HANUMAN CHALISA IN ALL LANGUAGES

HANUMAN CHALISA IN ASSAMESE

Assamese and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Hanuman Chalisa written in Awadhi dialect. 

 

दोहा :
 
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 
 
चौपाई :
 
जय हनुमानज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
 
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
 
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
 
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
 
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
 
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
 
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
 
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
 
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
 
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
 
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
 
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
 
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
 
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
 
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
 
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
 
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
 
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
 
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
 
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
 
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
 
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
 
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
 
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
 
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
 
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
 
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
 
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
 
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
 
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
 
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
 
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
 
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
 
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
 
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
 
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
 
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
 
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
 
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
 
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। 
 
दोहा :
 
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

HANUMAN CHALISA IN BENGALI

হনুমান্ চালীসা


দোহা
শ্রী গুরু চরণ সরোজ রজ নিজমন মুকুর সুধারি |
বরণৌ রঘুবর বিমলযশ জো দাযক ফলচারি ‖
বুদ্ধিহীন তনুজানিকৈ সুমিরৌ পবন কুমার |
বল বুদ্ধি বিদ্যা দেহু মোহি হরহু কলেশ বিকার ‖

ধ্যানম্
গোষ্পদীকৃত বারাশিং মশকীকৃত রাক্ষসম্ |
রামাযণ মহামালা রত্নং বংদে-(অ)নিলাত্মজম্ ‖
যত্র যত্র রঘুনাথ কীর্তনং তত্র তত্র কৃতমস্তকাংজলিম্ |
ভাষ্পবারি পরিপূর্ণ লোচনং মারুতিং নমত রাক্ষসাংতকম্ ‖

চৌপাঈ
জয হনুমান জ্ঞান গুণ সাগর |
জয কপীশ তিহু লোক উজাগর ‖ 1 ‖

রামদূত অতুলিত বলধামা |
অংজনি পুত্র পবনসুত নামা ‖ 2 ‖

মহাবীর বিক্রম বজরংগী |
কুমতি নিবার সুমতি কে সংগী ‖3 ‖

কংচন বরণ বিরাজ সুবেশা |
কানন কুংডল কুংচিত কেশা ‖ 4 ‖

হাথবজ্র ঔ ধ্বজা বিরাজৈ |
কাংথে মূংজ জনেবূ সাজৈ ‖ 5‖

শংকর সুবন কেসরী নংদন |
তেজ প্রতাপ মহাজগ বংদন ‖ 6 ‖

বিদ্যাবান গুণী অতি চাতুর |
রাম কাজ করিবে কো আতুর ‖ 7 ‖

প্রভু চরিত্র সুনিবে কো রসিযা |
রামলখন সীতা মন বসিযা ‖ 8‖

সূক্ষ্ম রূপধরি সিযহি দিখাবা |
বিকট রূপধরি লংক জলাবা ‖ 9 ‖

ভীম রূপধরি অসুর সংহারে |
রামচংদ্র কে কাজ সংবারে ‖ 10 ‖

লায সংজীবন লখন জিযাযে |
শ্রী রঘুবীর হরষি উরলাযে ‖ 11 ‖

রঘুপতি কীন্হী বহুত বডাযী |
তুম মম প্রিয ভরত সম ভাযী ‖ 12 ‖

সহস্র বদন তুম্হরো যশগাবৈ |
অস কহি শ্রীপতি কংঠ লগাবৈ ‖ 13 ‖

সনকাদিক ব্রহ্মাদি মুনীশা |
নারদ শারদ সহিত অহীশা ‖ 14 ‖

যম কুবের দিগপাল জহাং তে |
কবি কোবিদ কহি সকে কহাং তে ‖ 15 ‖

তুম উপকার সুগ্রীবহি কীন্হা |
রাম মিলায রাজপদ দীন্হা ‖ 16 ‖

তুম্হরো মংত্র বিভীষণ মানা |
লংকেশ্বর ভযে সব জগ জানা ‖ 17 ‖

যুগ সহস্র যোজন পর ভানূ |
লীল্যো তাহি মধুর ফল জানূ ‖ 18 ‖

প্রভু মুদ্রিকা মেলি মুখ মাহী |
জলধি লাংঘি গযে অচরজ নাহী ‖ 19 ‖

দুর্গম কাজ জগত কে জেতে |
সুগম অনুগ্রহ তুম্হরে তেতে ‖ 20 ‖

রাম দুআরে তুম রখবারে |
হোত ন আজ্ঞা বিনু পৈসারে ‖ 21 ‖

সব সুখ লহৈ তুম্হারী শরণা |
তুম রক্ষক কাহূ কো ডর না ‖ 22 ‖

আপন তেজ সম্হারো আপৈ |
তীনোং লোক হাংক তে কাংপৈ ‖ 23 ‖

ভূত পিশাচ নিকট নহি আবৈ |
মহবীর জব নাম সুনাবৈ ‖ 24 ‖

নাসৈ রোগ হরৈ সব পীরা |
জপত নিরংতর হনুমত বীরা ‖ 25 ‖

সংকট সে হনুমান ছুডাবৈ |
মন ক্রম বচন ধ্যান জো লাবৈ ‖ 26 ‖

সব পর রাম তপস্বী রাজা |
তিনকে কাজ সকল তুম সাজা ‖ 27 ‖

ঔর মনোরধ জো কোযি লাবৈ |
তাসু অমিত জীবন ফল পাবৈ ‖ 28 ‖

চারো যুগ প্রতাপ তুম্হারা |
হৈ প্রসিদ্ধ জগত উজিযারা ‖ 29 ‖

সাধু সংত কে তুম রখবারে |
অসুর নিকংদন রাম দুলারে ‖ 30 ‖

অষ্ঠসিদ্ধি নব নিধি কে দাতা |
অস বর দীন্হ জানকী মাতা ‖ 31 ‖

রাম রসাযন তুম্হারে পাসা |
সদা রহো রঘুপতি কে দাসা ‖ 32 ‖

তুম্হরে ভজন রামকো পাবৈ |
জন্ম জন্ম কে দুখ বিসরাবৈ ‖ 33 ‖

অংত কাল রঘুপতি পুরজাযী |
জহাং জন্ম হরিভক্ত কহাযী ‖ 34 ‖

ঔর দেবতা চিত্ত ন ধরযী |
হনুমত সেযি সর্ব সুখ করযী ‖ 35 ‖

সংকট ক(হ)টৈ মিটৈ সব পীরা |
জো সুমিরৈ হনুমত বল বীরা ‖ 36 ‖

জৈ জৈ জৈ হনুমান গোসাযী |
কৃপা করহু গুরুদেব কী নাযী ‖ 37 ‖

জো শত বার পাঠ কর কোযী |
ছূটহি বংদি মহা সুখ হোযী ‖ 38 ‖

জো যহ পডৈ হনুমান চালীসা |
হোয সিদ্ধি সাখী গৌরীশা ‖ 39 ‖

তুলসীদাস সদা হরি চেরা |
কীজৈ নাথ হৃদয মহ ডেরা ‖ 40 ‖

দোহা
পবন তনয সংকট হরণ – মংগ঳ মূরতি রূপ্ |
রাম লখন সীতা সহিত – হৃদয বসহু সুরভূপ্ ‖
সিযাবর রামচংদ্রকী জয | পবনসুত হনুমানকী জয | বোলো ভাযী সব সংতনকী জয |

HANUMAN CHALISA IN BODO

Bodo and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Hanuman Chalisa written in Awadhi dialect. 

दोहा :
 
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 
 
चौपाई :
 
जय हनुमानज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
 
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
 
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
 
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
 
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
 
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
 
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
 
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
 
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
 
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
 
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
 
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
 
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
 
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
 
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
 
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
 
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
 
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
 
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
 
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
 
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
 
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
 
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
 
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
 
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
 
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
 
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
 
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
 
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
 
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
 
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
 
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
 
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
 
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
 
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
 
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
 
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
 
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
 
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
 
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। 
 
दोहा :
 
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

HANUMAN CHALISA IN DOGRI

Dogri and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Hanuman Chalisa written in Awadhi dialect. 

दोहा :
 
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 
 
चौपाई :
 
जय हनुमानज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
 
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
 
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
 
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
 
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
 
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
 
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
 
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
 
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
 
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
 
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
 
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
 
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
 
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
 
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
 
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
 
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
 
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
 
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
 
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
 
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
 
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
 
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
 
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
 
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
 
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
 
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
 
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
 
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
 
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
 
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
 
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
 
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
 
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
 
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
 
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
 
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
 
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
 
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
 
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। 
 
दोहा :
 
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

HANUMAN CHALISA IN ENGLISH

Doha
 
Shri Guru Charan Saroja-raj
Nija manu Mukura Sudhaari

Baranau Rahubhara Bimala Yasha
Jo Dayaka Phala Chari

Budhee-Heen Thanu Jannikay
Sumirow Pavana Kumara
 
Bala-Budhee Vidya Dehoo Mohee
Harahu Kalesha Vikaara
 
Chaupai
 

Jai Hanuman gyan gun sagar
Jai Kapis tihun lok ujagar

Ram doot atulit bal dhama
Anjaani-putra Pavan sut nama

Mahabir Bikram Bajrangi
Kumati nivar sumati Ke sangi

Kanchan varan viraj subesa
Kanan Kundal Kunchit Kesha

Hath Vajra Aur Dhuvaje Viraje
Kaandhe moonj janehu sajai

Sankar suvan kesri Nandan
Tej prataap maha jag vandan

Vidyavaan guni ati chatur
Ram kaj karibe ko aatur

Prabu charitra sunibe-ko rasiya
Ram Lakhan Sita man Basiya

Sukshma roop dhari Siyahi dikhava
Vikat roop dhari lank jarava

Bhima roop dhari asur sanghare
Ramachandra ke kaj sanvare

Laye Sanjivan Lakhan Jiyaye
Shri Raghuvir Harashi ur laye

Raghupati Kinhi bahut badai
Tum mam priye Bharat-hi-sam bhai

Sahas badan tumharo yash gaave
Asa-kahi Shripati kanth lagaave

Sankadhik Brahmaadi Muneesa
Narad-Sarad sahit Aheesa

Yam Kuber Digpaal Jahan te

Kavi kovid kahi sake kahan te

Tum upkar Sugreevahin keenha
Ram milaye rajpad deenha

Tumharo mantra Vibheeshan maana
Lankeshwar Bhaye Sub jag jana

Yug sahastra jojan par Bhanu
Leelyo tahi madhur phal janu

Prabhu mudrika meli mukh mahee
Jaladhi langhi gaye achraj nahee

Durgaam kaj jagath ke jete
Sugam anugraha tumhre tete

Ram dwaare tum rakhvare
Hoat na agya binu paisare

Sub sukh lahae tumhari sar na
Tum rakshak kahu ko dar naa

Aapan tej samharo aapai
Teenhon lok hank te kanpai

Bhoot pisaach Nikat nahin aavai
Mahavir jab naam sunavae

Nase rog harae sab peera
Japat nirantar Hanumant beera

Sankat se Hanuman chudavae
Man Karam Vachan dyan jo lavai

Sab par Ram tapasvee raja
Tin ke kaj sakal Tum saja

Aur manorath jo koi lavai
Sohi amit jeevan phal pavai

Charon Yug partap tumhara
Hai persidh jagat ujiyara

 

Sadhu Sant ke tum Rakhware
Asur nikandan Ram dulhare

Ashta-sidhi nav nidhi ke dhata
As-var deen Janki mata

Ram rasayan tumhare pasa
Sada raho Raghupati ke dasa

Tumhare bhajan Ram ko pavai
Janam-janam ke dukh bisraavai

Anth-kaal Raghuvir pur jayee
Jahan janam Hari-Bakht Kahayee

Aur Devta Chit na dharehi
Hanumanth se hi sarve sukh karehi

Sankat kate-mite sab peera
Jo sumirai Hanumat Balbeera

Jai Jai Jai Hanuman Gosahin
Kripa Karahu Gurudev ki nyahin

Jo sat bar path kare kohi
Chutehi bandhi maha sukh hohi

Jo yah padhe Hanuman Chalisa
Hoye siddhi sakhi Gaureesa

Tulsidas sada hari chera
Keejai Nath Hridaye mein dera

 
Doha
 
Pavan Tanay Sankat Harana 
Mangala Murati Roop
Ram Lakhana Sita Sahita 
Hriday Basahu Soor Bhoop

