MAHAVIR JI CHALISA IN ALL LANGUAGES

CHALISA IN ASSAMESE

॥দোহা॥

অৰিহন্তলৈচিশনৱ,

নমস্কাৰকৰক।

 

উপাধ্যায়আচাৰ্যৰ,

লেসুখকাৰীনা

 

সকলোসাধুআৰুসৰস্বতী,

যিবোৰমন্দিৰআনন্দদায়ক।

 

মহাবীৰভগৱানলৈ,

মানমন্দিৰতধৰ।

 

॥চৌপাই॥

জয়মহাবীৰসহানুভূতিশীলস্বামী।

বীৰপ্ৰভুআপুনিজগতবিখ্যাত।

 

অৰ্ধচন্দ্ৰনামটোআপোনাৰ।

হৃদয়ৰবাবেসুন্দৰসুন্দৰ।

 

শান্তিছবিআৰুমোহনীছবি।

শানহাঁহিচ’হনিচুৰাট|

 

আপোনাৰভেশদিগম্বাৰশাখাআছে।

কৰ্মৰশত্ৰুওতোমালোকৰওচৰতহেৰুৱাইছিল।

 

খংএটাবিতৰণআছিল।

মহানআকৰ্ষণৰপৰাভয়খাইছিল।

 

আপুনিসকলোজনাজাতজানে।

তুঝকোদিয়াপৃথিৱীৰসৈতেসম্পৰ্ককি||

 

আপোনাৰএটাসুৰআৰুবাউচনাই।

বীৰৰণৰাগতুহিটোপদেশ|

 

পৃথিৱীতআপোনাৰনামসঁচা।

কোনেশিশুটোৰওচৰলৈযাব।

 

ভূতেআপোনাকভয়কৰে।

দানৱটোসকলোভালভা।

 

গ্ৰেটহণ্টচমেমাৰিকতাৎক্ষণিককৰানাছিল।

মহাবিক্ৰালকালভয়খাৱে|

 

ক’লাসাপহয়ফান-ষ্ট্ৰাইপ।

বাসিংহটোতীব্ৰগধুৰ।

 

কোনেওসংৰক্ষণকৰিবনালাগে।

স্বামীতুমচেকৰপ্ৰতিপাল।

 

জুইৰঅৰণ্যৰজুইভালদৰেহৈআছে।

বতাহৰদ্বাৰাউত্তেজিতহৈআছে।

 

নামটোআপোনাৰসকলোদুখ।

জুইঅতিঠাণ্ডাহ’ৱে।

 

ভাৰতহিংসাত্মকআছিল।

তাৰপিছতআপুনিকানাটোক’লে।

 

জন্মকুণ্ডলপুৰচহৰ।

সুখীতেতিয়াবিষয়বোৰএকেদৰেআছে।

 

সিদ্ধাৰ্থজীদেউতা, তোমালোক।

ত্ৰিশালাৰচকুৰতৰা।

 

সকলোগোলমালএৰিদিয়ক।

স্বামীবাল-ব্ৰহ্মচাৰী॥

 

পঞ্চমসময়হৈছেমহা-সদাই।

চান্দনীপুৰগৌৰৱদেখুওৱাহৈছে।

 

টিলাটোৱেঅতিৰিক্তদেখুৱাইছিল।

এটাগৰুৰগাখীৰপেলিগ’ল।

 

মনতযোৱাৰবিষয়েচিন্তাকৰা।

এটাশ’লপাপাওক।

 

গোটেইটিলাখনখননকৰাহৈছিল।

তাৰপিছতআপুনিদৃষ্টিদেখুৱাইছিল।

 

যোধাৰাজৰদুখবন্ধকৰিৰক্ষাকৰাহৈছিল।

তেওঁজে.এ. বুলিমাতিছিলযেতিয়াআপোনাৰ।

 

এটাঠাণ্ডাকামানৰবল।

তাৰপিছতসকলোৱেজয়ক্কাৰাক’লে।

 

মন্ত্ৰীজনেমন্দিৰটোনিৰ্মাণকৰিছিল।

ৰজাইওটকাৰোপণকৰিছিল।

 

এটাডাঙৰধৰ্মশালানিৰ্মাণকৰাহৈছিল।

আপোনাকআনিবলৈধৰিৰাখক।

 

আপুনিগাড়ীখনভাঙিপেলালে।

চকাটোগাদিনহয়।

 

গুচিযোৱাবোৰেৰোপণকৰাহাত।

তাৰপিছতৰথটোআগবাঢ়িথকাদেখাগৈছিল।

 

বেইচাখভাদিৰপ্ৰথমদিন।

ৰথখননদীৰকাড়লৈযায়।

 

মীনাগুজাৰসকলোআহে।

নাচিআৰুজপিয়াইথকা।

 

স্বামীআপুনিপ্ৰেমৰচিছিলে।

কাঁচিৰএকাধিকমানবৃদ্ধিপাইছে।

 

যেতিয়াহাতলোৱাহয়।

তেতিয়াহেস্বামীৰথচলিছে।

 

মোৰএটাভঙাচিনাইয়াআছে।

তুমিকোনেওবিননকৰা।

 

স্বামীমোৰওপৰতসন্তুষ্ট।

মইআপোনাৰপ্ৰভু।

 

মইআপোনাৰপৰাএটাশ্ৰুকঁপনিবিচাৰো।

আপোনাৰজন্মআৰুজন্মৰদৰ্শনহওক।

 

চলিজটোচন্দ্ৰৰেনিৰ্মিত।

বীৰপ্ৰভুৰপৰাচিশনৱৱে।

 

॥সোরাথা॥

মাত্ৰবাৰ,

পাঠচল্লিশদিন।

 

অতি, অতি, খুব,

অৰ্ধচন্দ্ৰৰসন্মুখত।

 

হয়কুবেৰএক,

জন্মহোৱাদৰিদ্ৰ।

 

যাৰসন্তান,

নামটোৰাজবংশৰজগলৈগৈছিল।

CHALISA IN BENGALI

॥দোহা॥

শীশনাভাঅরিহন্ত,

আমিআপনাকেসালামজানাচ্ছি।

 

উপাধ্যায়আচার্যের,

খুশীনামনিও।

 

সমস্তagesষিএবংসরস্বতী,

জিনমন্দিরেরআনন্দ।

 

শ্বরমহাবীরেরকাছে,

মন-মন্দিরেধর

 

॥বাউন্ড॥

জয়মহাবীরদয়ালুস্বামী।

বীরপ্রভু, আপনিপৃথিবীতেবিখ্যাত

 

বর্ধমানতোমারনাম।

আপনারহৃদয়ভালবাসা

 

শান্তিরচিত্রএবংমোহিনীমুরাত।

শানহংসলিসোহনিসুরত।

 

 

 

তুমিদিগম্বরধরারসাজে।

এমনকিকর্মেরশত্রুওআপনারকাছেহারাল।

 

ক্রোধরাগওলোভেপরিণতহয়েছিল।

মহা-মোহতমসেভয়খেয়েছে

 

আপনিসকলেরজ্ঞানী।

পৃথিবীরসাথেতোমারকীআছে||

 

তোমাররাগওদ্বৈততানেই।

বীরবাজেরগতুহিতোপদেশ

 

আপনারনামটিপৃথিবীতেসত্য।

বাচ্চাবাচ্চাকেজানে।

 

ভূতআপনাকেআক্ষেপকরে।

সমস্তভূতচলেযায়

 

মহাবৈধমরিওঅত্যাচারকরেননি

মহাবিক্রালকলডেরখাভে।

 

কালানাগহয়েফান-স্ট্রাইপ।

ইয়াহোসিংহভীষণভারী।

 

তোমাকেবাঁচানোরমতকেউনেই।

স্বামী, প্রতিপাল, তোমারসাথেকর।

 

 

আগুনজ্বলছে।

আপনিপ্রবলবাতাসদ্বারাহয়।

 

নামটিআপনারসমস্তদুঃখহারাতেপারে।

আগুনঠাণ্ডাহতেদিন।

 

ভারতহিংস্রছিল

তারপরেআপনিস্থিরহয়েগেলেন

 

জন্মকুন্ডলপুরশহর।

সুখতখনবিষয়ছিল

 

সিদ্ধার্থজিৎতোমারবাবা।

ত্রিশলারচোখেরতারা

 

সমস্তঝামেলাপৃথিবীছেড়েদিন।

মালিকবাল-ব্রহ্মচারী

 

পঞ্চমকালমহা-দুখাদাই।

চন্দনপুরমহিমাদিখলাই

 

িবিউপেক্ষাকরে।

একটিগরুরদুধছিটিয়ে

 

মনেমনেকাউবাইয়েরকথাভাবছি।

একটিবেলচানিয়েপৌঁছেছে

 

 

পুরোটিলাটিখননকরে।

তখনতুমিআমাকেদর্শনদেখিয়েছ।

 

দুঃখযোধরাজকেঘিরে।

তিনিযখননামটিজপকরলেনতখনআপনার

 

কামানবলঠান্ডা।

তখনসবাইচিৎকারকরেউঠল

 

মন্ত্রীমন্দিরটিনির্মাণকরলেন।

রাজাওটাকারাখলেন।

 

একটিবড়ধর্মশালাতৈরিকরেছেন।

তোমাকেআনতেথামিয়েছি

 

আপনিঅতীতেএকটিগাড়িভাঙলেন।

চাকাটিপপহয়না

 

গওয়ালেযেহাতরেখেছিল।

তখনতিনিরথটিকেচলন্তঅবস্থায়দেখতেপেলেন।

 

বৈশাখভাদিরপ্রথমদিন

রথনদীরতীরেযায়

 

মিনাগুজারসবআসত।

নাচএবংনাচসবপথ।

 

 

স্বামী, আপনিপ্রেমখেলেন।

গোয়ালপালনেরসংখ্যাবৃদ্ধি।

 

যখনইহাতগরুর

কেবলযখনস্বামীরথচলাচলকরেন

 

মেরিএকজনভাঙামহিলা।

তোমাকেছাড়াকেউইবাঁচাতেপারেনা।

 

স্বামীদয়াকরেআমারপ্রতিদয়াকরুন।

আমিশ্বর, তোমারকর্তা।

 

আমিচাইনাতুমিআরুটাচুহও।

আপনিজন্মেরপরেজন্মগ্রহণকরতেপারেন

 

চালিকেচাঁদতৈরিকরুন

বীরপ্রভুরকাছেশীশনওয়াভে

 

ঘসোরথা

দিনেচল্লিশবার,

চল্লিশদিনপড়ুন।

 

সুগন্ধযুক্তঅগাধ,

বর্ধমানেরসামনে।

 

হাইকুবেরেরমতো,

জন্মেদরিদ্রহোয়।

 

যারসন্তান,

নামবংশটিপৃথিবীতেহাঁটল।

CHALISA IN BODO

Bodo and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा॥

शीश नवा अरिहन्त को, सिद्धन करूँ प्रणाम।
उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम।
सर्व साधु और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार।
महावीर भगवान को, मन-मन्दिर में धार।

।। चौपाई ।।

जय महावीर दयालु स्वामी, वीर प्रभु तुम जग में नामी।

वर्धमान है नाम तुम्हारा, लगे हृदय को प्यारा प्यारा।

शांति छवि और मोहनी मूरत, शान हँसीली सोहनी सूरत।

तुमने वेश दिगम्बर धारा, कर्म-शत्रु भी तुम से हारा।

क्रोध मान अरु लोभ भगाया, महा-मोह तुमसे डर खाया।

तू सर्वज्ञ सर्व का ज्ञाता, तुझको दुनिया से क्या नाता।

तुझमें नहीं राग और द्वेष, वीर रण राग तू हितोपदेश।

तेरा नाम जगत में सच्चा, जिसको जाने बच्चा बच्चा।

भूत प्रेत तुम से भय खावें, व्यन्तर राक्षस सब भग जावें।

महा व्याध मारी न सतावे, महा विकराल काल डर खावे।

काला नाग होय फन धारी, या हो शेर भयंकर भारी।

ना हो कोई बचाने वाला, स्वामी तुम्हीं करो प्रतिपाला।

अग्नि दावानल सुलग रही हो, तेज हवा से भड़क रही हो।

नाम तुम्हारा सब दुख खोवे, आग एकदम ठण्डी होवे।

हिंसामय था भारत सारा, तब तुमने कीना निस्तारा।

जनम लिया कुण्डलपुर नगरी, हुई सुखी तब प्रजा सगरी।

सिद्धारथ जी पिता तुम्हारे, त्रिशला के आँखों के तारे।

छोड़ सभी झंझट संसारी, स्वामी हुए बाल-ब्रह्मचारी।

पंचम काल महा-दुखदाई, चाँदनपुर महिमा दिखलाई।

टीले में अतिशय दिखलाया, एक गाय का दूध गिराया।

सोच हुआ मन में ग्वाले के, पहुँचा एक फावड़ा लेके।

सारा टीला खोद बगाया, तब तुमने दर्शन दिखलाया।

जोधराज को दुख ने घेरा, उसने नाम जपा जब तेरा।

ठंडा हुआ तोप का गोला, तब सब ने जयकारा बोला।

मंत्री ने मन्दिर बनवाया, राजा ने भी द्रव्य लगाया।

बड़ी धर्मशाला बनवाई, तुमको लाने को ठहराई।

तुमने तोड़ी बीसों गाड़ी, पहिया खसका नहीं अगाड़ी।

ग्वाले ने जो हाथ लगाया, फिर तो रथ चलता ही पाया।

पहिले दिन बैशाख बदी के, रथ जाता है तीर नदी के।

मीना गूजर सब ही आते, नाच-कूद सब चित उमगाते।

स्वामी तुमने प्रेम निभाया, ग्वाले का बहु मान बढ़ाया।

हाथ लगे ग्वाले का जब ही, स्वामी रथ चलता है तब ही।

मेरी है टूटी सी नैया, तुम बिन कोई नहीं खिवैया।

मुझ पर स्वामी जरा कृपा कर, मैं हूँ प्रभु तुम्हारा चाकर।

तुम से मैं अरु कछु नहीं चाहूँ, जन्म-जन्म तेरे दर्शन पाऊँ।

चालीसे को चन्द्र बनावे, बीर प्रभु को शीश नवावे।

।। सोरठा ।।

नित चालीसहि बार, बाठ करे चालीस दिन।

खेय सुगन्ध अपार, वर्धमान के सामने।।

होय कुबेर समान, जन्म दरिद्री होय जो।

जिसके नहिं संतान, नाम वंश जग में चले।।

।। इति महावीर चालीसा समाप्त ।।

Another version is as follows

दोहा :
 
सिद्ध समूह नमों सदा, अरु सुमरूं अरहन्त।
निर आकुल निर्वांच्छ हो, गए लोक के अंत ॥
मंगलमय मंगल करन, वर्धमान महावीर।
तुम चिंतत चिंता मिटे, हरो सकल भव पीर ॥
 
 
चौपाई :
जय महावीर दया के सागर, जय श्री सन्मति ज्ञान उजागर।
शांत छवि मूरत अति प्यारी, वेष दिगम्बर के तुम धारी।
कोटि भानु से अति छबि छाजे, देखत तिमिर पाप सब भाजे।
महाबली अरि कर्म विदारे, जोधा मोह सुभट से मारे।
काम क्रोध तजि छोड़ी माया, क्षण में मान कषाय भगाया।
रागी नहीं नहीं तू द्वेषी, वीतराग तू हित उपदेशी।
प्रभु तुम नाम जगत में साँचा, सुमरत भागत भूत पिशाचा।
राक्षस यक्ष डाकिनी भागे, तुम चिंतत भय कोई न लागे।
महा शूल को जो तन धारे, होवे रोग असाध्य निवारे।
व्याल कराल होय फणधारी, विष को उगल क्रोध कर भारी।
 
महाकाल सम करै डसन्ता, निर्विष करो आप भगवन्ता।
महामत्त गज मद को झारै, भगै तुरत जब तुझे पुकारै।
फार डाढ़ सिंहादिक आवै, ताको हे प्रभु तुही भगावै।
होकर प्रबल अग्नि जो जारै, तुम प्रताप शीतलता धारै।
शस्त्र धार अरि युद्ध लड़न्ता, तुम प्रसाद हो विजय तुरन्ता।
पवन प्रचण्ड चलै झकझोरा, प्रभु तुम हरौ होय भय चोरा।
झार खण्ड गिरि अटवी मांहीं, तुम बिनशरण तहां कोउ नांहीं।
वज्रपात करि घन गरजावै, मूसलधार होय तड़कावै।
होय अपुत्र दरिद्र संताना, सुमिरत होत कुबेर समाना।
बंदीगृह में बँधी जंजीरा, कठ सुई अनि में सकल शरीरा।
राजदण्ड करि शूल धरावै, ताहि सिंहासन तुही बिठावै।
न्यायाधीश राजदरबारी, विजय करे होय कृपा तुम्हारी।
जहर हलाहल दुष्ट पियन्ता, अमृत सम प्रभु करो तुरन्ता।
चढ़े जहर, जीवादि डसन्ता, निर्विष क्षण में आप करन्ता।
एक सहस वसु तुमरे नामा, जन्म लियो कुण्डलपुर धामा।
सिद्धारथ नृप सुत कहलाए, त्रिशला मात उदर प्रगटाए।
तुम जनमत भयो लोक अशोका, अनहद शब्दभयो तिहुँलोका।
इन्द्र ने नेत्र सहस्र करि देखा, गिरी सुमेर कियो अभिषेखा।
कामादिक तृष्णा संसारी, तज तुम भए बाल ब्रह्मचारी।
अथिर जान जग अनित बिसारी, बालपने प्रभु दीक्षा धारी।
शांत भाव धर कर्म विनाशे, तुरतहि केवल ज्ञान प्रकाशे।
जड़-चेतन त्रय जग के सारे, हस्त रेखवत्‌ सम तू निहारे।
लोक-अलोक द्रव्य षट जाना, द्वादशांग का रहस्य बखाना।
पशु यज्ञों का मिटा कलेशा, दया धर्म देकर उपदेशा।
अनेकांत अपरिग्रह द्वारा, सर्वप्राणि समभाव प्रचारा।
पंचम काल विषै जिनराई, चांदनपुर प्रभुता प्रगटाई।
क्षण में तोपनि बाढि-हटाई, भक्तन के तुम सदा सहाई।
मूरख नर नहिं अक्षर ज्ञाता, सुमरत पंडित होय विख्याता।
 
सोरठा :

करे पाठ चालीस दिन नित चालीसहिं बार।
खेवै धूप सुगन्ध पढ़, श्री महावीर अगार ॥
जनम दरिद्री होय अरु जिसके नहिं सन्तान।
नाम वंश जग में चले होय कुबेर समान ॥

CHALISA IN DOGRI

Dogri and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा॥

शीश नवा अरिहन्त को, सिद्धन करूँ प्रणाम।
उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम।
सर्व साधु और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार।
महावीर भगवान को, मन-मन्दिर में धार।

