NARMADA MATA CHALISA IN ALL LANGUAGES

CHALISA IN ASSAMESE

॥দোহা॥

দেৱীপুজিতানৰ্মদা,

মহিমাঅপৰিসীম।

 

চলিছায়েকৰতবৰ্ণনাকৰে,

কবিঅৰুভকতাপৰমহিত।

 

সদায়তেওঁলোকৰসেৱাৰপৰা,

পাপীপাপটোমহান।

 

উপকূলত, কৰদানপুৰুষজপ,

তেওঁলোকেজ্ঞানলাভকৰে।

 

॥চৌপাই॥

জয়-জয়-জয়নৰ্মদাভৱানী।

আপুনিআপোনাৰমহিমাতজাগ্ৰিতহ’ব।

 

অমৰকান্তৰএগৰাকীমাতৃ।

সৰ্বসিদ্ধিনৱপুঁজিৰপ্ৰদানকাৰী।

 

বীৰ্যইস্থূলগুণগঠনকৰে।

যেতিয়ানৰ্মদাভৱানীৰউপস্থিতি।

 

সপ্তমীসূৰ্যমকৰদেওবাৰে।

অশ্বনীমাঘমাচঅভতাৰা॥

 

আপোনাৰবাহনমকৰ।

পদ্মফুলত, আপুনিবেয়াৰা।

 

ব্ৰহ্মাহৰি, সকলোৱেআপোনাৰওপৰতধ্যানকৰে।

তেতিয়াহেআকাংক্ষিতফল।

 

দৰ্শনএটাপাপাহ’লহেতেঁন।

শ্ৰেণীভকতাগণনিৰন্তৰস্নান।

 

পুৰুষযিএকমাত্ৰযিয়েআপোনাৰওপৰতধ্যানকৰিআছে।

তেওঁপুৰুষৰুদ্ৰলোকআছিল।

 

কুঁৱৰীটোৰতোমালোকৰওপৰতসুখআছে।

যোৱাবাৰপৰমপদপাৱন।

 

মুৰৰমুকুটসদায়সজ।

ফুট-পাঞ্জনিহৈছেএকমাত্ৰ।

 

আপুনিকাইলৈআৰুকাইলৈধ্বনিতহ’ব।

পাপৰউষ্ণতাহৈছেমাতৃ।

 

ওৰাপূবৰপৰাপশ্চিমলৈ।

প্ৰবাহিতমাতৃনাচতমোৰা।

 

শৌকঋষিতুমহাউসম্পত্তি।

সূতাইত্যাদিতুমহাৰুযশগাৱন।

 

শিৱগণেশৰোআপোনাৰগুণআছে।

সকালদেৱগণধ্যানহ’ব|

 

শ্ৰেণীতীৰ্থযাত্ৰীনাৰ্মদাবেঙ্ক।

এইসকলোবোৰকদুখবুলিকোৱাহয়।

 

আকাংক্ষাটোপূৰণকৰা।

সকলোদুখমানহয়।

 

কানখালতগঙ্গাৰমহিমা।

কুৰুক্ষেত্ৰতসৰচুদিগৌৰৱ|

 

কিন্তুনাৰ্মদাগাওঁৰজংঘলত।

মঙ্গলগ্ৰহতমাক-ইন-দি-ৱে।

 

এবাৰ।

টাৰ্টপ্ৰজন্মহৈছেপুৰুষনানা।

 

মেকালবীৰ্যতুমিৰেভা।

তুমহাৰীভজননীতিদেৱকৰক।

 

জটাশংকৰীনামটোআপোনাৰ।

আপোনাৰতাৰাৰ্যাঙ্কআছে।

 

সমোদভাৱনাৰ্মদাতুমি।

পাছমোচানিৰেভাতুমি।

 

আপোনাকমহিমান্বিতকৰাহৈছে।

কৰতমাতোব্ৰাটনহ’ব।

 

জলপ্ৰতাপআপোনাৰএজনচৰমমাতৃ।

যিটোআনন্দদায়কআৰুসুখী।

 

পদক্ষেপটোআনকিআপোনাৰ।

মহিমাঅতিঅপৰিসীম।

 

আপোনাৰমাজতপৰিথকাহাড়টোঅতিগধুৰ।

লুকুৱাশিলৰটুপিআৰুৱাৰী॥

 

যমুনাতগাধোৱাপৰিচালনা।

সাতদিনততেওঁফলপাব।

 

এছটিআইতিনিদিনতআছিল।

গঙ্গাইতাৰপিছতেএৰিদিব।

 

কিন্তুৰেৱাদৰ্শনৰদ্বাৰা।

মানুহৰফলটোৱেহৃদয়বিচাৰিপায়।

 

আপোনাৰমহিমাঅতিগধুৰ।

যিসকলেগাওকতেওঁলোকপুৰুষআৰুমহিলা।

 

যিপুৰুষেআপোনাৰভিতৰতনিৰন্তৰভাৱেগাধুইথাকে।

ৰুদ্ৰকলোকতউপাসনাকৰাহয়।

 

উপকূলতবনৌষধি।

প্ৰলোভনসংকৰদৃশ্যবোৰসদায়সজ।

 

বায়ুসুগন্ধিগতিশীলটিয়াৰা।

কঠোৰপুৰুষশৰীৰৰপিৰা।

 

ঘাটঘাটৰগৌৰৱগধুৰ।

কবিসকলেওসকলোগানগ’বপাৰে।

 

মইজানোযেমইতোমাকউপাসনাকৰোঁ।

আৰুচাহাৰানহয়।

 

মামাতাৰবাবেসুখীহওক।

তুমিমাতোপৰিত্ৰাণৰপ্ৰদানকাৰী।

 

মানুহেইয়াকপঢ়ে।

তেওঁৰমূল্যসদায়বৃদ্ধিহয়।

 

কোনেইয়াক১০০বাৰগ’লে।

তেওঁৰধনহ’বপাৰে।

 

যিকোনোব্যক্তিয়েঅগণনাযোগ্যসময়বোৰপঢ়ক।

ফিলিংডিজায়াৰহোই॥

 

আপোনাৰসকলোবোৰতথকানৰ্মদা।

ইয়াত, সকলোতেনেই, নাৰ্মদা।

 

॥দোহা॥

আপোনাৰআনিৰভক্তিমূলকঅভিব্যক্তি,

কিকৰেজপকৰক।

 

মাতাজীৰঅনুগ্ৰহত,

অতিচামেণৰপৰাবহুদূৰ।

CHALISA IN BENGALI

॥দোহা॥

দেবীপূজিতনর্মদা,

গৌরবঅপরিসীম।

 

চালিশাবর্ণনাকরেছেন,

কবিঅরুভক্তউদার।

 

সর্বদাতাদেরপরিষেবাসহ,

পাপমোছামহান।

 

ড্যানলোকেরাউপকূলেগানকরছে,

চিরন্তনজ্ঞানপান।

 

॥বাউন্ড॥

জয়-জয়-জয়নর্মদাভবানী।

সমস্তগৌরবআপনাকেজাগ্রতকরাউচিত

 

মাঅমরকণ্ঠথেকেবেরিয়েএলেন।

সর্বসিদ্ধিনবনিধিরদাতা

 

মহিলাফর্মটিস্থূলগুণাগুণখায়।

নর্মদাভবানীযখনহাজির

 

সপ্তমীসূর্যমাকারারবিভার।

আশ্বানিমাগমাসঅবতার।

 

যানবাহনমকরআপনাকেসাজায়

আপনিপদ্মফুলেরউপরবসুন।

 

ব্রহ্মাহরিহরকায়ধ্যানতোমায়।।

তবেইকাঙ্ক্ষিতফলপাওয়াযায়

 

দর্শনেপাপপড়ত।

কোটিভক্তগণনিয়তস্নান।

 

যেপুরুষটিসর্বদাআপনারযত্নকরে।

পুরুষরুদ্রলোকেরকাছেযান।

 

কুমিরটিআপনারমধ্যেসুখপেতেপারে।

শেষসময়হ’লপবিত্রতা।

 

সর্বদামুকুটসর্বদাসজ্জিতকরাহয়।

পাপাঞ্জিনীসর্বদারাজা।

 

