan Sinhasan Baithe Nandlala.

Kanchan Thar Kapur Ki Bati.
Hari Aye Nirmal Bahi Chhati.

Shree Purshottam Girivardhari.
Aarti Karat Sakal Brajanari.

Nand-Nandan Brajbhan Kishori.
Parmanand Swami Avichal Jori.

ARTI IN GUJRATI

॥ શ્રી ગોપાલની આરતી ॥

 

આરતી જુગલ કિશોર કી જય,

રાધે ધનનો ભોગ છે.

 

રવિ શશી કોટી બદનની સુંદરતા,

તાહી નિરખી મારા મનને લાલચે.

 

આરતી જુગલ કિશોર કી જય

 

ગૌર શ્યામ મુખ નિખત રિઝ,

ભગવાનને તમે જેટલું પીવો તે બનાવો.

 

કંચન થર કપૂરની વાટ,

હરિ નિર્મલ ભાઈ છાતી પાસે આવ્યો.

 

આરતી જુગલ કિશોર કી જય

 

ફૂલનના પલંગ પરથી ફૂલનું ફૂલ,

નંદલાલાએ રતન ગાદી બેઠી.

 

મુરલી સોહાને મોર સાથે તાજ પહેરાવવામાં આવ્યો છે

નટવર વેશને જોવું એ મનથી કંટાળાજનક છે.

 

આરતી જુગલ કિશોર કી જય

 

અડધી ઈન્ડિગો યલો પાતસારી,

કુંજ બિહારી ગિરિવધારી.

 

શ્રી પુરુષોત્તમ ગિરવધારી,

આરતી કરો, પૂર્ણ બજરનરી કરો.

 

આરતી જુગલ કિશોર કી જય

 

નંદ લાલા વૃષાબાનુ તીન,

પરમાનંદ સ્વામી અવિચલ જોરી.

 

આરતી જુગલ કિશોર કી જય,

રાધે ધનનો ભોગ છે.

 

આરતી જુગલ કિશોર કી જય

ARTI IN HINDI

॥ श्री गोपाल जी की आरती ॥

आरती युगल किशोर की कीजै।
तन मन धन न्योछावर कीजै॥

 

गौरश्याम मुख निरखन लीजै।
हरि का रूप नयन भरि पीजै॥

 

रवि शशि कोटि बदन की शोभा।
ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥

 

ओढ़े नील पीत पट सारी।
कुंजबिहारी गिरिवरधारी॥

 

फूलन सेज फूल की माला।
रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला॥

 

कंचन थार कपूर की बाती।
हरि आए निर्मल भई छाती॥

 

श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी।
आरती करें सकल नर नारी॥

 

नंदनंदन बृजभान किशोरी।
परमानंद स्वामी अविचल जोरी॥

ARTI IN KANNADA

|| ಶ್ರೀ ಗೋಪಾಲ್ ಜಿ ಅವರ ಆರತಿ ||

 

ಆರತಿ ದಂಪತಿಗಳು ಕಿಶೋರ್ ಕಿ.

ದೇಹ ಮತ್ತು ಸಂಪತ್ತು ತ್ಯಾಗದಂತೆ

 

ಗೌರಷ್ಯಂ ಮುಖಿ ನಿರ್ಖಾನ್ ಲಿಯೆ.

ಹರಿ ನಯನ್ ಭಾರಿ ಪೀ ಜೈ ಅವರ ರೂಪ

 

ರವಿ ಶಶಿ ಕೋಟಿ ಬಾದನ್ ಅವರ ಮಹಿಮೆ.

ತಾಹಿ ನಿರ್ಖಿ ಮೆರೋ ಮ್ಯಾನ್ ಲೋಭ

 

ನವಿಲು ಹಳದಿ ಮುಸುಕುಗಳಿಂದ ತುಂಬಿದೆ.

ಕುಂಜ್‌ಬಿಹಾರಿ ಗಿರಿವರ್ಧರಿ

 

ಫೂಲನ್ ಸೇಜ್ ಹೂವಿನ ಹಾರ.

ನಂದಲಾಲ ಸಿಂಹಾಸನದ ಮೇಲೆ ಕುಳಿತಿದ್ದಾರೆ

 

ಕಾಂಚನ್ ಥಾರ್ ಕಪೂರ್ ಅವರ ವಿಕ್.