।। चौपाई ।।

जय महावीर दयालु स्वामी, वीर प्रभु तुम जग में नामी।

वर्धमान है नाम तुम्हारा, लगे हृदय को प्यारा प्यारा।

शांति छवि और मोहनी मूरत, शान हँसीली सोहनी सूरत।

तुमने वेश दिगम्बर धारा, कर्म-शत्रु भी तुम से हारा।

क्रोध मान अरु लोभ भगाया, महा-मोह तुमसे डर खाया।

तू सर्वज्ञ सर्व का ज्ञाता, तुझको दुनिया से क्या नाता।

तुझमें नहीं राग और द्वेष, वीर रण राग तू हितोपदेश।

तेरा नाम जगत में सच्चा, जिसको जाने बच्चा बच्चा।

भूत प्रेत तुम से भय खावें, व्यन्तर राक्षस सब भग जावें।

महा व्याध मारी न सतावे, महा विकराल काल डर खावे।

काला नाग होय फन धारी, या हो शेर भयंकर भारी।

ना हो कोई बचाने वाला, स्वामी तुम्हीं करो प्रतिपाला।

अग्नि दावानल सुलग रही हो, तेज हवा से भड़क रही हो।

नाम तुम्हारा सब दुख खोवे, आग एकदम ठण्डी होवे।

हिंसामय था भारत सारा, तब तुमने कीना निस्तारा।

जनम लिया कुण्डलपुर नगरी, हुई सुखी तब प्रजा सगरी।

सिद्धारथ जी पिता तुम्हारे, त्रिशला के आँखों के तारे।

छोड़ सभी झंझट संसारी, स्वामी हुए बाल-ब्रह्मचारी।

पंचम काल महा-दुखदाई, चाँदनपुर महिमा दिखलाई।

टीले में अतिशय दिखलाया, एक गाय का दूध गिराया।

सोच हुआ मन में ग्वाले के, पहुँचा एक फावड़ा लेके।

सारा टीला खोद बगाया, तब तुमने दर्शन दिखलाया।

जोधराज को दुख ने घेरा, उसने नाम जपा जब तेरा।

ठंडा हुआ तोप का गोला, तब सब ने जयकारा बोला।

मंत्री ने मन्दिर बनवाया, राजा ने भी द्रव्य लगाया।

बड़ी धर्मशाला बनवाई, तुमको लाने को ठहराई।

तुमने तोड़ी बीसों गाड़ी, पहिया खसका नहीं अगाड़ी।

ग्वाले ने जो हाथ लगाया, फिर तो रथ चलता ही पाया।

पहिले दिन बैशाख बदी के, रथ जाता है तीर नदी के।

मीना गूजर सब ही आते, नाच-कूद सब चित उमगाते।

स्वामी तुमने प्रेम निभाया, ग्वाले का बहु मान बढ़ाया।

हाथ लगे ग्वाले का जब ही, स्वामी रथ चलता है तब ही।

मेरी है टूटी सी नैया, तुम बिन कोई नहीं खिवैया।

मुझ पर स्वामी जरा कृपा कर, मैं हूँ प्रभु तुम्हारा चाकर।

तुम से मैं अरु कछु नहीं चाहूँ, जन्म-जन्म तेरे दर्शन पाऊँ।

चालीसे को चन्द्र बनावे, बीर प्रभु को शीश नवावे।

।। सोरठा ।।

नित चालीसहि बार, बाठ करे चालीस दिन।

खेय सुगन्ध अपार, वर्धमान के सामने।।

होय कुबेर समान, जन्म दरिद्री होय जो।

जिसके नहिं संतान, नाम वंश जग में चले।।

।। इति महावीर चालीसा समाप्त ।।

 

Another version is as follows

दोहा :
 
सिद्ध समूह नमों सदा, अरु सुमरूं अरहन्त।
निर आकुल निर्वांच्छ हो, गए लोक के अंत ॥
मंगलमय मंगल करन, वर्धमान महावीर।
तुम चिंतत चिंता मिटे, हरो सकल भव पीर ॥
 
 
चौपाई :
जय महावीर दया के सागर, जय श्री सन्मति ज्ञान उजागर।
शांत छवि मूरत अति प्यारी, वेष दिगम्बर के तुम धारी।
कोटि भानु से अति छबि छाजे, देखत तिमिर पाप सब भाजे।
महाबली अरि कर्म विदारे, जोधा मोह सुभट से मारे।
काम क्रोध तजि छोड़ी माया, क्षण में मान कषाय भगाया।
रागी नहीं नहीं तू द्वेषी, वीतराग तू हित उपदेशी।
प्रभु तुम नाम जगत में साँचा, सुमरत भागत भूत पिशाचा।
राक्षस यक्ष डाकिनी भागे, तुम चिंतत भय कोई न लागे।
महा शूल को जो तन धारे, होवे रोग असाध्य निवारे।
व्याल कराल होय फणधारी, विष को उगल क्रोध कर भारी।
 
महाकाल सम करै डसन्ता, निर्विष करो आप भगवन्ता।
महामत्त गज मद को झारै, भगै तुरत जब तुझे पुकारै।
फार डाढ़ सिंहादिक आवै, ताको हे प्रभु तुही भगावै।
होकर प्रबल अग्नि जो जारै, तुम प्रताप शीतलता धारै।
शस्त्र धार अरि युद्ध लड़न्ता, तुम प्रसाद हो विजय तुरन्ता।
पवन प्रचण्ड चलै झकझोरा, प्रभु तुम हरौ होय भय चोरा।
झार खण्ड गिरि अटवी मांहीं, तुम बिनशरण तहां कोउ नांहीं।
वज्रपात करि घन गरजावै, मूसलधार होय तड़कावै।
होय अपुत्र दरिद्र संताना, सुमिरत होत कुबेर समाना।
बंदीगृह में बँधी जंजीरा, कठ सुई अनि में सकल शरीरा।
राजदण्ड करि शूल धरावै, ताहि सिंहासन तुही बिठावै।
न्यायाधीश राजदरबारी, विजय करे होय कृपा तुम्हारी।
जहर हलाहल दुष्ट पियन्ता, अमृत सम प्रभु करो तुरन्ता।
चढ़े जहर, जीवादि डसन्ता, निर्विष क्षण में आप करन्ता।
एक सहस वसु तुमरे नामा, जन्म लियो कुण्डलपुर धामा।
सिद्धारथ नृप सुत कहलाए, त्रिशला मात उदर प्रगटाए।
तुम जनमत भयो लोक अशोका, अनहद शब्दभयो तिहुँलोका।
इन्द्र ने नेत्र सहस्र करि देखा, गिरी सुमेर कियो अभिषेखा।
कामादिक तृष्णा संसारी, तज तुम भए बाल ब्रह्मचारी।
अथिर जान जग अनित बिसारी, बालपने प्रभु दीक्षा धारी।
शांत भाव धर कर्म विनाशे, तुरतहि केवल ज्ञान प्रकाशे।
जड़-चेतन त्रय जग के सारे, हस्त रेखवत्‌ सम तू निहारे।
लोक-अलोक द्रव्य षट जाना, द्वादशांग का रहस्य बखाना।
पशु यज्ञों का मिटा कलेशा, दया धर्म देकर उपदेशा।
अनेकांत अपरिग्रह द्वारा, सर्वप्राणि समभाव प्रचारा।
पंचम काल विषै जिनराई, चांदनपुर प्रभुता प्रगटाई।
क्षण में तोपनि बाढि-हटाई, भक्तन के तुम सदा सहाई।
मूरख नर नहिं अक्षर ज्ञाता, सुमरत पंडित होय विख्याता।
 
सोरठा :

करे पाठ चालीस दिन नित चालीसहिं बार।
खेवै धूप सुगन्ध पढ़, श्री महावीर अगार ॥
जनम दरिद्री होय अरु जिसके नहिं सन्तान।
नाम वंश जग में चले होय कुबेर समान ॥

CHALISA IN ENGLISH

|| Doha ||

Shish Nawa Arihant Ko, Sidhan Karu Pranam.
Upadhyay Acharya Ka, Le Sukhkari Naam.Sarva Sadhu Or Saraswati, Jin Mandir Sukhkar.
Mahavir Bhagwan Ko, Man Mandir K Dhar.

|| Chaupai ||

Jai Mahavir Dayalu Swami, Veer Prabhu Tum Jag Me Nami.

Vardhman He Naam Tumhara, Lage Hirday Ko Pyara Pyara.

Shanti Chavi Or Mohni Murat, Shan Hansili Sohni Surat.

Tumne Vesh Digambar Dhara, Karm-Shatru Bhi Tum Se Hara.

Krodha Man Aru Lobh Bhagaya, Maha Moh Tumse Dar Khaya.

Tu Sarvgya Sarva Ka Gyata, Tujhko Duniya Se Kya Nata.

Tujhpe Nahi Raag Or Dvesh, Veer Ran Raag Tu Hitopdesh.

Tera Naam Jagat Me Sachaa, Jisko Jane Bachaa Bachaa.

Bhoot Pret Tumse Bhay Khave, Vyantar Rakshas Sab Bhag Jave.

Maha Vyadh Mari Na Satave, Maha Vikral Kaal Dar Khave.

Kala Naag Hoy Fun-Dhari,Ya Ho Sher Bhayanker Bhari.

Na Ho Koi Bachane Wala, Swami Tumhi Karo Pratipala.

Agni Dawanal Sulag Rahi Ho, Tez Hawa Se Sulag Rahi Ho.

Naam Tumhara Sab Dukh Khave, Aag Ek Dum Thandi Hove.

Hinsamay Tha Bharat Sara, Tab Tum Ne Kina Nistara.

Janm Liya Kundalpur Nagri,Hui Sukhi Tab Praja Sagri.

Siddharth Ji Pita Tumhare, Trishla K Aankho K Tare.

Chod Sabi Jhanjhat Sansari, Swami Hue Bal- Brahmachari.

Pacham Kaal Maha Dukhdai, Chandanpur Mahima Dikhlai.

Tile Me Atishay Dikhlaya, Ek Gaay Ka Dudha Giraya.

Soch Huwa Man Me Gwale K, Pahuncha Ek Fawda Leke.

Sara Tila Khod Bagaya, Tab Tumne Darshan Dikhlaya.

Jodharaj Ko Dukh Ne Ghera, Usne Naam Japa Jab Tera.

Thanda Hua Top Ka Gola, Tab Sabne Jaikara Bola.

Mantri Ne Mandir Banwaya,Raja Ne Bhi Draya Lagwaya.

Badi Dharmshala Banwai, Tumko Lane Ko Thahrai.

Tumne Todi Biso Gadi, Pahiya Khaska Nahi Agadi.

Gwale Ne Jo Hath Lagaya, Fir To Rath Chalto Hi Paya.

Pahile Din Beshaak Vadi K, Rath Jata Teer Nadi Ke.

Mina Gujar Sab Hi Aate, Naach Kud Sab Chit Umgate.

Swami Tumne Prem Nibhaya, Gwale Ka Bahu Man Badaya.

Hath Lage Gwale Ka Jab Hi, Swami Rath Chalta Hai Tab Hi.

Meri Hai Tutti Si Nayyaa, Tum Bin Koi Nahi Khivaiya.

Mujh Par Swami Jara Krupa Kar, Me Hu Prabhu Chakar Tumhara.

Tumse Me Aru Kuch Nahi Chahu, Janm Janm Darshan Paau.

Chalisa Ko Chadra Banave, Beer Prabhu Ko Shish Navave.

|| Sortha ||

Neet Chalishi Baar, Path Kare Chalis Din.
Khey Sungandha Apaar, Vardhman K Samne.
Hove Kuber Saman, Janm Daridri Hoye Jo.
Jiske Nahi Santan, Naam Vansh Jag Me Chale

।। Iti Mahaveer Chalisa Ends ।।

 

Another Version is as follows

Doha:
 
Siddha group Namo Sada, Aru Sumrun Arahant.
Nir akul be banal, the end of the world gone
Mangalmay Mangal Karan, Vardhaman Mahaveer.
You are worried, eradicate worry
 
Jai Mahavir exposes wisdom, Jai Shri Sanmati.
Tranquil image very sweet, Tum Dhari of Tum Digambar.
It was very much better than Koti Bhanu, seeing that Timir’s sins were all appreciated.
Mahabali is killed by Ari Karma Vidare, Jodha Moh Subhat.
Maya left her anger and anger, in the moment she was driven away.
You are not ragi, you are not spiteful, you are a benevolent.
Lord Tum Naam in the world, Sumrat Bhagat Bhoota Pishacha.
The demons escaped the Yaksha Dakini, no one would worry you.
The body which is in great pain, Howe’s disease is incurable.
Vyala Karl Hoy Phandhari, spewing poison and rage heavy.
 
Mahakala summons Dassanta, please make me Bhagwanta.
Sage the great god, when you call me.
Far beheaded, ahvadic impulse, Tako O lord tuhi bhagavai.
Through the fierce fire that continues, you are a great coolness.
Arms Dhar Ari war fight, you are Prasad, Vijay Turnta.
Pawan Prachanda chalked out
In Jharkhand, Giri Atvi mother is not there, you are not there.
Thunderclap is thunderous, thundering hoy.
Hoy Aputra Daridra Santana, Sumirat Hot Kubera Samana.
Bandhi Janjira in detention, gross body in Kath Sui Ani.
Rajdandi kari shul dharavai, tahi throne tuhi sithaiva.
Judge Rajdarbari, please bless me.
Poison Hallahl wicked curiosity, Amrit Sama Prabhu do immediately.
Ascended poison, Jeevadi Dsanta, you Karanta at the last minute.
A Sahas Vasu Tumare Naama, born Leo Kundalpur Dhama.
Siddharatha called Nripa Sutha, Trishala Mata Udar.
You are afraid of public opinion, Ashoka, unconscious words, Tihuloka.
Indra looked at his eyes, fell Sumer Kio Abhishekha.
Kaamadik Trishna Sansari, You are the brother of Brahmachari.
Athir Jaan Jag Anit Bisari, Balpane Prabhu Deeksha Dhari.
Calm mood karma vinaशेeh, then only light will shine.
All the people of the root-conscious triad world, look at you in the palm of the hand.
To go to the folk-light, to tell the secret of Dvdashang.
Eradicate animal sacrifices, preach by giving mercy and religion.
By omnipotent apragya, omnipotent equanimity.
The fifth period Vizhai Jinrai, Chandanpur Sovereignty was revealed.
In the moment the cannon fence was removed, you always endured the devotion.
Murakh Nar Nahin Akshar Krita, Sumrat Pandit Hoy Known.
 
Soratha:

Please recite forty days forty times daily.
Kheva Dhoop Sugandh Read, Shri Mahavir Agar
Janam daridri hoy aru whose child is not.
The name Dynasty went into the world like Hoe Kubera.

 

CHALISA IN GUJRATI

॥દોહા॥

શીશનવાઅરિહંત,

હુંતમનેસલામકરુંછું.

 

ઉપાધ્યાયઆચાર્યની,

પ્રસન્નનામલો॥

 

બધાagesષિઅનેસરસ્વતી,

જિનમંદિરસુખ.

 

ભગવાનમહાવીરને,

મન-મંદિરમાંધર

 

॥બાઉન્ડ॥

જયમહાવીરદયાલુસ્વામી.

વીરપ્રભુ, તમેવિશ્વમાંપ્રખ્યાતછો

 

વર્ધમાનતમારુંનામછે.

તમારાહૃદયનેપ્રેમકરો

 

 

શાંતિનીછબીઅનેમોહિનીમુરત.

શાનહંસલીસોહનીસુરત॥

 

તમેદિગંબરધારાપહેરીને.

કર્મનોદુશ્મનપણતનેગુમાવ્યો.

 

ક્રોધક્રોધઅનેલોભતરફવળ્યો.

મહા-મોહતમસેભયખાધો

 

તમેબધાનાજ્erાતાછો.

તમેવિશ્વસાથેશુંછે||

 

તમારીપાસેરાગઅનેદ્વૈતનથી.

વીરરંગરાગતુહિતોપદેશ

 

તમારુંનામવિશ્વમાંસાચુંછે.

કોણજાણેબેબીબાઈ॥

 

ભૂતતમનેત્રાસઆપેછે.

બધારાક્ષસોદૂરજાયછે

 

મહાવ્યાધમારીનસતાવે

મહાવિક્રાલકાળડરઉવે॥

 

કલાનાગહોયફન-પટ્ટી.

યાહોસિંહભયંકરભારે॥

 

 

તમનેબચાવવામાટેકોઈનહોવુંજોઈએ.

સ્વામી, તેતમારીપાસેકરો, પ્રતિપાલ.

 

આગબળીરહીછે.

તમેતીવ્રપવનથીરાગછો.

 

નામતમારાબધાદુ: ખનેગુમાવે.

આગનેઠંડુથવાદો.

 

ભારતહિંસકહતું

પછીતમેસ્થાયીથયા

 

કુંડલપુરશહેરનોજન્મ.

સુખતેપછીતેવિષયોહતા

 

સિદ્ધાર્થજીતમારાપિતા.

ત્રિશલાનીઆંખોનાતારા

 

બધીમુશ્કેલીનીદુનિયાછોડીદો.

માલિકબાલ-બ્રહ્મચારી

 

પાંચમીકાલમહા-દુખદાય.

ચંદનપુરમહિમાદિખલાઇ

 

ટેકરાનીઅવગણનાકરી.

એકગાયનુંદૂધછાંટ્યું

 

 

મારામગજમાંકાઉબોયનોવિચારકરવો.

પાવડોલઈનેપહોંચ્યો

 

આખોમણખોદ્યો.

પછીતમેમનેદર્શનબતાવ્યા.

 

ઉદાસીએજોધરાજનેઘેરીલીધો.

જ્યારેતેતમારુંનામબોલાવેછે

 

તોપબોલઠંડુ.

પછીબધાએબૂમપાડી

 

મંત્રીએમંદિરબનાવ્યું.

રાજાએપૈસાપણમૂક્યા.

 

મોટીધર્મશાળાબનાવીછે.

તમનેલાવવાનુંબંધકર્યું

 

તમેભૂતકાળમાંએકકારતોડીહતી.

ચક્રપપકરતુંનથી

 

ગ્વાલેએહાથમૂક્યો.

પછીતેનેરથફરતાજોવામળ્યો.

 

વૈશાખવાદીનાપહેલાદિવસે

રથનદીનાતીરતરફજાયછે

 

 

મીનાગુજરબધાઆવતા.

નૃત્યકરોઅનેબધીરીતેનૃત્યકરો.

 

સ્વામી, તમેપ્રેમભજવ્યો.

ગૌહરનીવધેલીગુણાકાર.

 

જ્યારેપણહાથગાયનોહોયછે

ત્યારેજસ્વામીરથચાલેછે

 

મેરીએકતૂટેલીસ્ત્રીછે.

તમારાવિનાકોઈતમનેબચાવીશકશેનહીં.

 

સ્વામીકૃપાકરીનેમારાપરકૃપાકરો.

હુંભગવાનછું, તમારોધણી.

 

હુંનથીઇચ્છતોકેતુંઅરુટચુબને.

તમેજન્મપછીજન્મલેશો

 

ચાળીસનેચંદ્રબનાવો.

શીશનવાવેબીરપ્રભુને

 

॥સોરથા॥

દિવસમાંચાલીસવખત,

ચાલીસદિવસસુધીવાંચો.

 

સારીસુગંધથીભરપૂર,

વર્ધમાનનીસામે.

 

હોયકુબેરનીજેમ,

ગરીબહોયજેથયો.

 

જેનાબાળકો,

નામકુળદુનિયામાંચાલ્યું.