আগামীকাল, কালতুমিমাশোন।

মাপাপেরউত্তাপকেমারতেপারেন

 

পূর্বথেকেপশ্চিমেওরা।

বাহাতীমাতানাছতমোরা।

 

শওনকষিতুমহাউগৌরাগাওন।

সুতাইত্যাদিআপনিবিখ্যাত

 

শিবগণেশওআপনারপুণ্য।

সাকলদেবগণ, আপনাকেধন্যবাদ।

 

কোটিতীর্থনর্মদাতীরে।

এগুলিকেদুঃখবলাহয়।

 

ইচ্ছাপূরণকরে

সবদুঃখেরমাসর্বদাভুতুড়েথাকে।

 

কাঙ্খলেগঙ্গারগৌরব।

কুরুক্ষেত্রেসরসুতিগৌরব

 

তবেনর্মদাগ্রামেরবনে।

মাসর্বদামঙ্গলগ্রহে॥

 

আসানএকবারে।

একটিপ্রজন্মআছে, একটিপুরুষমাতামাতি।

 

মেকালকন্যা, তুমিরেভা

দেবতাতোমারপ্রশংসাকর

 

আপনারনামজাতাশঙ্করী।

আপনিকিছুলোককেএকটিতারাদিয়েছেন

 

তুমিসংভূদনর্মদা।

আপনিএকটিপাপমুচি

 

আপনিগৌরবকরেননি

আমারভালবাসাবড়করাহয়না।

 

তোমারমধ্যেদুর্দান্তমা।

যাআনন্দদায়কএবংআনন্দদায়ক।

 

আপনারআন্দোলনএমনকিআপনার।

আপনারগৌরবঅপরিসীম

 

আপনারশুয়েথাকাহাড়টিওভারী।

চুওয়াতপাথরহোয়ারভারিভারি

 

যমুনায়স্নানকরেনমনুজ।

সেসাতদিনেফলপায়।

 

সরসুটিতিনদিনেইদিতেন।

গঙ্গাতাৎক্ষণিকভাবেদিতেন।

 

কিন্তুরেভাদেখে।

মানুষেরফলমনপূর্ণহয়েযায়

 

আপনারগৌরবখুবভারী।

যিনিগানকরেনতিনিহলেননারীপুরুষ।

 

প্রতিদিনযেপুরুষটিআপনাকেগোসলকরে।

রুদ্রলোকেপূজা

 

ভেষজউপকূলেরাজত্বকরে।

সর্বদাদৃশ্যদৃশ্যসাজাইয়া।

 

বায়ুসুগন্ধযুক্তচলন্ততিরাও।

যিনিপুরুষদেহেরমাংসবহনকরেন।

 

ঘাট-ঘাটেরমহিমাঅপরিসীম।

এমনকিকবিরাও॥টিগাইতেপারেননা

 

না, আমিজানিআপনিআমারউপাসনাকরেন

আরসাপোর্টনয়, মামাদোজা

 

সুখেথাকমামা।

তুমিইপরিত্রাণেরশ্বর।

 

মানবযিনিএটিচিরকালপড়েন।

তারমানসর্বদাবৃদ্ধিপায়।

 

কেএকশবারগায়।

সেধন-সম্পদপেতেপারে।

 

যেকেউবেশকয়েকবারপড়ে।

পুরানমনোকমনহৈ।

 

নর্মদাসবারজায়গায়স্থিরহয়েগেল।

নর্মদাএখানেএবংসেখানেসর্বত্র

 

॥দোহা॥

ভক্তিভাবতোরআনিকি,

যিনিজপকরেন।

 

মায়েরকৃপায়,

দূরেশান্তি

CHALISA IN BODO

Bodo and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा ॥

देवि पूजित, नर्मदा, महिमा बड़ी अपार।
चालीसा वर्णन करत, कवि अरु भक्त उदार॥

इनकी सेवा से सदा, मिटते पाप महान।
तट पर कर जप दान नर, पाते हैं नित ज्ञान ॥

॥ चौपाई ॥

जय-जय-जय नर्मदा भवानी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
अमरकण्ठ से निकली माता, सर्व सिद्धि नव निधि की दाता।

कन्या रूप सकल गुण खानी, जब प्रकटीं नर्मदा भवानी।
सप्तमी सुर्य मकर रविवारा, अश्वनि माघ मास अवतारा।

वाहन मकर आपको साजैं, कमल पुष्प पर आप विराजैं।
ब्रह्मा हरि हर तुमको ध्यावैं, तब ही मनवांछित फल पावैं।

दर्शन करत पाप कटि जाते, कोटि भक्त गण नित्य नहाते।
जो नर तुमको नित ही ध्यावै, वह नर रुद्र लोक को जावैं।

मगरमच्छा तुम में सुख पावैं, अंतिम समय परमपद पावैं।
मस्तक मुकुट सदा ही साजैं, पांव पैंजनी नित ही राजैं।

कल-कल ध्वनि करती हो माता, पाप ताप हरती हो माता।
पूरब से पश्चिम की ओरा, बहतीं माता नाचत मोरा।

शौनक ऋषि तुम्हरौ गुण गावैं, सूत आदि तुम्हरौं यश गावैं।
शिव गणेश भी तेरे गुण गवैं, सकल देव गण तुमको ध्यावैं।

कोटि तीर्थ नर्मदा किनारे, ये सब कहलाते दु:ख हारे।
मनोकमना पूरण करती, सर्व दु:ख माँ नित ही हरतीं।

कनखल में गंगा की महिमा, कुरुक्षेत्र में सरस्वती महिमा।
पर नर्मदा ग्राम जंगल में, नित रहती माता मंगल में।

एक बार कर के स्नाना, तरत पिढ़ी है नर नारा।
मेकल कन्या तुम ही रेवा, तुम्हरी भजन करें नित देवा।

जटा शंकरी नाम तुम्हारा, तुमने कोटि जनों को है तारा।
समोद्भवा नर्मदा तुम हो, पाप मोचनी रेवा तुम हो।

तुम्हरी महिमा कहि नहीं जाई, करत न बनती मातु बड़ाई।
जल प्रताप तुममें अति माता, जो रमणीय तथा सुख दाता।

चाल सर्पिणी सम है तुम्हारी, महिमा अति अपार है तुम्हारी।
तुम में पड़ी अस्थि भी भारी, छुवत पाषाण होत वर वारि।

यमुना मे जो मनुज नहाता, सात दिनों में वह फल पाता।
सरस्वती तीन दीनों में देती, गंगा तुरत बाद हीं देती।

पर रेवा का दर्शन करके मानव फल पाता मन भर के।
तुम्हरी महिमा है अति भारी, जिसको गाते हैं नर-नारी।

जो नर तुम में नित्य नहाता, रुद्र लोक मे पूजा जाता।
जड़ी बूटियां तट पर राजें, मोहक दृश्य सदा हीं साजें|

वायु सुगंधित चलती तीरा, जो हरती नर तन की पीरा।
घाट-घाट की महिमा भारी, कवि भी गा नहिं सकते सारी।

नहिं जानूँ मैं तुम्हरी पूजा, और सहारा नहीं मम दूजा।
हो प्रसन्न ऊपर मम माता, तुम ही मातु मोक्ष की दाता।

जो मानव यह नित है पढ़ता, उसका मान सदा ही बढ़ता।
जो शत बार इसे है गाता, वह विद्या धन दौलत पाता।

अगणित बार पढ़ै जो कोई, पूरण मनोकामना होई।
सबके उर में बसत नर्मदा, यहां वहां सर्वत्र नर्मदा ।

॥ दोहा ॥

भक्ति भाव उर आनि के, जो करता है जाप।
माता जी की कृपा से, दूर होत संताप॥

॥ इति श्री नर्मदा चालीसा समाप्त ॥

CHALISA IN DOGRI

Dogri and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा ॥

देवि पूजित, नर्मदा, महिमा बड़ी अपार।
चालीसा वर्णन करत, कवि अरु भक्त उदार॥

इनकी सेवा से सदा, मिटते पाप महान।
तट पर कर जप दान नर, पाते हैं नित ज्ञान ॥

॥ चौपाई ॥

जय-जय-जय नर्मदा भवानी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
अमरकण्ठ से निकली माता, सर्व सिद्धि नव निधि की दाता।