HANUMAN CHALISA IN GUJRATI

દોહા
 
શ્રી ગુરુ ચરણ સરોજ રજ નિજમન મુકુર સુધારિ |
વરણૌ રઘુવર વિમલયશ જો દાયક ફલચારિ ‖
બુદ્ધિહીન તનુજાનિકૈ સુમિરૌ પવન કુમાર |
બલ બુદ્ધિ વિદ્યા દેહુ મોહિ હરહુ કલેશ વિકાર ‖

ધ્યાનમ્

ગોષ્પદીકૃત વારાશિં મશકીકૃત રાક્ષસમ્ |
રામાયણ મહામાલા રત્નં વંદે-(અ)નિલાત્મજમ્ ‖
યત્ર યત્ર રઘુનાથ કીર્તનં તત્ર તત્ર કૃતમસ્તકાંજલિમ્ |
ભાષ્પવારિ પરિપૂર્ણ લોચનં મારુતિં નમત રાક્ષસાંતકમ્ ‖

ચૌપાઈ
જય હનુમાન જ્ઞાન ગુણ સાગર |
જય કપીશ તિહુ લોક ઉજાગર ‖ 1 ‖

રામદૂત અતુલિત બલધામા |
અંજનિ પુત્ર પવનસુત નામા ‖ 2 ‖

મહાવીર વિક્રમ બજરંગી |
કુમતિ નિવાર સુમતિ કે સંગી ‖3 ‖

કંચન વરણ વિરાજ સુવેશા |
કાનન કુંડલ કુંચિત કેશા ‖ 4 ‖

હાથવજ્ર ઔ ધ્વજા વિરાજૈ |
કાંથે મૂંજ જનેવૂ સાજૈ ‖ 5‖

શંકર સુવન કેસરી નંદન |
તેજ પ્રતાપ મહાજગ વંદન ‖ 6 ‖

વિદ્યાવાન ગુણી અતિ ચાતુર |
રામ કાજ કરિવે કો આતુર ‖ 7 ‖

પ્રભુ ચરિત્ર સુનિવે કો રસિયા |
રામલખન સીતા મન બસિયા ‖ 8‖

સૂક્ષ્મ રૂપધરિ સિયહિ દિખાવા |
વિકટ રૂપધરિ લંક જલાવા ‖ 9 ‖

ભીમ રૂપધરિ અસુર સંહારે |
રામચંદ્ર કે કાજ સંવારે ‖ 10 ‖

લાય સંજીવન લખન જિયાયે |
શ્રી રઘુવીર હરષિ ઉરલાયે ‖ 11 ‖

રઘુપતિ કીન્હી બહુત બડાયી |
તુમ મમ પ્રિય ભરત સમ ભાયી ‖ 12 ‖

સહસ્ર વદન તુમ્હરો યશગાવૈ |
અસ કહિ શ્રીપતિ કંઠ લગાવૈ ‖ 13 ‖

સનકાદિક બ્રહ્માદિ મુનીશા |
નારદ શારદ સહિત અહીશા ‖ 14 ‖

યમ કુબેર દિગપાલ જહાં તે |
કવિ કોવિદ કહિ સકે કહાં તે ‖ 15 ‖

તુમ ઉપકાર સુગ્રીવહિ કીન્હા |
રામ મિલાય રાજપદ દીન્હા ‖ 16 ‖

તુમ્હરો મંત્ર વિભીષણ માના |
લંકેશ્વર ભયે સબ જગ જાના ‖ 17 ‖

યુગ સહસ્ર યોજન પર ભાનૂ |
લીલ્યો તાહિ મધુર ફલ જાનૂ ‖ 18 ‖

પ્રભુ મુદ્રિકા મેલિ મુખ માહી |
જલધિ લાંઘિ ગયે અચરજ નાહી ‖ 19 ‖

દુર્ગમ કાજ જગત કે જેતે |
સુગમ અનુગ્રહ તુમ્હરે તેતે ‖ 20 ‖

રામ દુઆરે તુમ રખવારે |
હોત ન આજ્ઞા બિનુ પૈસારે ‖ 21 ‖

સબ સુખ લહૈ તુમ્હારી શરણા |
તુમ રક્ષક કાહૂ કો ડર ના ‖ 22 ‖

આપન તેજ સમ્હારો આપૈ |
તીનોં લોક હાંક તે કાંપૈ ‖ 23 ‖

ભૂત પિશાચ નિકટ નહિ આવૈ |
મહવીર જબ નામ સુનાવૈ ‖ 24 ‖

નાસૈ રોગ હરૈ સબ પીરા |
જપત નિરંતર હનુમત વીરા ‖ 25 ‖

સંકટ સે હનુમાન છુડાવૈ |
મન ક્રમ વચન ધ્યાન જો લાવૈ ‖ 26 ‖

સબ પર રામ તપસ્વી રાજા |
તિનકે કાજ સકલ તુમ સાજા ‖ 27 ‖

ઔર મનોરધ જો કોયિ લાવૈ |
તાસુ અમિત જીવન ફલ પાવૈ ‖ 28 ‖

ચારો યુગ પ્રતાપ તુમ્હારા |
હૈ પ્રસિદ્ધ જગત ઉજિયારા ‖ 29 ‖

સાધુ સંત કે તુમ રખવારે |
અસુર નિકંદન રામ દુલારે ‖ 30 ‖

અષ્ઠસિદ્ધિ નવ નિધિ કે દાતા |
અસ વર દીન્હ જાનકી માતા ‖ 31 ‖

રામ રસાયન તુમ્હારે પાસા |
સદા રહો રઘુપતિ કે દાસા ‖ 32 ‖

તુમ્હરે ભજન રામકો પાવૈ |
જન્મ જન્મ કે દુખ બિસરાવૈ ‖ 33 ‖

અંત કાલ રઘુપતિ પુરજાયી |
જહાં જન્મ હરિભક્ત કહાયી ‖ 34 ‖

ઔર દેવતા ચિત્ત ન ધરયી |
હનુમત સેયિ સર્વ સુખ કરયી ‖ 35 ‖

સંકટ ક(હ)ટૈ મિટૈ સબ પીરા |
જો સુમિરૈ હનુમત બલ વીરા ‖ 36 ‖

જૈ જૈ જૈ હનુમાન ગોસાયી |
કૃપા કરહુ ગુરુદેવ કી નાયી ‖ 37 ‖

જો શત વાર પાઠ કર કોયી |
છૂટહિ બંદિ મહા સુખ હોયી ‖ 38 ‖

જો યહ પડૈ હનુમાન ચાલીસા |
હોય સિદ્ધિ સાખી ગૌરીશા ‖ 39 ‖

તુલસીદાસ સદા હરિ ચેરા |
કીજૈ નાથ હૃદય મહ ડેરા ‖ 40 ‖

દોહા
પવન તનય સંકટ હરણ – મંગળ મૂરતિ રૂપ્ |
રામ લખન સીતા સહિત – હૃદય બસહુ સુરભૂપ્ ‖
સિયાવર રામચંદ્રકી જય | પવનસુત હનુમાનકી જય | બોલો ભાયી સબ સંતનકી જય |

HANUMAN CHALISA IN HINDI

दोहा :
 
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 
 
चौपाई :
 
जय हनुमानज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
 
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
 
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
 
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
 
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
 
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
 
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
 
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
 
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
 
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
 
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
 
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
 
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
 
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
 
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
 
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
 
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
 
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
 
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
 
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
 
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
 
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
 
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
 
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
 
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
 
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
 
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
 
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
 
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
 
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
 
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
 
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
 
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
 
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
 
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
 
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
 
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
 
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
 
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
 
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। 
 
दोहा :
 
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

HANUMAN CHALISA IN KANNADA

 
ದೋಹಾ
ಶ್ರೀ ಗುರು ಚರಣ ಸರೋಜ ರಜ ನಿಜಮನ ಮುಕುರ ಸುಧಾರಿ |
ವರಣೌ ರಘುವರ ವಿಮಲಯಶ ಜೋ ದಾಯಕ ಫಲಚಾರಿ ‖
ಬುದ್ಧಿಹೀನ ತನುಜಾನಿಕೈ ಸುಮಿರೌ ಪವನ ಕುಮಾರ |
ಬಲ ಬುದ್ಧಿ ವಿದ್ಯಾ ದೇಹು ಮೋಹಿ ಹರಹು ಕಲೇಶ ವಿಕಾರ ‖

ಧ್ಯಾನಮ್
ಗೋಷ್ಪದೀಕೃತ ವಾರಾಶಿಂ ಮಶಕೀಕೃತ ರಾಕ್ಷಸಮ್ |
ರಾಮಾಯಣ ಮಹಾಮಾಲಾ ರತ್ನಂ ವಂದೇ-(ಅ)ನಿಲಾತ್ಮಜಮ್ ‖
ಯತ್ರ ಯತ್ರ ರಘುನಾಥ ಕೀರ್ತನಂ ತತ್ರ ತತ್ರ ಕೃತಮಸ್ತಕಾಂಜಲಿಮ್ |
ಭಾಷ್ಪವಾರಿ ಪರಿಪೂರ್ಣ ಲೋಚನಂ ಮಾರುತಿಂ ನಮತ ರಾಕ್ಷಸಾಂತಕಮ್ ‖