CHALISA IN HINDI

॥ दोहा॥

शीश नवा अरिहन्त को, सिद्धन करूँ प्रणाम।
उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम।
सर्व साधु और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार।
महावीर भगवान को, मन-मन्दिर में धार।

।। चौपाई ।।

जय महावीर दयालु स्वामी, वीर प्रभु तुम जग में नामी।

वर्धमान है नाम तुम्हारा, लगे हृदय को प्यारा प्यारा।

शांति छवि और मोहनी मूरत, शान हँसीली सोहनी सूरत।

तुमने वेश दिगम्बर धारा, कर्म-शत्रु भी तुम से हारा।

क्रोध मान अरु लोभ भगाया, महा-मोह तुमसे डर खाया।

तू सर्वज्ञ सर्व का ज्ञाता, तुझको दुनिया से क्या नाता।

तुझमें नहीं राग और द्वेष, वीर रण राग तू हितोपदेश।

तेरा नाम जगत में सच्चा, जिसको जाने बच्चा बच्चा।

भूत प्रेत तुम से भय खावें, व्यन्तर राक्षस सब भग जावें।

महा व्याध मारी न सतावे, महा विकराल काल डर खावे।

काला नाग होय फन धारी, या हो शेर भयंकर भारी।

ना हो कोई बचाने वाला, स्वामी तुम्हीं करो प्रतिपाला।

अग्नि दावानल सुलग रही हो, तेज हवा से भड़क रही हो।

नाम तुम्हारा सब दुख खोवे, आग एकदम ठण्डी होवे।

हिंसामय था भारत सारा, तब तुमने कीना निस्तारा।

जनम लिया कुण्डलपुर नगरी, हुई सुखी तब प्रजा सगरी।

सिद्धारथ जी पिता तुम्हारे, त्रिशला के आँखों के तारे।

छोड़ सभी झंझट संसारी, स्वामी हुए बाल-ब्रह्मचारी।

पंचम काल महा-दुखदाई, चाँदनपुर महिमा दिखलाई।

टीले में अतिशय दिखलाया, एक गाय का दूध गिराया।

सोच हुआ मन में ग्वाले के, पहुँचा एक फावड़ा लेके।

सारा टीला खोद बगाया, तब तुमने दर्शन दिखलाया।

जोधराज को दुख ने घेरा, उसने नाम जपा जब तेरा।

ठंडा हुआ तोप का गोला, तब सब ने जयकारा बोला।

मंत्री ने मन्दिर बनवाया, राजा ने भी द्रव्य लगाया।

बड़ी धर्मशाला बनवाई, तुमको लाने को ठहराई।

तुमने तोड़ी बीसों गाड़ी, पहिया खसका नहीं अगाड़ी।

ग्वाले ने जो हाथ लगाया, फिर तो रथ चलता ही पाया।

पहिले दिन बैशाख बदी के, रथ जाता है तीर नदी के।

मीना गूजर सब ही आते, नाच-कूद सब चित उमगाते।

स्वामी तुमने प्रेम निभाया, ग्वाले का बहु मान बढ़ाया।

हाथ लगे ग्वाले का जब ही, स्वामी रथ चलता है तब ही।

मेरी है टूटी सी नैया, तुम बिन कोई नहीं खिवैया।

मुझ पर स्वामी जरा कृपा कर, मैं हूँ प्रभु तुम्हारा चाकर।

तुम से मैं अरु कछु नहीं चाहूँ, जन्म-जन्म तेरे दर्शन पाऊँ।

चालीसे को चन्द्र बनावे, बीर प्रभु को शीश नवावे।

।। सोरठा ।।

नित चालीसहि बार, बाठ करे चालीस दिन।

खेय सुगन्ध अपार, वर्धमान के सामने।।

होय कुबेर समान, जन्म दरिद्री होय जो।

जिसके नहिं संतान, नाम वंश जग में चले।।

।। इति महावीर चालीसा समाप्त ।।

Another version is as follows

दोहा :
 
सिद्ध समूह नमों सदा, अरु सुमरूं अरहन्त।
निर आकुल निर्वांच्छ हो, गए लोक के अंत ॥
मंगलमय मंगल करन, वर्धमान महावीर।
तुम चिंतत चिंता मिटे, हरो सकल भव पीर ॥
 
 
चौपाई :
जय महावीर दया के सागर, जय श्री सन्मति ज्ञान उजागर।
शांत छवि मूरत अति प्यारी, वेष दिगम्बर के तुम धारी।
कोटि भानु से अति छबि छाजे, देखत तिमिर पाप सब भाजे।
महाबली अरि कर्म विदारे, जोधा मोह सुभट से मारे।
काम क्रोध तजि छोड़ी माया, क्षण में मान कषाय भगाया।
रागी नहीं नहीं तू द्वेषी, वीतराग तू हित उपदेशी।
प्रभु तुम नाम जगत में साँचा, सुमरत भागत भूत पिशाचा।
राक्षस यक्ष डाकिनी भागे, तुम चिंतत भय कोई न लागे।
महा शूल को जो तन धारे, होवे रोग असाध्य निवारे।
व्याल कराल होय फणधारी, विष को उगल क्रोध कर भारी।
 
महाकाल सम करै डसन्ता, निर्विष करो आप भगवन्ता।
महामत्त गज मद को झारै, भगै तुरत जब तुझे पुकारै।
फार डाढ़ सिंहादिक आवै, ताको हे प्रभु तुही भगावै।
होकर प्रबल अग्नि जो जारै, तुम प्रताप शीतलता धारै।
शस्त्र धार अरि युद्ध लड़न्ता, तुम प्रसाद हो विजय तुरन्ता।
पवन प्रचण्ड चलै झकझोरा, प्रभु तुम हरौ होय भय चोरा।
झार खण्ड गिरि अटवी मांहीं, तुम बिनशरण तहां कोउ नांहीं।
वज्रपात करि घन गरजावै, मूसलधार होय तड़कावै।
होय अपुत्र दरिद्र संताना, सुमिरत होत कुबेर समाना।
बंदीगृह में बँधी जंजीरा, कठ सुई अनि में सकल शरीरा।
राजदण्ड करि शूल धरावै, ताहि सिंहासन तुही बिठावै।
न्यायाधीश राजदरबारी, विजय करे होय कृपा तुम्हारी।
जहर हलाहल दुष्ट पियन्ता, अमृत सम प्रभु करो तुरन्ता।
चढ़े जहर, जीवादि डसन्ता, निर्विष क्षण में आप करन्ता।
एक सहस वसु तुमरे नामा, जन्म लियो कुण्डलपुर धामा।
सिद्धारथ नृप सुत कहलाए, त्रिशला मात उदर प्रगटाए।
तुम जनमत भयो लोक अशोका, अनहद शब्दभयो तिहुँलोका।
इन्द्र ने नेत्र सहस्र करि देखा, गिरी सुमेर कियो अभिषेखा।
कामादिक तृष्णा संसारी, तज तुम भए बाल ब्रह्मचारी।
अथिर जान जग अनित बिसारी, बालपने प्रभु दीक्षा धारी।
शांत भाव धर कर्म विनाशे, तुरतहि केवल ज्ञान प्रकाशे।
जड़-चेतन त्रय जग के सारे, हस्त रेखवत्‌ सम तू निहारे।
लोक-अलोक द्रव्य षट जाना, द्वादशांग का रहस्य बखाना।
पशु यज्ञों का मिटा कलेशा, दया धर्म देकर उपदेशा।
अनेकांत अपरिग्रह द्वारा, सर्वप्राणि समभाव प्रचारा।
पंचम काल विषै जिनराई, चांदनपुर प्रभुता प्रगटाई।
क्षण में तोपनि बाढि-हटाई, भक्तन के तुम सदा सहाई।
मूरख नर नहिं अक्षर ज्ञाता, सुमरत पंडित होय विख्याता।
 
सोरठा :

करे पाठ चालीस दिन नित चालीसहिं बार।
खेवै धूप सुगन्ध पढ़, श्री महावीर अगार ॥
जनम दरिद्री होय अरु जिसके नहिं सन्तान।
नाम वंश जग में चले होय कुबेर समान ॥

CHALISA IN KANNADA

॥ದದೋಹ॥

ಶೀಶ್ನವಅರಿಹಂತ್,

ನಾನುನಿನ್ನನ್ನುಗೌರವಿಸುತ್ತೇನೆ.

 

ಉಪಾಧ್ಯಾಯಆಚಾರ್ಯ,

ಆಹ್ಲಾದಕರಹೆಸರನ್ನುತೆಗೆದುಕೊಳ್ಳಿ

 

ಎಲ್ಲಾgesಷಿಮುನಿಗಳುಮತ್ತುಸರಸ್ವತಿ,

ಜಿನ್ದೇವಾಲಯದಸಂತೋಷಗಳು.

 

ಮಹಾವೀರದೇವರಿಗೆ,

ಮನಸ್ಸು-ದೇವಾಲಯದಲ್ಲಿಧಾರ್

 

॥ಬೌಂಡ್॥

ಜೈಮಹಾವೀರ್ದಯಾಲುಸ್ವಾಮಿ.

ವೀರ್ಪ್ರಭು, ನೀವುಜಗತ್ತಿನಲ್ಲಿಪ್ರಸಿದ್ಧರಾಗಿದ್ದೀರಿ

 

ವರ್ಧಮನ್ನಿಮ್ಮಹೆಸರು.

ನಿಮ್ಮಹೃದಯವನ್ನುಪ್ರೀತಿಸಿ

 

ಶಾಂತಿಚಿತ್ರಮತ್ತುಮೋಹಿನಿಮುರಾತ್.

ಶಾನ್ಹನ್ಸ್ಲಿಸೊಹ್ನಿಸೂರತ್

 

ನೀವುದಿಗಂಬರಧರಾರಂತೆಧರಿಸಿದ್ದೀರಿ.

ಕರ್ಮದಶತ್ರುಕೂಡನಿಮಗೆಸೋತನು.

 

ಕೋಪವುಕೋಪಮತ್ತುದುರಾಶೆಗೆತಿರುಗಿತು.

ಮಹಾ-ಮೊಹ್ತಮ್ಸೆಭಯತಿನ್ನುತ್ತಿದ್ದರು

 

ನೀವುಎಲ್ಲರಿಗೂತಿಳಿದಿರುವಿರಿ.

ನೀವುಪ್ರಪಂಚದೊಂದಿಗೆಏನುಹೊಂದಿದ್ದೀರಿ||

 

ನಿಮಗೆರಾಗಮತ್ತುದ್ವಂದ್ವತೆಇಲ್ಲ.

ವೀರ್ರಂಗ್ರಾಗ್ತುಹಿತೋಪದೇಶ

 

ನಿಮ್ಮಹೆಸರುಜಗತ್ತಿನಲ್ಲಿನಿಜ.

ಮಗುವಿನಮಗುವನ್ನುಯಾರುತಿಳಿದಿದ್ದಾರೆ

 

ದೆವ್ವಗಳುನಿಮ್ಮನ್ನುಕಾಡುತ್ತವೆ.

ಎಲ್ಲಾರಾಕ್ಷಸರುಹೋಗುತ್ತಾರೆ

 

ಮಹಾವ್ಯಾಧ್ಮಾರಿಇಬ್ಬರೂಕಿರುಕುಳನೀಡಲಿಲ್ಲ

ಮಹಾವಿಕ್ರಲ್ಕಾಲ್ಡೆರ್ಖವೆ

 

 

 

ಕಲಾನಾಗ್ಹೋಯ್ವಿನೋದ-ಪಟ್ಟೆ.

ಯಾಹೋಸಿಂಹಭೀಕರವಾದಭಾರ॥

 

ನಿಮ್ಮನ್ನುಉಳಿಸಲುಯಾರೂಇರಬಾರದು.

ಸ್ವಾಮಿ, ಪ್ರತಿಪಾಲ, ನಿನಗೆಅದನ್ನುಮಾಡಿ.

 

ಬೆಂಕಿಉರಿಯುತ್ತಿದೆ.

ಬಲವಾದಗಾಳಿಯಿಂದನೀವುಕೆರಳುತ್ತಿದ್ದೀರಿ.

 

ಹೆಸರುನಿಮ್ಮಎಲ್ಲದುಃಖವನ್ನುಕಳೆದುಕೊಳ್ಳಲಿ.

ಬೆಂಕಿತಣ್ಣಗಾಗಲಿ.

 

ಭಾರತಹಿಂಸಾತ್ಮಕವಾಗಿತ್ತು

ನಂತರನೀವುನೆಲೆಸಿದ್ದೀರಿ

 

ಕುಂದಲ್ಪುರನಗರದಲ್ಲಿಜನಿಸಿದರು.

ಆಗಸಂತೋಷವುವಿಷಯವಾಗಿತ್ತು

 

ಸಿದ್ದರಥ್ಜಿನಿಮ್ಮತಂದೆ.

ತ್ರಿಶ್ಲಾಳಕಣ್ಣುಗಳನಕ್ಷತ್ರಗಳು

 

ಎಲ್ಲಾತೊಂದರೆಪ್ರಪಂಚವನ್ನುಬಿಡಿ.

ಮಾಲೀಕಬಾಲ್-ಬ್ರಹ್ಮಚಾರಿ

 

ಐದನೇಕಾಲ್ಮಹಾ-ದುಖಾದೈ.

ಚಂದನ್ಪುರ್ಮಹೀಮಾಡಿಖ್ಲೈ

 

ದಿಬ್ಬವನ್ನುಕಡೆಗಣಿಸಿದೆ.

ಹಸುವಿನಹಾಲುಚೆಲ್ಲಿದೆ

 

ನನ್ನಮನಸ್ಸಿನಲ್ಲಿಕೌಬಾಯ್ಬಗ್ಗೆಯೋಚಿಸುವುದು.

ಸಲಿಕೆತಲುಪಿದೆ

 

ಇಡೀದಿಬ್ಬವನ್ನುಅಗೆದುಹಾಕಲಾಯಿತು.

ಆಗನೀವುನನಗೆದರ್ಶನತೋರಿಸಿದ್ದೀರಿ.

 

ದುಃಖಜೋಧರಾಜ್‌ನನ್ನುಸುತ್ತುವರೆದಿದೆ.

ಅವರುನಿಮ್ಮಹೆಸರನ್ನುಜಪಿಸಿದರು

 

ಕ್ಯಾನನ್ಬಾಲ್ತಣ್ಣಗಾಯಿತು.

ಆಗಎಲ್ಲರೂಕೂಗಿದರು

 

ಸಚಿವರುದೇವಾಲಯವನ್ನುನಿರ್ಮಿಸಿದರು.

ರಾಜಕೂಡಹಣಹಾಕಿದ.

 

ದೊಡ್ಡಧರ್ಮಶಾಲಾನಿರ್ಮಿಸಲಾಗಿದೆ.

ನಿಮ್ಮನ್ನುಕರೆತರಲುನಿಲ್ಲಿಸಲಾಗಿದೆ

 

ನೀವುಹಿಂದೆಕಾರನ್ನುಮುರಿದಿದ್ದೀರಿ.

ಚಕ್ರಪಾಪ್ಮಾಡುವುದಿಲ್ಲ

 

 

 

ಗ್ವಾಲೆಹಾಕಿದಕೈ.

ಆಗರಥಚಲಿಸುತ್ತಿರುವುದನ್ನುಕಂಡನು.

 

ಬೈಷಖ್ವಾಡಿಯಮೊದಲದಿನ

ರಥವುನದಿಯಬಾಣಕ್ಕೆಹೋಗುತ್ತದೆ

 

ಮೀನಾಗುಜಾರ್ಎಲ್ಲರೂಬರುತ್ತಿದ್ದರು.

ಎಲ್ಲಾರೀತಿಯಲ್ಲಿನೃತ್ಯಮತ್ತುನೃತ್ಯ.

 

ಸ್ವಾಮಿ, ನೀವುಪ್ರೀತಿಯನ್ನುಆಡಿದ್ದೀರಿ.

ಕೌಹೆರ್ಡ್ನಹೆಚ್ಚಿದಗುಣಾಕಾರ.

 

ಕೈಹಸುವಿನದ್ದಾಗಲೆಲ್ಲಾ

ಸ್ವಾಮಿರಾಥ್ಚಲಿಸಿದಾಗಮಾತ್ರ

 

ಮೇರಿಮುರಿದಮಹಿಳೆ.

ನೀವುಇಲ್ಲದೆಯಾರೂನಿಮ್ಮನ್ನುಉಳಿಸಲುಸಾಧ್ಯವಿಲ್ಲ.

 

ಸ್ವಾಮಿದಯವಿಟ್ಟುನನಗೆದಯೆತೋರಿಸಿ.

ನಾನುದೇವರು, ನಿಮ್ಮಯಜಮಾನ.

 

ನೀವುಅರುಟಚುಆಗಬೇಕೆಂದುನಾನುಬಯಸುವುದಿಲ್ಲ.

ನೀವುಹುಟ್ಟಿದನಂತರಜನಿಸಲಿ

 

ಚಾಲಿಸ್ಅನ್ನುಚಂದ್ರನನ್ನಾಗಿಮಾಡಿ.

ಶೀಶ್ನವಾವೆಟುಬಿರ್ಪ್ರಭು

 

॥ಸೊರಥಾ॥

ದಿನಕ್ಕೆನಲವತ್ತುಬಾರಿ,

ನಲವತ್ತುದಿನಗಳವರೆಗೆಓದಿ.

 

ಉತ್ತಮವಾಸನೆಅಪಾರ,

ವರ್ಧಾಮನಮುಂದೆ.

 

ಹೋಯ್ಕುಬೇರಾರಂತೆ,

ಜನಿಸಿದಬಡಹೋಯ್ಯಾರು.

 

ಯಾರಮಕ್ಕಳು,

ಕುಲದಹೆಸರುಜಗತ್ತಿನಲ್ಲಿನಡೆಯಿತು.

CHALISA IN KASHMIRI

Kashmiri and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा॥

शीश नवा अरिहन्त को, सिद्धन करूँ प्रणाम।
उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम।
सर्व साधु और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार।
महावीर भगवान को, मन-मन्दिर में धार।

।। चौपाई ।।

जय महावीर दयालु स्वामी, वीर प्रभु तुम जग में नामी।

वर्धमान है नाम तुम्हारा, लगे हृदय को प्यारा प्यारा।

शांति छवि और मोहनी मूरत, शान हँसीली सोहनी सूरत।

तुमने वेश दिगम्बर धारा, कर्म-शत्रु भी तुम से हारा।

क्रोध मान अरु लोभ भगाया, महा-मोह तुमसे डर खाया।

तू सर्वज्ञ सर्व का ज्ञाता, तुझको दुनिया से क्या नाता।

तुझमें नहीं राग और द्वेष, वीर रण राग तू हितोपदेश।

तेरा नाम जगत में सच्चा, जिसको जाने बच्चा बच्चा।

भूत प्रेत तुम से भय खावें, व्यन्तर राक्षस सब भग जावें।

महा व्याध मारी न सतावे, महा विकराल काल डर खावे।

काला नाग होय फन धारी, या हो शेर भयंकर भारी।

ना हो कोई बचाने वाला, स्वामी तुम्हीं करो प्रतिपाला।

अग्नि दावानल सुलग रही हो, तेज हवा से भड़क रही हो।

नाम तुम्हारा सब दुख खोवे, आग एकदम ठण्डी होवे।

हिंसामय था भारत सारा, तब तुमने कीना निस्तारा।

जनम लिया कुण्डलपुर नगरी, हुई सुखी तब प्रजा सगरी।

सिद्धारथ जी पिता तुम्हारे, त्रिशला के आँखों के तारे।

छोड़ सभी झंझट संसारी, स्वामी हुए बाल-ब्रह्मचारी।

पंचम काल महा-दुखदाई, चाँदनपुर महिमा दिखलाई।

टीले में अतिशय दिखलाया, एक गाय का दूध गिराया।

सोच हुआ मन में ग्वाले के, पहुँचा एक फावड़ा लेके।

सारा टीला खोद बगाया, तब तुमने दर्शन दिखलाया।

जोधराज को दुख ने घेरा, उसने नाम जपा जब तेरा।

ठंडा हुआ तोप का गोला, तब सब ने जयकारा बोला।

मंत्री ने मन्दिर बनवाया, राजा ने भी द्रव्य लगाया।

बड़ी धर्मशाला बनवाई, तुमको लाने को ठहराई।

तुमने तोड़ी बीसों गाड़ी, पहिया खसका नहीं अगाड़ी।

ग्वाले ने जो हाथ लगाया, फिर तो रथ चलता ही पाया।

पहिले दिन बैशाख बदी के, रथ जाता है तीर नदी के।

मीना गूजर सब ही आते, नाच-कूद सब चित उमगाते।

स्वामी तुमने प्रेम निभाया, ग्वाले का बहु मान बढ़ाया।

हाथ लगे ग्वाले का जब ही, स्वामी रथ चलता है तब ही।

मेरी है टूटी सी नैया, तुम बिन कोई नहीं खिवैया।

मुझ पर स्वामी जरा कृपा कर, मैं हूँ प्रभु तुम्हारा चाकर।

तुम से मैं अरु कछु नहीं चाहूँ, जन्म-जन्म तेरे दर्शन पाऊँ।

चालीसे को चन्द्र बनावे, बीर प्रभु को शीश नवावे।

।। सोरठा ।।

नित चालीसहि बार, बाठ करे चालीस दिन।

खेय सुगन्ध अपार, वर्धमान के सामने।।

होय कुबेर समान, जन्म दरिद्री होय जो।

जिसके नहिं संतान, नाम वंश जग में चले।।

।। इति महावीर चालीसा समाप्त ।।

Another version is as follows

दोहा :
 
सिद्ध समूह नमों सदा, अरु सुमरूं अरहन्त।
निर आकुल निर्वांच्छ हो, गए लोक के अंत ॥
मंगलमय मंगल करन, वर्धमान महावीर।
तुम चिंतत चिंता मिटे, हरो सकल भव पीर ॥
 
 
चौपाई :
जय महावीर दया के सागर, जय श्री सन्मति ज्ञान उजागर।
शांत छवि मूरत अति प्यारी, वेष दिगम्बर के तुम धारी।
कोटि भानु से अति छबि छाजे, देखत तिमिर पाप सब भाजे।
महाबली अरि कर्म विदारे, जोधा मोह सुभट से मारे।
काम क्रोध तजि छोड़ी माया, क्षण में मान कषाय भगाया।
रागी नहीं नहीं तू द्वेषी, वीतराग तू हित उपदेशी।
प्रभु तुम नाम जगत में साँचा, सुमरत भागत भूत पिशाचा।
राक्षस यक्ष डाकिनी भागे, तुम चिंतत भय कोई न लागे।
महा शूल को जो तन धारे, होवे रोग असाध्य निवारे।
व्याल कराल होय फणधारी, विष को उगल क्रोध कर भारी।
 