ಹರಿ ಆಯೆ ನಿರ್ಮಲ್ ಭಾಯ್ ಎದೆ

 

ಶ್ರೀ ಪುರುಷೋತ್ತಂ ಗಿರಿವರ್ಧರಿ.

ಆರತಿ, ಒಟ್ಟು ಗಂಡು ಮತ್ತು ಹೆಣ್ಣು ಮಾಡಿ

 

ನಂದಾನಂದನ್ ಬ್ರಿಜ್ಭನ್ ಕಿಶೋರಿ.

ಪರಮಾನಂದ ಸ್ವಾಮಿ ಅವಿಚಲ್ ಜೋರಿ

ARTI IN KASHMIRI

Kashmiri and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Arti written in Awadhi dialect. 

 

॥ श्री गोपाल जी की आरती ॥

आरती युगल किशोर की कीजै।
तन मन धन न्योछावर कीजै॥

 

गौरश्याम मुख निरखन लीजै।
हरि का रूप नयन भरि पीजै॥

 

रवि शशि कोटि बदन की शोभा।
ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥

 

ओढ़े नील पीत पट सारी।
कुंजबिहारी गिरिवरधारी॥

 

फूलन सेज फूल की माला।
रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला॥

 

कंचन थार कपूर की बाती।
हरि आए निर्मल भई छाती॥

 

श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी।
आरती करें सकल नर नारी॥

 

नंदनंदन बृजभान किशोरी।
परमानंद स्वामी अविचल जोरी॥

ARTI IN KONKANI

Konkani and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Arti written in Awadhi dialect. 

 

॥ श्री गोपाल जी की आरती ॥

आरती युगल किशोर की कीजै।
तन मन धन न्योछावर कीजै॥

 

गौरश्याम मुख निरखन लीजै।
हरि का रूप नयन भरि पीजै॥

 

रवि शशि कोटि बदन की शोभा।
ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥

 

ओढ़े नील पीत पट सारी।
कुंजबिहारी गिरिवरधारी॥

 

फूलन सेज फूल की माला।
रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला॥

 

कंचन थार कपूर की बाती।
हरि आए निर्मल भई छाती॥

 

श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी।
आरती करें सकल नर नारी॥

 

नंदनंदन बृजभान किशोरी।
परमानंद स्वामी अविचल जोरी॥

ARTI IN MAITHILI

Maithili and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Arti written in Awadhi dialect. 

 

॥ श्री गोपाल जी की आरती ॥

आरती युगल किशोर की कीजै।
तन मन धन न्योछावर कीजै॥

 

गौरश्याम मुख निरखन लीजै।
हरि का रूप नयन भरि पीजै॥

 

रवि शशि कोटि बदन की शोभा।
ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥

 

ओढ़े नील पीत पट सारी।
कुंजबिहारी गिरिवरधारी॥

 

फूलन सेज फूल की माला।
रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला॥

 

कंचन थार कपूर की बाती।
हरि आए निर्मल भई छाती॥

 

श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी।
आरती करें सकल नर नारी॥

 

नंदनंदन बृजभान किशोरी।
परमानंद स्वामी अविचल जोरी॥

ARTI IN MALAYALAM

|| ശ്രീ ഗോപാൽ ജിയുടെ ആരതി ||

 

ആരതി ദമ്പതികൾ കിഷോർ കി.

ശരീരവും സമ്പത്തും ഒരു ത്യാഗം പോലെയാണ്

 

ഗ  രശ്യം മുഖി നിർഖാൻ ലിയേ.

ഹരി നയൻ ഭാരി പീ ജെയുടെ രൂപം

 

രവി ശശി കോടി ബാദന്റെ മഹത്വം.

താഹി നിർഖി മെറോ മാൻ ലോഭ

 

മഞ്ഞ മൂടുപടം നിറഞ്ഞ മയിൽ.

കുഞ്ച്‌ബിഹാരി ഗിരിവർധരി

 

ഫൂലൻ മുനി പുഷ്പമാല.

നന്ദലാല സിംഹാസനത്തിൽ ഇരിക്കുന്നു

 

കാഞ്ചൻ താർ കപൂറിന്റെ തിരി.

ഹരി ആയ് നിർമ്മൽ ഭായ് നെഞ്ച്

 

ശ്രീ പുരുഷോത്തം ഗിരിവർധരി.