ಚೌಪಾಈ
ಜಯ ಹನುಮಾನ ಜ್ಞಾನ ಗುಣ ಸಾಗರ |
ಜಯ ಕಪೀಶ ತಿಹು ಲೋಕ ಉಜಾಗರ ‖ 1 ‖

ರಾಮದೂತ ಅತುಲಿತ ಬಲಧಾಮಾ |
ಅಂಜನಿ ಪುತ್ರ ಪವನಸುತ ನಾಮಾ ‖ 2 ‖

ಮಹಾವೀರ ವಿಕ್ರಮ ಬಜರಂಗೀ |
ಕುಮತಿ ನಿವಾರ ಸುಮತಿ ಕೇ ಸಂಗೀ ‖3 ‖

ಕಂಚನ ವರಣ ವಿರಾಜ ಸುವೇಶಾ |
ಕಾನನ ಕುಂಡಲ ಕುಂಚಿತ ಕೇಶಾ ‖ 4 ‖

ಹಾಥವಜ್ರ ಔ ಧ್ವಜಾ ವಿರಾಜೈ |
ಕಾಂಥೇ ಮೂಂಜ ಜನೇವೂ ಸಾಜೈ ‖ 5‖

ಶಂಕರ ಸುವನ ಕೇಸರೀ ನಂದನ |
ತೇಜ ಪ್ರತಾಪ ಮಹಾಜಗ ವಂದನ ‖ 6 ‖

ವಿದ್ಯಾವಾನ ಗುಣೀ ಅತಿ ಚಾತುರ |
ರಾಮ ಕಾಜ ಕರಿವೇ ಕೋ ಆತುರ ‖ 7 ‖

ಪ್ರಭು ಚರಿತ್ರ ಸುನಿವೇ ಕೋ ರಸಿಯಾ |
ರಾಮಲಖನ ಸೀತಾ ಮನ ಬಸಿಯಾ ‖ 8‖

ಸೂಕ್ಷ್ಮ ರೂಪಧರಿ ಸಿಯಹಿ ದಿಖಾವಾ |
ವಿಕಟ ರೂಪಧರಿ ಲಂಕ ಜಲಾವಾ ‖ 9 ‖

ಭೀಮ ರೂಪಧರಿ ಅಸುರ ಸಂಹಾರೇ |
ರಾಮಚಂದ್ರ ಕೇ ಕಾಜ ಸಂವಾರೇ ‖ 10 ‖

ಲಾಯ ಸಂಜೀವನ ಲಖನ ಜಿಯಾಯೇ |
ಶ್ರೀ ರಘುವೀರ ಹರಷಿ ಉರಲಾಯೇ ‖ 11 ‖

ರಘುಪತಿ ಕೀನ್ಹೀ ಬಹುತ ಬಡಾಯೀ |
ತುಮ ಮಮ ಪ್ರಿಯ ಭರತ ಸಮ ಭಾಯೀ ‖ 12 ‖

ಸಹಸ್ರ ವದನ ತುಮ್ಹರೋ ಯಶಗಾವೈ |
ಅಸ ಕಹಿ ಶ್ರೀಪತಿ ಕಂಠ ಲಗಾವೈ ‖ 13 ‖

ಸನಕಾದಿಕ ಬ್ರಹ್ಮಾದಿ ಮುನೀಶಾ |
ನಾರದ ಶಾರದ ಸಹಿತ ಅಹೀಶಾ ‖ 14 ‖

ಯಮ ಕುಬೇರ ದಿಗಪಾಲ ಜಹಾಂ ತೇ |
ಕವಿ ಕೋವಿದ ಕಹಿ ಸಕೇ ಕಹಾಂ ತೇ ‖ 15 ‖

ತುಮ ಉಪಕಾರ ಸುಗ್ರೀವಹಿ ಕೀನ್ಹಾ |
ರಾಮ ಮಿಲಾಯ ರಾಜಪದ ದೀನ್ಹಾ ‖ 16 ‖

ತುಮ್ಹರೋ ಮಂತ್ರ ವಿಭೀಷಣ ಮಾನಾ |
ಲಂಕೇಶ್ವರ ಭಯೇ ಸಬ ಜಗ ಜಾನಾ ‖ 17 ‖

ಯುಗ ಸಹಸ್ರ ಯೋಜನ ಪರ ಭಾನೂ |
ಲೀಲ್ಯೋ ತಾಹಿ ಮಧುರ ಫಲ ಜಾನೂ ‖ 18 ‖

ಪ್ರಭು ಮುದ್ರಿಕಾ ಮೇಲಿ ಮುಖ ಮಾಹೀ |
ಜಲಧಿ ಲಾಂಘಿ ಗಯೇ ಅಚರಜ ನಾಹೀ ‖ 19 ‖

ದುರ್ಗಮ ಕಾಜ ಜಗತ ಕೇ ಜೇತೇ |
ಸುಗಮ ಅನುಗ್ರಹ ತುಮ್ಹರೇ ತೇತೇ ‖ 20 ‖

ರಾಮ ದುಆರೇ ತುಮ ರಖವಾರೇ |
ಹೋತ ನ ಆಜ್ಞಾ ಬಿನು ಪೈಸಾರೇ ‖ 21 ‖

ಸಬ ಸುಖ ಲಹೈ ತುಮ್ಹಾರೀ ಶರಣಾ |
ತುಮ ರಕ್ಷಕ ಕಾಹೂ ಕೋ ಡರ ನಾ ‖ 22 ‖

ಆಪನ ತೇಜ ಸಮ್ಹಾರೋ ಆಪೈ |
ತೀನೋಂ ಲೋಕ ಹಾಂಕ ತೇ ಕಾಂಪೈ ‖ 23 ‖

ಭೂತ ಪಿಶಾಚ ನಿಕಟ ನಹಿ ಆವೈ |
ಮಹವೀರ ಜಬ ನಾಮ ಸುನಾವೈ ‖ 24 ‖

ನಾಸೈ ರೋಗ ಹರೈ ಸಬ ಪೀರಾ |
ಜಪತ ನಿರಂತರ ಹನುಮತ ವೀರಾ ‖ 25 ‖

ಸಂಕಟ ಸೇ ಹನುಮಾನ ಛುಡಾವೈ |
ಮನ ಕ್ರಮ ವಚನ ಧ್ಯಾನ ಜೋ ಲಾವೈ ‖ 26 ‖

ಸಬ ಪರ ರಾಮ ತಪಸ್ವೀ ರಾಜಾ |
ತಿನಕೇ ಕಾಜ ಸಕಲ ತುಮ ಸಾಜಾ ‖ 27 ‖

ಔರ ಮನೋರಧ ಜೋ ಕೋಯಿ ಲಾವೈ |
ತಾಸು ಅಮಿತ ಜೀವನ ಫಲ ಪಾವೈ ‖ 28 ‖

ಚಾರೋ ಯುಗ ಪ್ರತಾಪ ತುಮ್ಹಾರಾ |
ಹೈ ಪ್ರಸಿದ್ಧ ಜಗತ ಉಜಿಯಾರಾ ‖ 29 ‖

ಸಾಧು ಸಂತ ಕೇ ತುಮ ರಖವಾರೇ |
ಅಸುರ ನಿಕಂದನ ರಾಮ ದುಲಾರೇ ‖ 30 ‖

ಅಷ್ಠಸಿದ್ಧಿ ನವ ನಿಧಿ ಕೇ ದಾತಾ |
ಅಸ ವರ ದೀನ್ಹ ಜಾನಕೀ ಮಾತಾ ‖ 31 ‖

ರಾಮ ರಸಾಯನ ತುಮ್ಹಾರೇ ಪಾಸಾ |
ಸದಾ ರಹೋ ರಘುಪತಿ ಕೇ ದಾಸಾ ‖ 32 ‖

ತುಮ್ಹರೇ ಭಜನ ರಾಮಕೋ ಪಾವೈ |
ಜನ್ಮ ಜನ್ಮ ಕೇ ದುಖ ಬಿಸರಾವೈ ‖ 33 ‖

ಅಂತ ಕಾಲ ರಘುಪತಿ ಪುರಜಾಯೀ |
ಜಹಾಂ ಜನ್ಮ ಹರಿಭಕ್ತ ಕಹಾಯೀ ‖ 34 ‖

ಔರ ದೇವತಾ ಚಿತ್ತ ನ ಧರಯೀ |
ಹನುಮತ ಸೇಯಿ ಸರ್ವ ಸುಖ ಕರಯೀ ‖ 35 ‖

ಸಂಕಟ ಕ(ಹ)ಟೈ ಮಿಟೈ ಸಬ ಪೀರಾ |
ಜೋ ಸುಮಿರೈ ಹನುಮತ ಬಲ ವೀರಾ ‖ 36 ‖

ಜೈ ಜೈ ಜೈ ಹನುಮಾನ ಗೋಸಾಯೀ |
ಕೃಪಾ ಕರಹು ಗುರುದೇವ ಕೀ ನಾಯೀ ‖ 37 ‖

ಜೋ ಶತ ವಾರ ಪಾಠ ಕರ ಕೋಯೀ |
ಛೂಟಹಿ ಬಂದಿ ಮಹಾ ಸುಖ ಹೋಯೀ ‖ 38 ‖

ಜೋ ಯಹ ಪಡೈ ಹನುಮಾನ ಚಾಲೀಸಾ |
ಹೋಯ ಸಿದ್ಧಿ ಸಾಖೀ ಗೌರೀಶಾ ‖ 39 ‖

ತುಲಸೀದಾಸ ಸದಾ ಹರಿ ಚೇರಾ |
ಕೀಜೈ ನಾಥ ಹೃದಯ ಮಹ ಡೇರಾ ‖ 40 ‖

ದೋಹಾ
ಪವನ ತನಯ ಸಂಕಟ ಹರಣ – ಮಂಗಳ ಮೂರತಿ ರೂಪ್ |
ರಾಮ ಲಖನ ಸೀತಾ ಸಹಿತ – ಹೃದಯ ಬಸಹು ಸುರಭೂಪ್ ‖
ಸಿಯಾವರ ರಾಮಚಂದ್ರಕೀ ಜಯ | ಪವನಸುತ ಹನುಮಾನಕೀ ಜಯ | ಬೋಲೋ ಭಾಯೀ ಸಬ ಸಂತನಕೀ ಜಯ |

HANUMAN CHALISA IN KASHMIRI

Kashmiri and Hindi are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Hanuman Chalisa written in Awadhi dialect. 

दोहा :
 
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 
 
चौपाई :
 
जय हनुमानज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
 
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
 
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
 
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
 
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
 
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
 
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
 
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
 
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
 
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
 
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
 
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
 
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
 
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
 
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
 
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
 
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
 
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
 
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
 
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
 
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
 
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
 
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
 
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
 
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
 
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
 
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
 
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
 
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
 
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
 
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
 
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
 
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
 
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
 
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
 
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
 
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
 
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
 
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
 
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। 
 
दोहा :
 
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

HANUMAN CHALISA IN KONKANI

Konkani and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Hanuman Chalisa written in Awadhi dialect. 

दोहा :
 
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 
 
चौपाई :
 
जय हनुमानज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
 
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
 
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
 
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
 
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
 
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
 
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
 
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
 
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
 
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
 
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
 
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
 
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
 
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
 
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
 
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
 
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
 
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
 
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
 
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
 
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
 
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
 
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
 
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
 
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
 
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
 
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
 
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
 
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
 
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
 
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
 
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
 
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
 
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
 
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
 
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
 
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
 
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
 
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
 
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। 
 
दोहा :
 
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

HANUMAN CHALISA IN MAITHILI

||  दोहा ||
गौरी   नन्द   गणेश  जी , वक्र  तुण्ड  महाकाय  ।
विघ्न  हरण  मंगल करन , सदिखन रहू  सहाय ॥
 
बंदउ शत – शत  गुरु चरन , सरसिज सुयश पराग ।
राम लखन  श्री  जानकी , दीय भक्ति  अनुराग । ।
 