कन्या रूप सकल गुण खानी, जब प्रकटीं नर्मदा भवानी।
सप्तमी सुर्य मकर रविवारा, अश्वनि माघ मास अवतारा।

वाहन मकर आपको साजैं, कमल पुष्प पर आप विराजैं।
ब्रह्मा हरि हर तुमको ध्यावैं, तब ही मनवांछित फल पावैं।

दर्शन करत पाप कटि जाते, कोटि भक्त गण नित्य नहाते।
जो नर तुमको नित ही ध्यावै, वह नर रुद्र लोक को जावैं।

मगरमच्छा तुम में सुख पावैं, अंतिम समय परमपद पावैं।
मस्तक मुकुट सदा ही साजैं, पांव पैंजनी नित ही राजैं।

कल-कल ध्वनि करती हो माता, पाप ताप हरती हो माता।
पूरब से पश्चिम की ओरा, बहतीं माता नाचत मोरा।

शौनक ऋषि तुम्हरौ गुण गावैं, सूत आदि तुम्हरौं यश गावैं।
शिव गणेश भी तेरे गुण गवैं, सकल देव गण तुमको ध्यावैं।

कोटि तीर्थ नर्मदा किनारे, ये सब कहलाते दु:ख हारे।
मनोकमना पूरण करती, सर्व दु:ख माँ नित ही हरतीं।

कनखल में गंगा की महिमा, कुरुक्षेत्र में सरस्वती महिमा।
पर नर्मदा ग्राम जंगल में, नित रहती माता मंगल में।

एक बार कर के स्नाना, तरत पिढ़ी है नर नारा।
मेकल कन्या तुम ही रेवा, तुम्हरी भजन करें नित देवा।

जटा शंकरी नाम तुम्हारा, तुमने कोटि जनों को है तारा।
समोद्भवा नर्मदा तुम हो, पाप मोचनी रेवा तुम हो।

तुम्हरी महिमा कहि नहीं जाई, करत न बनती मातु बड़ाई।
जल प्रताप तुममें अति माता, जो रमणीय तथा सुख दाता।

चाल सर्पिणी सम है तुम्हारी, महिमा अति अपार है तुम्हारी।
तुम में पड़ी अस्थि भी भारी, छुवत पाषाण होत वर वारि।

यमुना मे जो मनुज नहाता, सात दिनों में वह फल पाता।
सरस्वती तीन दीनों में देती, गंगा तुरत बाद हीं देती।

पर रेवा का दर्शन करके मानव फल पाता मन भर के।
तुम्हरी महिमा है अति भारी, जिसको गाते हैं नर-नारी।

जो नर तुम में नित्य नहाता, रुद्र लोक मे पूजा जाता।
जड़ी बूटियां तट पर राजें, मोहक दृश्य सदा हीं साजें|

वायु सुगंधित चलती तीरा, जो हरती नर तन की पीरा।
घाट-घाट की महिमा भारी, कवि भी गा नहिं सकते सारी।

नहिं जानूँ मैं तुम्हरी पूजा, और सहारा नहीं मम दूजा।
हो प्रसन्न ऊपर मम माता, तुम ही मातु मोक्ष की दाता।

जो मानव यह नित है पढ़ता, उसका मान सदा ही बढ़ता।
जो शत बार इसे है गाता, वह विद्या धन दौलत पाता।

अगणित बार पढ़ै जो कोई, पूरण मनोकामना होई।
सबके उर में बसत नर्मदा, यहां वहां सर्वत्र नर्मदा ।

॥ दोहा ॥

भक्ति भाव उर आनि के, जो करता है जाप।
माता जी की कृपा से, दूर होत संताप॥

॥ इति श्री नर्मदा चालीसा समाप्त ॥

CHALISA IN ENGLISH

॥ Doha ॥

Devi Poojit, Narmada, Mahima Badi Apar।
Chalisa Varnan Karat, Kavi Aru Bhakt Udar ॥

Inaki Seva Se Sada, Mitate Pap Mahan।
Tat Par Kar Jap Dan Nar, Pate Hain Nit Gyan ॥

॥ Chaupai ॥

Jai-Jai-Jai Narmada Bhavani, Tumhari Mahima Sab Jag Jani।
Amarakanth Se Nikali Mata, Sarv Siddhi Nav Nidhi Ki Data ॥

Kanya Roop Sakal Gun Khani, Jab Prakatin Narmada Bhavani।
Saptami Sury Makar Ravivara, Ashvani Magh Mas Avatara ॥

Vahan Makar Apako Sajain, Kamal Pushp Par Ap Virajain।
Brahma Hari Har Tumako Dhyavain, Tab Hi Manavanchhit Phal Pavain॥

Darshan Karat Pap Kati Jate, Koti Bhakt Gan Nity Nahate।
Jo Nar Tumako Nit Hi Dhyavai, Vah Nar Rudr Lok Ko Javain॥

Magaramachchha Tum Mein Sukh Pavain, Antim Samay Paramapad Pavain।
Mastak Mukut Sada Hi Sajain, Panv Painjani Nit Hi Rajain॥

Kal-Kal Dhvani Karati Ho Mata, Pap Tap Harati Ho Mata।
Poorab Se Pashchim Ki Ora, Bahatin Mata Nachat Mora॥

Shaunak Rshi Tumharau Gun Gavain, Soot Adi Tumharaun Yash Gavain।
Shiv Ganesh Bhi Tere Gun Gavain, Sakal Dev Gan Tumako Dhyavain॥

Koti Tirth Narmada Kinare, Ye Sab Kahalate Du:Kh Hare।
Manokamana Pooran Karati, Sarv Du:Kh Man Nit Hi Haratin॥

Kanakhal Mein Ganga Ki Mahima, Kurukshetr Mein Sarasvati Mahima।
Par Narmada Gram Jangal Mein, Nit Rahati Mata Mangal Mein॥

Ek Bar Kar Ke Snana, Tarat Pidhi Hai Nar Nara।
Mekal Kanya Tum Hi Reva, Tumhari Bhajan Karen Nit Deva॥

Jata Shankari Nam Tumhara, Tumane Koti Janon Ko Hai Tara।
Samodbhava Narmada Tum Ho, Pap Mochani Reva Tum Ho॥

Tumhari Mahima Kahi Nahin Jai, Karat Na Banati Matu Badai।
Jal Pratap Tumamen Ati Mata, Jo Ramaniy Tatha Sukh Data॥

Chal Sarpini Sam Hai Tumhari, Mahima Ati Apar Hai Tumhari।
Tum Mein Padi Asthi Bhi Bhari, Chhuvat Pashan Hot Var Vari॥

Yamuna Me Jo Manuj Nahata, Sat Dinon Mein Vah Phal Pata।
Sarasvati Tin Dinon Mein Deti, Ganga Turat Bad Hin Deti॥

Par Reva Ka Darshan Karake Manav Phal Pata Man Bhar Ke।
Tumhari Mahima Hai Ati Bhari, Jisako Gate Hain Nar-Nari॥

Jo Nar Tum Mein Nity Nahata, Rudr Lok Me Pooja Jata।
Jadi Bootiyan Tat Par Rajen, Mohak Drshy Sada Hin Sajen॥

Vayu Sugandhit Chalati Tira, Jo Harati Nar Tan Ki Pira।
Ghat-Ghat Ki Mahima Bhari, Kavi Bhi Ga Nahin Sakate Sari॥

Nahin Janoon Main Tumhari Pooja, Aur Sahara Nahin Mam Dooja।
Ho Prasann Oopar Mam Mata, Tum Hi Matu Moksh Ki Data॥

Jo Manav Yah Nit Hai Padhata, Usaka Man Sada Hi Badhata।
Jo Shat Bar Ise Hai Gata, Vah Vidya Dhan Daulat Pata॥

Aganit Bar Padhai Jo Koi, Pooran Manokamana Hoi।
Sabake Ur Mein Basat Narmada, Yahan Vahan Sarvatr Narmada ॥

॥ Doha ॥

Bhakti Bhav Ur Ani Ke, Jo Karata Hai Jap।
Mata Ji Ki Krpa Se, Door Hot Santap॥

॥ Iti Shree Narmada Chalisa End ॥

CHALISA IN GUJRATI

॥દોહા॥

દેવીપૂજિતાનર્મદા,

ગૌરવઅપારછે.