ആരതി, മൊത്തത്തിലുള്ള പുരുഷനും സ്ത്രീയും ചെയ്യുക

 

നന്ദാനന്ദൻ ബ്രിജ്ഭാൻ കിഷോരി.

പർമാനന്ദ് സ്വാമി അവിചാൽ ജോറി

ARTI IN MEITEI

Meitei and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Arti written in Awadhi dialect. 

 

॥ श्री गोपाल जी की आरती ॥

आरती युगल किशोर की कीजै।
तन मन धन न्योछावर कीजै॥

 

गौरश्याम मुख निरखन लीजै।
हरि का रूप नयन भरि पीजै॥

 

रवि शशि कोटि बदन की शोभा।
ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥

 

ओढ़े नील पीत पट सारी।
कुंजबिहारी गिरिवरधारी॥

 

फूलन सेज फूल की माला।
रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला॥

 

कंचन थार कपूर की बाती।
हरि आए निर्मल भई छाती॥

 

श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी।
आरती करें सकल नर नारी॥

 

नंदनंदन बृजभान किशोरी।
परमानंद स्वामी अविचल जोरी॥

ARTI IN MARATHI

|| श्री गोपाळ जीची आरती ||

 

आरती जोडी किशोर की.

शरीर आणि संपत्ती बलिदानाप्रमाणे असतात

 

 

 

गौरश्याम मुखी निर्धन लिये।

हरि नयन भरी पीई जयचे रूप

 

रवी शशि कोटि बदन यांचा महिमा।

ताही निर्खी मेरी माण लोभा॥

 

पिवळा बुरखा भरलेला मोर.

कुंजबिहारी गिरिवरधारी॥

 

फूलन षी फूल माला।

नंदलाला सिंहासनावर बसलो

 

कंचन थार कपूरची वात.

हरि आये निर्मल भाई छाती॥

 

श्री पुरुषोत्तम गिरीवर्धरी.

आरती करा, सकल नर व मादी॥

 

नंदनंदन बृजभान किशोरी.

परमानंद स्वामी अविचल जोरी

ARTI IN NEPALI

Nepali and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Arti written in Awadhi dialect. 

 

॥ श्री गोपाल जी की आरती ॥

आरती युगल किशोर की कीजै।
तन मन धन न्योछावर कीजै॥

 

गौरश्याम मुख निरखन लीजै।
हरि का रूप नयन भरि पीजै॥

 

रवि शशि कोटि बदन की शोभा।
ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥

 

ओढ़े नील पीत पट सारी।
कुंजबिहारी गिरिवरधारी॥

 

फूलन सेज फूल की माला।
रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला॥

 

कंचन थार कपूर की बाती।
हरि आए निर्मल भई छाती॥

 

श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी।
आरती करें सकल नर नारी॥

 

नंदनंदन बृजभान किशोरी।
परमानंद स्वामी अविचल जोरी॥

ARTI IN ODIA

|| ଶ୍ରୀ ଗୋପାଳ ଜୀଙ୍କର ଆରତୀ ||

 

ଆରତୀ ଦମ୍ପତି କିଶୋର କି।

ଶରୀର ଏବଂ ଧନ ବଳିଦାନ ସଦୃଶ |

 

ଗ  ରାଶିମ୍ ମୁଖୀ ନିରଖାନ୍ ଲିୟ

ହରି ନୟନ ଭାରୀ ପି ଜୟଙ୍କର ରୂପ |

 

ରବି ଶଶି କୋଟି ବାଦାନର ଗ glory ରବ |

ତାହି ନିରହି ମେରୋ ମ୍ୟାନ୍ ଲୋବା।

 

ହଳଦିଆ ଆବରଣରେ ପରିପୂର୍ଣ୍ଣ ମୟୂର |

କୁଞ୍ଜବିହାରୀ ଗିରିଭରଧାରୀ।

 

ଫୁଲାନ୍ ସେଜ୍ ଫୁଲ ଗାର୍ଲଫ୍ରେଣ୍ଡ |

ସିଂହାସନରେ ବସିଥିବା ନନ୍ଦଲାଲା

 

କାଞ୍ଚନ ତର କପୁରଙ୍କ ୱିକ୍ |

ହରି ଆଏ ନିର୍ମଲ ଭୋ ଛାତି।

 