 ||    चौपाइ  ||
 
जय    हनुमंत    दीन    हितकारी ।
यश   वर  देथि   नाथ  धनु  धारी ॥
 
श्री  करुणा  निधान  मन   बसिया ।
बजरंगी    रामहि    धुन    रसिया ॥
 
जय   कपिराज  सकल गुण सागर ।
रंग   सिन्दुरिया   सब गुन   आगर  ॥
 
गरिमा   गुणक  विभीषण  जानल ।
बहुत   रास  गुण  ज्ञान   बखानल  ॥
 
लीला   कियो   जानि   नयि पौलक ।
की कवि कोविद जत  गुण गौलक ॥
 
नारद – शारद   मुनि   सनकादिक  ।
चहुँ   दिगपाल    जमहूँ  ब्रह्मादिक ॥
 
लाल    ध्वजा     तन   लाल  लंगोटा  ।
लाल   देह     भुज    लालहि    सोंटा ॥
 
कांधे     जनेऊ        रूप     विशाल  ।
कुण्डल      कान     केस    धुँधराल  ॥
 
एकानन     कपि      स्वर्ण     सुमेरु  ।
यौ      पञ्चानन     दुरमति    फेरु  ।।
 
सप्तानन      गुण   शीलहि   निधान ।
विद्या     वारिध    वर  ज्ञान  सुजान ॥
 
अंजनि     सूत    सुनू   पवन कुमार  ।
केशरी      कंत      रूद्र      अवतार   ॥
 
अतुल    भुजा  बल  ज्ञान अतुल अइ ।
आलसक  जीवन नञि एक पल अइ ॥
 
दुइ    हजार     योजन   पर  दिनकर ।
दुर्गम   दुसह    बाट  अछि जिनकर ॥
 
निगलि  गेलहुँ रवि  मधु फल जानि  ।
बाल    चरित  के  लीखत   बखानि  ॥
 
चहुँ    दिस    त्रिभुवन  भेल  अन्हार ।
जल ,  थल ,  नभचर  सबहि बेकार ॥
 
दैवे    निहोरा   सँ    रवि   त्यागल  । 
पल  में  पलटि  अन्हरिया भागल  ॥ 
 
अक्षय   कुमार  के  मारि   गिरेलहुं  ।
लंका     में    हरकंप     मचयलहूँ  ॥
 
बालिए   अनुज   अनुग्रह   केलहु  ।
ब्राहमण    रुपे    राम मिलयलहुँ  ॥
 
युग    चारि    परताप    उजागर  ।
शंकर    स्वयंम   दया  के  सागर ॥
 
सुक्षम  बिकट  आ भीम  रूप धरि ।
नैहि  अगुतेलोहुँ   राम काज करि  ॥
 
मूर्छित   लखन  बूटी जा  लयलहुँ  ।
उर्मिला     पति     प्राण  बचेलहुँ  ॥
 
कहलनि   राम   उरिंग  नञि तोर ।
तू  तउ    भाई   भरत  सन  मोर   ॥
 
अतबे   कहि   दृग   बिन्दू  बहाय  ।
करुणा निधि , करुणा चित लाय ॥
 
जय   जय   जय बजरंग  अड़ंगी  ।
अडिंग ,अभेद , अजीत , अखंडी ॥
 
कपि के सिर पर धनुधर  हाथहि ।
राम  रसायन  सदिखन  साथहि ॥
 
आठो  सिद्धि  नो  निधि वर दान ।
सीय  मुदित  चित  देल हनुमान ॥
 
संकट    कोन  ने   टरै   अहाँ   सँ ।
के   बलवीर   ने   डरै   अहाँ  सँ  ॥
 
अधम   उदोहरन , सजनक संग ।
निर्मल –  सुरसरि  जीवन तरंग ॥
 
दारुण – दुख  दारिद्र् भय मोचन ।
बाटे  जोहि  थकित दुहू  लोचन ॥
 
यंत्र  – मंत्र   सब  तन्त्र  अहीं छी ।
परमा   नंद  स्वतन्त्र  अहीं  छी  ॥
 
रामक   काजे   सदिखन  आतुर ।
सीता   जोहि   गेलहुँ   लंकापुर  ॥
 
विटप   अशोक  शोक  बिच जाय ।
सिय    दुख  सुनल कान लगाय ॥
 
वो  छथि   जतय ,  अतय  बैदेही ।
जानू   कपीस    प्राण  बिन देही  ॥
 
सीता  ब्यथा   कथा   सुनि  कान ।
मूर्छित     अहूँ    भेलहुँ  हनुमान ॥
 
अरे      दशानन     एलो     काल  ।
कहि   बजरंगी    ठोकलहुँ  ताल ॥
 
छल   दशानन  मति  के आन्हर ।
बुझलक    तुच्छ अहाँ  के  वानर ॥
 
उछलि   कूदी  कपि  लंका जारल ।
रावणक   सब  मनोबल  मारल  ॥
 
हा – हा    कार  मचल  लंका   में  ।
एकहि    टा  घर  बचल लंका में  ॥
 
कतेक    कहू  कपि की –  की कैल ।
रामजीक     काज  सब   सलटैल  ॥
 
कुमति के काल सुमति सुख सागर ।
रमण ‘ भक्ति चित करू  उजागर ॥
  ||  दोहा ||
चंचल कपि कृपा करू , मिलि सिया  अवध नरेश  ।
अनुदिन   अपनों    अनुग्रह , देबइ  तिरहुत देश ॥
सप्त    कोटि   महामन्त्रे ,  अभि मंत्रित  वरदान ।
बिपतिक   परल   पहाड़  इ , सिघ्र  हरु  हनुमान ॥

HANUMAN CHALISA IN MALAYALAM

ദോഹാ


ശ്രീ ഗുരു ചരണ സരോജ രജ നിജമന മുകുര സുധാരി |വരണൌ രഘുവര വിമലയശ ജോ ദായക ഫലചാരി ‖

ബുദ്ധിഹീന തനുജാനികൈ സുമിരൌ പവന കുമാര |
ബല ബുദ്ധി വിദ്യാ ദേഹു മോഹി ഹരഹു കലേശ വികാര ‖

ധ്യാനമ്

ഗോഷ്പദീകൃത വാരാശിം മശകീകൃത രാക്ഷസമ് |
രാമായണ മഹാമാലാ രത്നം വംദേ-(അ)നിലാത്മജമ് ‖


യത്ര യത്ര രഘുനാഥ കീര്തനം തത്ര തത്ര കൃതമസ്തകാംജലിമ് |
ഭാഷ്പവാരി പരിപൂര്ണ ലോചനം മാരുതിം നമത രാക്ഷസാംതകമ് ‖



ചൌപാഈ

ജയ ഹനുമാന ജ്ഞാന ഗുണ സാഗര |
ജയ കപീശ തിഹു ലോക ഉജാഗര ‖ 1 ‖

രാമദൂത അതുലിത ബലധാമാ |
അംജനി പുത്ര പവനസുത നാമാ ‖ 2 ‖

മഹാവീര വിക്രമ ബജരംഗീ |
കുമതി നിവാര സുമതി കേ സംഗീ ‖3 ‖

കംചന വരണ വിരാജ സുവേശാ |
കാനന കുംഡല കുംചിത കേശാ ‖ 4 ‖

ഹാഥവജ്ര ഔ ധ്വജാ വിരാജൈ |
കാംഥേ മൂംജ ജനേവൂ സാജൈ ‖ 5‖

ശംകര സുവന കേസരീ നംദന |
തേജ പ്രതാപ മഹാജഗ വംദന ‖ 6 ‖

വിദ്യാവാന ഗുണീ അതി ചാതുര |
രാമ കാജ കരിവേ കോ ആതുര ‖ 7 ‖

പ്രഭു ചരിത്ര സുനിവേ കോ രസിയാ |
രാമലഖന സീതാ മന ബസിയാ ‖ 8‖

സൂക്ഷ്മ രൂപധരി സിയഹി ദിഖാവാ |
വികട രൂപധരി ലംക ജലാവാ ‖ 9 ‖

ഭീമ രൂപധരി അസുര സംഹാരേ |
രാമചംദ്ര കേ കാജ സംവാരേ ‖ 10 ‖

ലായ സംജീവന ലഖന ജിയായേ |
ശ്രീ രഘുവീര ഹരഷി ഉരലായേ ‖ 11 ‖

രഘുപതി കീന്ഹീ ബഹുത ബഡായീ |
തുമ മമ പ്രിയ ഭരത സമ ഭായീ ‖ 12 ‖

സഹസ്ര വദന തുമ്ഹരോ യശഗാവൈ |
അസ കഹി ശ്രീപതി കംഠ ലഗാവൈ ‖ 13 ‖

സനകാദിക ബ്രഹ്മാദി മുനീശാ |
നാരദ ശാരദ സഹിത അഹീശാ ‖ 14 ‖

യമ കുബേര ദിഗപാല ജഹാം തേ |
കവി കോവിദ കഹി സകേ കഹാം തേ ‖ 15 ‖

തുമ ഉപകാര സുഗ്രീവഹി കീന്ഹാ |
രാമ മിലായ രാജപദ ദീന്ഹാ ‖ 16 ‖

തുമ്ഹരോ മംത്ര വിഭീഷണ മാനാ |
ലംകേശ്വര ഭയേ സബ ജഗ ജാനാ ‖ 17 ‖

യുഗ സഹസ്ര യോജന പര ഭാനൂ |
ലീല്യോ താഹി മധുര ഫല ജാനൂ ‖ 18 ‖

പ്രഭു മുദ്രികാ മേലി മുഖ മാഹീ |
ജലധി ലാംഘി ഗയേ അചരജ നാഹീ ‖ 19 ‖

ദുര്ഗമ കാജ ജഗത കേ ജേതേ |
സുഗമ അനുഗ്രഹ തുമ്ഹരേ തേതേ ‖ 20 ‖

രാമ ദുആരേ തുമ രഖവാരേ |
ഹോത ന ആജ്ഞാ ബിനു പൈസാരേ ‖ 21 ‖

സബ സുഖ ലഹൈ തുമ്ഹാരീ ശരണാ |
തുമ രക്ഷക കാഹൂ കോ ഡര നാ ‖ 22 ‖

ആപന തേജ സമ്ഹാരോ ആപൈ |
തീനോം ലോക ഹാംക തേ കാംപൈ ‖ 23 ‖

ഭൂത പിശാച നികട നഹി ആവൈ |
മഹവീര ജബ നാമ സുനാവൈ ‖ 24 ‖

നാസൈ രോഗ ഹരൈ സബ പീരാ |
ജപത നിരംതര ഹനുമത വീരാ ‖ 25 ‖

സംകട സേ ഹനുമാന ഛുഡാവൈ |
മന ക്രമ വചന ധ്യാന ജോ ലാവൈ ‖ 26 ‖

സബ പര രാമ തപസ്വീ രാജാ |
തിനകേ കാജ സകല തുമ സാജാ ‖ 27 ‖

ഔര മനോരധ ജോ കോയി ലാവൈ |
താസു അമിത ജീവന ഫല പാവൈ ‖ 28 ‖

ചാരോ യുഗ പ്രതാപ തുമ്ഹാരാ |
ഹൈ പ്രസിദ്ധ ജഗത ഉജിയാരാ ‖ 29 ‖

സാധു സംത കേ തുമ രഖവാരേ |
അസുര നികംദന രാമ ദുലാരേ ‖ 30 ‖

അഷ്ഠസിദ്ധി നവ നിധി കേ ദാതാ |
അസ വര ദീന്ഹ ജാനകീ മാതാ ‖ 31 ‖

രാമ രസായന തുമ്ഹാരേ പാസാ |
സദാ രഹോ രഘുപതി കേ ദാസാ ‖ 32 ‖

തുമ്ഹരേ ഭജന രാമകോ പാവൈ |
ജന്മ ജന്മ കേ ദുഖ ബിസരാവൈ ‖ 33 ‖

അംത കാല രഘുപതി പുരജായീ |
ജഹാം ജന്മ ഹരിഭക്ത കഹായീ ‖ 34 ‖

ഔര ദേവതാ ചിത്ത ന ധരയീ |
ഹനുമത സേയി സര്വ സുഖ കരയീ ‖ 35 ‖

സംകട ക(ഹ)ടൈ മിടൈ സബ പീരാ |
ജോ സുമിരൈ ഹനുമത ബല വീരാ ‖ 36 ‖

ജൈ ജൈ ജൈ ഹനുമാന ഗോസായീ |
കൃപാ കരഹു ഗുരുദേവ കീ നായീ ‖ 37 ‖

ജോ ശത വാര പാഠ കര കോയീ |
ഛൂടഹി ബംദി മഹാ സുഖ ഹോയീ ‖ 38 ‖

ജോ യഹ പഡൈ ഹനുമാന ചാലീസാ |
ഹോയ സിദ്ധി സാഖീ ഗൌരീശാ ‖ 39 ‖

തുലസീദാസ സദാ ഹരി ചേരാ |
കീജൈ നാഥ ഹൃദയ മഹ ഡേരാ ‖ 40 ‖

ദോഹാ
പവന തനയ സംകട ഹരണ – മംഗള മൂരതി രൂപ് |
രാമ ലഖന സീതാ സഹിത – ഹൃദയ ബസഹു സുരഭൂപ് ‖
സിയാവര രാമചംദ്രകീ ജയ | പവനസുത ഹനുമാനകീ ജയ | ബോലോ ഭായീ സബ സംതനകീ ജയ |

HANUMAN CHALISA IN MEITEI

||  दोहा ||
गौरी   नन्द   गणेश  जी , वक्र  तुण्ड  महाकाय  ।
विघ्न  हरण  मंगल करन , सदिखन रहू  सहाय ॥
 