 

ચાલીસાવર્ણવેછે,

કવિઅરુભક્તઉદાર

 

હંમેશાતેમનીસેવાસાથે,

પાપોનાશમહાનછે.

 

ડેનપુરુષોકાંઠેજપકરેછે,

શાશ્વતજ્Getાનમેળવો.

 

॥બાઉન્ડ॥

જય-જય-જયનર્મદાભવાની.

તમારોસર્વમહિમાજાગૃતથાય

 

માતાઅમરકાંઠાનીબહારઆવી.

સર્વસિદ્ધિનવનિધિનાદાતા

 

સ્ત્રીસ્વરૂપસ્થૂલગુણોખાયછે.

જ્યારેનર્મદાભવાનીદેખાયા

 

સપ્તમીસૂર્યમકરરવિવાર.

અશ્વનીમાગમાસઅવતારા॥

 

વાહનમકરતમનેસજાવટકરેછે

તમેકમળનાફૂલપરબેસો.

 

બ્રહ્માહરિહરક્યાધ્યાનતમને.

તોજઇચ્છિતફળમળેછે

 

દર્શનપાપમાંપડતું.

કોટિભક્તગણસતતસ્નાન॥

 

પુરુષજેહંમેશાંતમારીસંભાળરાખેછે.

પુરુષરુદ્રલોકપરજાઓ.

 

મગરનેતમારામાંઆનંદહોઈશકેછે.

છેલ્લોસમયપવિત્રતાનોછે.

 

કાયમતાજહંમેશાશણગારવામાંઆવેછે.

પગનીપંજિણીહંમેશાંરાજાહોયછે.

 

કાલે, કાલેતુંમમ્મીધ્વનિ.

માતાપાપતાપનેહરાવીશકેછે

 

પૂર્વથીપશ્ચિમમાંઓરા.

બહતિમાતાનછટમોરા॥

 

શૌનકishષિતુમ્હૌગૌરાગાઓં।

યાર્નવગેરેતમેપ્રખ્યાતછો

 

શિવગણેશપણતમારાગુણછે.

સકલદેવગણ, આભાર.

 

કોટિતીર્થનર્મદાકિનારે.

આબધાનેદુ: ખકહેવામાંઆવેછે.

 

ઇચ્છાપૂરીકરેછે

બધાદુ: ખનીમાતાહંમેશાત્રાસીછે.

 

કાંકલમાંગંગાનીમહિમા.

કુરુક્ષેત્રમાંસરસુતિમહિમા

 

પરંતુનર્મદાગામનાજંગલમાં.

માતાહંમેશામંગળ॥માંહોયછે.

 

એકસમયેઆસન.

ત્યાંએકપેisી છે, એકપુરુષમાદા.

 

મેકલકન્યા, તુંરેવાછે

દેવતા, તારાવખાણકરો

 

તમારુંનામજાતાશંકરીછે.

તમેકેટલાકલોકોનેસ્ટારઆપ્યોછે

 

તમેસંભુદ્વાનર્મદાછો.

તમેપાપમોચીછે

 

તમેકીર્તિપરનગયા

મારોપ્રેમમોટોનથીથતો.

 

તમારામાંમહાનમાતા.

જેઆનંદકારકઅનેઆનંદકારકછે.

 

તમારીહિલચાલપણતમારીછે.

તમારોમહિમાઅપારછે

 

તમારામાંપડેલોઅસ્થિપણભારેછે.

ચૂવાતપથ્થરહોરવરીવારિ

 

મનુજયમુનામાંસ્નાનકરેછે.

તેનેસાતદિવસમાંફળમળેછે.

 

સરસુતિત્રણદિવસમાંઆપતી.

ગંગાતરતજઆપીદેતી.

 

પણરેવાનેજોઈને.

મનુષ્યનુંફળમનભરેછે

 

 

તમારોમહિમાખૂબભારેછે.

જેગાયછેતેપુરુષઅનેસ્ત્રીછે.

 

જેપુરુષદરરોજતમારામાંસ્નાનકરેછે.

રુદ્રલોકમાંઉપાસનાકરી

 

હર્બ્સકાંઠેશાસનકરેછે.

દ્રશ્યદૃશ્યસદાસજ્જકરો॥

 

એરસુગંધિતમૂવિંગતિરાઓ.

જેપુરુષશરીરનુંમાંસધારણકરેછે.

 

ઘાટ-ઘાટનોમહિમાઅપારછે.

કવિઓપણબધા॥ગાઈશકતાનથી

 

ના, હુંજાણુંછુંકેતમેમારીપૂજાકરોછો

અનેટેકોનહીં, મામાદોજા

 

ખુશરહો, માતામાતા.

તુંમુક્તિનોદેવછે.

 

માનવીજેઆનેસનાતનવાંચેછે.

તેનુંમૂલ્યહંમેશાવધેછે.

 

જેણેતેસોવખતગાયછે.

તેનેધનઅનેસંપત્તિમળીશકેછે.

 

કોઈપણજેઅનેકવારવાંચેછે.

પૂરણમનોકામનાહોઇ॥

 

નર્મદાદરેકનીજગ્યાએસ્થાયીથયા.

અહીંઅનેત્યાંબધેનર્મદા

 

॥દોહા॥

ભક્તિભાવanરઅનીકી,

જેજાપકરેછે.

 

માતાનીકૃપાથી,

દૂરશાંતિ

CHALISA IN HINDI

॥ दोहा ॥

देवि पूजित, नर्मदा, महिमा बड़ी अपार।
चालीसा वर्णन करत, कवि अरु भक्त उदार॥

इनकी सेवा से सदा, मिटते पाप महान।
तट पर कर जप दान नर, पाते हैं नित ज्ञान ॥

॥ चौपाई ॥

जय-जय-जय नर्मदा भवानी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
अमरकण्ठ से निकली माता, सर्व सिद्धि नव निधि की दाता।

कन्या रूप सकल गुण खानी, जब प्रकटीं नर्मदा भवानी।
सप्तमी सुर्य मकर रविवारा, अश्वनि माघ मास अवतारा।

वाहन मकर आपको साजैं, कमल पुष्प पर आप विराजैं।
ब्रह्मा हरि हर तुमको ध्यावैं, तब ही मनवांछित फल पावैं।

दर्शन करत पाप कटि जाते, कोटि भक्त गण नित्य नहाते।
जो नर तुमको नित ही ध्यावै, वह नर रुद्र लोक को जावैं।

मगरमच्छा तुम में सुख पावैं, अंतिम समय परमपद पावैं।
मस्तक मुकुट सदा ही साजैं, पांव पैंजनी नित ही राजैं।

कल-कल ध्वनि करती हो माता, पाप ताप हरती हो माता।
पूरब से पश्चिम की ओरा, बहतीं माता नाचत मोरा।

शौनक ऋषि तुम्हरौ गुण गावैं, सूत आदि तुम्हरौं यश गावैं।
शिव गणेश भी तेरे गुण गवैं, सकल देव गण तुमको ध्यावैं।

कोटि तीर्थ नर्मदा किनारे, ये सब कहलाते दु:ख हारे।
मनोकमना पूरण करती, सर्व दु:ख माँ नित ही हरतीं।

कनखल में गंगा की महिमा, कुरुक्षेत्र में सरस्वती महिमा।
पर नर्मदा ग्राम जंगल में, नित रहती माता मंगल में।

एक बार कर के स्नाना, तरत पिढ़ी है नर नारा।
मेकल कन्या तुम ही रेवा, तुम्हरी भजन करें नित देवा।

जटा शंकरी नाम तुम्हारा, तुमने कोटि जनों को है तारा।
समोद्भवा नर्मदा तुम हो, पाप मोचनी रेवा तुम हो।

तुम्हरी महिमा कहि नहीं जाई, करत न बनती मातु बड़ाई।
जल प्रताप तुममें अति माता, जो रमणीय तथा सुख दाता।

चाल सर्पिणी सम है तुम्हारी, महिमा अति अपार है तुम्हारी।
तुम में पड़ी अस्थि भी भारी, छुवत पाषाण होत वर वारि।