महाकाल सम करै डसन्ता, निर्विष करो आप भगवन्ता।
महामत्त गज मद को झारै, भगै तुरत जब तुझे पुकारै।
फार डाढ़ सिंहादिक आवै, ताको हे प्रभु तुही भगावै।
होकर प्रबल अग्नि जो जारै, तुम प्रताप शीतलता धारै।
शस्त्र धार अरि युद्ध लड़न्ता, तुम प्रसाद हो विजय तुरन्ता।
पवन प्रचण्ड चलै झकझोरा, प्रभु तुम हरौ होय भय चोरा।
झार खण्ड गिरि अटवी मांहीं, तुम बिनशरण तहां कोउ नांहीं।
वज्रपात करि घन गरजावै, मूसलधार होय तड़कावै।
होय अपुत्र दरिद्र संताना, सुमिरत होत कुबेर समाना।
बंदीगृह में बँधी जंजीरा, कठ सुई अनि में सकल शरीरा।
राजदण्ड करि शूल धरावै, ताहि सिंहासन तुही बिठावै।
न्यायाधीश राजदरबारी, विजय करे होय कृपा तुम्हारी।
जहर हलाहल दुष्ट पियन्ता, अमृत सम प्रभु करो तुरन्ता।
चढ़े जहर, जीवादि डसन्ता, निर्विष क्षण में आप करन्ता।
एक सहस वसु तुमरे नामा, जन्म लियो कुण्डलपुर धामा।
सिद्धारथ नृप सुत कहलाए, त्रिशला मात उदर प्रगटाए।
तुम जनमत भयो लोक अशोका, अनहद शब्दभयो तिहुँलोका।
इन्द्र ने नेत्र सहस्र करि देखा, गिरी सुमेर कियो अभिषेखा।
कामादिक तृष्णा संसारी, तज तुम भए बाल ब्रह्मचारी।
अथिर जान जग अनित बिसारी, बालपने प्रभु दीक्षा धारी।
शांत भाव धर कर्म विनाशे, तुरतहि केवल ज्ञान प्रकाशे।
जड़-चेतन त्रय जग के सारे, हस्त रेखवत्‌ सम तू निहारे।
लोक-अलोक द्रव्य षट जाना, द्वादशांग का रहस्य बखाना।
पशु यज्ञों का मिटा कलेशा, दया धर्म देकर उपदेशा।
अनेकांत अपरिग्रह द्वारा, सर्वप्राणि समभाव प्रचारा।
पंचम काल विषै जिनराई, चांदनपुर प्रभुता प्रगटाई।
क्षण में तोपनि बाढि-हटाई, भक्तन के तुम सदा सहाई।
मूरख नर नहिं अक्षर ज्ञाता, सुमरत पंडित होय विख्याता।
 
सोरठा :

करे पाठ चालीस दिन नित चालीसहिं बार।
खेवै धूप सुगन्ध पढ़, श्री महावीर अगार ॥
जनम दरिद्री होय अरु जिसके नहिं सन्तान।
नाम वंश जग में चले होय कुबेर समान ॥

CHALISA IN KONKANI

Konkani and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा॥

शीश नवा अरिहन्त को, सिद्धन करूँ प्रणाम।
उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम।
सर्व साधु और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार।
महावीर भगवान को, मन-मन्दिर में धार।

।। चौपाई ।।

जय महावीर दयालु स्वामी, वीर प्रभु तुम जग में नामी।

वर्धमान है नाम तुम्हारा, लगे हृदय को प्यारा प्यारा।

शांति छवि और मोहनी मूरत, शान हँसीली सोहनी सूरत।

तुमने वेश दिगम्बर धारा, कर्म-शत्रु भी तुम से हारा।

क्रोध मान अरु लोभ भगाया, महा-मोह तुमसे डर खाया।

तू सर्वज्ञ सर्व का ज्ञाता, तुझको दुनिया से क्या नाता।

तुझमें नहीं राग और द्वेष, वीर रण राग तू हितोपदेश।

तेरा नाम जगत में सच्चा, जिसको जाने बच्चा बच्चा।

भूत प्रेत तुम से भय खावें, व्यन्तर राक्षस सब भग जावें।

महा व्याध मारी न सतावे, महा विकराल काल डर खावे।

काला नाग होय फन धारी, या हो शेर भयंकर भारी।

ना हो कोई बचाने वाला, स्वामी तुम्हीं करो प्रतिपाला।

अग्नि दावानल सुलग रही हो, तेज हवा से भड़क रही हो।

नाम तुम्हारा सब दुख खोवे, आग एकदम ठण्डी होवे।

हिंसामय था भारत सारा, तब तुमने कीना निस्तारा।

जनम लिया कुण्डलपुर नगरी, हुई सुखी तब प्रजा सगरी।

सिद्धारथ जी पिता तुम्हारे, त्रिशला के आँखों के तारे।

छोड़ सभी झंझट संसारी, स्वामी हुए बाल-ब्रह्मचारी।

पंचम काल महा-दुखदाई, चाँदनपुर महिमा दिखलाई।

टीले में अतिशय दिखलाया, एक गाय का दूध गिराया।

सोच हुआ मन में ग्वाले के, पहुँचा एक फावड़ा लेके।

सारा टीला खोद बगाया, तब तुमने दर्शन दिखलाया।

जोधराज को दुख ने घेरा, उसने नाम जपा जब तेरा।

ठंडा हुआ तोप का गोला, तब सब ने जयकारा बोला।

मंत्री ने मन्दिर बनवाया, राजा ने भी द्रव्य लगाया।

बड़ी धर्मशाला बनवाई, तुमको लाने को ठहराई।

तुमने तोड़ी बीसों गाड़ी, पहिया खसका नहीं अगाड़ी।

ग्वाले ने जो हाथ लगाया, फिर तो रथ चलता ही पाया।

पहिले दिन बैशाख बदी के, रथ जाता है तीर नदी के।

मीना गूजर सब ही आते, नाच-कूद सब चित उमगाते।

स्वामी तुमने प्रेम निभाया, ग्वाले का बहु मान बढ़ाया।

हाथ लगे ग्वाले का जब ही, स्वामी रथ चलता है तब ही।

मेरी है टूटी सी नैया, तुम बिन कोई नहीं खिवैया।

मुझ पर स्वामी जरा कृपा कर, मैं हूँ प्रभु तुम्हारा चाकर।

तुम से मैं अरु कछु नहीं चाहूँ, जन्म-जन्म तेरे दर्शन पाऊँ।

चालीसे को चन्द्र बनावे, बीर प्रभु को शीश नवावे।

।। सोरठा ।।

नित चालीसहि बार, बाठ करे चालीस दिन।

खेय सुगन्ध अपार, वर्धमान के सामने।।

होय कुबेर समान, जन्म दरिद्री होय जो।

जिसके नहिं संतान, नाम वंश जग में चले।।

।। इति महावीर चालीसा समाप्त ।।

Another version is as follows

दोहा :
 
सिद्ध समूह नमों सदा, अरु सुमरूं अरहन्त।
निर आकुल निर्वांच्छ हो, गए लोक के अंत ॥
मंगलमय मंगल करन, वर्धमान महावीर।
तुम चिंतत चिंता मिटे, हरो सकल भव पीर ॥
 
 
चौपाई :
जय महावीर दया के सागर, जय श्री सन्मति ज्ञान उजागर।
शांत छवि मूरत अति प्यारी, वेष दिगम्बर के तुम धारी।
कोटि भानु से अति छबि छाजे, देखत तिमिर पाप सब भाजे।
महाबली अरि कर्म विदारे, जोधा मोह सुभट से मारे।
काम क्रोध तजि छोड़ी माया, क्षण में मान कषाय भगाया।
रागी नहीं नहीं तू द्वेषी, वीतराग तू हित उपदेशी।
प्रभु तुम नाम जगत में साँचा, सुमरत भागत भूत पिशाचा।
राक्षस यक्ष डाकिनी भागे, तुम चिंतत भय कोई न लागे।
महा शूल को जो तन धारे, होवे रोग असाध्य निवारे।
व्याल कराल होय फणधारी, विष को उगल क्रोध कर भारी।
 
महाकाल सम करै डसन्ता, निर्विष करो आप भगवन्ता।
महामत्त गज मद को झारै, भगै तुरत जब तुझे पुकारै।
फार डाढ़ सिंहादिक आवै, ताको हे प्रभु तुही भगावै।
होकर प्रबल अग्नि जो जारै, तुम प्रताप शीतलता धारै।
शस्त्र धार अरि युद्ध लड़न्ता, तुम प्रसाद हो विजय तुरन्ता।
पवन प्रचण्ड चलै झकझोरा, प्रभु तुम हरौ होय भय चोरा।
झार खण्ड गिरि अटवी मांहीं, तुम बिनशरण तहां कोउ नांहीं।
वज्रपात करि घन गरजावै, मूसलधार होय तड़कावै।
होय अपुत्र दरिद्र संताना, सुमिरत होत कुबेर समाना।
बंदीगृह में बँधी जंजीरा, कठ सुई अनि में सकल शरीरा।
राजदण्ड करि शूल धरावै, ताहि सिंहासन तुही बिठावै।
न्यायाधीश राजदरबारी, विजय करे होय कृपा तुम्हारी।
जहर हलाहल दुष्ट पियन्ता, अमृत सम प्रभु करो तुरन्ता।
चढ़े जहर, जीवादि डसन्ता, निर्विष क्षण में आप करन्ता।
एक सहस वसु तुमरे नामा, जन्म लियो कुण्डलपुर धामा।
सिद्धारथ नृप सुत कहलाए, त्रिशला मात उदर प्रगटाए।
तुम जनमत भयो लोक अशोका, अनहद शब्दभयो तिहुँलोका।
इन्द्र ने नेत्र सहस्र करि देखा, गिरी सुमेर कियो अभिषेखा।
कामादिक तृष्णा संसारी, तज तुम भए बाल ब्रह्मचारी।
अथिर जान जग अनित बिसारी, बालपने प्रभु दीक्षा धारी।
शांत भाव धर कर्म विनाशे, तुरतहि केवल ज्ञान प्रकाशे।
जड़-चेतन त्रय जग के सारे, हस्त रेखवत्‌ सम तू निहारे।
लोक-अलोक द्रव्य षट जाना, द्वादशांग का रहस्य बखाना।
पशु यज्ञों का मिटा कलेशा, दया धर्म देकर उपदेशा।
अनेकांत अपरिग्रह द्वारा, सर्वप्राणि समभाव प्रचारा।
पंचम काल विषै जिनराई, चांदनपुर प्रभुता प्रगटाई।
क्षण में तोपनि बाढि-हटाई, भक्तन के तुम सदा सहाई।
मूरख नर नहिं अक्षर ज्ञाता, सुमरत पंडित होय विख्याता।
 
सोरठा :

करे पाठ चालीस दिन नित चालीसहिं बार।
खेवै धूप सुगन्ध पढ़, श्री महावीर अगार ॥
जनम दरिद्री होय अरु जिसके नहिं सन्तान।
नाम वंश जग में चले होय कुबेर समान ॥

CHALISA IN MAITHILI

Maithili and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा॥

शीश नवा अरिहन्त को, सिद्धन करूँ प्रणाम।
उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम।
सर्व साधु और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार।
महावीर भगवान को, मन-मन्दिर में धार।

।। चौपाई ।।

जय महावीर दयालु स्वामी, वीर प्रभु तुम जग में नामी।

वर्धमान है नाम तुम्हारा, लगे हृदय को प्यारा प्यारा।

शांति छवि और मोहनी मूरत, शान हँसीली सोहनी सूरत।

तुमने वेश दिगम्बर धारा, कर्म-शत्रु भी तुम से हारा।

क्रोध मान अरु लोभ भगाया, महा-मोह तुमसे डर खाया।

तू सर्वज्ञ सर्व का ज्ञाता, तुझको दुनिया से क्या नाता।

तुझमें नहीं राग और द्वेष, वीर रण राग तू हितोपदेश।

तेरा नाम जगत में सच्चा, जिसको जाने बच्चा बच्चा।

भूत प्रेत तुम से भय खावें, व्यन्तर राक्षस सब भग जावें।

महा व्याध मारी न सतावे, महा विकराल काल डर खावे।

काला नाग होय फन धारी, या हो शेर भयंकर भारी।

ना हो कोई बचाने वाला, स्वामी तुम्हीं करो प्रतिपाला।

अग्नि दावानल सुलग रही हो, तेज हवा से भड़क रही हो।

नाम तुम्हारा सब दुख खोवे, आग एकदम ठण्डी होवे।

हिंसामय था भारत सारा, तब तुमने कीना निस्तारा।

जनम लिया कुण्डलपुर नगरी, हुई सुखी तब प्रजा सगरी।

सिद्धारथ जी पिता तुम्हारे, त्रिशला के आँखों के तारे।

छोड़ सभी झंझट संसारी, स्वामी हुए बाल-ब्रह्मचारी।

पंचम काल महा-दुखदाई, चाँदनपुर महिमा दिखलाई।

टीले में अतिशय दिखलाया, एक गाय का दूध गिराया।

सोच हुआ मन में ग्वाले के, पहुँचा एक फावड़ा लेके।

सारा टीला खोद बगाया, तब तुमने दर्शन दिखलाया।

जोधराज को दुख ने घेरा, उसने नाम जपा जब तेरा।

ठंडा हुआ तोप का गोला, तब सब ने जयकारा बोला।

मंत्री ने मन्दिर बनवाया, राजा ने भी द्रव्य लगाया।

बड़ी धर्मशाला बनवाई, तुमको लाने को ठहराई।

तुमने तोड़ी बीसों गाड़ी, पहिया खसका नहीं अगाड़ी।

ग्वाले ने जो हाथ लगाया, फिर तो रथ चलता ही पाया।

पहिले दिन बैशाख बदी के, रथ जाता है तीर नदी के।

मीना गूजर सब ही आते, नाच-कूद सब चित उमगाते।

स्वामी तुमने प्रेम निभाया, ग्वाले का बहु मान बढ़ाया।

हाथ लगे ग्वाले का जब ही, स्वामी रथ चलता है तब ही।

मेरी है टूटी सी नैया, तुम बिन कोई नहीं खिवैया।

मुझ पर स्वामी जरा कृपा कर, मैं हूँ प्रभु तुम्हारा चाकर।

तुम से मैं अरु कछु नहीं चाहूँ, जन्म-जन्म तेरे दर्शन पाऊँ।

चालीसे को चन्द्र बनावे, बीर प्रभु को शीश नवावे।

।। सोरठा ।।

नित चालीसहि बार, बाठ करे चालीस दिन।

खेय सुगन्ध अपार, वर्धमान के सामने।।

होय कुबेर समान, जन्म दरिद्री होय जो।

जिसके नहिं संतान, नाम वंश जग में चले।।

।। इति महावीर चालीसा समाप्त ।।

Another version is as follows

दोहा :
 
सिद्ध समूह नमों सदा, अरु सुमरूं अरहन्त।
निर आकुल निर्वांच्छ हो, गए लोक के अंत ॥
मंगलमय मंगल करन, वर्धमान महावीर।
तुम चिंतत चिंता मिटे, हरो सकल भव पीर ॥
 
 
चौपाई :
जय महावीर दया के सागर, जय श्री सन्मति ज्ञान उजागर।
शांत छवि मूरत अति प्यारी, वेष दिगम्बर के तुम धारी।
कोटि भानु से अति छबि छाजे, देखत तिमिर पाप सब भाजे।
महाबली अरि कर्म विदारे, जोधा मोह सुभट से मारे।
काम क्रोध तजि छोड़ी माया, क्षण में मान कषाय भगाया।
रागी नहीं नहीं तू द्वेषी, वीतराग तू हित उपदेशी।
प्रभु तुम नाम जगत में साँचा, सुमरत भागत भूत पिशाचा।
राक्षस यक्ष डाकिनी भागे, तुम चिंतत भय कोई न लागे।
महा शूल को जो तन धारे, होवे रोग असाध्य निवारे।
व्याल कराल होय फणधारी, विष को उगल क्रोध कर भारी।
 
महाकाल सम करै डसन्ता, निर्विष करो आप भगवन्ता।
महामत्त गज मद को झारै, भगै तुरत जब तुझे पुकारै।
फार डाढ़ सिंहादिक आवै, ताको हे प्रभु तुही भगावै।
होकर प्रबल अग्नि जो जारै, तुम प्रताप शीतलता धारै।
शस्त्र धार अरि युद्ध लड़न्ता, तुम प्रसाद हो विजय तुरन्ता।
पवन प्रचण्ड चलै झकझोरा, प्रभु तुम हरौ होय भय चोरा।
झार खण्ड गिरि अटवी मांहीं, तुम बिनशरण तहां कोउ नांहीं।
वज्रपात करि घन गरजावै, मूसलधार होय तड़कावै।
होय अपुत्र दरिद्र संताना, सुमिरत होत कुबेर समाना।
बंदीगृह में बँधी जंजीरा, कठ सुई अनि में सकल शरीरा।
राजदण्ड करि शूल धरावै, ताहि सिंहासन तुही बिठावै।
न्यायाधीश राजदरबारी, विजय करे होय कृपा तुम्हारी।
जहर हलाहल दुष्ट पियन्ता, अमृत सम प्रभु करो तुरन्ता।
चढ़े जहर, जीवादि डसन्ता, निर्विष क्षण में आप करन्ता।
एक सहस वसु तुमरे नामा, जन्म लियो कुण्डलपुर धामा।
सिद्धारथ नृप सुत कहलाए, त्रिशला मात उदर प्रगटाए।
तुम जनमत भयो लोक अशोका, अनहद शब्दभयो तिहुँलोका।
इन्द्र ने नेत्र सहस्र करि देखा, गिरी सुमेर कियो अभिषेखा।
कामादिक तृष्णा संसारी, तज तुम भए बाल ब्रह्मचारी।
अथिर जान जग अनित बिसारी, बालपने प्रभु दीक्षा धारी।
शांत भाव धर कर्म विनाशे, तुरतहि केवल ज्ञान प्रकाशे।
जड़-चेतन त्रय जग के सारे, हस्त रेखवत्‌ सम तू निहारे।
लोक-अलोक द्रव्य षट जाना, द्वादशांग का रहस्य बखाना।
पशु यज्ञों का मिटा कलेशा, दया धर्म देकर उपदेशा।
अनेकांत अपरिग्रह द्वारा, सर्वप्राणि समभाव प्रचारा।
पंचम काल विषै जिनराई, चांदनपुर प्रभुता प्रगटाई।
क्षण में तोपनि बाढि-हटाई, भक्तन के तुम सदा सहाई।
मूरख नर नहिं अक्षर ज्ञाता, सुमरत पंडित होय विख्याता।
 
सोरठा :

करे पाठ चालीस दिन नित चालीसहिं बार।
खेवै धूप सुगन्ध पढ़, श्री महावीर अगार ॥
जनम दरिद्री होय अरु जिसके नहिं सन्तान।
नाम वंश जग में चले होय कुबेर समान ॥

CHALISA IN MALAYALAM

॥ദോഹ॥

ഷീശ്നവഅരിഹന്ത്,

ഞാന്നിന്നെഅഭിവാദ്യംചെയ്യുന്നു.

 

ഉപാധ്യായആചാര്യ,

മനോഹരമായപേര്എടുക്കുക

 

എല്ലാമുനിമാരുംസരസ്വതിയും,

ജിൻക്ഷേത്രആനന്ദങ്ങൾ.

 

 

മഹാവീരദൈവത്തിന്,

മനസ്സ്-ക്ഷേത്രത്തിൽധാർ

 

॥അതിർത്തി॥

ജയ്മഹാവീർദയാലുസ്വാമി.

വീർപ്രഭു, നിങ്ങൾലോകത്ത്പ്രശസ്തരാണ്

 

വർധമാൻനിങ്ങളുടെപേരാണ്.

നിങ്ങളുടെഹൃദയത്തെസ്നേഹിക്കുക

 

ശാന്തിചിത്രവുംമോഹിനിമുറാത്തും.

ഷാൻഹാൻസ്ലിസോഹ്നിസൂറത്ത്

 

നിങ്ങൾദിഗമ്പർധാരയായിവേഷംധരിച്ചു.

കർമ്മത്തിന്റെശത്രുപോലുംനിങ്ങൾക്ക്നഷ്ടപ്പെട്ടു.

 

കോപംകോപത്തിലേക്കുംഅത്യാഗ്രഹത്തിലേക്കുംതിരിഞ്ഞു.

മഹാ-മോതാംസെഭയംഭക്ഷിച്ചു

 

നിങ്ങൾഎല്ലാവരേയുംഅറിയുന്നവനാണ്.

ലോകവുമായിനിങ്ങൾക്ക്എന്താണ്ഉള്ളത്||

 

നിങ്ങൾക്ക്രാഗവുംദ്വൈതതയുംഇല്ല.

വീർറംഗ്റാഗ്തുഹിറ്റോപദേശ്

 

നിങ്ങളുടെപേര്ലോകത്ത്ശരിയാണ്.

കുഞ്ഞിനെഅറിയുന്നവർ

 

പ്രേതങ്ങൾനിങ്ങളെവേട്ടയാടുന്നു.