बंदउ शत – शत  गुरु चरन , सरसिज सुयश पराग ।
राम लखन  श्री  जानकी , दीय भक्ति  अनुराग । ।
 
 ||    चौपाइ  ||
 
जय    हनुमंत    दीन    हितकारी ।
यश   वर  देथि   नाथ  धनु  धारी ॥
 
श्री  करुणा  निधान  मन   बसिया ।
बजरंगी    रामहि    धुन    रसिया ॥
 
जय   कपिराज  सकल गुण सागर ।
रंग   सिन्दुरिया   सब गुन   आगर  ॥
 
गरिमा   गुणक  विभीषण  जानल ।
बहुत   रास  गुण  ज्ञान   बखानल  ॥
 
लीला   कियो   जानि   नयि पौलक ।
की कवि कोविद जत  गुण गौलक ॥
 
नारद – शारद   मुनि   सनकादिक  ।
चहुँ   दिगपाल    जमहूँ  ब्रह्मादिक ॥
 
लाल    ध्वजा     तन   लाल  लंगोटा  ।
लाल   देह     भुज    लालहि    सोंटा ॥
 
कांधे     जनेऊ        रूप     विशाल  ।
कुण्डल      कान     केस    धुँधराल  ॥
 
एकानन     कपि      स्वर्ण     सुमेरु  ।
यौ      पञ्चानन     दुरमति    फेरु  ।।
 
सप्तानन      गुण   शीलहि   निधान ।
विद्या     वारिध    वर  ज्ञान  सुजान ॥
 
अंजनि     सूत    सुनू   पवन कुमार  ।
केशरी      कंत      रूद्र      अवतार   ॥
 
अतुल    भुजा  बल  ज्ञान अतुल अइ ।
आलसक  जीवन नञि एक पल अइ ॥
 
दुइ    हजार     योजन   पर  दिनकर ।
दुर्गम   दुसह    बाट  अछि जिनकर ॥
 
निगलि  गेलहुँ रवि  मधु फल जानि  ।
बाल    चरित  के  लीखत   बखानि  ॥
 
चहुँ    दिस    त्रिभुवन  भेल  अन्हार ।
जल ,  थल ,  नभचर  सबहि बेकार ॥
 
दैवे    निहोरा   सँ    रवि   त्यागल  । 
पल  में  पलटि  अन्हरिया भागल  ॥ 
 
अक्षय   कुमार  के  मारि   गिरेलहुं  ।
लंका     में    हरकंप     मचयलहूँ  ॥
 
बालिए   अनुज   अनुग्रह   केलहु  ।
ब्राहमण    रुपे    राम मिलयलहुँ  ॥
 
युग    चारि    परताप    उजागर  ।
शंकर    स्वयंम   दया  के  सागर ॥
 
सुक्षम  बिकट  आ भीम  रूप धरि ।
नैहि  अगुतेलोहुँ   राम काज करि  ॥
 
मूर्छित   लखन  बूटी जा  लयलहुँ  ।
उर्मिला     पति     प्राण  बचेलहुँ  ॥
 
कहलनि   राम   उरिंग  नञि तोर ।
तू  तउ    भाई   भरत  सन  मोर   ॥
 
अतबे   कहि   दृग   बिन्दू  बहाय  ।
करुणा निधि , करुणा चित लाय ॥
 
जय   जय   जय बजरंग  अड़ंगी  ।
अडिंग ,अभेद , अजीत , अखंडी ॥
 
कपि के सिर पर धनुधर  हाथहि ।
राम  रसायन  सदिखन  साथहि ॥
 
आठो  सिद्धि  नो  निधि वर दान ।
सीय  मुदित  चित  देल हनुमान ॥
 
संकट    कोन  ने   टरै   अहाँ   सँ ।
के   बलवीर   ने   डरै   अहाँ  सँ  ॥
 
अधम   उदोहरन , सजनक संग ।
निर्मल –  सुरसरि  जीवन तरंग ॥
 
दारुण – दुख  दारिद्र् भय मोचन ।
बाटे  जोहि  थकित दुहू  लोचन ॥
 
यंत्र  – मंत्र   सब  तन्त्र  अहीं छी ।
परमा   नंद  स्वतन्त्र  अहीं  छी  ॥
 
रामक   काजे   सदिखन  आतुर ।
सीता   जोहि   गेलहुँ   लंकापुर  ॥
 
विटप   अशोक  शोक  बिच जाय ।
सिय    दुख  सुनल कान लगाय ॥
 
वो  छथि   जतय ,  अतय  बैदेही ।
जानू   कपीस    प्राण  बिन देही  ॥
 
सीता  ब्यथा   कथा   सुनि  कान ।
मूर्छित     अहूँ    भेलहुँ  हनुमान ॥
 
अरे      दशानन     एलो     काल  ।
कहि   बजरंगी    ठोकलहुँ  ताल ॥
 
छल   दशानन  मति  के आन्हर ।
बुझलक    तुच्छ अहाँ  के  वानर ॥
 
उछलि   कूदी  कपि  लंका जारल ।
रावणक   सब  मनोबल  मारल  ॥
 
हा – हा    कार  मचल  लंका   में  ।
एकहि    टा  घर  बचल लंका में  ॥
 
कतेक    कहू  कपि की –  की कैल ।
रामजीक     काज  सब   सलटैल  ॥
 
कुमति के काल सुमति सुख सागर ।
रमण ‘ भक्ति चित करू  उजागर ॥
  ||  दोहा ||
चंचल कपि कृपा करू , मिलि सिया  अवध नरेश  ।
अनुदिन   अपनों    अनुग्रह , देबइ  तिरहुत देश ॥
सप्त    कोटि   महामन्त्रे ,  अभि मंत्रित  वरदान ।
बिपतिक   परल   पहाड़  इ , सिघ्र  हरु  हनुमान ॥

HANUMAN CHALISA IN MARATHI

Marathi and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Hanuman Chalisa written in Awadhi dialect. 

दोहा :
 
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 
 
चौपाई :
 
जय हनुमानज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
 
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
 
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
 
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
 
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
 
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
 
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
 
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
 
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
 
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
 
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
 
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
 
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
 
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
 
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
 
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
 
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
 
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
 
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
 
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
 
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
 
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
 
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
 
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
 
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
 
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
 
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
 
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
 
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
 
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
 
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
 
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
 
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
 
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
 
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
 
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
 
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
 
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
 
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
 
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। 
 
दोहा :
 
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

HANUMAN CHALISA IN NEPALI

Nepali and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Hanuman Chalisa written in Awadhi dialect. 

दोहा :
 
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 
 
चौपाई :
 
जय हनुमानज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
 
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
 
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
 
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
 
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
 
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
 
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
 
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
 
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
 
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
 
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
 
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
 
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
 
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
 
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
 
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
 
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
 
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
 
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
 
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
 
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
 
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
 
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
 
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
 
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
 
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
 
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
 
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
 
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
 
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
 
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
 
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
 
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
 
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
 
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
 
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
 
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
 
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
 
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
 
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। 
 
दोहा :
 
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

HANUMAN CHALISA IN ODIA

ଦୋହା
ଶ୍ରୀ ଗୁରୁ ଚରଣ ସରୋଜ ରଜ ନିଜମନ ମୁକୁର ସୁଧାରି |
ଵରଣୌ ରଘୁଵର ଵିମଲଯଶ ଜୋ ଦାଯକ ଫଲଚାରି ‖
ବୁଦ୍ଧିହୀନ ତନୁଜାନିକୈ ସୁମିରୌ ପଵନ କୁମାର |
ବଲ ବୁଦ୍ଧି ଵିଦ୍ଯା ଦେହୁ ମୋହି ହରହୁ କଲେଶ ଵିକାର ‖

ଧ୍ଯାନମ୍
ଗୋଷ୍ପଦୀକୃତ ଵାରାଶିଂ ମଶକୀକୃତ ରାକ୍ଷସମ୍ |
ରାମାଯଣ ମହାମାଲା ରତ୍ନଂ ଵଂଦେ- (ଅ) ନିଲାତ୍ମଜମ୍ ‖
ଯତ୍ର ଯତ୍ର ରଘୁନାଥ କୀର୍ତନଂ ତତ୍ର ତତ୍ର କୃତମସ୍ତକାଂଜଲିମ୍ |
ଭାଷ୍ପଵାରି ପରିପୂର୍ଣ ଲୋଚନଂ ମାରୁତିଂ ନମତ ରାକ୍ଷସାଂତକମ୍ ‖