ଶ୍ରୀ ପୁରୁଷୋତ୍ତମମ୍ ଗିରିଭାର୍ଧାରୀ |

ଆରତୀ, ମୋଟ ପୁରୁଷ ଏବଂ ମହିଳା ପ୍ରଦର୍ଶନ କରନ୍ତୁ।

 

ନନ୍ଦନ୍ଦନନ୍ଦ ବ୍ରିଜଭାନ୍ କିଶୋରୀ |

ପରମାନନ୍ଦ ସ୍  ାମୀ ଅଭିକଲ ଜୋରୀ |

ARTI IN PUNJABI

|| ਸ਼੍ਰੀ ਗੋਪਾਲ ਜੀ ਦੀ ਆਰਤੀ ||

 

ਆਰਤੀ ਜੋੜੇ ਕਿਸ਼ੋਰ ਕੀ.

ਸਰੀਰ ਅਤੇ ਦੌਲਤ ਕੁਰਬਾਨੀ ਵਰਗੀ ਹੈ

 

ਗੌਰਸ਼ਿਯਮ ਮੁਖਿ ਨਿਰਖਣ ਲੀਏ।

ਹਰਿ ਨਯਨ ਭਰੀ ਪੀਈ ਜੈ ਜੈਕਾਰਿ॥

 

ਰਵੀ ਸ਼ਸ਼ੀ ਕੋਟੀ ਬਦਨ ਦੀ ਮਹਿਮਾ।

ਤਾਹਿ ਨਿਰਖੀ ਮੇਰੋ ਮਨ ਲੋਭਾ॥

 

ਮੋਰ ਪੀਲੇ ਰੰਗ ਦੇ ਪਰਦੇ ਨਾਲ ਭਰੀ.

ਕੁੰਜਬਿਹਾਰੀ ਗਿਰੀਵਰਧਾਰੀ॥

 

ਫੂਲਨ ਸੇਜ ਫੁੱਲ ਮਾਲਾ.

ਨੰਦਲਾ ਗੱਦੀ ਤੇ ਬੈਠੀ ਹੈ

 

ਕੰਚਨ ਥਾਰ ਕਪੂਰ ਦੀ ਬੱਤੀ.

ਹਰਿ ਆਇ ਨਿਰਮਲ ਭਾਈ ਛਾਤੀ॥

 

ਸ਼੍ਰੀ ਪੁਰਸ਼ੋਤਮ ਗਿਰੀਵਰਧਾਰੀ।

ਆਰਤੀ ਕਰੋ, ਸੰਪੂਰਨ ਨਰ ਤੇ ਮਾਦਾ॥

 

ਨੰਦਨੰਦਨ ਬ੍ਰਿਜਭਨ ਕਿਸ਼ੋਰੀ।

ਪਰਮਾਨੰਦ ਸਵਾਮੀ ਅਵਿਚਲ ਜੋਰੀ

ARTI IN SANSKRIT

Sanskrit and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Arti written in Awadhi dialect. 

 

॥ श्री गोपाल जी की आरती ॥

आरती युगल किशोर की कीजै।
तन मन धन न्योछावर कीजै॥

 

गौरश्याम मुख निरखन लीजै।
हरि का रूप नयन भरि पीजै॥

 

रवि शशि कोटि बदन की शोभा।
ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥

 

ओढ़े नील पीत पट सारी।
कुंजबिहारी गिरिवरधारी॥

 

फूलन सेज फूल की माला।
रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला॥

 

कंचन थार कपूर की बाती।
हरि आए निर्मल भई छाती॥

 

श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी।
आरती करें सकल नर नारी॥

 

नंदनंदन बृजभान किशोरी।
परमानंद स्वामी अविचल जोरी॥

ARTI IN SANTALI

Santali and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Arti written in Awadhi dialect. 

 

॥ श्री गोपाल जी की आरती ॥

आरती युगल किशोर की कीजै।
तन मन धन न्योछावर कीजै॥

 

गौरश्याम मुख निरखन लीजै।
हरि का रूप नयन भरि पीजै॥

 

रवि शशि कोटि बदन की शोभा।
ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥

 

ओढ़े नील पीत पट सारी।
कुंजबिहारी गिरिवरधारी॥

 

फूलन सेज फूल की माला।
रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला॥

 

कंचन थार कपूर की बाती।
हरि आए निर्मल भई छाती॥

 

श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी।
आरती करें सकल नर नारी॥

 

नंदनंदन बृजभान किशोरी।
परमानंद स्वामी अविचल जोरी॥

ARTI IN SINDHI

Sindhi and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Arti written in Awadhi dialect. 