എല്ലാഅസുരന്മാരുംപോകുന്നു

 

മഹവ്യാധമാരിഉപദ്രവിച്ചിട്ടില്ല

മഹാവിക്രൽകാൾഡെർഖാവെ

 

കാലനാഗ്ഹോയ്ഫൺ-സ്ട്രൈപ്പ്.

യാഹോസിംഹംഭയങ്കരഹെവി

 

നിങ്ങളെരക്ഷിക്കാൻആരുമുണ്ടാകരുത്.

സ്വാമി, പ്രതിപാല, നിങ്ങളോട്ഇത്ചെയ്യുക.

 

തീകത്തുന്നു.

ശക്തമായകാറ്റിനാൽനിങ്ങൾആഞ്ഞടിക്കുന്നു.

 

പേര്നിങ്ങളുടെഎല്ലാസങ്കടങ്ങളുംനഷ്ടപ്പെടുത്തട്ടെ.

തീതണുപ്പിക്കട്ടെ.

 

ഇന്ത്യഅക്രമാസക്തമായിരുന്നു

എന്നിട്ട്നിങ്ങൾസ്ഥിരതാമസമാക്കി

 

കുണ്ഡൽപൂർനഗരത്തിലാണ്ജനനം.

സന്തോഷമായിരുന്നുഅന്ന്വിഷയങ്ങൾ

 

സിദ്ധരത്ത്ജിനിങ്ങളുടെപിതാവ്.

ത്രിശ്ലയുടെകണ്ണുകളിലെനക്ഷത്രങ്ങൾ

 

 

എല്ലാകുഴപ്പലോകവുംഉപേക്ഷിക്കുക.

ഉടമബാൽ-ബ്രഹ്മചാരി

 

അഞ്ചാമത്തെകാൾമഹാ-ദുഖാദായി.

ചന്ദൻപൂർമഹിമദിഖ്‌ലായ്

 

കുന്നിനെഅവഗണിച്ചു.

ഒരുപശുവിന്റെപാൽഒഴിച്ചു

 

എന്റെമനസ്സിൽഒരുകൗബോയിയെക്കുറിച്ച്ചിന്തിക്കുന്നു.

ഒരുകോരികയുമായിഎത്തി

 

കുന്നുകൾമുഴുവൻകുഴിച്ചു.

അപ്പോൾനിങ്ങൾഎനിക്ക്ദർശനംകാണിച്ചു.

 

സങ്കടംജോധരാജിനെവളഞ്ഞു.

നിങ്ങളുടെപേര്അവൻചൊല്ലുന്നു

 

പീരങ്കിപന്ത്തണുത്തു.

അപ്പോൾഎല്ലാവരുംഅലറി

 

മന്ത്രിക്ഷേത്രംപണിതു.

രാജാവുംപണംവെച്ചു.

 

ഒരുവലിയധർമ്മശാലനിർമ്മിച്ചു.

നിങ്ങളെകൊണ്ടുവരുന്നത്നിർത്തി

 

 

നിങ്ങൾമുമ്പ്ഒരുകാർതകർത്തു.

ചക്രംപോപ്പ്ചെയ്യുന്നില്ല

 

ഗ്വാലെധരിച്ചകൈ.

അപ്പോൾരഥംചലിക്കുന്നതായികണ്ടു.

 

ബൈഷാക്വാഡിയുടെആദ്യദിവസം

രഥംനദിഅമ്പിലേക്ക്പോകുന്നു

 

മീനഗുജാർഎല്ലാവരുംവരുമായിരുന്നു.

എല്ലാവഴികളിലുംനൃത്തവുംനൃത്തവും.

 

സ്വാമി, നിങ്ങൾസ്നേഹംകളിച്ചു.

കൗഹെർഡിന്റെവർദ്ധിച്ചഗുണിതം.

 

കൈഒരുപശുവിന്റേതാണ്

സ്വാമിരഥ്നീങ്ങുമ്പോൾമാത്രം

 

തകർന്നസ്ത്രീയാണ്മേരി.

നിങ്ങളില്ലാതെആർക്കുംനിങ്ങളെരക്ഷിക്കാൻകഴിയില്ല.

 

സ്വാമിദയവായിഎന്നോട്ദയകാണിക്കൂ.

ഞാൻദൈവം, നിങ്ങളുടെയജമാനൻ.

 

നിങ്ങൾഅരുതച്ചുആകാൻഞാൻആഗ്രഹിക്കുന്നില്ല.

നിങ്ങൾജനിച്ചതിനുശേഷംജനിക്കട്ടെ

 

 

ചാലിസിനെചന്ദ്രനാക്കുക.

ഷീശ്നവവേടുബിർപ്രഭു

 

॥സോരത॥

ഒരുദിവസംനാൽപത്തവണ,

നാൽപത്ദിവസംവായിക്കുക.

 

നല്ലമണം

വർധമാന്റെമുന്നിൽ.

 

ഹോയ്കുബേരയെപ്പോലെ,

ജനിച്ചപാവംഹോയ്ആരാണ്.

 

ആരുടെമക്കൾ,

കുലംഎന്നപേര്ലോകത്ത്നടന്നു.

CHALISA IN MEITEI

Meitei and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा॥

शीश नवा अरिहन्त को, सिद्धन करूँ प्रणाम।
उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम।
सर्व साधु और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार।
महावीर भगवान को, मन-मन्दिर में धार।

।। चौपाई ।।

जय महावीर दयालु स्वामी, वीर प्रभु तुम जग में नामी।

वर्धमान है नाम तुम्हारा, लगे हृदय को प्यारा प्यारा।

शांति छवि और मोहनी मूरत, शान हँसीली सोहनी सूरत।

तुमने वेश दिगम्बर धारा, कर्म-शत्रु भी तुम से हारा।

क्रोध मान अरु लोभ भगाया, महा-मोह तुमसे डर खाया।

तू सर्वज्ञ सर्व का ज्ञाता, तुझको दुनिया से क्या नाता।

तुझमें नहीं राग और द्वेष, वीर रण राग तू हितोपदेश।

तेरा नाम जगत में सच्चा, जिसको जाने बच्चा बच्चा।

भूत प्रेत तुम से भय खावें, व्यन्तर राक्षस सब भग जावें।

महा व्याध मारी न सतावे, महा विकराल काल डर खावे।

काला नाग होय फन धारी, या हो शेर भयंकर भारी।

ना हो कोई बचाने वाला, स्वामी तुम्हीं करो प्रतिपाला।

अग्नि दावानल सुलग रही हो, तेज हवा से भड़क रही हो।

नाम तुम्हारा सब दुख खोवे, आग एकदम ठण्डी होवे।

हिंसामय था भारत सारा, तब तुमने कीना निस्तारा।

जनम लिया कुण्डलपुर नगरी, हुई सुखी तब प्रजा सगरी।

सिद्धारथ जी पिता तुम्हारे, त्रिशला के आँखों के तारे।

छोड़ सभी झंझट संसारी, स्वामी हुए बाल-ब्रह्मचारी।

पंचम काल महा-दुखदाई, चाँदनपुर महिमा दिखलाई।

टीले में अतिशय दिखलाया, एक गाय का दूध गिराया।

सोच हुआ मन में ग्वाले के, पहुँचा एक फावड़ा लेके।

सारा टीला खोद बगाया, तब तुमने दर्शन दिखलाया।

जोधराज को दुख ने घेरा, उसने नाम जपा जब तेरा।

ठंडा हुआ तोप का गोला, तब सब ने जयकारा बोला।

मंत्री ने मन्दिर बनवाया, राजा ने भी द्रव्य लगाया।

बड़ी धर्मशाला बनवाई, तुमको लाने को ठहराई।

तुमने तोड़ी बीसों गाड़ी, पहिया खसका नहीं अगाड़ी।

ग्वाले ने जो हाथ लगाया, फिर तो रथ चलता ही पाया।

पहिले दिन बैशाख बदी के, रथ जाता है तीर नदी के।

मीना गूजर सब ही आते, नाच-कूद सब चित उमगाते।

स्वामी तुमने प्रेम निभाया, ग्वाले का बहु मान बढ़ाया।

हाथ लगे ग्वाले का जब ही, स्वामी रथ चलता है तब ही।

मेरी है टूटी सी नैया, तुम बिन कोई नहीं खिवैया।

मुझ पर स्वामी जरा कृपा कर, मैं हूँ प्रभु तुम्हारा चाकर।

तुम से मैं अरु कछु नहीं चाहूँ, जन्म-जन्म तेरे दर्शन पाऊँ।

चालीसे को चन्द्र बनावे, बीर प्रभु को शीश नवावे।

।। सोरठा ।।

नित चालीसहि बार, बाठ करे चालीस दिन।

खेय सुगन्ध अपार, वर्धमान के सामने।।

होय कुबेर समान, जन्म दरिद्री होय जो।

जिसके नहिं संतान, नाम वंश जग में चले।।

।। इति महावीर चालीसा समाप्त ।।

Another version is as follows

दोहा :
 
सिद्ध समूह नमों सदा, अरु सुमरूं अरहन्त।
निर आकुल निर्वांच्छ हो, गए लोक के अंत ॥
मंगलमय मंगल करन, वर्धमान महावीर।
तुम चिंतत चिंता मिटे, हरो सकल भव पीर ॥
 
 
चौपाई :
जय महावीर दया के सागर, जय श्री सन्मति ज्ञान उजागर।
शांत छवि मूरत अति प्यारी, वेष दिगम्बर के तुम धारी।
कोटि भानु से अति छबि छाजे, देखत तिमिर पाप सब भाजे।
महाबली अरि कर्म विदारे, जोधा मोह सुभट से मारे।
काम क्रोध तजि छोड़ी माया, क्षण में मान कषाय भगाया।
रागी नहीं नहीं तू द्वेषी, वीतराग तू हित उपदेशी।
प्रभु तुम नाम जगत में साँचा, सुमरत भागत भूत पिशाचा।
राक्षस यक्ष डाकिनी भागे, तुम चिंतत भय कोई न लागे।
महा शूल को जो तन धारे, होवे रोग असाध्य निवारे।
व्याल कराल होय फणधारी, विष को उगल क्रोध कर भारी।
 
महाकाल सम करै डसन्ता, निर्विष करो आप भगवन्ता।
महामत्त गज मद को झारै, भगै तुरत जब तुझे पुकारै।
फार डाढ़ सिंहादिक आवै, ताको हे प्रभु तुही भगावै।
होकर प्रबल अग्नि जो जारै, तुम प्रताप शीतलता धारै।
शस्त्र धार अरि युद्ध लड़न्ता, तुम प्रसाद हो विजय तुरन्ता।
पवन प्रचण्ड चलै झकझोरा, प्रभु तुम हरौ होय भय चोरा।
झार खण्ड गिरि अटवी मांहीं, तुम बिनशरण तहां कोउ नांहीं।
वज्रपात करि घन गरजावै, मूसलधार होय तड़कावै।
होय अपुत्र दरिद्र संताना, सुमिरत होत कुबेर समाना।
बंदीगृह में बँधी जंजीरा, कठ सुई अनि में सकल शरीरा।
राजदण्ड करि शूल धरावै, ताहि सिंहासन तुही बिठावै।
न्यायाधीश राजदरबारी, विजय करे होय कृपा तुम्हारी।
जहर हलाहल दुष्ट पियन्ता, अमृत सम प्रभु करो तुरन्ता।
चढ़े जहर, जीवादि डसन्ता, निर्विष क्षण में आप करन्ता।
एक सहस वसु तुमरे नामा, जन्म लियो कुण्डलपुर धामा।
सिद्धारथ नृप सुत कहलाए, त्रिशला मात उदर प्रगटाए।
तुम जनमत भयो लोक अशोका, अनहद शब्दभयो तिहुँलोका।
इन्द्र ने नेत्र सहस्र करि देखा, गिरी सुमेर कियो अभिषेखा।
कामादिक तृष्णा संसारी, तज तुम भए बाल ब्रह्मचारी।
अथिर जान जग अनित बिसारी, बालपने प्रभु दीक्षा धारी।
शांत भाव धर कर्म विनाशे, तुरतहि केवल ज्ञान प्रकाशे।
जड़-चेतन त्रय जग के सारे, हस्त रेखवत्‌ सम तू निहारे।
लोक-अलोक द्रव्य षट जाना, द्वादशांग का रहस्य बखाना।
पशु यज्ञों का मिटा कलेशा, दया धर्म देकर उपदेशा।
अनेकांत अपरिग्रह द्वारा, सर्वप्राणि समभाव प्रचारा।
पंचम काल विषै जिनराई, चांदनपुर प्रभुता प्रगटाई।
क्षण में तोपनि बाढि-हटाई, भक्तन के तुम सदा सहाई।
मूरख नर नहिं अक्षर ज्ञाता, सुमरत पंडित होय विख्याता।
 
सोरठा :

करे पाठ चालीस दिन नित चालीसहिं बार।
खेवै धूप सुगन्ध पढ़, श्री महावीर अगार ॥
जनम दरिद्री होय अरु जिसके नहिं सन्तान।
नाम वंश जग में चले होय कुबेर समान ॥

CHALISA IN MARATHI

 ॥दोहा॥

शीशनवाअरिहंत,

मीतुलासलामकरतो.

 

उपाध्यायआचार्ययांचे,

सुखदनामघ्या॥

 

सर्वandषीआणिसरस्वती,

जिनमंदिरसुख।

 

भगवानमहावीरांना,

धरणेमन-मंदिरात

 

 ॥चौकार ॥

जयमहावीरदयालुस्वामी.

वीरप्रभु, तूजगातप्रसिद्धआहेस

 

वर्धमानतुझेनावआहे.

मनापासूनप्रेमकरा

 

शांतीप्रतिमाआणिमोहिनीमुरत.

शानहंसलीसोहनीसूरत॥

 

तूदिगंबरधाराघातलास.

जरीकर्माचाशत्रूतुमचापराभवझाला.

 

रागक्रोधाकडेवलोभाकडेवळला.

महा-मोहतमसेभयखाल्ले

 

आपणसर्वांचेजाणताआहात.

जगाबरोबरतुझेकायआहे||

 

आपल्याकडेरागआणिद्वैतनाही.

वीररंगलारागतूहितोपदेश

 

आपलेनावजगातखरेआहे.

कोणबाळबाळजाणतो॥

 

भुतेतुझंपछाडतात.

सर्वभुतेनिघूनजातात

 

महाव्याधिमारीनछळ

महाविक्रलकाळडरखावे॥

 

कलानागहोईफन-स्ट्रिप.

याहोसिंहभयानभारी॥

 

आपल्यालावाचविणाराकोणीहीअसूनये.

स्वामी, प्रतिपला, तूतेकर.

 

आगजळतआहे.

तुम्हीजोरदारवा ्यानेरागावताआहात.

 

नावातआपलेसर्वदुःखकमीहोऊशकेल.

आगथंडहोऊद्या.

 

भारतहिंसकहोता

मगतुम्हीस्थायिकझालात

 

जन्मकुंडलपूरशहर.

सुखतेव्हाविषयहोते

 

सिद्धार्थजीतुमचेवडील.

त्रिशलाच्याडोळ्यातीलतारे

 

सर्वत्रासजगसोडूनद्या.

मालकबाळ-ब्रह्मचारी

 

पाचवाकाळमहा-दुखदाई.

चंदनपूरमहिमादिखलाई

 

टीलाकडेदुर्लक्षकेले.

गायीचेसांडलेलेदूध

 

माझ्यामनातगुराखीविचार.

फावडेघेऊनपोहोचलो

 

संपूर्णटीकाखोदली.

मगतूमलादर्शनदाखवलेस.

 

दु: खानेजोधराजघेरले.

जेव्हात्यानेतुझेनावघेतलेतेव्हा

 

तोफांचाचेंडूथंडझाला.

मगसगळेओरडले

 

मंत्र्यांनीमंदिरबांधले.

राजानेपैसेहीठेवले.

 

एकमोठीधर्मशाळाबांधली.

आणण्यासाठीथांबलो

 

पूर्वीतुम्हीएककारमोडलीहोती.

चाकपॉपनाही

 

गवलेयांनीहातठेवला.

मगत्यालारथहलतानादिसला.

 

बैशाखवडीच्यापहिल्यादिवशी

रथनदीच्याबाणावरगेला

 

मीनागुर्जरसर्वयायची.

सर्वत्रनृत्यआणिनाचणे.

 

स्वामी, तूप्रेमकेलेस.

गोठ्यातवाढलेलीबहुसंख्या

 

जेव्हाजेव्हाहातगायीचाअसतो

जेव्हास्वामीरथफिरताततेव्हाच

 

मेरीएकतुटलेलीस्त्रीआहे.

तुमच्याशिवायकोणीहीतुम्हालावाचवूशकतनाही.

 

स्वामीकृपयामाझ्यावरदयाकरा.

मीदेव, तुमचास्वामीआहे.

 

मीतुलाअरुटाचूइच्छितनाही.

आपणजन्मानंतरजन्मालायावे

 

चाळीसएकचंद्रकरा.

शीशनवावेतेबीरप्रभू

 

 ॥सोरठा ॥

दिवसातूनचाळीसवेळा,

चाळीसदिवसवाचा.

 

सुगंधितअफाट,

वर्धमानसमोर.

 

होईकुबेराप्रमाणे,

जन्मलेलागरीबहोईकोण.

 

कोणाचीमुले,

नावाचेकुळजगातचालले.

CHALISA IN NEPALI

Nepali and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 

॥ दोहा॥

शीश नवा अरिहन्त को, सिद्धन करूँ प्रणाम।
उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम।
सर्व साधु और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार।
महावीर भगवान को, मन-मन्दिर में धार।

।। चौपाई ।।

जय महावीर दयालु स्वामी, वीर प्रभु तुम जग में नामी।

वर्धमान है नाम तुम्हारा, लगे हृदय को प्यारा प्यारा।

शांति छवि और मोहनी मूरत, शान हँसीली सोहनी सूरत।

तुमने वेश दिगम्बर धारा, कर्म-शत्रु भी तुम से हारा।

क्रोध मान अरु लोभ भगाया, महा-मोह तुमसे डर खाया।

तू सर्वज्ञ सर्व का ज्ञाता, तुझको दुनिया से क्या नाता।

तुझमें नहीं राग और द्वेष, वीर रण राग तू हितोपदेश।

तेरा नाम जगत में सच्चा, जिसको जाने बच्चा बच्चा।

भूत प्रेत तुम से भय खावें, व्यन्तर राक्षस सब भग जावें।

महा व्याध मारी न सतावे, महा विकराल काल डर खावे।

काला नाग होय फन धारी, या हो शेर भयंकर भारी।

ना हो कोई बचाने वाला, स्वामी तुम्हीं करो प्रतिपाला।

अग्नि दावानल सुलग रही हो, तेज हवा से भड़क रही हो।

नाम तुम्हारा सब दुख खोवे, आग एकदम ठण्डी होवे।

हिंसामय था भारत सारा, तब तुमने कीना निस्तारा।

जनम लिया कुण्डलपुर नगरी, हुई सुखी तब प्रजा सगरी।

सिद्धारथ जी पिता तुम्हारे, त्रिशला के आँखों के तारे।

छोड़ सभी झंझट संसारी, स्वामी हुए बाल-ब्रह्मचारी।

पंचम काल महा-दुखदाई, चाँदनपुर महिमा दिखलाई।

टीले में अतिशय दिखलाया, एक गाय का दूध गिराया।

सोच हुआ मन में ग्वाले के, पहुँचा एक फावड़ा लेके।

सारा टीला खोद बगाया, तब तुमने दर्शन दिखलाया।

जोधराज को दुख ने घेरा, उसने नाम जपा जब तेरा।

ठंडा हुआ तोप का गोला, तब सब ने जयकारा बोला।

मंत्री ने मन्दिर बनवाया, राजा ने भी द्रव्य लगाया।

बड़ी धर्मशाला बनवाई, तुमको लाने को ठहराई।

तुमने तोड़ी बीसों गाड़ी, पहिया खसका नहीं अगाड़ी।

ग्वाले ने जो हाथ लगाया, फिर तो रथ चलता ही पाया।

पहिले दिन बैशाख बदी के, रथ जाता है तीर नदी के।

मीना गूजर सब ही आते, नाच-कूद सब चित उमगाते।

स्वामी तुमने प्रेम निभाया, ग्वाले का बहु मान बढ़ाया।

हाथ लगे ग्वाले का जब ही, स्वामी रथ चलता है तब ही।

मेरी है टूटी सी नैया, तुम बिन कोई नहीं खिवैया।

मुझ पर स्वामी जरा कृपा कर, मैं हूँ प्रभु तुम्हारा चाकर।

तुम से मैं अरु कछु नहीं चाहूँ, जन्म-जन्म तेरे दर्शन पाऊँ।

चालीसे को चन्द्र बनावे, बीर प्रभु को शीश नवावे।

।। सोरठा ।।

नित चालीसहि बार, बाठ करे चालीस दिन।

खेय सुगन्ध अपार, वर्धमान के सामने।।

होय कुबेर समान, जन्म दरिद्री होय जो।

जिसके नहिं संतान, नाम वंश जग में चले।।

।। इति महावीर चालीसा समाप्त ।।

Another version is as follows

दोहा :
 