ଚୌପାଈ
ଜଯ ହନୁମାନ ଜ୍ଞାନ ଗୁଣ ସାଗର |
ଜଯ କପୀଶ ତିହୁ ଲୋକ ଉଜାଗର ‖ 1 ‖

ରାମଦୂତ ଅତୁଲିତ ବଲଧାମା |
ଅଂଜନି ପୁତ୍ର ପଵନସୁତ ନାମା ‖ 2 ‖

ମହାଵୀର ଵିକ୍ରମ ବଜରଂଗୀ |
କୁମତି ନିଵାର ସୁମତି କେ ସଂଗୀ ‖3 ‖

କଂଚନ ଵରଣ ଵିରାଜ ସୁଵେଶା |
କାନନ କୁଂଡଲ କୁଂଚିତ କେଶା ‖ 4 ‖

ହାଥଵଜ୍ର ଔ ଧ୍ଵଜା ଵିରାଜୈ |
କାଂଥେ ମୂଂଜ ଜନେଵୂ ସାଜୈ ‖ 5‖

ଶଂକର ସୁଵନ କେସରୀ ନଂଦନ |
ତେଜ ପ୍ରତାପ ମହାଜଗ ଵଂଦନ ‖ 6 ‖

ଵିଦ୍ଯାଵାନ ଗୁଣୀ ଅତି ଚାତୁର |
ରାମ କାଜ କରିଵେ କୋ ଆତୁର ‖ 7 ‖

ପ୍ରଭୁ ଚରିତ୍ର ସୁନିଵେ କୋ ରସିଯା |
ରାମଲଖନ ସୀତା ମନ ବସିଯା ‖ 8‖

ସୂକ୍ଷ୍ମ ରୂପଧରି ସିଯହି ଦିଖାଵା |
ଵିକଟ ରୂପଧରି ଲଂକ ଜଲାଵା ‖ 9 ‖

ଭୀମ ରୂପଧରି ଅସୁର ସଂହାରେ |
ରାମଚଂଦ୍ର କେ କାଜ ସଂଵାରେ ‖ 10 ‖

ଲାଯ ସଂଜୀଵନ ଲଖନ ଜିଯାଯେ |
ଶ୍ରୀ ରଘୁଵୀର ହରଷି ଉରଲାଯେ ‖ 11 ‖

ରଘୁପତି କୀନ୍ହୀ ବହୁତ ବଡାଯୀ |
ତୁମ ମମ ପ୍ରିଯ ଭରତ ସମ ଭାଯୀ ‖ 12 ‖

ସହସ୍ର ଵଦନ ତୁମ୍ହରୋ ଯଶଗାଵୈ |
ଅସ କହି ଶ୍ରୀପତି କଂଠ ଲଗାଵୈ ‖ 13 ‖

ସନକାଦିକ ବ୍ରହ୍ମାଦି ମୁନୀଶା |
ନାରଦ ଶାରଦ ସହିତ ଅହୀଶା ‖ 14 ‖

ଯମ କୁବେର ଦିଗପାଲ ଜହାଂ ତେ |
କଵି କୋଵିଦ କହି ସକେ କହାଂ ତେ ‖ 15 ‖

ତୁମ ଉପକାର ସୁଗ୍ରୀଵହି କୀନ୍ହା |
ରାମ ମିଲାଯ ରାଜପଦ ଦୀନ୍ହା ‖ 16 ‖

ତୁମ୍ହରୋ ମଂତ୍ର ଵିଭୀଷଣ ମାନା |
ଲଂକେଶ୍ଵର ଭଯେ ସବ ଜଗ ଜାନା ‖ 17 ‖

ଯୁଗ ସହସ୍ର ଯୋଜନ ପର ଭାନୂ |
ଲୀଲ୍ଯୋ ତାହି ମଧୁର ଫଲ ଜାନୂ ‖ 18 ‖

ପ୍ରଭୁ ମୁଦ୍ରିକା ମେଲି ମୁଖ ମାହୀ |
ଜଲଧି ଲାଂଘି ଗଯେ ଅଚରଜ ନାହୀ ‖ 19 ‖

ଦୁର୍ଗମ କାଜ ଜଗତ କେ ଜେତେ |
ସୁଗମ ଅନୁଗ୍ରହ ତୁମ୍ହରେ ତେତେ ‖ 20 ‖

ରାମ ଦୁଆରେ ତୁମ ରଖଵାରେ |
ହୋତ ନ ଆଜ୍ଞା ବିନୁ ପୈସାରେ ‖ 21 ‖

ସବ ସୁଖ ଲହୈ ତୁମ୍ହାରୀ ଶରଣା |
ତୁମ ରକ୍ଷକ କାହୂ କୋ ଡର ନା ‖ 22 ‖

ଆପନ ତେଜ ସମ୍ହାରୋ ଆପୈ |
ତୀନୋଂ ଲୋକ ହାଂକ ତେ କାଂପୈ ‖ 23 ‖

ଭୂତ ପିଶାଚ ନିକଟ ନହି ଆଵୈ |
ମହଵୀର ଜବ ନାମ ସୁନାଵୈ ‖ 24 ‖

ନାସୈ ରୋଗ ହରୈ ସବ ପୀରା |
ଜପତ ନିରଂତର ହନୁମତ ଵୀରା ‖ 25 ‖

ସଂକଟ ସେ ହନୁମାନ ଛୁଡାଵୈ |
ମନ କ୍ରମ ଵଚନ ଧ୍ଯାନ ଜୋ ଲାଵୈ ‖ 26 ‖

ସବ ପର ରାମ ତପସ୍ଵୀ ରାଜା |
ତିନକେ କାଜ ସକଲ ତୁମ ସାଜା ‖ 27 ‖

ଔର ମନୋରଧ ଜୋ କୋଯି ଲାଵୈ |
ତାସୁ ଅମିତ ଜୀଵନ ଫଲ ପାଵୈ ‖ 28 ‖

ଚାରୋ ଯୁଗ ପ୍ରତାପ ତୁମ୍ହାରା |
ହୈ ପ୍ରସିଦ୍ଧ ଜଗତ ଉଜିଯାରା ‖ 29 ‖

ସାଧୁ ସଂତ କେ ତୁମ ରଖଵାରେ |
ଅସୁର ନିକଂଦନ ରାମ ଦୁଲାରେ ‖ 30 ‖

ଅଷ୍ଠସିଦ୍ଧି ନଵ ନିଧି କେ ଦାତା |
ଅସ ଵର ଦୀନ୍ହ ଜାନକୀ ମାତା ‖ 31 ‖

ରାମ ରସାଯନ ତୁମ୍ହାରେ ପାସା |
ସଦା ରହୋ ରଘୁପତି କେ ଦାସା ‖ 32 ‖

ତୁମ୍ହରେ ଭଜନ ରାମକୋ ପାଵୈ |
ଜନ୍ମ ଜନ୍ମ କେ ଦୁଖ ବିସରାଵୈ ‖ 33 ‖

ଅଂତ କାଲ ରଘୁପତି ପୁରଜାଯୀ |
ଜହାଂ ଜନ୍ମ ହରିଭକ୍ତ କହାଯୀ ‖ 34 ‖

ଔର ଦେଵତା ଚିତ୍ତ ନ ଧରଯୀ |
ହନୁମତ ସେଯି ସର୍ଵ ସୁଖ କରଯୀ ‖ 35 ‖

ସଂକଟ କ (ହ) ଟୈ ମିଟୈ ସବ ପୀରା |
ଜୋ ସୁମିରୈ ହନୁମତ ବଲ ଵୀରା ‖ 36 ‖

ଜୈ ଜୈ ଜୈ ହନୁମାନ ଗୋସାଯୀ |
କୃପା କରହୁ ଗୁରୁଦେଵ କୀ ନାଯୀ ‖ 37 ‖

ଜୋ ଶତ ଵାର ପାଠ କର କୋଯୀ |
ଛୂଟହି ବଂଦି ମହା ସୁଖ ହୋଯୀ ‖ 38 ‖

ଜୋ ଯହ ପଡୈ ହନୁମାନ ଚାଲୀସା |
ହୋଯ ସିଦ୍ଧି ସାଖୀ ଗୌରୀଶା ‖ 39 ‖

ତୁଲସୀଦାସ ସଦା ହରି ଚେରା |
କୀଜୈ ନାଥ ହୃଦଯ ମହ ଡେରା ‖ 40 ‖

ଦୋହା
ପଵନ ତନଯ ସଂକଟ ହରଣ – ମଂଗଳ ମୂରତି ରୂପ୍ |
ରାମ ଲଖନ ସୀତା ସହିତ – ହୃଦଯ ବସହୁ ସୁରଭୂପ୍ ‖
ସିଯାଵର ରାମଚଂଦ୍ରକୀ ଜଯ | ପଵନସୁତ ହନୁମାନକୀ ଜଯ | ବୋଲୋ ଭାଯୀ ସବ ସଂତନକୀ ଜଯ |

HANUMAN CHALISA IN PUNJABI

।।ਦੋਹਾ।।

ਸ਼੍ਰੀ ਗੁਰੁ ਚਰਣ ਸਰੋਜ ਰਜ, ਨਿਜ ਮਨ ਮੁਕੁਰ ਸੁਧਾਰ |
ਬਰਨੌ ਰਘੁਵਰ ਬਿਮਲ ਜਸੁ , ਜੋ ਦਾਯਕ ਫਲ ਚਾਰਿ |

ਬੁਦ੍ਧਿਹੀਨ ਤਨੁ ਜਾਨਿ ਕੇ , ਸੁਮਿਰੌ ਪਵਨ ਕੁਮਾਰ |
ਬਲ ਬੁਦ੍ਧਿ ਵਿਦ੍ਯਾ ਦੇਹੁ ਮੋਹਿ ਹਰਹੁ ਕਲੇਸ਼ ਵਿਕਾਰ ||

।।ਚੌਪਾਈ।।

ਜਯ ਹਨੁਮਾਨ ਗਿਆਨ ਗੁਨ ਸਾਗਰ, ਜਯ ਕਪੀਸ ਤਿੰਹੁ ਲੋਕ ਉਜਾਗਰ |
ਰਾਮਦੂਤ ਅਤੁਲਿਤ ਬਲ ਧਾਮਾ ਅੰਜਨਿ ਪੁਤ੍ਰ ਪਵਨ ਸੁਤ ਨਾਮਾ ||2||

ਮਹਾਬੀਰ ਬਿਕ੍ਰਮ ਬਜਰੰਗੀ ਕੁਮਤਿ ਨਿਵਾਰ ਸੁਮਤਿ ਕੇ ਸੰਗੀ |
ਕੰਚਨ ਬਰਨ ਬਿਰਾਜ ਸੁਬੇਸਾ, ਕਾਨ੍ਹਨ ਕੁਣ੍ਡਲ ਕੁੰਚਿਤ ਕੇਸਾ ||4|

ਹਾਥ ਬ੍ਰਜ ਔ ਧ੍ਵਜਾ ਵਿਰਾਜੇ ਕਾਨ੍ਧੇ ਮੂੰਜ ਜਨੇਊ ਸਾਜੇ |
ਸ਼ੰਕਰ ਸੁਵਨ ਕੇਸਰੀ ਨਨ੍ਦਨ ਤੇਜ ਪ੍ਰਤਾਪ ਮਹਾ ਜਗ ਬਨ੍ਦਨ ||6|

ਵਿਦ੍ਯਾਵਾਨ ਗੁਨੀ ਅਤਿ ਚਾਤੁਰ ਰਾਮ ਕਾਜ ਕਰਿਬੇ ਕੋ ਆਤੁਰ |
ਪ੍ਰਭੁ ਚਰਿਤ੍ਰ ਸੁਨਿਬੇ ਕੋ ਰਸਿਯਾ ਰਾਮਲਖਨ ਸੀਤਾ ਮਨ ਬਸਿਯਾ ||8||

ਸੂਕ੍ਸ਼੍ਮ ਰੂਪ ਧਰਿ ਸਿਯੰਹਿ ਦਿਖਾਵਾ ਬਿਕਟ ਰੂਪ ਧਰਿ ਲੰਕ ਜਰਾਵਾ |
ਭੀਮ ਰੂਪ ਧਰਿ ਅਸੁਰ ਸੰਹਾਰੇ ਰਾਮਚਨ੍ਦ੍ਰ ਕੇ ਕਾਜ ਸਵਾਰੇ ||10||

ਲਾਯੇ ਸਜੀਵਨ ਲਖਨ ਜਿਯਾਯੇ ਸ਼੍ਰੀ ਰਘੁਬੀਰ ਹਰਸ਼ਿ ਉਰ ਲਾਯੇ |
ਰਘੁਪਤਿ ਕੀਨ੍ਹਿ ਬਹੁਤ ਬੜਾਈ ਤੁਮ ਮਮ ਪ੍ਰਿਯ ਭਰਤ ਸਮ ਭਾਈ ||12||

ਸਹਸ ਬਦਨ ਤੁਮ੍ਹਰੋ ਜਸ ਗਾਵੇਂ ਅਸ ਕਹਿ ਸ਼੍ਰੀਪਤਿ ਕਣ੍ਠ ਲਗਾਵੇਂ |
ਸਨਕਾਦਿਕ ਬ੍ਰਹ੍ਮਾਦਿ ਮੁਨੀਸਾ ਨਾਰਦ ਸਾਰਦ ਸਹਿਤ ਅਹੀਸਾ ||14||


ਜਮ ਕੁਬੇਰ ਦਿਗਪਾਲ ਕਹਾੰ ਤੇ ਕਬਿ ਕੋਬਿਦ ਕਹਿ ਸਕੇ ਕਹਾੰ ਤੇ |
ਤੁਮ ਉਪਕਾਰ ਸੁਗ੍ਰੀਵਹਿੰ ਕੀਨ੍ਹਾ ਰਾਮ ਮਿਲਾਯ ਰਾਜ ਪਦ ਦੀਨ੍ਹਾ ||16||

ਤੁਮ੍ਹਰੋ ਮਨ੍ਤ੍ਰ ਵਿਭੀਸ਼ਨ ਮਾਨਾ ਲੰਕੇਸ਼੍ਵਰ ਭਯੇ ਸਬ ਜਗ ਜਾਨਾ |
ਜੁਗ ਸਹਸ੍ਰ ਜੋਜਨ ਪਰ ਭਾਨੁ ਲੀਲ੍ਯੋ ਤਾਹਿ ਮਧੁਰ ਫਲ ਜਾਨੁ ||18|

ਪ੍ਰਭੁ ਮੁਦ੍ਰਿਕਾ ਮੇਲਿ ਮੁਖ ਮਾੰਹਿ ਜਲਧਿ ਲਾੰਘ ਗਯੇ ਅਚਰਜ ਨਾਹਿੰ |
ਦੁਰ੍ਗਮ ਕਾਜ ਜਗਤ ਕੇ ਜੇਤੇ ਸੁਗਮ ਅਨੁਗ੍ਰਹ ਤੁਮ੍ਹਰੇ ਤੇਤੇ ||20||

ਰਾਮ ਦੁਵਾਰੇ ਤੁਮ ਰਖਵਾਰੇ ਹੋਤ ਨ ਆਗਿਆ ਬਿਨੁ ਪੈਸਾਰੇ |
ਸਬ ਸੁਖ ਲਹੇ ਤੁਮ੍ਹਾਰੀ ਸਰਨਾ ਤੁਮ ਰਕ੍ਸ਼ਕ ਕਾਹੇਂ ਕੋ ਡਰਨਾ ||22||

ਆਪਨ ਤੇਜ ਸਮ੍ਹਾਰੋ ਆਪੇ ਤੀਨੋਂ ਲੋਕ ਹਾੰਕ ਤੇ ਕਾੰਪੇ |
ਭੂਤ ਪਿਸ਼ਾਚ ਨਿਕਟ ਨਹੀਂ ਆਵੇਂ ਮਹਾਬੀਰ ਜਬ ਨਾਮ ਸੁਨਾਵੇਂ ||24||

ਨਾਸੇ ਰੋਗ ਹਰੇ ਸਬ ਪੀਰਾ ਜਪਤ ਨਿਰੰਤਰ ਹਨੁਮਤ ਬੀਰਾ |
ਸੰਕਟ ਤੇ ਹਨੁਮਾਨ ਛੁੜਾਵੇਂ ਮਨ ਕ੍ਰਮ ਬਚਨ ਧ੍ਯਾਨ ਜੋ ਲਾਵੇਂ ||26||

ਸਬ ਪਰ ਰਾਮ ਤਪਸ੍ਵੀ ਰਾਜਾ ਤਿਨਕੇ ਕਾਜ ਸਕਲ ਤੁਮ ਸਾਜਾ |
ਔਰ ਮਨੋਰਥ ਜੋ ਕੋਈ ਲਾਵੇ ਸੋਈ ਅਮਿਤ ਜੀਵਨ ਫਲ ਪਾਵੇ ||28||

ਚਾਰੋਂ ਜੁਗ ਪਰਤਾਪ ਤੁਮ੍ਹਾਰਾ ਹੈ ਪਰਸਿਦ੍ਧ ਜਗਤ ਉਜਿਯਾਰਾ |
ਸਾਧੁ ਸੰਤ ਕੇ ਤੁਮ ਰਖਵਾਰੇ। ਅਸੁਰ ਨਿਕੰਦਨ ਰਾਮ ਦੁਲਾਰੇ ||30||

ਅਸ਼੍ਟ ਸਿਦ੍ਧਿ ਨੌ ਨਿਧਿ ਕੇ ਦਾਤਾ। ਅਸ ਬਰ ਦੀਨ੍ਹ ਜਾਨਕੀ ਮਾਤਾ
ਰਾਮ ਰਸਾਯਨ ਤੁਮ੍ਹਰੇ ਪਾਸਾ ਸਦਾ ਰਹੋ ਰਘੁਪਤਿ ਕੇ ਦਾਸਾ ||32||