 

॥ श्री गोपाल जी की आरती ॥

आरती युगल किशोर की कीजै।
तन मन धन न्योछावर कीजै॥

 

गौरश्याम मुख निरखन लीजै।
हरि का रूप नयन भरि पीजै॥

 

रवि शशि कोटि बदन की शोभा।
ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥

 

ओढ़े नील पीत पट सारी।
कुंजबिहारी गिरिवरधारी॥

 

फूलन सेज फूल की माला।
रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला॥

 

कंचन थार कपूर की बाती।
हरि आए निर्मल भई छाती॥

 

श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी।
आरती करें सकल नर नारी॥

 

नंदनंदन बृजभान किशोरी।
परमानंद स्वामी अविचल जोरी॥

ARTI IN TAMIL

|| ஸ்ரீ கோபால் ஜியின் ஆர்த்தி ||

 

ஆர்த்தி ஜோடி கிஷோர் கி.

உடலும் செல்வமும் ஒரு தியாகம் போன்றவை

 

க  ரஷ்யம் முகி நிர்கான் லியே.

ஹரி நயன் பாரி பீ ஜெயின் வடிவம்

 

ரவி சஷி கோட்டி பதானின் மகிமை.

தாஹி நிர்கி மேரோ மேன் லோபா

 

மஞ்சள் முக்காடுகளால் நிரப்பப்பட்ட மயில்.

குஞ்ச்பிஹாரி கிரிவர்தரி

 

பூலன் முனிவர் மலர் மாலை.

நந்தலாலா சிம்மாசனத்தில் அமர்ந்திருக்கிறார்

 

காஞ்சன் தார் கபூரின் விக்.

ஹரி ஆயே நிர்மல் பாய் மார்பு

 

ஸ்ரீ புருஷோத்தம் கிரிவர்தரி.

ஆர்த்தி, மொத்த ஆண் மற்றும் பெண் செய்யவும்

 

நந்தானந்தன் பிரிஜ்பான் கிஷோரி.

பர்மானந்த் சுவாமி அவிச்சல் ஜோரி

ARTI IN TELUGU

|| శ్రీ గోపాల్ జీ యొక్క ఆర్తి ||

 

ఆర్తి జంట కిషోర్ కి.

శరీరం, సంపద త్యాగం లాంటివి

 

గౌరశ్యం ముఖి నిర్ఖాన్ లియే.

హరి నయన్ భరి పీ జై రూపం

 

రవి శశి కోటి బాదన్ కీర్తి.

తాహి నిర్కి మెరో మ్యాన్ లోభా

 

పసుపు ముసుగులతో నిండిన నెమలి.

కుంజ్బీహారీ గిరివర్ధరి

 

ఫూలన్ సేజ్ పూల దండ.

నందలాలా సింహాసనంపై కూర్చున్నాడు

 

కాంచన్ థార్ కపూర్ విక్.

హరి ఆయే నిర్మల్ భాయ్ ఛాతీ

 

శ్రీ పురుషోత్తం గిరివర్ధరి.

ఆర్తి, స్థూల మగ మరియు ఆడ జరుపుము

 

నందానందన్ బ్రిజ్భన్ కిషోరి.

పర్మానంద్ స్వామి అవిచల్ జోరి

ARTI IN URDU

|| شری گوپال جی کی آرتی ||

 

آرتی جوڑے کشور کی۔

جسم اور دولت قربانی کی طرح ہے

 

گورشیم مکھی نرخان لیئے۔

ہری نیان بھاری پیش جئے کی شکل

 

روی ششی کوٹی بادن کی شان۔

تاہی نیرکھی میرو مان لوبہ۔

 

 

پیلے رنگ کے پردے سے بھرا ہوا میور۔

کنزبیہاری گریوردھری۔

 

پھولن سیج پھولوں کی مالا۔

تخت پر بیٹھا نینڈلہ

 

کنچن تھر کپور کی ویک۔

ہری آئے نرمل بھائی سینے۔

 

شری پُرشوتھم گیروردھاری۔

آرتی کرو ، کُل نر اور مادہ۔

 

نندنندان برج بھن کشوری۔

پرمانند سوامی ایویچل جوری

 

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