सिद्ध समूह नमों सदा, अरु सुमरूं अरहन्त।
निर आकुल निर्वांच्छ हो, गए लोक के अंत ॥
मंगलमय मंगल करन, वर्धमान महावीर।
तुम चिंतत चिंता मिटे, हरो सकल भव पीर ॥
 
 
चौपाई :
जय महावीर दया के सागर, जय श्री सन्मति ज्ञान उजागर।
शांत छवि मूरत अति प्यारी, वेष दिगम्बर के तुम धारी।
कोटि भानु से अति छबि छाजे, देखत तिमिर पाप सब भाजे।
महाबली अरि कर्म विदारे, जोधा मोह सुभट से मारे।
काम क्रोध तजि छोड़ी माया, क्षण में मान कषाय भगाया।
रागी नहीं नहीं तू द्वेषी, वीतराग तू हित उपदेशी।
प्रभु तुम नाम जगत में साँचा, सुमरत भागत भूत पिशाचा।
राक्षस यक्ष डाकिनी भागे, तुम चिंतत भय कोई न लागे।
महा शूल को जो तन धारे, होवे रोग असाध्य निवारे।
व्याल कराल होय फणधारी, विष को उगल क्रोध कर भारी।
 
महाकाल सम करै डसन्ता, निर्विष करो आप भगवन्ता।
महामत्त गज मद को झारै, भगै तुरत जब तुझे पुकारै।
फार डाढ़ सिंहादिक आवै, ताको हे प्रभु तुही भगावै।
होकर प्रबल अग्नि जो जारै, तुम प्रताप शीतलता धारै।
शस्त्र धार अरि युद्ध लड़न्ता, तुम प्रसाद हो विजय तुरन्ता।
पवन प्रचण्ड चलै झकझोरा, प्रभु तुम हरौ होय भय चोरा।
झार खण्ड गिरि अटवी मांहीं, तुम बिनशरण तहां कोउ नांहीं।
वज्रपात करि घन गरजावै, मूसलधार होय तड़कावै।
होय अपुत्र दरिद्र संताना, सुमिरत होत कुबेर समाना।
बंदीगृह में बँधी जंजीरा, कठ सुई अनि में सकल शरीरा।
राजदण्ड करि शूल धरावै, ताहि सिंहासन तुही बिठावै।
न्यायाधीश राजदरबारी, विजय करे होय कृपा तुम्हारी।
जहर हलाहल दुष्ट पियन्ता, अमृत सम प्रभु करो तुरन्ता।
चढ़े जहर, जीवादि डसन्ता, निर्विष क्षण में आप करन्ता।
एक सहस वसु तुमरे नामा, जन्म लियो कुण्डलपुर धामा।
सिद्धारथ नृप सुत कहलाए, त्रिशला मात उदर प्रगटाए।
तुम जनमत भयो लोक अशोका, अनहद शब्दभयो तिहुँलोका।
इन्द्र ने नेत्र सहस्र करि देखा, गिरी सुमेर कियो अभिषेखा।
कामादिक तृष्णा संसारी, तज तुम भए बाल ब्रह्मचारी।
अथिर जान जग अनित बिसारी, बालपने प्रभु दीक्षा धारी।
शांत भाव धर कर्म विनाशे, तुरतहि केवल ज्ञान प्रकाशे।
जड़-चेतन त्रय जग के सारे, हस्त रेखवत्‌ सम तू निहारे।
लोक-अलोक द्रव्य षट जाना, द्वादशांग का रहस्य बखाना।
पशु यज्ञों का मिटा कलेशा, दया धर्म देकर उपदेशा।
अनेकांत अपरिग्रह द्वारा, सर्वप्राणि समभाव प्रचारा।
पंचम काल विषै जिनराई, चांदनपुर प्रभुता प्रगटाई।
क्षण में तोपनि बाढि-हटाई, भक्तन के तुम सदा सहाई।
मूरख नर नहिं अक्षर ज्ञाता, सुमरत पंडित होय विख्याता।
 
सोरठा :

करे पाठ चालीस दिन नित चालीसहिं बार।
खेवै धूप सुगन्ध पढ़, श्री महावीर अगार ॥
जनम दरिद्री होय अरु जिसके नहिं सन्तान।
नाम वंश जग में चले होय कुबेर समान ॥

CHALISA IN ODIA

॥ଦୋହା॥

ଶିଶନାଭାଆରିହାଣ୍ଟ,

ମୁଁତୁମକୁନମସ୍କାରକରୁଛି

 

ଉପାଧ୍ୟାୟଆଚାର୍ଯ୍ୟଙ୍କ,

ଆନନ୍ଦଦାୟକନାମନିଅ

 

ସମସ୍ତସାଧୁଏବଂସରସ୍ୱତୀ,

ଜିନ୍ମନ୍ଦିରଭୋଗ |

 

ଭଗବାନମହାବୀରଙ୍କୁ,

ମନ-ମନ୍ଦିରରେଧର |

 

॥ସୀମା॥

ଜୟମହାବୀରଦିନଲୁସ୍ାମୀ |

ଭୀରପ୍ରଭାସ, ତୁମେଦୁନିଆରେପ୍ରସିଦ୍ଧ |

 

ଭର୍ଦ୍ଦନତୁମରନାମ |

ତୁମରହୃଦୟକୁଭଲପାଅ |

 

ଶାନ୍ତିପ୍ରତିଛବିଏବଂମୋହିନୀମୁରାଟ |

ଶାନହାନସଲିସୋହନିସୁରଟ।

 

ତୁମେଦିଗରଧରପରିପରିଧାନକରିଛ |

କର୍ମରଶତ୍ରୁମଧ୍ୟତୁମକୁହରାଇଲେ |

 

କ୍ରୋଧକ୍ରୋଧଏବଂଲୋଭରେପରିଣତହେଲା |

ମହା-ମୋହତାମସେଭୟଖାଇଲେ |

 

ତୁମେସମସ୍ତଙ୍କରଜାଣିଛ |

ଦୁନିଆସହିତତୁମରକ’ଣଅଛି||

 

ତୁମରରାଗାଏବଂଦ୍ୱିପାକ୍ଷିକତାନାହିଁ |

ଭେରରଙ୍ଗରାଗତୁହିଟୋପାଡେଶ |

 

ତୁମରନାମଦୁନିଆରେସତଅଟେ |

କିଏଶିଶୁଶିଶୁଜାଣେ।

 

ଭୂତମାନେତୁମକୁହନ୍ତସନ୍ତକରନ୍ତି |

ସମସ୍ତଭୂତମାନେଚାଲିଯାଆନ୍ତି |

 

ମହାଭାୟାମାରିନାନିର୍ଯ୍ୟାତନାଦେଇଥିଲେ

 

କାଲାନାଗହୋମଜା-ଷ୍ଟ୍ରାଇପ୍ |

ୟାସିଂହଭୟଙ୍କରଭାରୀ।

 

ତୁମକୁବଞ୍ଚାଇବାକୁକେହିରହିବାଉଚିତ୍ନୁହେଁ |

ସ୍ାମୀ, ପ୍ରତୀପାଲାତୁମକୁତାହାକର |

 

ନିଆଁଜଳୁଛି।

ପ୍ରବଳପବନରେତୁମ୍ଭେରାଗିଯାଉଛ।

 

ନାମତୁମରସମସ୍ତଦୁlose ଖହରାଇବ |

ନିଆଁକୁଥଣ୍ଡାହେବାକୁଦିଅନ୍ତୁ |

 

ଭାରତହିଂସାତ୍ମକଥିଲା

ତାପରେତୁମେସ୍ଥିରହୋଇଗଲ |

 

କୁଣ୍ଡଲପୁରସହରରେଜନ୍ମଗ୍ରହଣକରିଥିଲେ |

ସେତେବେଳେସୁଖବିଷୟଥିଲା |

 

ସିଦ୍ଧାର୍ଥଜତୁମରପିତା |

ତ୍ରିଶଲାଙ୍କଆଖିରତାରାଗଣ |

 

ସମସ୍ତଅସୁବିଧାଦୁନିଆଛାଡିଦିଅ |

ମାଲିକବାଲ-ବ୍ରହ୍ମଚାରି |

 

ପଞ୍ଚମକାଲମହା-ଦୁଖଦାଇ |

ଚନ୍ଦନପୁରମହିମାଦିଖଲାଇ |

 

ମୁଣ୍ଡକୁଅଣଦେଖାକଲେ |

ଗୋଟିଏଗାରକ୍ଷୀର

 

ମୋମନରେଏକଗାଗୋରୁବିଷୟରେଚିନ୍ତାକରୁଛି |

ଏକବର୍ଚ୍ଛାସହିତପହଞ୍ଚିଲା |

 

ପୁରାମାଉଣ୍ଡଖୋଳିଲା |

ତାପରେତୁମେମୋତେଦର୍ଶନଦେଖାଇଲ |

 

ଦୁଖଯୋଧରାଜଙ୍କୁଘେରିରହିଲା |

ସେଯେତେବେଳେତୁମରନାମଜପକଲେ |

 

ତୋପବଲ୍ଥଣ୍ଡାହୋଇଗଲା |

ତା’ପରେସମସ୍ତେପାଟିକଲେ

 

ମନ୍ତ୍ରୀମନ୍ଦିରନିର୍ମାଣକରିଥିଲେ।

ରାଜାମଧ୍ୟଟଙ୍କାରଖିଥିଲେ।

 

ଏକବଡଧରମଶାଳାନିର୍ମାଣ |

ତୁମକୁଆଣିବାପାଇଁବନ୍ଦ |

 

ଅତୀତରେତୁମେଏକକାରଭାଙ୍ଗିଲ |

ଚକଟିପପ୍ହୁଏନାହିଁ |

 

ଗ୍ୱାଲ୍ଯେଉଁହାତରଖିଥିଲେ |

ତା’ପରେସେରଥଗତିକରୁଥିବାଦେଖିଲେ।

 

ବଶାଖଭାଡିରପ୍ରଥମଦିନରେ |

ରଥନଦୀତୀରକୁଯାଏ |

 

ମୀନାଗୁଜରସମସ୍ତଙ୍କୁଆସୁଥିଲେ |

ନାଚଏବଂନାଚ |

 

ସ୍ୱାମୀ, ତୁମେପ୍ରେମଖେଳିଲ |

ଗୋହରରବହୁଗୁଣବୃଦ୍ଧି |

 

ଯେତେବେଳେବିହାତଏକଗାରଅଟେ |

ଯେତେବେଳେସ୍ୱାମୀରଥଗତିକରନ୍ତି |

 

ମରିୟମଜଣେଭଙ୍ଗାମହିଳା |

ତୁମବିନାକେହିତୁମକୁବଞ୍ଚାଇପାରିବେନାହିଁ |

 

ସ୍ୱାମୀଦୟାକରିମୋପ୍ରତିଦୟାଳୁହୁଅନ୍ତୁ |

ମୁଁଭଗବାନ, ତୁମରଗୁରୁ।

 

ମୁଁଚାହେଁନାହିଁତୁମେଅରୁତାଚୁହୁଅ |

ତୁମେଜନ୍ମପରେଜନ୍ମହେଉ |

 

ଚଲାଇସକୁଏକଚନ୍ଦ୍ରକର |

ବୀରପ୍ରଭାସଙ୍କୁଶେଶନବାବ |

 

॥ସୋରଥା॥

ଦିନକୁଚାଳିଶଥର,

ଚାଳିଶଦିନପନ୍ତୁ |

 

ଭଲଗନ୍ଧବହୁତ,

ଭର୍ଦ୍ଦନଙ୍କସାମ୍ନାରେ |

 

ହୋକୁବେରଙ୍କପରି,

ଗରିବହୋଜନ୍ମକିଏ |

 

ଯାହାରପିଲାମାନେ,

ବଂଶନାମଜଗତରେଚାଲିଲା |

CHALISA IN PUNJABI

॥ਦੋਹਾ॥

ਸ਼ੀਸ਼ਨਵਾਅਰਿਹੰਤ,

ਮੈਂਤੁਹਾਨੂੰਸਲਾਮਕਰਦਾਹਾਂ

 

ਉਪਾਧਿਆਏਅਚਾਰੀਆਦਾ,

ਮਨਭਾਉਂਦਾਨਾਮਲੈ॥

 

ਸਾਰੇਰਿਸ਼ੀਅਤੇਸਰਸਵਤੀ,

ਜਿਨਮੰਦਰਸੁਗੰਧ।

 

ਪ੍ਰਮਾਤਮਾਮਹਾਵੀਰਨੂੰ,

ਧਰਮਮਨਵਿਚ

 

॥ਚੌਪਾਈ॥

ਜੈਮਹਾਵੀਰਦਇਆਲੁਸਵਾਮੀ।

ਵੀਰਪ੍ਰਭੂ, ਤੁਸੀਂਦੁਨੀਆਵਿਚਮਸ਼ਹੂਰਹੋ

 

ਵਰਧਮਾਨਤੁਹਾਡਾਨਾਮਹੈ

ਪਿਆਰੇਦਿਲਨੂੰਪਿਆਰਕੀਤਾ

 

ਸ਼ਾਂਤੀਚਿੱਤਰਅਤੇਮੋਹਿਨੀਮੂਰਤ.

ਸ਼ਾਨਹੰਸਲੀਸੋਹਣੀਸੁਰਤਿ॥

 

ਤੁਸੀਂਦਿਗੰਬਰਧਾਰਾਪਹਿਨੇਹੋਏਹੋ.

ਇਥੋਂਤਕਕਿਕਰਮਾਂਦਾਦੁਸ਼ਮਣਵੀਤੁਹਾਨੂੰਹਾਰਗਿਆ.

 

ਗੁੱਸਾਕ੍ਰੋਧਅਤੇਲਾਲਚਵੱਲਮੁੜਿਆ.

ਮਹਾ-ਮੋਹਤਮਸੈਡਰਖਾਧਾ

 

ਤੁਸੀਂਸਭਨੂੰਜਾਣਨਵਾਲੇਹੋ.

ਤੁਹਾਡੇਕੋਲਦੁਨੀਆਨਾਲਕੀਹੈ||

 

ਤੁਹਾਡੇਕੋਲਰਾਗਅਤੇਦਵੈਤਨਹੀਂਹੈ.

ਵੀਰਰੰਗਰਾਗਤੁਹਿਤੋਪਦੇਸ਼॥

 

ਤੁਹਾਡਾਨਾਮਸੰਸਾਰਵਿੱਚਸੱਚਹੈ.

ਕੌਣਜਾਣਦਾਹੈਬੇਬੀਨੂੰ॥

 

ਭੂਤਤੁਹਾਨੂੰਤੰਗਕਰਦੇਹਨ.

ਸਾਰੇਭੂਤਸਾਰੇਬਚਜਾਂਦੇਹਨ

 

ਮਹਾਵਿਆਧਮਾਰੀਨਾਸਤਾਇਆ।

ਮਹਾਵਿਕਰਾਲਕਾਲਡਰਖਾਵੇ॥

 

ਕਾਲਾਨਾਗਹੋਇਫਨ-ਸਟ੍ਰਿਪ.

ਯਾਹੋਸ਼ੇਰਭਿਆਨਕਭਾਰੀ॥

 

ਤੁਹਾਨੂੰਬਚਾਉਣਵਾਲਾਕੋਈਨਹੀਂਹੋਣਾਚਾਹੀਦਾ.

ਸਵਾਮੀ, ਇਹਤੁਹਾਡੇਲਈਕਰੋ, ਪ੍ਰਤਿਪਾਲ.

 

ਅੱਗਬਲਰਹੀਹੈ.

ਤੁਸੀਂਤੇਜ਼ਹਵਾਨਾਲਗੁੱਸੇਹੋਰਹੇਹੋ.

 

ਨਾਮਤੁਹਾਡਾਸਾਰਾਦੁੱਖਗੁਆਦੇਵੇ.

ਅੱਗਨੂੰਠੰਡਾਹੋਣਦਿਓ.

 

ਸਾਰਾਭਾਰਤਹਿੰਸਕਸੀ।

ਫਿਰਤੁਸੀਂਸੈਟਲਹੋਗਏ

 

ਕੁੰਡਲਪੁਰਸ਼ਹਿਰਦਾਜਨਮ.

ਖੁਸ਼ੀਹੋਈਫਿਰਪਰਜਾਸਾਗਰੀ

 

ਸਿਧਾਰਥਜੀਤੁਹਾਡੇਪਿਤਾਜੀ.

ਤ੍ਰਿਸ਼ਲਾਦੀਆਂਅੱਖਾਂਦੇਤਾਰੇ

 

ਸਾਰੀਮੁਸੀਬਤਵਾਲੀਦੁਨੀਆਂਨੂੰਛੱਡਦਿਓ.

ਮਾਲਕਬਾਲ-ਬ੍ਰਹਮਾਚਾਰੀ

 

ਪੰਜਵਾਂਕਾਲਮਹਾਂ-ਦੁਖਦਾਈ।

ਚੰਦਨਪੁਰਮਹਿਮਾਦਿੱਖਲਾਈ

 

ਟੀਲੇਵਿੱਚਨਜ਼ਰਅੰਦਾਜ਼

ਇੱਕਗਾਂਦਾਦੁੱਧਛਿੜਕਿਆ

 

ਮੇਰੇਮਨਵਿੱਚਕਾਉਬੌਇਬਾਰੇਸੋਚਰਹੇਹਾਂ.

ਇੱਕਬੇਲਚਾਲੈਕੇਪਹੁੰਚਿਆ

 

ਸਾਰਾਟਿੱਲਾਪੁੱਟਿਆ.

ਫਿਰਤੁਸੀਂਮੈਨੂੰਦਰਸ਼ਨਦਿਖਾਏ।

 

ਉਦਾਸੀਨੇਜੋਧਰਾਜਨੂੰਘੇਰਲਿਆ।

ਉਸਨੇਨਾਮਜਪਿਆਜਦੋਂਤੁਹਾਡਾ

 

ਤੋਪਦੀਗੇਂਦਠੰ .ੀ.

ਫਿਰਹਰਕੋਈਚੀਕਿਆ

 

ਮੰਤਰੀਨੇਮੰਦਰਬਣਾਇਆ।

ਰਾਜੇਨੇਪੈਸੇਵੀਪਾਦਿੱਤੇ।

 

 

ਇੱਕਵੱਡੀਧਰਮਸ਼ਾਲਾਬਣਾਈ।

ਤੁਹਾਨੂੰਲਿਆਉਣਲਈਰੋਕਿਆ

 

ਤੁਸੀਂਪਿਛਲੇਸਮੇਂਵਿੱਚਇੱਕਕਾਰਨੂੰਤੋੜਿਆਸੀ.

ਪਹੀਆਪੌਪਨਹੀਂਹੁੰਦਾ

 

ਗਵੇਲੇਨੇਜੋਹੱਥਰੱਖਿਆ.

ਤਦਉਸਨੇਰਥਨੂੰਚਲਦੇਵੇਖਿਆ।

 

ਵਿਸ਼ਾਖਵਾਦੀਦੇਪਹਿਲੇਦਿਨ

ਰੱਥਨਦੀਦੇਤੀਰਵੱਲਜਾਂਦਾਹੈ

 

ਮੀਨਾਗੁੱਜਰਸਭਆਉਂਦੀਸੀ।

ਸਾਰੇਪਾਸੇਡਾਂਸਅਤੇਡਾਂਸਕਰੋ.

 

ਸਵਾਮੀ, ਤੁਸੀਂਪਿਆਰਨਿਭਾਇਆ.

ਕਾਇਰਡਦੀਵਧੀਗੁਣਾ.

 

ਜਦੋਂਵੀਹੱਥਇੱਕਗਾਂਦਾਹੁੰਦਾਹੈ

ਕੇਵਲਜਦੋਂਸਵਾਮੀਰੱਥਚਲਦੇਹਨ

 

ਮਰਿਯਮਇੱਕਟੁੱਟੀisਰਤਹੈ.

ਤੁਹਾਡੇਬਿਨਾਕੋਈਤੁਹਾਨੂੰਬਚਾਨਹੀਂਸਕਦਾ.