ਤੁਮ੍ਹਰੇ ਭਜਨ ਰਾਮ ਕੋ ਪਾਵੇਂ ਜਨਮ ਜਨਮ ਕੇ ਦੁਖ ਬਿਸਰਾਵੇਂ |
ਅਨ੍ਤ ਕਾਲ ਰਘੁਬਰ ਪੁਰ ਜਾਈ ਜਹਾੰ ਜਨ੍ਮ ਹਰਿ ਭਕ੍ਤ ਕਹਾਈ ||34||

ਔਰ ਦੇਵਤਾ ਚਿਤ੍ਤ ਨ ਧਰਈ ਹਨੁਮਤ ਸੇਈ ਸਰ੍ਵ ਸੁਖ ਕਰਈ |
ਸੰਕਟ ਕਟੇ ਮਿਟੇ ਸਬ ਪੀਰਾ ਜਪਤ ਨਿਰਨ੍ਤਰ ਹਨੁਮਤ ਬਲਬੀਰਾ ||36||

ਜਯ ਜਯ ਜਯ ਹਨੁਮਾਨ ਗੋਸਾਈਂ ਕ੍ਰਿਪਾ ਕਰੋ ਗੁਰੁਦੇਵ ਕੀ ਨਾਈਂ |
ਜੋ ਸਤ ਬਾਰ ਪਾਠ ਕਰ ਕੋਈ ਛੂਟਈ ਬਨ੍ਦਿ ਮਹਾਸੁਖ ਹੋਈ ||38||

ਜੋ ਯਹ ਪਾਠ ਪਢੇ ਹਨੁਮਾਨ ਚਾਲੀਸਾ ਹੋਯ ਸਿਦ੍ਧਿ ਸਾਖੀ ਗੌਰੀਸਾ |
ਤੁਲਸੀਦਾਸ ਸਦਾ ਹਰਿ ਚੇਰਾ ਕੀਜੈ ਨਾਥ ਹ੍ਰਦਯ ਮੰਹ ਡੇਰਾ ||40||

।।ਦੋਹਾ।।
ਪਵਨ ਤਨਯ ਸੰਕਟ ਹਰਨ ਮੰਗਲ ਮੂਰਤਿ ਰੂਪ |
ਰਾਮ ਲਖਨ ਸੀਤਾ ਸਹਿਤ ਹ੍ਰਦਯ ਬਸਹੁ ਸੁਰ ਭੂਪ ||

HANUMAN CHALISA IN SANSKRIT

Sanskrit and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Hanuman Chalisa written in Awadhi dialect. 

दोहा :
 
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 
 
चौपाई :
 
जय हनुमानज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
 
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
 
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
 
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
 
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
 
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
 
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
 
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
 
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
 
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
 
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
 
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
 
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
 
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
 
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
 
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
 
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
 
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
 
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
 
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
 
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
 
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
 
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
 
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
 
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
 
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
 
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
 
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
 
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
 
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
 
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
 
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
 
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
 
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
 
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
 
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
 
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
 
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
 
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
 
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। 
 
दोहा :
 
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

HANUMAN CHALISA IN SANTALI

Santali and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Hanuman Chalisa written in Awadhi dialect. 

दोहा :
 
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 
 
चौपाई :
 
जय हनुमानज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
 
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
 
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
 
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
 
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
 
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
 
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
 
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
 
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
 
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
 
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
 
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
 
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
 
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
 
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
 
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
 
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
 
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
 
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
 
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
 
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
 
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
 
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
 
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
 
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
 
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
 
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
 
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
 
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
 
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
 
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
 
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
 
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
 
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
 
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
 
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
 
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
 
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
 
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
 
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। 
 
दोहा :
 
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

HANUMAN CHALISA IN SINDHI

Sindhi and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Hanuman Chalisa written in Awadhi dialect. 

दोहा :
 
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 
 
चौपाई :
 
जय हनुमानज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
 
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
 
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
 
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
 
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
 
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
 
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
 
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
 
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
 
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
 
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
 
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
 
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
 
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
 
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
 
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
 
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
 
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
 
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
 
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
 
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
 
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
 
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
 
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
 
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
 
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
 
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
 
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
 
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
 
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
 
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
 
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
 
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
 
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
 
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
 
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
 
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
 
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
 
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
 
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। 
 
दोहा :
 
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

HANUMAN CHALISA IN TAMIL

 

தோ3ஹா

ஶ்ரீ கு3ரு சரண ஸரோஜ ரஜ நிஜமந முகுர ஸுதா4ரி |
வரணௌ ரகு4வர விமலயஶ ஜோ தா3யக ப2லசாரி ‖
பு3த்3தி4ஹீந தநுஜாநிகை ஸுமிரௌ பவந குமார |
3ல பு3த்3தி4 வித்3யா தே3ஹு மோஹி ஹரஹு கலேஶ விகார ‖

த்4யாநம்


கோ3ஷ்பதீ3க்ருத வாராஶிம் மஶகீக்ருத ராக்ஷஸம் |
ராமாயண மஹாமாலா ரத்நம் வந்தே3-(அ)நிலாத்மஜம் ‖
யத்ர யத்ர ரகு4நாத2 கீர்தநம் தத்ர தத்ர க்ருதமஸ்தகாஂஜலிம் |
பா4ஷ்பவாரி பரிபூர்ண லோசநம் மாருதிம் நமத ராக்ஷஸாந்தகம் ‖

சௌபாஈ
ஜய ஹநுமாந ஜ்ஞாந கு3ண ஸாக3ர |
ஜய கபீஶ திஹு லோக உஜாக3ர ‖ 1 ‖

ராமதூ3த அதுலித ப3லதா4மா |
அஂஜநி புத்ர பவநஸுத நாமா ‖ 2 ‖

மஹாவீர விக்ரம பஜ3ரங்கீ3 |
குமதி நிவார ஸுமதி கே ஸங்கீ3 ‖3 ‖

கஂசந வரண விராஜ ஸுவேஶா |
காநந குண்ட3ல குஂசித கேஶா ‖ 4 ‖

ஹாத2வஜ்ர ஔ த்4வஜா விராஜை |
காந்தே2 மூஂஜ ஜநேவூ ஸாஜை ‖ 5‖

ஶஂகர ஸுவந கேஸரீ நந்த3ந |
தேஜ ப்ரதாப மஹாஜக3 வந்த3ந ‖ 6 ‖

வித்3யாவாந கு3ணீ அதி சாதுர |
ராம காஜ கரிவே கோ ஆதுர ‖ 7 ‖

ப்ரபு4 சரித்ர ஸுநிவே கோ ரஸியா |
ராமலக2ந ஸீதா மந ப3ஸியா ‖ 8‖

ஸூக்ஷ்ம ரூபத4ரி ஸியஹி தி3கா2வா |
விகட ரூபத4ரி லஂக ஜலாவா ‖ 9 ‖

பீ4ம ரூபத4ரி அஸுர ஸம்ஹாரே |
ராமசந்த்3ர கே காஜ ஸம்வாரே ‖ 1௦ ‖

லாய ஸஂஜீவந லக2ந ஜியாயே |
ஶ்ரீ ரகு4வீர ஹரஷி உரலாயே ‖ 11 ‖

ரகு4பதி கீந்ஹீ ப3ஹுத ப3டா3யீ |
தும மம ப்ரிய ப4ரத ஸம பா4யீ ‖ 12 ‖

ஸஹஸ்ர வத3ந தும்ஹரோ யஶகா3வை |
அஸ கஹி ஶ்ரீபதி கண்ட2 லகா3வை ‖ 13 ‖

ஸநகாதி3க ப்3ரஹ்மாதி3 முநீஶா |
நாரத3 ஶாரத3 ஸஹித அஹீஶா ‖ 14 ‖

யம குபே3ர தி33பால ஜஹாம் தே |
கவி கோவித3 கஹி ஸகே கஹாம் தே ‖ 15 ‖

தும உபகார ஸுக்3ரீவஹி கீந்ஹா |
ராம மிலாய ராஜபத3 தீ3ந்ஹா ‖ 16 ‖

தும்ஹரோ மந்த்ர விபீ4ஷண மாநா |
லஂகேஶ்வர ப4யே ஸப3 ஜக3 ஜாநா ‖ 17 ‖

யுக3 ஸஹஸ்ர யோஜந பர பா4நூ |
லீல்யோ தாஹி மது4ர ப2ல ஜாநூ ‖ 18 ‖

ப்ரபு4 முத்3ரிகா மேலி முக2 மாஹீ |
ஜலதி4 லாங்கி4 க3யே அசரஜ நாஹீ ‖ 19 ‖

து3ர்க3ம காஜ ஜக3த கே ஜேதே |
ஸுக3ம அநுக்3ரஹ தும்ஹரே தேதே ‖ 2௦ ‖

ராம து3ஆரே தும ரக2வாரே |
ஹோத ந ஆஜ்ஞா பி3நு பைஸாரே ‖ 21 ‖

ஸப3 ஸுக2 லஹை தும்ஹாரீ ஶரணா |
தும ரக்ஷக காஹூ கோ ட3ர நா ‖ 22 ‖

ஆபந தேஜ ஸம்ஹாரோ ஆபை |
தீநோம் லோக ஹாஂக தே காம்பை ‖ 23 ‖

பூ4த பிஶாச நிகட நஹி ஆவை |
மஹவீர ஜப3 நாம ஸுநாவை ‖ 24 ‖

நாஸை ரோக3 ஹரை ஸப3 பீரா |
ஜபத நிரந்தர ஹநுமத வீரா ‖ 25 ‖

ஸஂகட ஸே ஹநுமாந சு2டா3வை |
மந க்ரம வசந த்4யாந ஜோ லாவை ‖ 26 ‖

ஸப3 பர ராம தபஸ்வீ ராஜா |
திநகே காஜ ஸகல தும ஸாஜா ‖ 27 ‖

ஔர மநோரத4 ஜோ கோயி லாவை |
தாஸு அமித ஜீவந ப2ல பாவை ‖ 28 ‖

சாரோ யுக3 ப்ரதாப தும்ஹாரா |
ஹை ப்ரஸித்34 ஜக3த உஜியாரா ‖ 29 ‖

ஸாது4 ஸந்த கே தும ரக2வாரே |
அஸுர நிகந்த3ந ராம து3லாரே ‖ 3௦ ‖

அஷ்ட2ஸித்3தி4 நவ நிதி4 கே தா3தா |
அஸ வர தீ3ந்ஹ ஜாநகீ மாதா ‖ 31 ‖

ராம ரஸாயந தும்ஹாரே பாஸா |
ஸதா3 ரஹோ ரகு4பதி கே தா3ஸா ‖ 32 ‖

தும்ஹரே பஜ4ந ராமகோ பாவை |
ஜந்ம ஜந்ம கே து32 பி3ஸராவை ‖ 33 ‖

அந்த கால ரகு4பதி புரஜாயீ |
ஜஹாம் ஜந்ம ஹரிப4க்த கஹாயீ ‖ 34 ‖

ஔர தே3வதா சித்த ந த4ரயீ |
ஹநுமத ஸேயி ஸர்வ ஸுக2 கரயீ ‖ 35 ‖

ஸஂகட க(ஹ)டை மிடை ஸப3 பீரா |
ஜோ ஸுமிரை ஹநுமத ப3ல வீரா ‖ 36 ‖

ஜை ஜை ஜை ஹநுமாந கோ3ஸாயீ |
க்ருபா கரஹு கு3ருதே3வ கீ நாயீ ‖ 37 ‖

ஜோ ஶத வார பாட2 கர கோயீ |
சூ2டஹி ப3ந்தி3 மஹா ஸுக2 ஹோயீ ‖ 38 ‖

ஜோ யஹ படை3 ஹநுமாந சாலீஸா |
ஹோய ஸித்3தி4 ஸாகீ2 கௌ3ரீஶா ‖ 39 ‖

துலஸீதா3ஸ ஸதா3 ஹரி சேரா |
கீஜை நாத2 ஹ்ருத3ய மஹ டே3ரா ‖ 4௦ ‖

தோ3ஹா


பவந தநய ஸஂகட ஹரண – மங்க3ல்த3 மூரதி ரூப் |
ராம லக2ந ஸீதா ஸஹித – ஹ்ருத3ய ப3ஸஹு ஸுரபூ4ப் ‖ஸியாவர ராமசந்த்3ரகீ ஜய | பவநஸுத ஹநுமாநகீ ஜய | போ3லோ பா4யீ ஸப3 ஸந்தநகீ ஜய |