यमुना मे जो मनुज नहाता, सात दिनों में वह फल पाता।
सरस्वती तीन दीनों में देती, गंगा तुरत बाद हीं देती।

पर रेवा का दर्शन करके मानव फल पाता मन भर के।
तुम्हरी महिमा है अति भारी, जिसको गाते हैं नर-नारी।

जो नर तुम में नित्य नहाता, रुद्र लोक मे पूजा जाता।
जड़ी बूटियां तट पर राजें, मोहक दृश्य सदा हीं साजें|

वायु सुगंधित चलती तीरा, जो हरती नर तन की पीरा।
घाट-घाट की महिमा भारी, कवि भी गा नहिं सकते सारी।

नहिं जानूँ मैं तुम्हरी पूजा, और सहारा नहीं मम दूजा।
हो प्रसन्न ऊपर मम माता, तुम ही मातु मोक्ष की दाता।

जो मानव यह नित है पढ़ता, उसका मान सदा ही बढ़ता।
जो शत बार इसे है गाता, वह विद्या धन दौलत पाता।

अगणित बार पढ़ै जो कोई, पूरण मनोकामना होई।
सबके उर में बसत नर्मदा, यहां वहां सर्वत्र नर्मदा ।

॥ दोहा ॥

भक्ति भाव उर आनि के, जो करता है जाप।
माता जी की कृपा से, दूर होत संताप॥

॥ इति श्री नर्मदा चालीसा समाप्त ॥

CHALISA IN KANNADA

॥ದೋಹಾ॥

ದೇವಿಪೂಜಿತಾನರ್ಮದಾ,

ವೈಭವಅಪಾರ.

 

ಚಾಲಿಸಾವಿವರಿಸುತ್ತಾರೆ,

ಕವಿಅರುಭಕ್ತಉದಾರ

 

ಯಾವಾಗಲೂಅವರಸೇವೆಯೊಂದಿಗೆ,

ಪಾಪಗಳನ್ನುಅಳಿಸುವುದುಅದ್ಭುತವಾಗಿದೆ.

 

ಕರಾವಳಿಯಲ್ಲಿಜಪಿಸುತ್ತಿರುವಡಾನ್ಪುರುಷರು,

ಶಾಶ್ವತಜ್ಞಾನವನ್ನುಪಡೆಯಿರಿ.

 

॥ಬೌಂಡ್॥

ಜೈ-ಜೈ-ಜೈನರ್ಮದಾಭವಾನಿ.

ಎಲ್ಲಾವೈಭವಗಳುನಿಮಗೆಎಚ್ಚರಗೊಳ್ಳಲಿ

 

ತಾಯಿಅಮರ್ಕಂತದಿಂದಹೊರಬಂದಳು.

ಸರ್ವ್ಸಿದ್ಧನವನಿಧಿಯದಾನಿ

 

ಸ್ತ್ರೀರೂಪವುಒಟ್ಟುಗುಣಗಳನ್ನುತಿನ್ನುತ್ತದೆ.

ನರ್ಮದಾಭವಾನಿಕಾಣಿಸಿಕೊಂಡಾಗ

 

ಸಪ್ತಮಿಸೂರ್ಯಮಕರರವಿವಾರ.

ಅಶ್ವನಿಮಾಘಮಾಸ್ಅವತಾರಾ

 

ವಾಹನಮಕರಸಂಕ್ರಾಂತಿನಿಮ್ಮನ್ನುಅಲಂಕರಿಸುತ್ತದೆ

ನೀವುಕಮಲದಹೂವಿನಮೇಲೆಕುಳಿತುಕೊಳ್ಳಿ.

 

ನಿಮಗೆಬ್ರಹ್ಮಹರಿಹರ್ಕ್ಯಾಧ್ಯಾನೆ.

ಆಗಮಾತ್ರಅಪೇಕ್ಷಿತಹಣ್ಣುಲಭ್ಯವಿದೆ

 

ದರ್ಶನವುಪಾಪದಲ್ಲಿಬೀಳುತ್ತಿತ್ತು.

ಕೋತಿಭಕ್ತಗಣನಿರಂತರಸ್ನಾನ

 

ಯಾವಾಗಲೂನಿಮ್ಮಬಗ್ಗೆಕಾಳಜಿವಹಿಸುವಗಂಡು.

ಪುರುಷರುದ್ರಲೋಕಕ್ಕೆಹೋಗಿ.

 

ಮೊಸಳೆನಿಮ್ಮಲ್ಲಿಸಂತೋಷವನ್ನುಹೊಂದಿರಬಹುದು.

ಕೊನೆಯಬಾರಿಗೆಅವರಪವಿತ್ರತೆ.

 

ಶಾಶ್ವತವಾಗಿಕಿರೀಟಗಳನ್ನುಯಾವಾಗಲೂಅಲಂಕರಿಸಲಾಗುತ್ತದೆ.

ಕಾಲುಪಂಜಿನಿಯಾವಾಗಲೂರಾಜ.

 

ನಾಳೆ, ನಾಳೆನೀವುತಾಯಿಧ್ವನಿಸುತ್ತೀರಿ.

ತಾಯಿಪಾಪಶಾಖವನ್ನುಸೋಲಿಸಬಹುದು

 

ಪೂರ್ವದಿಂದಪಶ್ಚಿಮಕ್ಕೆಓರಾ.

ಬಹತಿಮಾತಾನಚತ್ಮೊರಾ

 

ಶೌನಕ್ರಿಷಿತುಮ್ಹೌಗೌರಾಗಾಂವ್.

ನೂಲುಇತ್ಯಾದಿನೀವುಪ್ರಸಿದ್ಧರು

 

ಶಿವಗಣೇಶನೂನಿಮ್ಮಸದ್ಗುಣ.

ಸಕಲ್ದೇವ್ಗನ್, ಧನ್ಯವಾದಗಳು.

 

ಕೋತಿತೀರ್ಥನರ್ಮದಾತೀರ.

ಇವೆಲ್ಲವನ್ನೂದುಃಖಗಳುಎಂದುಕರೆಯಲಾಗುತ್ತದೆ.

 

 

ಇಚ್ಾಶಕ್ತಿಪೂರೈಸುತ್ತದೆ

ಎಲ್ಲಾದುಃಖಗಳತಾಯಿಯಾವಾಗಲೂಕಾಡುತ್ತಾರೆ.

 

ಕಂಖಾಲ್‌ನಲ್ಲಿಗಂಗಾವೈಭವ.

ಕುರುಕ್ಷೇತ್ರದಲ್ಲಿಸರ್ಸುತಿವೈಭವ

 

ಆದರೆನರ್ಮದಾಗ್ರಾಮದಕಾಡಿನಲ್ಲಿ.

ತಾಯಿಯಾವಾಗಲೂಮಂಗಳ॥ರಲ್ಲಿರುತ್ತಾಳೆ.

 

ಆಸನಒಂದುಕಾಲದಲ್ಲಿ.

ಒಂದುಪೀಳಿಗೆಯಿದೆ, ಗಂಡುತಾಯಿಯಅಜ್ಜ.

 

ಮೆಕಲ್ ​​ಕನ್ಯಾ, ನೀವುರೇವಾ

ದೇವತಾ, ನಿನ್ನನ್ನುಸ್ತುತಿಸಿ

 

ನಿಮ್ಮಹೆಸರುಜತಾಶಂಕರಿ.

ನೀವುಕೆಲವುಜನರಿಗೆನಕ್ಷತ್ರವನ್ನುನೀಡಿದ್ದೀರಿ

 

ನೀವುಸಂಭುದ್ವನರ್ಮದಾ.

ನೀವುಪಾಪಚಮ್ಮಾರ

 

ನೀವುವೈಭವಕ್ಕೆಹೋಗಲಿಲ್ಲ

ನನ್ನಪ್ರೀತಿದೊಡ್ಡದಾಗಿಲ್ಲ.

 

 

ನಿಮ್ಮಲ್ಲಿದೊಡ್ಡತಾಯಿ.

ಇದುಸಂತೋಷಕರಮತ್ತುಆಹ್ಲಾದಕರವಾಗಿರುತ್ತದೆ.

 

ನಿಮ್ಮಚಲನೆಕೂಡನಿಮ್ಮದಾಗಿದೆ.