 

ਸਵਾਮੀਕਿਰਪਾਕਰਕੇਮੇਰੇਤੇਮਿਹਰਬਾਨਹੋਵੋ.

ਮੈਂਰੱਬਹਾਂ, ਤੁਹਾਡਾਮਾਲਕ.

 

 

ਮੈਂਨਹੀਂਚਾਹੁੰਦਾਕਿਤੁਸੀਂਕੁਝਕਰੋ.

ਤੁਸੀਂਜਨਮਤੋਂਬਾਅਦਜਨਮਲਓ

 

ਚਾਲੀਸਨੂੰਇੱਕਚੰਦਰਮਾਬਣਾਓ.

ਸ਼ੀਸ਼ਨਵਾਵੇਨੂੰਬੀਰਪ੍ਰਭੂਨੂੰ

 

॥ਸੋਰਥਾ.

ਦਿਨਵਿਚਚਾਲੀਵਾਰ,

ਚਾਲੀਦਿਨਪੜ੍ਹੋ.

 

ਚੰਗੀਮਹਿਕਬਹੁਤ,

ਵਰਧਮਾਨਦੇਸਾਹਮਣੇ।

 

ਹੋਇਕੁਬੇਰਾਵਾਂਗ,

ਪੈਦਾਹੋਇਆਗਰੀਬhoy ਜੋ.

 

ਜਿਸਦੇਬੱਚੇ,

ਨਾਮਗੋਤਦੁਨੀਆਂਵਿਚਚਲਦਾਸੀ.

CHALISA IN SANSKRIT

Sanskrit and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 

॥ दोहा॥

शीश नवा अरिहन्त को, सिद्धन करूँ प्रणाम।
उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम।
सर्व साधु और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार।
महावीर भगवान को, मन-मन्दिर में धार।

।। चौपाई ।।

जय महावीर दयालु स्वामी, वीर प्रभु तुम जग में नामी।

वर्धमान है नाम तुम्हारा, लगे हृदय को प्यारा प्यारा।

शांति छवि और मोहनी मूरत, शान हँसीली सोहनी सूरत।

तुमने वेश दिगम्बर धारा, कर्म-शत्रु भी तुम से हारा।

क्रोध मान अरु लोभ भगाया, महा-मोह तुमसे डर खाया।

तू सर्वज्ञ सर्व का ज्ञाता, तुझको दुनिया से क्या नाता।

तुझमें नहीं राग और द्वेष, वीर रण राग तू हितोपदेश।

तेरा नाम जगत में सच्चा, जिसको जाने बच्चा बच्चा।

भूत प्रेत तुम से भय खावें, व्यन्तर राक्षस सब भग जावें।

महा व्याध मारी न सतावे, महा विकराल काल डर खावे।

काला नाग होय फन धारी, या हो शेर भयंकर भारी।

ना हो कोई बचाने वाला, स्वामी तुम्हीं करो प्रतिपाला।

अग्नि दावानल सुलग रही हो, तेज हवा से भड़क रही हो।

नाम तुम्हारा सब दुख खोवे, आग एकदम ठण्डी होवे।

हिंसामय था भारत सारा, तब तुमने कीना निस्तारा।

जनम लिया कुण्डलपुर नगरी, हुई सुखी तब प्रजा सगरी।

सिद्धारथ जी पिता तुम्हारे, त्रिशला के आँखों के तारे।

छोड़ सभी झंझट संसारी, स्वामी हुए बाल-ब्रह्मचारी।

पंचम काल महा-दुखदाई, चाँदनपुर महिमा दिखलाई।

टीले में अतिशय दिखलाया, एक गाय का दूध गिराया।

सोच हुआ मन में ग्वाले के, पहुँचा एक फावड़ा लेके।

सारा टीला खोद बगाया, तब तुमने दर्शन दिखलाया।

जोधराज को दुख ने घेरा, उसने नाम जपा जब तेरा।

ठंडा हुआ तोप का गोला, तब सब ने जयकारा बोला।

मंत्री ने मन्दिर बनवाया, राजा ने भी द्रव्य लगाया।

बड़ी धर्मशाला बनवाई, तुमको लाने को ठहराई।

तुमने तोड़ी बीसों गाड़ी, पहिया खसका नहीं अगाड़ी।

ग्वाले ने जो हाथ लगाया, फिर तो रथ चलता ही पाया।

पहिले दिन बैशाख बदी के, रथ जाता है तीर नदी के।

मीना गूजर सब ही आते, नाच-कूद सब चित उमगाते।

स्वामी तुमने प्रेम निभाया, ग्वाले का बहु मान बढ़ाया।

हाथ लगे ग्वाले का जब ही, स्वामी रथ चलता है तब ही।

मेरी है टूटी सी नैया, तुम बिन कोई नहीं खिवैया।

मुझ पर स्वामी जरा कृपा कर, मैं हूँ प्रभु तुम्हारा चाकर।

तुम से मैं अरु कछु नहीं चाहूँ, जन्म-जन्म तेरे दर्शन पाऊँ।

चालीसे को चन्द्र बनावे, बीर प्रभु को शीश नवावे।

।। सोरठा ।।

नित चालीसहि बार, बाठ करे चालीस दिन।

खेय सुगन्ध अपार, वर्धमान के सामने।।

होय कुबेर समान, जन्म दरिद्री होय जो।

जिसके नहिं संतान, नाम वंश जग में चले।।

।। इति महावीर चालीसा समाप्त ।।

Another version is as follows

दोहा :
 
सिद्ध समूह नमों सदा, अरु सुमरूं अरहन्त।
निर आकुल निर्वांच्छ हो, गए लोक के अंत ॥
मंगलमय मंगल करन, वर्धमान महावीर।
तुम चिंतत चिंता मिटे, हरो सकल भव पीर ॥
 
 
चौपाई :
जय महावीर दया के सागर, जय श्री सन्मति ज्ञान उजागर।
शांत छवि मूरत अति प्यारी, वेष दिगम्बर के तुम धारी।
कोटि भानु से अति छबि छाजे, देखत तिमिर पाप सब भाजे।
महाबली अरि कर्म विदारे, जोधा मोह सुभट से मारे।
काम क्रोध तजि छोड़ी माया, क्षण में मान कषाय भगाया।
रागी नहीं नहीं तू द्वेषी, वीतराग तू हित उपदेशी।
प्रभु तुम नाम जगत में साँचा, सुमरत भागत भूत पिशाचा।
राक्षस यक्ष डाकिनी भागे, तुम चिंतत भय कोई न लागे।
महा शूल को जो तन धारे, होवे रोग असाध्य निवारे।
व्याल कराल होय फणधारी, विष को उगल क्रोध कर भारी।
 
महाकाल सम करै डसन्ता, निर्विष करो आप भगवन्ता।
महामत्त गज मद को झारै, भगै तुरत जब तुझे पुकारै।
फार डाढ़ सिंहादिक आवै, ताको हे प्रभु तुही भगावै।
होकर प्रबल अग्नि जो जारै, तुम प्रताप शीतलता धारै।
शस्त्र धार अरि युद्ध लड़न्ता, तुम प्रसाद हो विजय तुरन्ता।
पवन प्रचण्ड चलै झकझोरा, प्रभु तुम हरौ होय भय चोरा।
झार खण्ड गिरि अटवी मांहीं, तुम बिनशरण तहां कोउ नांहीं।
वज्रपात करि घन गरजावै, मूसलधार होय तड़कावै।
होय अपुत्र दरिद्र संताना, सुमिरत होत कुबेर समाना।
बंदीगृह में बँधी जंजीरा, कठ सुई अनि में सकल शरीरा।
राजदण्ड करि शूल धरावै, ताहि सिंहासन तुही बिठावै।
न्यायाधीश राजदरबारी, विजय करे होय कृपा तुम्हारी।
जहर हलाहल दुष्ट पियन्ता, अमृत सम प्रभु करो तुरन्ता।
चढ़े जहर, जीवादि डसन्ता, निर्विष क्षण में आप करन्ता।
एक सहस वसु तुमरे नामा, जन्म लियो कुण्डलपुर धामा।
सिद्धारथ नृप सुत कहलाए, त्रिशला मात उदर प्रगटाए।
तुम जनमत भयो लोक अशोका, अनहद शब्दभयो तिहुँलोका।
इन्द्र ने नेत्र सहस्र करि देखा, गिरी सुमेर कियो अभिषेखा।
कामादिक तृष्णा संसारी, तज तुम भए बाल ब्रह्मचारी।
अथिर जान जग अनित बिसारी, बालपने प्रभु दीक्षा धारी।
शांत भाव धर कर्म विनाशे, तुरतहि केवल ज्ञान प्रकाशे।
जड़-चेतन त्रय जग के सारे, हस्त रेखवत्‌ सम तू निहारे।
लोक-अलोक द्रव्य षट जाना, द्वादशांग का रहस्य बखाना।
पशु यज्ञों का मिटा कलेशा, दया धर्म देकर उपदेशा।
अनेकांत अपरिग्रह द्वारा, सर्वप्राणि समभाव प्रचारा।
पंचम काल विषै जिनराई, चांदनपुर प्रभुता प्रगटाई।
क्षण में तोपनि बाढि-हटाई, भक्तन के तुम सदा सहाई।
मूरख नर नहिं अक्षर ज्ञाता, सुमरत पंडित होय विख्याता।
 
सोरठा :

करे पाठ चालीस दिन नित चालीसहिं बार।
खेवै धूप सुगन्ध पढ़, श्री महावीर अगार ॥
जनम दरिद्री होय अरु जिसके नहिं सन्तान।
नाम वंश जग में चले होय कुबेर समान ॥

CHALISA IN SANTALI

Santali and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 

॥ दोहा॥

शीश नवा अरिहन्त को, सिद्धन करूँ प्रणाम।
उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम।
सर्व साधु और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार।
महावीर भगवान को, मन-मन्दिर में धार।

।। चौपाई ।।

जय महावीर दयालु स्वामी, वीर प्रभु तुम जग में नामी।

वर्धमान है नाम तुम्हारा, लगे हृदय को प्यारा प्यारा।

शांति छवि और मोहनी मूरत, शान हँसीली सोहनी सूरत।

तुमने वेश दिगम्बर धारा, कर्म-शत्रु भी तुम से हारा।

क्रोध मान अरु लोभ भगाया, महा-मोह तुमसे डर खाया।

तू सर्वज्ञ सर्व का ज्ञाता, तुझको दुनिया से क्या नाता।

तुझमें नहीं राग और द्वेष, वीर रण राग तू हितोपदेश।

तेरा नाम जगत में सच्चा, जिसको जाने बच्चा बच्चा।

भूत प्रेत तुम से भय खावें, व्यन्तर राक्षस सब भग जावें।

महा व्याध मारी न सतावे, महा विकराल काल डर खावे।

काला नाग होय फन धारी, या हो शेर भयंकर भारी।

ना हो कोई बचाने वाला, स्वामी तुम्हीं करो प्रतिपाला।

अग्नि दावानल सुलग रही हो, तेज हवा से भड़क रही हो।

नाम तुम्हारा सब दुख खोवे, आग एकदम ठण्डी होवे।

हिंसामय था भारत सारा, तब तुमने कीना निस्तारा।

जनम लिया कुण्डलपुर नगरी, हुई सुखी तब प्रजा सगरी।

सिद्धारथ जी पिता तुम्हारे, त्रिशला के आँखों के तारे।

छोड़ सभी झंझट संसारी, स्वामी हुए बाल-ब्रह्मचारी।

पंचम काल महा-दुखदाई, चाँदनपुर महिमा दिखलाई।

टीले में अतिशय दिखलाया, एक गाय का दूध गिराया।

सोच हुआ मन में ग्वाले के, पहुँचा एक फावड़ा लेके।

सारा टीला खोद बगाया, तब तुमने दर्शन दिखलाया।

जोधराज को दुख ने घेरा, उसने नाम जपा जब तेरा।

ठंडा हुआ तोप का गोला, तब सब ने जयकारा बोला।

मंत्री ने मन्दिर बनवाया, राजा ने भी द्रव्य लगाया।

बड़ी धर्मशाला बनवाई, तुमको लाने को ठहराई।

तुमने तोड़ी बीसों गाड़ी, पहिया खसका नहीं अगाड़ी।

ग्वाले ने जो हाथ लगाया, फिर तो रथ चलता ही पाया।

पहिले दिन बैशाख बदी के, रथ जाता है तीर नदी के।

मीना गूजर सब ही आते, नाच-कूद सब चित उमगाते।

स्वामी तुमने प्रेम निभाया, ग्वाले का बहु मान बढ़ाया।

हाथ लगे ग्वाले का जब ही, स्वामी रथ चलता है तब ही।

मेरी है टूटी सी नैया, तुम बिन कोई नहीं खिवैया।

मुझ पर स्वामी जरा कृपा कर, मैं हूँ प्रभु तुम्हारा चाकर।

तुम से मैं अरु कछु नहीं चाहूँ, जन्म-जन्म तेरे दर्शन पाऊँ।

चालीसे को चन्द्र बनावे, बीर प्रभु को शीश नवावे।

।। सोरठा ।।

नित चालीसहि बार, बाठ करे चालीस दिन।

खेय सुगन्ध अपार, वर्धमान के सामने।।

होय कुबेर समान, जन्म दरिद्री होय जो।

जिसके नहिं संतान, नाम वंश जग में चले।।

।। इति महावीर चालीसा समाप्त ।।

Another version is as follows

दोहा :
 
सिद्ध समूह नमों सदा, अरु सुमरूं अरहन्त।
निर आकुल निर्वांच्छ हो, गए लोक के अंत ॥
मंगलमय मंगल करन, वर्धमान महावीर।
तुम चिंतत चिंता मिटे, हरो सकल भव पीर ॥
 
 
चौपाई :
जय महावीर दया के सागर, जय श्री सन्मति ज्ञान उजागर।
शांत छवि मूरत अति प्यारी, वेष दिगम्बर के तुम धारी।
कोटि भानु से अति छबि छाजे, देखत तिमिर पाप सब भाजे।
महाबली अरि कर्म विदारे, जोधा मोह सुभट से मारे।
काम क्रोध तजि छोड़ी माया, क्षण में मान कषाय भगाया।
रागी नहीं नहीं तू द्वेषी, वीतराग तू हित उपदेशी।
प्रभु तुम नाम जगत में साँचा, सुमरत भागत भूत पिशाचा।
राक्षस यक्ष डाकिनी भागे, तुम चिंतत भय कोई न लागे।
महा शूल को जो तन धारे, होवे रोग असाध्य निवारे।
व्याल कराल होय फणधारी, विष को उगल क्रोध कर भारी।
 
महाकाल सम करै डसन्ता, निर्विष करो आप भगवन्ता।
महामत्त गज मद को झारै, भगै तुरत जब तुझे पुकारै।
फार डाढ़ सिंहादिक आवै, ताको हे प्रभु तुही भगावै।
होकर प्रबल अग्नि जो जारै, तुम प्रताप शीतलता धारै।
शस्त्र धार अरि युद्ध लड़न्ता, तुम प्रसाद हो विजय तुरन्ता।
पवन प्रचण्ड चलै झकझोरा, प्रभु तुम हरौ होय भय चोरा।
झार खण्ड गिरि अटवी मांहीं, तुम बिनशरण तहां कोउ नांहीं।
वज्रपात करि घन गरजावै, मूसलधार होय तड़कावै।
होय अपुत्र दरिद्र संताना, सुमिरत होत कुबेर समाना।
बंदीगृह में बँधी जंजीरा, कठ सुई अनि में सकल शरीरा।
राजदण्ड करि शूल धरावै, ताहि सिंहासन तुही बिठावै।
न्यायाधीश राजदरबारी, विजय करे होय कृपा तुम्हारी।
जहर हलाहल दुष्ट पियन्ता, अमृत सम प्रभु करो तुरन्ता।
चढ़े जहर, जीवादि डसन्ता, निर्विष क्षण में आप करन्ता।
एक सहस वसु तुमरे नामा, जन्म लियो कुण्डलपुर धामा।
सिद्धारथ नृप सुत कहलाए, त्रिशला मात उदर प्रगटाए।
तुम जनमत भयो लोक अशोका, अनहद शब्दभयो तिहुँलोका।
इन्द्र ने नेत्र सहस्र करि देखा, गिरी सुमेर कियो अभिषेखा।
कामादिक तृष्णा संसारी, तज तुम भए बाल ब्रह्मचारी।
अथिर जान जग अनित बिसारी, बालपने प्रभु दीक्षा धारी।
शांत भाव धर कर्म विनाशे, तुरतहि केवल ज्ञान प्रकाशे।
जड़-चेतन त्रय जग के सारे, हस्त रेखवत्‌ सम तू निहारे।
लोक-अलोक द्रव्य षट जाना, द्वादशांग का रहस्य बखाना।
पशु यज्ञों का मिटा कलेशा, दया धर्म देकर उपदेशा।
अनेकांत अपरिग्रह द्वारा, सर्वप्राणि समभाव प्रचारा।
पंचम काल विषै जिनराई, चांदनपुर प्रभुता प्रगटाई।
क्षण में तोपनि बाढि-हटाई, भक्तन के तुम सदा सहाई।
मूरख नर नहिं अक्षर ज्ञाता, सुमरत पंडित होय विख्याता।
 
सोरठा :

करे पाठ चालीस दिन नित चालीसहिं बार।
खेवै धूप सुगन्ध पढ़, श्री महावीर अगार ॥
जनम दरिद्री होय अरु जिसके नहिं सन्तान।
नाम वंश जग में चले होय कुबेर समान ॥

CHALISA IN SINDHI

Sindhi and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 

॥ दोहा॥

शीश नवा अरिहन्त को, सिद्धन करूँ प्रणाम।
उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम।
सर्व साधु और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार।
महावीर भगवान को, मन-मन्दिर में धार।

।। चौपाई ।।

जय महावीर दयालु स्वामी, वीर प्रभु तुम जग में नामी।

वर्धमान है नाम तुम्हारा, लगे हृदय को प्यारा प्यारा।

शांति छवि और मोहनी मूरत, शान हँसीली सोहनी सूरत।

तुमने वेश दिगम्बर धारा, कर्म-शत्रु भी तुम से हारा।

क्रोध मान अरु लोभ भगाया, महा-मोह तुमसे डर खाया।

तू सर्वज्ञ सर्व का ज्ञाता, तुझको दुनिया से क्या नाता।

तुझमें नहीं राग और द्वेष, वीर रण राग तू हितोपदेश।

तेरा नाम जगत में सच्चा, जिसको जाने बच्चा बच्चा।

भूत प्रेत तुम से भय खावें, व्यन्तर राक्षस सब भग जावें।

महा व्याध मारी न सतावे, महा विकराल काल डर खावे।

काला नाग होय फन धारी, या हो शेर भयंकर भारी।

ना हो कोई बचाने वाला, स्वामी तुम्हीं करो प्रतिपाला।

अग्नि दावानल सुलग रही हो, तेज हवा से भड़क रही हो।

नाम तुम्हारा सब दुख खोवे, आग एकदम ठण्डी होवे।

हिंसामय था भारत सारा, तब तुमने कीना निस्तारा।

जनम लिया कुण्डलपुर नगरी, हुई सुखी तब प्रजा सगरी।

सिद्धारथ जी पिता तुम्हारे, त्रिशला के आँखों के तारे।

छोड़ सभी झंझट संसारी, स्वामी हुए बाल-ब्रह्मचारी।

पंचम काल महा-दुखदाई, चाँदनपुर महिमा दिखलाई।

टीले में अतिशय दिखलाया, एक गाय का दूध गिराया।

सोच हुआ मन में ग्वाले के, पहुँचा एक फावड़ा लेके।

सारा टीला खोद बगाया, तब तुमने दर्शन दिखलाया।

जोधराज को दुख ने घेरा, उसने नाम जपा जब तेरा।

ठंडा हुआ तोप का गोला, तब सब ने जयकारा बोला।

मंत्री ने मन्दिर बनवाया, राजा ने भी द्रव्य लगाया।

बड़ी धर्मशाला बनवाई, तुमको लाने को ठहराई।

तुमने तोड़ी बीसों गाड़ी, पहिया खसका नहीं अगाड़ी।

ग्वाले ने जो हाथ लगाया, फिर तो रथ चलता ही पाया।

पहिले दिन बैशाख बदी के, रथ जाता है तीर नदी के।

मीना गूजर सब ही आते, नाच-कूद सब चित उमगाते।

स्वामी तुमने प्रेम निभाया, ग्वाले का बहु मान बढ़ाया।

हाथ लगे ग्वाले का जब ही, स्वामी रथ चलता है तब ही।

मेरी है टूटी सी नैया, तुम बिन कोई नहीं खिवैया।

मुझ पर स्वामी जरा कृपा कर, मैं हूँ प्रभु तुम्हारा चाकर।

तुम से मैं अरु कछु नहीं चाहूँ, जन्म-जन्म तेरे दर्शन पाऊँ।

चालीसे को चन्द्र बनावे, बीर प्रभु को शीश नवावे।

।। सोरठा ।।

नित चालीसहि बार, बाठ करे चालीस दिन।

खेय सुगन्ध अपार, वर्धमान के सामने।।

होय कुबेर समान, जन्म दरिद्री होय जो।

जिसके नहिं संतान, नाम वंश जग में चले।।

।। इति महावीर चालीसा समाप्त ।।

Another version is as follows

दोहा :
 