HANUMAN CHALISA IN TELUGU

 

దోహా

శ్రీ గురు చరణ సరోజ రజ నిజమన ముకుర సుధారి |
వరణౌ రఘువర విమలయశ జో దాయక ఫలచారి ‖
బుద్ధిహీన తనుజానికై సుమిరౌ పవన కుమార |
బల బుద్ధి విద్యా దేహు మోహి హరహు కలేశ వికార ‖

ధ్యానమ్

గోష్పదీకృత వారాశిం మశకీకృత రాక్షసమ్ |
రామాయణ మహామాలా రత్నం వందే-(అ)నిలాత్మజమ్ ‖
యత్ర యత్ర రఘునాథ కీర్తనం తత్ర తత్ర కృతమస్తకాంజలిమ్ |
భాష్పవారి పరిపూర్ణ లోచనం మారుతిం నమత రాక్షసాంతకమ్ ‖

చౌపాఈ
జయ హనుమాన జ్ఞాన గుణ సాగర |
జయ కపీశ తిహు లోక ఉజాగర ‖ 1 ‖

రామదూత అతులిత బలధామా |
అంజని పుత్ర పవనసుత నామా ‖ 2 ‖

మహావీర విక్రమ బజరంగీ |
కుమతి నివార సుమతి కే సంగీ ‖3 ‖

కంచన వరణ విరాజ సువేశా |
కానన కుండల కుంచిత కేశా ‖ 4 ‖

హాథవజ్ర ఔ ధ్వజా విరాజై |
కాంథే మూంజ జనేవూ సాజై ‖ 5‖

శంకర సువన కేసరీ నందన |
తేజ ప్రతాప మహాజగ వందన ‖ 6 ‖

విద్యావాన గుణీ అతి చాతుర |
రామ కాజ కరివే కో ఆతుర ‖ 7 ‖

ప్రభు చరిత్ర సునివే కో రసియా |
రామలఖన సీతా మన బసియా ‖ 8‖

సూక్ష్మ రూపధరి సియహి దిఖావా |
వికట రూపధరి లంక జలావా ‖ 9 ‖

భీమ రూపధరి అసుర సంహారే |
రామచంద్ర కే కాజ సంవారే ‖ 10 ‖

లాయ సంజీవన లఖన జియాయే |
శ్రీ రఘువీర హరషి ఉరలాయే ‖ 11 ‖

రఘుపతి కీన్హీ బహుత బడాయీ |
తుమ మమ ప్రియ భరత సమ భాయీ ‖ 12 ‖

సహస్ర వదన తుమ్హరో యశగావై |
అస కహి శ్రీపతి కంఠ లగావై ‖ 13 ‖

సనకాదిక బ్రహ్మాది మునీశా |
నారద శారద సహిత అహీశా ‖ 14 ‖

యమ కుబేర దిగపాల జహాం తే |
కవి కోవిద కహి సకే కహాం తే ‖ 15 ‖

తుమ ఉపకార సుగ్రీవహి కీన్హా |
రామ మిలాయ రాజపద దీన్హా ‖ 16 ‖

తుమ్హరో మంత్ర విభీషణ మానా |
లంకేశ్వర భయే సబ జగ జానా ‖ 17 ‖

యుగ సహస్ర యోజన పర భానూ |
లీల్యో తాహి మధుర ఫల జానూ ‖ 18 ‖

ప్రభు ముద్రికా మేలి ముఖ మాహీ |
జలధి లాంఘి గయే అచరజ నాహీ ‖ 19 ‖

దుర్గమ కాజ జగత కే జేతే |
సుగమ అనుగ్రహ తుమ్హరే తేతే ‖ 20 ‖

రామ దుఆరే తుమ రఖవారే |
హోత న ఆజ్ఞా బిను పైసారే ‖ 21 ‖

సబ సుఖ లహై తుమ్హారీ శరణా |
తుమ రక్షక కాహూ కో డర నా ‖ 22 ‖

ఆపన తేజ సమ్హారో ఆపై |
తీనోం లోక హాంక తే కాంపై ‖ 23 ‖

భూత పిశాచ నికట నహి ఆవై |
మహవీర జబ నామ సునావై ‖ 24 ‖

నాసై రోగ హరై సబ పీరా |
జపత నిరంతర హనుమత వీరా ‖ 25 ‖

సంకట సే హనుమాన ఛుడావై |
మన క్రమ వచన ధ్యాన జో లావై ‖ 26 ‖

సబ పర రామ తపస్వీ రాజా |
తినకే కాజ సకల తుమ సాజా ‖ 27 ‖

ఔర మనోరధ జో కోయి లావై |
తాసు అమిత జీవన ఫల పావై ‖ 28 ‖

చారో యుగ ప్రతాప తుమ్హారా |
హై ప్రసిద్ధ జగత ఉజియారా ‖ 29 ‖

సాధు సంత కే తుమ రఖవారే |
అసుర నికందన రామ దులారే ‖ 30 ‖

అష్ఠసిద్ధి నవ నిధి కే దాతా |
అస వర దీన్హ జానకీ మాతా ‖ 31 ‖

రామ రసాయన తుమ్హారే పాసా |
సదా రహో రఘుపతి కే దాసా ‖ 32 ‖

తుమ్హరే భజన రామకో పావై |
జన్మ జన్మ కే దుఖ బిసరావై ‖ 33 ‖

అంత కాల రఘుపతి పురజాయీ |
జహాం జన్మ హరిభక్త కహాయీ ‖ 34 ‖

ఔర దేవతా చిత్త న ధరయీ |
హనుమత సేయి సర్వ సుఖ కరయీ ‖ 35 ‖

సంకట క(హ)టై మిటై సబ పీరా |
జో సుమిరై హనుమత బల వీరా ‖ 36 ‖

జై జై జై హనుమాన గోసాయీ |
కృపా కరహు గురుదేవ కీ నాయీ ‖ 37 ‖

జో శత వార పాఠ కర కోయీ |
ఛూటహి బంది మహా సుఖ హోయీ ‖ 38 ‖

జో యహ పడై హనుమాన చాలీసా |
హోయ సిద్ధి సాఖీ గౌరీశా ‖ 39 ‖

తులసీదాస సదా హరి చేరా |
కీజై నాథ హృదయ మహ డేరా ‖ 40 ‖

దోహా


పవన తనయ సంకట హరణ – మంగళ మూరతి రూప్ |
రామ లఖన సీతా సహిత – హృదయ బసహు సురభూప్ ‖
సియావర రామచంద్రకీ జయ | పవనసుత హనుమానకీ జయ | బోలో భాయీ సబ సంతనకీ జయ |

HANUMAN CHALISA IN URDU

دوحہ:

 

سریگورو چرن سروج راز ، ذاتی مینو مکورو اصلاحی۔

برنون رگھوبر بمل جاسو ، جو داکو پھل چری ہے۔ 

 

 

کے ذریعہ اشتہارات 

بے دماغ تنيو جانیکے ، سمیرون پون کمار۔

فورس وِٹ بیڈیا دھو موہین ، ہڑھو کالز بیکار۔ 

 

گنبد:

 

جئے ہنومان گیان گن ساگر۔

جئے کاپیس تہون لوک بے نقاب۔

 

رامدوت اتولت بال دھما۔

انجانی بیٹا پونسوت نامہ۔

 

مہابیر بکرم بجرنگی۔

وہ جو بری سوچ کو دور کرتا ہے اور رئیسوں کی صحبت عطا کرتا ہے ..

 

کنچن باران بجراج سبیسہ۔

کنان کنڈال کرشت کیسہ۔

 

ہاتھ ، ہاتھ اور جھنڈے بیٹھے ہیں

کاندھے چاند جانیو سجئی

 

شنکر سوان کیسیرنندن۔

تیج پرتاپ مہا جگ بندن۔

 

ودیاوان گنی اتی چاتور

رام کج کربی کی دہشت۔

 

آپ خدا کی تسبیحیں سن کر خوش ہوتے ہیں۔

رام لکھن سیتا من بسیا۔

 

ٹھیک ٹھیک فارم دکھائیں۔

لنکا جاروا بطور بائیک۔

 

بھیما روپ دھری اسور سمہارے۔

رام چندر کا کاما سمورے۔

 

لائ سجیون لکھن جیئے

شری راغبیر ہرشی آپ کو لے کر آئے۔

 

رگھوپتی نے اس کی بہت تعریف کی۔

پیارے ماں عزیز بھائی!

 

سہس بدن تمارو جس گیان

جیسا کہ آپ کہتے ہیں ، شری پتی ایک آتش گیر ہے۔

 

ساناکادک براہمڈی منیسا۔

احیسہ ناردا سارد کے ساتھ۔

 

جام کوبرا ڈیگپال جہاں۔

آپ کہاں کہہ سکتے ہیں کبی کوبیڈ۔

 

کنہا سوگریوین آپ کے حق میں ہیں۔

رام ملی راج پد دنھا۔

 

آپ نے منتر بی بیشن کو سمجھا۔

لنکیشور ، سب جاگ گئے

 

بھنو جگ سہسرا جوجان پر۔

لیل tو طاہی میٹھا پھل جانتی ہے۔

 

پربھو مدرکا میلے مکھی ماہے

جلدی حیرت کی بات نہیں تھی۔

 

ناقابل رسائ دنیا کے قیدی

آپ کو اچھا فضل

 

رام سے محبت کرتا تھا اور آپ محافظ ہیں۔

اجازت کے بغیر نہیں ماننا۔

 

آپ کی خوشی ساری خوشی ہے۔

کاہو سے مت ڈرنا۔

 

تم تیز ہو

تینوں افراد ہانک گئے

 

بھوت پزیک قریب نہیں ہے۔

مہابیر جب نام سنہاوئی۔

 

نسائی بیماری ہرئی سب پیرا.۔

جپات نے ہنومات بیرا کو جاری رکھا۔

 

ہنومان چوداوی مشکل میں ہیں

مراقبہ آپ کے دماغ کو بچانے کا ایک طریقہ ہے۔

 

رام سب کے سب سے بڑا بادشاہ۔

ٹن کا کجا سکل تم ساجا

 

جو بھی آپ کے پاس کوئی خواہش لے کر آئے۔

سوئی امیت جیون پھل پاوی۔

 

آپ کی شان ہر عمر میں قائم ہے۔

پارسیٹھا جگت اجیرا۔

 

آپ سنتوں اور سلوک کے نگراں ہیں۔

اسورا نیکنڈن رام دولارے …

 

اشٹہ سدھی نو فنڈز کے عطیہ دہندگان۔

جیسا کہ بار دین جانکی ماتا۔

 

آپ کو رام راسام پائس

ہمیشہ رگھوپتی کا غلام بنو۔

 

آپ کی دعائیں بھگود رام تک پہنچتی ہیں۔

جنم جنم بسروائی کا غم۔

 

آخر میں رگھوبر پور جاai

جہاں پیدائش کو ہری بھخت کہا جاتا ہے۔

 

اور خدا کو کوئی اعتراض نہیں تھا۔

ہنومت سیئ سرب نے خوشی کی۔

 

تمام خطرات دور ہوجائیں گے اور تمام درد ختم ہوجائیں گے۔

جو سومیرائی ہنومت بلبیرا۔

 

جئے جئے جئے ہنومان گوسائی۔

کرپا کارھو گرودو کی طرح ہیں۔

 

جو بھی اسے 100 بار پڑھے!

بندھی باندھی مہا سکھ ہوئی۔

 

جس نے یہ پڑھا وہ ہنومان چالیسہ ہے۔

ہوئے سدھی سخی گوریسا۔

 

تلسیداس سدا ہری چیرا۔

کیجائی ناتھ ہردہ مہان ڈیرہ … 

 

دوحہ:

 

پون تنے شانت ہران ، منگل مورتی روپ۔

رام لکھن بشمول سیتا ، دل باشو سور بھوپ۔

 

SUGGEST A LANGUAGE OR CORRECTION AT [email protected]

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