ನಿಮ್ಮಮಹಿಮೆಅಪಾರ

 

ನಿಮ್ಮಲ್ಲಿಮಲಗಿರುವಮೂಳೆಕೂಡಭಾರವಾಗಿರುತ್ತದೆ.

ಚುವಾತ್ಸ್ಟೋನ್ಹೋರ್ವಾರಿವಾರಿ

 

ಮನುಜ್ಯಮುನಾದಲ್ಲಿಸ್ನಾನಮಾಡುತ್ತಾನೆ.

ಅವನುಏಳುದಿನಗಳಲ್ಲಿಫಲವನ್ನುಪಡೆಯುತ್ತಾನೆ.

 

ಸರಸೂತಿಮೂರುದಿನಗಳಲ್ಲಿನೀಡುತ್ತಿದ್ದರು.

ಗಂಗಾತಕ್ಷಣಅದನ್ನುಕೊಡುತ್ತಿದ್ದರು.

 

ಆದರೆರೇವಾಅವರನ್ನುನೋಡುವಮೂಲಕ.

ಮಾನವಹಣ್ಣುಮನಸ್ಸಿನಿಂದತುಂಬುತ್ತದೆ

 

ನಿಮ್ಮಮಹಿಮೆತುಂಬಾಭಾರವಾಗಿರುತ್ತದೆ.

ಹಾಡುವವನುಗಂಡುಮತ್ತುಹೆಣ್ಣು.

 

ಪ್ರತಿದಿನನಿಮ್ಮಲ್ಲಿಸ್ನಾನಮಾಡುವಗಂಡು.

ರುದ್ರಲೋಕದಲ್ಲಿಪೂಜೆ

 

 

ಗಿಡಮೂಲಿಕೆಗಳುಕರಾವಳಿಯನ್ನುಆಳುತ್ತವೆ.

ದೃಶ್ಯದೃಶ್ಯವನ್ನುಯಾವಾಗಲೂಅಲಂಕರಿಸಿ

 

ಗಾಳಿಯಪರಿಮಳಯುಕ್ತಚಲಿಸುವಟಿರಾವ್.

ಪುರುಷದೇಹದಮಾಂಸವನ್ನುಹೊರುವವನು.

 

ಘಾಟ್-ಘಾಟ್ನವೈಭವವುಅಗಾಧವಾಗಿದೆ.

ಕವಿಗಳುಸಹಎಲ್ಲಾ॥ಹಾಡಲುಸಾಧ್ಯವಿಲ್ಲ

 

ಇಲ್ಲ, ನೀವುನನ್ನನ್ನುಆರಾಧಿಸುತ್ತೀರಿಎಂದುನನಗೆತಿಳಿದಿದೆ

ಮತ್ತುಬೆಂಬಲಿಸುವುದಿಲ್ಲ, ಮಾಮಾದೋಜಾ

 

ಸಂತೋಷವಾಗಿರಿ, ತಾಯಿತಾಯಿ.

ನೀನುಮೋಕ್ಷದದೇವರು.

 

ಇದನ್ನುಶಾಶ್ವತವಾಗಿಓದುವಮನುಷ್ಯ.

ಅವನಮೌಲ್ಯಯಾವಾಗಲೂಹೆಚ್ಚಾಗುತ್ತದೆ.

 

ಯಾರುಅದನ್ನುನೂರುಬಾರಿಹಾಡಿದ್ದಾರೆ.

ಅವನುಸಂಪತ್ತುಮತ್ತುಸಂಪತ್ತನ್ನುಪಡೆಯಬಹುದು.

 

ಯಾರಾದರೂಹಲವಾರುಬಾರಿಓದುತ್ತಾರೆ.

ಪೂರನ್ಮನೋಕಮ್ನಾಹೋಯಿ

 

 

ನರ್ಮದಾಎಲ್ಲರಸ್ಥಳದಲ್ಲಿನೆಲೆಸಿದರು.

ನರ್ಮದಾಇಲ್ಲಿಮತ್ತುಅಲ್ಲಿಎಲ್ಲೆಡೆ

 

॥ದೋಹಾ॥

ಭಕ್ತಿಭಾವಉರ್ಆನಿಕಿ,

ಜಪಮಾಡುವವನು.

 

ತಾಯಿಯಅನುಗ್ರಹದಿಂದ,

ದೂರದಶಾಂತಿ

CHALISA IN KASHMIRI

Kashmiri and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा ॥

देवि पूजित, नर्मदा, महिमा बड़ी अपार।
चालीसा वर्णन करत, कवि अरु भक्त उदार॥

इनकी सेवा से सदा, मिटते पाप महान।
तट पर कर जप दान नर, पाते हैं नित ज्ञान ॥

॥ चौपाई ॥

जय-जय-जय नर्मदा भवानी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
अमरकण्ठ से निकली माता, सर्व सिद्धि नव निधि की दाता।

कन्या रूप सकल गुण खानी, जब प्रकटीं नर्मदा भवानी।
सप्तमी सुर्य मकर रविवारा, अश्वनि माघ मास अवतारा।

वाहन मकर आपको साजैं, कमल पुष्प पर आप विराजैं।
ब्रह्मा हरि हर तुमको ध्यावैं, तब ही मनवांछित फल पावैं।

दर्शन करत पाप कटि जाते, कोटि भक्त गण नित्य नहाते।
जो नर तुमको नित ही ध्यावै, वह नर रुद्र लोक को जावैं।

मगरमच्छा तुम में सुख पावैं, अंतिम समय परमपद पावैं।
मस्तक मुकुट सदा ही साजैं, पांव पैंजनी नित ही राजैं।

कल-कल ध्वनि करती हो माता, पाप ताप हरती हो माता।
पूरब से पश्चिम की ओरा, बहतीं माता नाचत मोरा।

शौनक ऋषि तुम्हरौ गुण गावैं, सूत आदि तुम्हरौं यश गावैं।
शिव गणेश भी तेरे गुण गवैं, सकल देव गण तुमको ध्यावैं।

कोटि तीर्थ नर्मदा किनारे, ये सब कहलाते दु:ख हारे।
मनोकमना पूरण करती, सर्व दु:ख माँ नित ही हरतीं।

कनखल में गंगा की महिमा, कुरुक्षेत्र में सरस्वती महिमा।
पर नर्मदा ग्राम जंगल में, नित रहती माता मंगल में।

एक बार कर के स्नाना, तरत पिढ़ी है नर नारा।
मेकल कन्या तुम ही रेवा, तुम्हरी भजन करें नित देवा।

जटा शंकरी नाम तुम्हारा, तुमने कोटि जनों को है तारा।
समोद्भवा नर्मदा तुम हो, पाप मोचनी रेवा तुम हो।

तुम्हरी महिमा कहि नहीं जाई, करत न बनती मातु बड़ाई।
जल प्रताप तुममें अति माता, जो रमणीय तथा सुख दाता।

चाल सर्पिणी सम है तुम्हारी, महिमा अति अपार है तुम्हारी।
तुम में पड़ी अस्थि भी भारी, छुवत पाषाण होत वर वारि।

यमुना मे जो मनुज नहाता, सात दिनों में वह फल पाता।
सरस्वती तीन दीनों में देती, गंगा तुरत बाद हीं देती।

पर रेवा का दर्शन करके मानव फल पाता मन भर के।
तुम्हरी महिमा है अति भारी, जिसको गाते हैं नर-नारी।

जो नर तुम में नित्य नहाता, रुद्र लोक मे पूजा जाता।
जड़ी बूटियां तट पर राजें, मोहक दृश्य सदा हीं साजें|

वायु सुगंधित चलती तीरा, जो हरती नर तन की पीरा।
घाट-घाट की महिमा भारी, कवि भी गा नहिं सकते सारी।

नहिं जानूँ मैं तुम्हरी पूजा, और सहारा नहीं मम दूजा।
हो प्रसन्न ऊपर मम माता, तुम ही मातु मोक्ष की दाता।

जो मानव यह नित है पढ़ता, उसका मान सदा ही बढ़ता।
जो शत बार इसे है गाता, वह विद्या धन दौलत पाता।