सिद्ध समूह नमों सदा, अरु सुमरूं अरहन्त।
निर आकुल निर्वांच्छ हो, गए लोक के अंत ॥
मंगलमय मंगल करन, वर्धमान महावीर।
तुम चिंतत चिंता मिटे, हरो सकल भव पीर ॥
 
 
चौपाई :
जय महावीर दया के सागर, जय श्री सन्मति ज्ञान उजागर।
शांत छवि मूरत अति प्यारी, वेष दिगम्बर के तुम धारी।
कोटि भानु से अति छबि छाजे, देखत तिमिर पाप सब भाजे।
महाबली अरि कर्म विदारे, जोधा मोह सुभट से मारे।
काम क्रोध तजि छोड़ी माया, क्षण में मान कषाय भगाया।
रागी नहीं नहीं तू द्वेषी, वीतराग तू हित उपदेशी।
प्रभु तुम नाम जगत में साँचा, सुमरत भागत भूत पिशाचा।
राक्षस यक्ष डाकिनी भागे, तुम चिंतत भय कोई न लागे।
महा शूल को जो तन धारे, होवे रोग असाध्य निवारे।
व्याल कराल होय फणधारी, विष को उगल क्रोध कर भारी।
 
महाकाल सम करै डसन्ता, निर्विष करो आप भगवन्ता।
महामत्त गज मद को झारै, भगै तुरत जब तुझे पुकारै।
फार डाढ़ सिंहादिक आवै, ताको हे प्रभु तुही भगावै।
होकर प्रबल अग्नि जो जारै, तुम प्रताप शीतलता धारै।
शस्त्र धार अरि युद्ध लड़न्ता, तुम प्रसाद हो विजय तुरन्ता।
पवन प्रचण्ड चलै झकझोरा, प्रभु तुम हरौ होय भय चोरा।
झार खण्ड गिरि अटवी मांहीं, तुम बिनशरण तहां कोउ नांहीं।
वज्रपात करि घन गरजावै, मूसलधार होय तड़कावै।
होय अपुत्र दरिद्र संताना, सुमिरत होत कुबेर समाना।
बंदीगृह में बँधी जंजीरा, कठ सुई अनि में सकल शरीरा।
राजदण्ड करि शूल धरावै, ताहि सिंहासन तुही बिठावै।
न्यायाधीश राजदरबारी, विजय करे होय कृपा तुम्हारी।
जहर हलाहल दुष्ट पियन्ता, अमृत सम प्रभु करो तुरन्ता।
चढ़े जहर, जीवादि डसन्ता, निर्विष क्षण में आप करन्ता।
एक सहस वसु तुमरे नामा, जन्म लियो कुण्डलपुर धामा।
सिद्धारथ नृप सुत कहलाए, त्रिशला मात उदर प्रगटाए।
तुम जनमत भयो लोक अशोका, अनहद शब्दभयो तिहुँलोका।
इन्द्र ने नेत्र सहस्र करि देखा, गिरी सुमेर कियो अभिषेखा।
कामादिक तृष्णा संसारी, तज तुम भए बाल ब्रह्मचारी।
अथिर जान जग अनित बिसारी, बालपने प्रभु दीक्षा धारी।
शांत भाव धर कर्म विनाशे, तुरतहि केवल ज्ञान प्रकाशे।
जड़-चेतन त्रय जग के सारे, हस्त रेखवत्‌ सम तू निहारे।
लोक-अलोक द्रव्य षट जाना, द्वादशांग का रहस्य बखाना।
पशु यज्ञों का मिटा कलेशा, दया धर्म देकर उपदेशा।
अनेकांत अपरिग्रह द्वारा, सर्वप्राणि समभाव प्रचारा।
पंचम काल विषै जिनराई, चांदनपुर प्रभुता प्रगटाई।
क्षण में तोपनि बाढि-हटाई, भक्तन के तुम सदा सहाई।
मूरख नर नहिं अक्षर ज्ञाता, सुमरत पंडित होय विख्याता।
 
सोरठा :

करे पाठ चालीस दिन नित चालीसहिं बार।
खेवै धूप सुगन्ध पढ़, श्री महावीर अगार ॥
जनम दरिद्री होय अरु जिसके नहिं सन्तान।
नाम वंश जग में चले होय कुबेर समान ॥

CHALISA IN TAMIL

॥தோஹ॥

ஷீஷ்நாவாஅரிஹந்த்,

நான்உங்களுக்குவணக்கம்செலுத்துகிறேன்.

 

உபாத்யஆச்சார்யாவின்,

மகிழ்ச்சியானபெயரைஎடுத்துக்கொள்ளுங்கள்

 

அனைத்துமுனிவர்களும்சரஸ்வதியும்,

ஜின்கோயில்இன்பங்கள்.

 

கடவுளுக்குமகாவீரர்,

கோவிலில்தார்

 

॥கட்டு॥

ஜெய்மகாவீர்தயாலுசுவாமி.

வீர்பிரபு, நீங்கள்உலகில்பிரபலமானவர்

 

வர்தமன்உங்கள்பெயர்.

இதயத்தைநேசித்தேன்அன்பே

 

சாந்திபடமும்மோகினிமுரத்தும்.

ஷான்ஹன்ஸ்லிசோஹ்னிசூரத்॥

 

நீங்கள்திகம்பர்தாராவாகஆடைஅணிந்தீர்கள்.

கர்மாவின்எதிரிகூடஉங்களிடம்தோற்றார்.

 

அருபேராசைபோலகோபத்தில்எழுந்தேன்.

மஹா-மோதாம்சேபயம்சாப்பிட்டது

 

நீங்கள்அனைவருக்கும்தெரிந்தவர்.

உலகத்துடன்உங்களிடம்என்னஇருக்கிறது||

 

உங்களிடம்ராகமும்இருமையும்இல்லை.

வீர்ரங்ராக்துஹிட்டோபடேஷ்

 

உங்கள்பெயர்உலகில்உண்மை.

குழந்தைகுழந்தையையார்அறிவார்கள்

 

பேய்கள்உங்களைவேட்டையாடுகின்றன.

எல்லாபேய்களும்போய்விடுகின்றன

 

மகாவியாத்மாரிதுன்புறுத்தப்படவில்லை

மஹாவிக்ரல்கால்டெர்காவ்

 

கலா ​​நாக்ஹோய்வேடிக்கை-கோடு.

யாஹோசிங்கம்மோசமானகனமான

 

உங்களைகாப்பாற்றயாரும்இருக்கக்கூடாது.

சுவாமி, பிரதிபாலா, அதைஉங்களுக்குசெய்யுங்கள்.

 

தீஎரிகிறது.

பலத்தகாற்றால்நீங்கள்பொங்கிவருகிறீர்கள்.

 

பெயர்உங்கள்துக்கத்தைஇழக்கட்டும்.

நெருப்புகுளிர்ந்துபோகட்டும்.

 

இந்தியாவன்முறையாகஇருந்தது

பின்னர்நீங்கள்குடியேறினீர்கள்

 

பிறந்தகுண்டல்பூர்நகரம்.

மகிழ்ச்சிஅப்போதுபாடங்களாகஇருந்தது

 

சித்தரத்ஜிஉங்கள்தந்தை.

த்ரிஷ்லாவின்கண்களின்நட்சத்திரங்கள்

 

எல்லாகஷ்டஉலகத்தையும்விட்டுவிடுங்கள்.

உரிமையாளர்பால்-பிரம்மச்சாரி

 

ஐந்தாவதுகாலம்மகா-துகதாய்.

சந்தன்பூர்மஹிமாடிக்லாய்

 

மேட்டைக்கவனிக்கவில்லை.

ஒருபசுவின்பால்சிந்தியது

 

ஒருகவ்பாய்நினைத்து

ஒருதிண்ணைஅடைந்தது

 

முழுமண்ணும்தோண்டப்பட்டது.

பின்னர்நீங்கள்எனக்குதரிசனம்காட்டினீர்கள்.

 

சோகம்ஜோதராஜைச்சூழ்ந்தது.

உங்கள்போதுஅவர்பெயரைஉச்சரித்தார்

 

பீரங்கிபந்துகுளிர்ந்தது.

பின்னர்அனைவரும்கூச்சலிட்டனர்

 

அமைச்சர்கோவிலைக்கட்டினார்.

ராஜாவும்பணம்வைத்தான்.

 

ஒருபெரியதர்மஷாலாகட்டப்பட்டது.

உங்களைஅழைத்துவருவதுநிறுத்தப்பட்டது

 

நீங்கள்முன்புஒருகாரைஉடைத்தீர்கள்.

சக்கரம்பாப்இல்லை

 

குவாலேவைத்தகை.

பின்னர்தேர்நகர்வதைக்கண்டார்.

 

பைஷாக்வாடியின்முதல்நாள்

தேர்நதிஅம்புக்குறிக்குசெல்கிறது

 

மீனாகுஜார்அனைவரும்வருவார்கள்.

நடனம்மற்றும்குதித்தல்

 

சுவாமி, நீங்கள்காதல்விளையாடியுள்ளீர்கள்.

கோஹெர்ட்டின்அதிகரித்தபெருக்கம்.

 

கைமாடுஇருக்கும்போதெல்லாம்

சுவாமிராத்நகரும்போதுதான்

 

மேரிஉடைந்தபெண்.

நீங்கள்இல்லாமல்உங்களையாரும்காப்பாற்றமுடியாது.

 

சுவாமிதயவுசெய்துஎன்னை.

நான்உங்கள்கடவுள்

 

நீங்கள்அருடச்சுஆகநான்விரும்பவில்லை.

நீங்கள்பிறந்தபிறகுபிறக்கட்டும்

 

சாலிஸைசந்திரனாகஆக்குங்கள்.

ஷீஷ்நவாவேமுதல்பிர்பிரபுவரை

 

॥சோரதா॥

ஒருநாளைக்குநாற்பதுமுறை,

நாற்பதுநாட்கள்படிக்கவும்.

 

நல்லவாசனைமகத்தான,

வர்தமனுக்குமுன்னால்.

 

ஹோய்குபேராவைப்போல,

பிறந்தஏழைஹோய்யார்.

 

யாருடையகுழந்தைகள்,

குலம்என்றபெயர்உலகில்நடந்தது.

CHALISA IN TELUGU

॥దోహా॥

షీష్నవాఅరిహంత్,

మీకునేనునమస్కరిస్తున్నాను.

 

ఉపాధ్యాయఆచార్య,

ఆహ్లాదకరమైనపేరుతీసుకోండి

 

అన్నిgesషులుమరియుసరస్వతి,

జిన్ఆలయఆనందాలు.

 

మహావీరదేవునికి,

మనస్సు-ఆలయంలోధార్

 

॥బౌండ్॥

జైమహావీర్దయాలుస్వామి.

వీర్ప్రభు, మీరుప్రపంచంలోప్రసిద్ధిచెందారు

 

వర్ధమాన్మీపేరు.

మీహృదయాన్నిప్రేమించండి

 

శాంతిఇమేజ్మరియుమోహినిమురాత్.

షాన్హన్స్లీసోహ్నిసూరత్

 

మీరుదిగంబర్ధారావలెదుస్తులుధరించారు.

కర్మశత్రువుకూడామీకుఓడిపోయాడు.

 

కోపంకోపంమరియుదురాశవైపుతిరిగింది.

మహా-మోతమ్సేభయంతిన్నది

 

మీరుఅందరికీతెలుసు.

మీకుప్రపంచంతోఏమిఉంది||

 

మీకురాగంమరియుద్వంద్వత్వంలేదు.

వీర్రంగ్రాగ్తుహిటోపాదేశ్

 

మీపేరుప్రపంచంలోనిజం.

బేబీబేబీఎవరికితెలుసు

 

దెయ్యాలుమిమ్మల్నివెంటాడాయి.

రాక్షసులందరూవెళ్లిపోతారు

 

మహావ్యాద్మారిహింసించలేదు

మహావిక్రాల్కాల్డెర్ఖావే

 

కాలానాగ్హోయ్ఫన్-గీత.

యాహోసింహంభయంకరభారీ

 

మిమ్మల్నిరక్షించడానికిఎవరూఉండకూడదు.

స్వామి, ప్రతిపాలామీకుచేయండి.

 

మంటలుకాలిపోతున్నాయి.

మీరుబలమైనగాలితోఆవేశపడుతున్నారు.

 

పేరుమీదు .ఖాన్నికోల్పోతుంది.

అగ్నిచల్లబరచనివ్వండి.

 

భారతదేశంహింసాత్మకంగాఉంది

అప్పుడుమీరుస్థిరపడ్డారు

 

కుండల్పూర్నగరంలోజన్మించారు.

ఆనందంఅప్పుడుసబ్జెక్టులు

 

సిద్దరత్జీమీతండ్రి.

త్రిష్లకళ్ళలోనినక్షత్రాలు

 

అన్నిఇబ్బందిప్రపంచాన్నివదిలివేయండి.

యజమానిబాల్-బ్రహ్మచారి

 

ఐదవకాల్మహా-దుఖాదై.

చందన్‌పూర్మహీమాదిఖ్లాయ్

 

మట్టిదిబ్బనుపట్టించుకోలేదు.

ఒకఆవుపాలుచిందిన

 

నామనసులోకౌబాయ్గురించిఆలోచిస్తున్నాను.

పారతోచేరుకుంది

 

మట్టిదిబ్బమొత్తంతవ్వారు.

అప్పుడుమీరునాకుదర్శనంచూపించారు.

 

విచారంజోధరాజ్‌నుచుట్టుముట్టింది.

మీపేరుఉన్నప్పుడుఅతనుపేరుజపించాడు

 

కానన్బంతిచల్లబడింది.

అప్పుడుఅందరూఅరిచారు

 

మంత్రిఆలయాన్నినిర్మించారు.

రాజుకూడాడబ్బుపెట్టాడు.

 

పెద్దధర్మశాలనిర్మించారు.

మిమ్మల్నితీసుకురావడంఆగిపోయింది

 

మీరుగతంలోకారువిరిచారు.

చక్రంపాప్చేయదు

 

గ్వాలేవేసినచేయి.

అప్పుడుఅతనురథంకదులుతున్నట్లుకనుగొన్నాడు.

 

బైషాక్వాడిమొదటిరోజు

రథంనదిబాణానికివెళుతుంది

 

మీనాగుజార్అందరూవచ్చేవారు.

నృత్యంమరియునృత్యంఅన్నిమార్గం.

 

స్వామి, మీరుప్రేమనుపోషించారు.

కౌహెర్డ్యొక్కగుణకారంపెరిగింది.

 

చేయిఆవుచేతిలోఉన్నప్పుడు

స్వామిరాత్కదిలినప్పుడుమాత్రమే

 

మేరీవిరిగినమహిళ.

మీరులేకుండాఎవరూమిమ్మల్నిరక్షించలేరు.

 

స్వామిదయచేసినాపట్లదయచూపండి.

నేనుదేవుడు, మీయజమాని.

 

మీరుఅరుతాచుగాఉండాలనినేనుకోరుకోను.

మీరుపుట్టినతరువాతపుట్టండి

 

చాలీస్చంద్రునిగాచేయండి.

షీష్నవావేటుబిర్ప్రభు

 

॥సోరత॥

రోజుకునలభైసార్లు,

నలభైరోజులుచదవండి.

 

మంచివాసనఅపారమైనది,

వర్ధమాన్ముందు.

 

హోయ్కుబేరావలె,

పుట్టినపేదహాయ్ఎవరు.

 

ఎవరిపిల్లలు,

పేరువంశంప్రపంచంలోనడిచింది.

CHALISA IN URDU

॥دوحہ۔

شیشناوااریانت،

میںتمہیںسلامعظمتپیشکرتاہوں.

 

اپادھیایااچاریہکی،

خوشگوارناملیں۔

 

تمامبابااورسرسوتی،

جنمندرکیخوشیاں۔

 

خدامہاویرکےلئے،

دھرمندماغمیں

 

॥پابند॥

جئےمہاویردیالوسوامی۔

ویرپربھو،آپدنیامیںمشہورہیں

 

وردھمانتمہارانامہے۔

اپنےدلسےپیارکرو

 

شانتیامیجاورموہینیمراد۔

شانہنسلیسوہنیسورت۔

 

آپنےڈیگمبردھڑاپہناہواتھا۔

یہاںتککہکرماکادشمنبھیآپسےہارگیا۔

 

غصہغصےاورلالچمیںبدلگیا۔

مہامحتمسےڈرکھالیا

 

آپسبکےجاننےوالےہیں۔

آپکےپاسدنیاکےساتھکیاہے؟

 

آپکےپاسراگاوردقیانوسینہیںہے۔

وییرکیگھنٹیچڑھی

 

آپکانامدنیامیںسچہے۔

کونجانتاہےبچ ۔

 

بھوتوںنےتمہیںپریشانکیا۔

سبشیطانچلےگئے

مہاویادمارینےنہتوظلمکیا

مہاوکرلکالڈیرکھاؤ۔

 

کالاناگہوائیتفریحیپٹی۔

یاہوشیربہتبھاری॥

 

آپکوبچانےوالاکوئینہیںہوناچاہئے۔

سوامی،یہآپکےساتھکریں،پرتیپال۔

 

آگجلرہیہے۔

آپتیزہواسےچلرہےہیں۔

 

نامآپکےتمامغموںکوکھودے۔

آگکوٹھنڈاکرنےدیں۔

 

بھارتپرتشددتھا

پھرآپبسگئے

 

کنڈالپورشہرمیںپیداہوا۔

خوشیاسوقتمضامینتھی

 

سدھاراتھجیآپکےوالد۔

تریشلاکیآنکھوںکےستارے

 

تمامپریشانیکیدنیاچھوڑدو۔

مالکبالبرہماچاری

 

پانچویںکالمہادوخدائی۔

چندنپورمہیمادکھلا.

 

ٹیلےکونظراندازکیا۔

ایکگائےکادودھپھینکا

 

میرےدماغمیںچرواہاکاسوچنا۔

بیلچہلےکرپہنچا

 

ساراٹیلےکھودگیا۔

پھرآپنےمجھےدرشندکھایا۔

 

اداسینےجودھراجکوگھیرلیا۔

جباسنےناملیاتوآپکا

 

توپکیٹھنڈک۔

تبسبنےچیخا

 

وزیرنےہیکلبنایا۔

بادشاہنےبھیرقمرکھی۔

 

ایکبڑادھرمشالاتعمیرکیا۔

آپکولانےکےلئےرکگیا

 

آپنےماضیمیںایککارتوڑدی

پہیہپاپنہیںہوتاہے

 

گوالےنےجوہاتھرکھا۔

تباسنےرتھکوچلتاہواپایا۔

 

بِیشاخوادیکےپہلےدن

رتھدریائےتیرپرجاتاہے

 

میناگوجرسبآتاتھا۔

ساراراستہڈانسکرو۔

 

سوامی،آپنےپیارکھیلا۔

چرواہاکیکثرتیتمیںاضافہ۔

 

جببھیہاتھکسیگائےکاہو

صرفاسصورتمیںجبسوامیرتھحرکتکرتےہیں

 

مریمایکٹوٹیہوئیعورتہے۔

کوئیبھیآپکےبغیرآپکونہیںبچاسکتا۔

 

سوامیبراہمہربانیمجھپرمہربانیکریں۔

میںخداہوں،تمہاراآقاہوں۔

 

میںنہیںچاہتاکہآپآرزوٹچوبنیں۔

آپپیدائشکےبعدپیداہوں

 

چالیسکوایکچاندبنادیں۔

شیشنواویسےبیرپربھو

 

॥سورتھا॥

دنمیںچالیسبار،

چالیسدنپڑھیں۔

 

اچھیخوشبوآرہیہے،

وردھمنکےسامنے۔

 

ہوئیکوبیراکیطرح،

پیداہواغریبہوا۔

 

جنکےبچے،

نامکاقبیلہدنیامیںچلتاتھا۔

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