अगणित बार पढ़ै जो कोई, पूरण मनोकामना होई।
सबके उर में बसत नर्मदा, यहां वहां सर्वत्र नर्मदा ।

॥ दोहा ॥

भक्ति भाव उर आनि के, जो करता है जाप।
माता जी की कृपा से, दूर होत संताप॥

॥ इति श्री नर्मदा चालीसा समाप्त ॥

CHALISA IN KONKANI

Konkani and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा ॥

देवि पूजित, नर्मदा, महिमा बड़ी अपार।
चालीसा वर्णन करत, कवि अरु भक्त उदार॥

इनकी सेवा से सदा, मिटते पाप महान।
तट पर कर जप दान नर, पाते हैं नित ज्ञान ॥

॥ चौपाई ॥

जय-जय-जय नर्मदा भवानी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
अमरकण्ठ से निकली माता, सर्व सिद्धि नव निधि की दाता।

कन्या रूप सकल गुण खानी, जब प्रकटीं नर्मदा भवानी।
सप्तमी सुर्य मकर रविवारा, अश्वनि माघ मास अवतारा।

वाहन मकर आपको साजैं, कमल पुष्प पर आप विराजैं।
ब्रह्मा हरि हर तुमको ध्यावैं, तब ही मनवांछित फल पावैं।

दर्शन करत पाप कटि जाते, कोटि भक्त गण नित्य नहाते।
जो नर तुमको नित ही ध्यावै, वह नर रुद्र लोक को जावैं।

मगरमच्छा तुम में सुख पावैं, अंतिम समय परमपद पावैं।
मस्तक मुकुट सदा ही साजैं, पांव पैंजनी नित ही राजैं।

कल-कल ध्वनि करती हो माता, पाप ताप हरती हो माता।
पूरब से पश्चिम की ओरा, बहतीं माता नाचत मोरा।

शौनक ऋषि तुम्हरौ गुण गावैं, सूत आदि तुम्हरौं यश गावैं।
शिव गणेश भी तेरे गुण गवैं, सकल देव गण तुमको ध्यावैं।

कोटि तीर्थ नर्मदा किनारे, ये सब कहलाते दु:ख हारे।
मनोकमना पूरण करती, सर्व दु:ख माँ नित ही हरतीं।

कनखल में गंगा की महिमा, कुरुक्षेत्र में सरस्वती महिमा।
पर नर्मदा ग्राम जंगल में, नित रहती माता मंगल में।

एक बार कर के स्नाना, तरत पिढ़ी है नर नारा।
मेकल कन्या तुम ही रेवा, तुम्हरी भजन करें नित देवा।

जटा शंकरी नाम तुम्हारा, तुमने कोटि जनों को है तारा।
समोद्भवा नर्मदा तुम हो, पाप मोचनी रेवा तुम हो।

तुम्हरी महिमा कहि नहीं जाई, करत न बनती मातु बड़ाई।
जल प्रताप तुममें अति माता, जो रमणीय तथा सुख दाता।

चाल सर्पिणी सम है तुम्हारी, महिमा अति अपार है तुम्हारी।
तुम में पड़ी अस्थि भी भारी, छुवत पाषाण होत वर वारि।

यमुना मे जो मनुज नहाता, सात दिनों में वह फल पाता।
सरस्वती तीन दीनों में देती, गंगा तुरत बाद हीं देती।

पर रेवा का दर्शन करके मानव फल पाता मन भर के।
तुम्हरी महिमा है अति भारी, जिसको गाते हैं नर-नारी।

जो नर तुम में नित्य नहाता, रुद्र लोक मे पूजा जाता।
जड़ी बूटियां तट पर राजें, मोहक दृश्य सदा हीं साजें|

वायु सुगंधित चलती तीरा, जो हरती नर तन की पीरा।
घाट-घाट की महिमा भारी, कवि भी गा नहिं सकते सारी।

नहिं जानूँ मैं तुम्हरी पूजा, और सहारा नहीं मम दूजा।
हो प्रसन्न ऊपर मम माता, तुम ही मातु मोक्ष की दाता।

जो मानव यह नित है पढ़ता, उसका मान सदा ही बढ़ता।
जो शत बार इसे है गाता, वह विद्या धन दौलत पाता।

अगणित बार पढ़ै जो कोई, पूरण मनोकामना होई।
सबके उर में बसत नर्मदा, यहां वहां सर्वत्र नर्मदा ।

॥ दोहा ॥

भक्ति भाव उर आनि के, जो करता है जाप।
माता जी की कृपा से, दूर होत संताप॥

॥ इति श्री नर्मदा चालीसा समाप्त ॥

CHALISA IN MAITHILI

Maithili and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा ॥

देवि पूजित, नर्मदा, महिमा बड़ी अपार।
चालीसा वर्णन करत, कवि अरु भक्त उदार॥

इनकी सेवा से सदा, मिटते पाप महान।
तट पर कर जप दान नर, पाते हैं नित ज्ञान ॥

॥ चौपाई ॥

जय-जय-जय नर्मदा भवानी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
अमरकण्ठ से निकली माता, सर्व सिद्धि नव निधि की दाता।

कन्या रूप सकल गुण खानी, जब प्रकटीं नर्मदा भवानी।
सप्तमी सुर्य मकर रविवारा, अश्वनि माघ मास अवतारा।

वाहन मकर आपको साजैं, कमल पुष्प पर आप विराजैं।
ब्रह्मा हरि हर तुमको ध्यावैं, तब ही मनवांछित फल पावैं।

दर्शन करत पाप कटि जाते, कोटि भक्त गण नित्य नहाते।
जो नर तुमको नित ही ध्यावै, वह नर रुद्र लोक को जावैं।

मगरमच्छा तुम में सुख पावैं, अंतिम समय परमपद पावैं।
मस्तक मुकुट सदा ही साजैं, पांव पैंजनी नित ही राजैं।

कल-कल ध्वनि करती हो माता, पाप ताप हरती हो माता।
पूरब से पश्चिम की ओरा, बहतीं माता नाचत मोरा।

शौनक ऋषि तुम्हरौ गुण गावैं, सूत आदि तुम्हरौं यश गावैं।
शिव गणेश भी तेरे गुण गवैं, सकल देव गण तुमको ध्यावैं।

कोटि तीर्थ नर्मदा किनारे, ये सब कहलाते दु:ख हारे।
मनोकमना पूरण करती, सर्व दु:ख माँ नित ही हरतीं।

कनखल में गंगा की महिमा, कुरुक्षेत्र में सरस्वती महिमा।
पर नर्मदा ग्राम जंगल में, नित रहती माता मंगल में।

एक बार कर के स्नाना, तरत पिढ़ी है नर नारा।
मेकल कन्या तुम ही रेवा, तुम्हरी भजन करें नित देवा।

जटा शंकरी नाम तुम्हारा, तुमने कोटि जनों को है तारा।
समोद्भवा नर्मदा तुम हो, पाप मोचनी रेवा तुम हो।

तुम्हरी महिमा कहि नहीं जाई, करत न बनती मातु बड़ाई।
जल प्रताप तुममें अति माता, जो रमणीय तथा सुख दाता।

चाल सर्पिणी सम है तुम्हारी, महिमा अति अपार है तुम्हारी।
तुम में पड़ी अस्थि भी भारी, छुवत पाषाण होत वर वारि।

यमुना मे जो मनुज नहाता, सात दिनों में वह फल पाता।
सरस्वती तीन दीनों में देती, गंगा तुरत बाद हीं देती।

पर रेवा का दर्शन करके मानव फल पाता मन भर के।
तुम्हरी महिमा है अति भारी, जिसको गाते हैं नर-नारी।

जो नर तुम में नित्य नहाता, रुद्र लोक मे पूजा जाता।
जड़ी बूटियां तट पर राजें, मोहक दृश्य सदा हीं साजें|

वायु सुगंधित चलती तीरा, जो हरती नर तन की पीरा।
घाट-घाट की महिमा भारी, कवि भी गा नहिं सकते सारी।

नहिं जानूँ मैं तुम्हरी पूजा, और सहारा नहीं मम दूजा।
हो प्रसन्न ऊपर मम माता, तुम ही मातु मोक्ष की दाता।

जो मानव यह नित है पढ़ता, उसका मान सदा ही बढ़ता।
जो शत बार इसे है गाता, वह विद्या धन दौलत पाता।

अगणित बार पढ़ै जो कोई, पूरण मनोकामना होई।
सबके उर में बसत नर्मदा, यहां वहां सर्वत्र नर्मदा ।

॥ दोहा ॥

भक्ति भाव उर आनि के, जो करता है जाप।
माता जी की कृपा से, दूर होत संताप॥

॥ इति श्री नर्मदा चालीसा समाप्त ॥

CHALISA IN MALAYALAM

॥ദോഹ॥

ദേവിപൂജിതനർമദ,

മഹത്വംഅപാരമാണ്.

 

ചാലിസവിവരിക്കുന്നു,

കവിഅരുഭക്തഉദാരത

 

എല്ലായ്പ്പോഴുംഅവരുടെസേവനത്തിൽ,

പാപങ്ങൾമായ്ക്കുന്നത്വളരെവലുതാണ്.

 

തീരത്ത്മന്ത്രിക്കുന്നഡാൻപുരുഷന്മാർ,

ശാശ്വതമായഅറിവ്നേടുക.

 

 

॥അതിർത്തി॥

ജയ്-ജയ്-ജയ്നർമദഭവാനി.

എല്ലാമഹത്വവുംനിങ്ങളെഉണർത്തട്ടെ

 

അമ്മഅമർക്കന്തയിൽനിന്ന്പുറത്തിറങ്ങി.

സർവ്സിദ്ധിനവനിധിയുടെദാതാവ്

 

സ്ത്രീരൂപംമൊത്തത്തിലുള്ളഗുണങ്ങൾകഴിക്കുന്നു.

നർമദഭവാനിപ്രത്യക്ഷപ്പെട്ടപ്പോൾ

 

സപ്താമിസൂര്യമകരരവിവര.

അശ്വനിമാഗ്മാസ്അവതാര

 

വാഹനകാപ്രിക്കോൺനിങ്ങളെഅലങ്കരിക്കുന്നു

നിങ്ങൾഒരുതാമരപ്പൂവിൽഇരിക്കുന്നു.

 

നിങ്ങൾക്ക്ബ്രഹ്മഹരിഹർക്യധ്യാനെ.

അപ്പോൾമാത്രമേആവശ്യമുള്ളഫലംലഭ്യമാകൂ

 

ദർശനംപാപത്തിൽവീഴുമായിരുന്നു.

കോട്ടിഭക്തഗണനിരന്തരമായകുളി

 

എപ്പോഴുംനിങ്ങളെപരിപാലിക്കുന്നപുരുഷൻ.

പുരുഷരുദ്രലോക്കിലേക്ക്പോകുക.

 

മുതലയ്ക്ക്നിങ്ങളിൽസന്തോഷമുണ്ടാകാം.

അവസാനസമയംഅവിടുത്തെവിശുദ്ധി.

 

എന്നേക്കുംകിരീടങ്ങൾഎല്ലായ്പ്പോഴുംഅലങ്കരിച്ചിരിക്കുന്നു.

കാലുകൾപഞ്ജിനിഎല്ലായ്പ്പോഴുംരാജാവാണ്.

 

നാളെ, നാളെനിങ്ങൾശബ്ദിക്കുന്നുഅമ്മ.

അമ്മയ്ക്ക്പാപചൂടിനെമറികടക്കാൻകഴിയും

 

കിഴക്ക്നിന്ന്പടിഞ്ഞാറോട്ട്ഓറ.

ബഹതിമാതാനച്ചത്മോറ

 

ഷun നക്റിഷിതുംഹau ഗaura രഗാവോൺ.

നൂൽമുതലായവനിങ്ങൾപ്രശസ്തരാണ്

 

ശിവഗണേഷുംനിങ്ങളുടെപുണ്യമാണ്.

സക്കൽദേവ്ഗാൻ, നന്ദി.

 

കോട്ടിതീർത്ഥനർമദതീരം.

ഇതിനെയെല്ലാംസങ്കടങ്ങൾഎന്ന്വിളിക്കുന്നു.

 

മനസ്സൊരുക്കംനിറവേറ്റുന്നു

എല്ലാസങ്കടങ്ങളുടെയുംമാതാവ്എല്ലായ്പ്പോഴുംവേട്ടയാടപ്പെടുന്നു.

 

കാങ്കലിലെഗംഗയുടെമഹത്വം.

കുരുക്ഷേത്രയിലെസർസുതിമഹത്വം

 

എന്നാൽനർമദഗ്രാമവനത്തിൽ.

അമ്മഎപ്പോഴുംചൊവ്വ॥ലാണ്.

 

 

ആസനഒരിക്കൽ.

ഒരുതലമുറയുണ്ട്, ഒരുപുരുഷമാതൃപിതാവ്.

 

മേക്കൽകന്യാ, നിങ്ങളാണ്രേവ

ദേവത, സ്തുതി

 

നിങ്ങളുടെപേര്ജതശങ്കരി.

നിങ്ങൾചിലആളുകൾക്ക്ഒരുനക്ഷത്രംനൽകി

 

നിങ്ങൾസാംബുദ്വനർമദയാണ്.

നിങ്ങൾഒരുപാപകാരിയാണ്

 

നിങ്ങൾമഹത്വത്തിലേക്ക്പോയില്ല

എന്റെപ്രണയംവലുതാക്കുന്നില്ല.

 

നിങ്ങളിൽവലിയഅമ്മ.

അത്ആനന്ദകരവുംപ്രസാദകരവുമാണ്.

 

നിങ്ങളുടെചലനംനിങ്ങളുടേതാണ്.

നിന്റെമഹത്വംവളരെവലുതാണ്

 

നിങ്ങളിൽകിടക്കുന്നഅസ്ഥിയുംഭാരമുള്ളതാണ്.

ചുവത്ത്കല്ല്ഹോർവാരിവാരി

 

മനുജ്യമുനയിൽകുളിക്കുന്നു.

ഏഴുദിവസത്തിനുള്ളിൽഅയാൾക്ക്ഫലംലഭിക്കും.

 

 

സരസുതിമൂന്ന്ദിവസത്തിനുള്ളിൽനൽകാറുണ്ടായിരുന്നു.

ഗംഗഉടൻതന്നെനൽകും.

 

രേവയെകണ്ടതിലൂടെ.

മനുഷ്യഫലംമനസ്സിൽനിറയുന്നു

 

നിങ്ങളുടെമഹത്വംവളരെഭാരമുള്ളതാണ്.

പാടുന്നവൻആണുംപെണ്ണുമാണ്.

 

എല്ലാദിവസവുംനിങ്ങളിൽകുളിക്കുന്നപുരുഷൻ.

രുദ്രലോക്കിൽആരാധിച്ചു

 

Bsഷധസസ്യങ്ങൾതീരത്തെഭരിക്കുന്നു.

ദൃശ്യരംഗംഎല്ലായ്പ്പോഴുംഅലങ്കരിക്കുക

 

വായുസുഗന്ധമുള്ളചലിക്കുന്നടിറാവു.

പുരുഷശരീരത്തിന്റെമാംസംവഹിക്കുന്നവൻ.

 

ഘട്ട്-ഘട്ടിന്റെമഹത്വംവളരെവലുതാണ്.

കവികൾക്ക്പോലും॥പാടാൻകഴിയില്ല

 

ഇല്ല, നിങ്ങൾഎന്നെആരാധിക്കുന്നുവെന്ന്എനിക്കറിയാം

പിന്തുണയ്ക്കുന്നില്ല, മാമാഡോജ

 

അമ്മേ, സന്തോഷവാനായിരിക്കുക.

നിങ്ങൾരക്ഷയുടെദൈവം.

 

 

ഇത്നിത്യമായിവായിക്കുന്നമനുഷ്യൻ.

അവന്റെമൂല്യംഎപ്പോഴുംവർദ്ധിക്കുന്നു.

 

ആരാണ്ഇത്നൂറ്തവണആലപിച്ചത്.

അവന്സമ്പത്തുംസമ്പത്തുംനേടാൻകഴിയും.

 

നിരവധിതവണവായിക്കുന്നആർക്കും.

പൂരൻമനോകംനഹോയി

 

എല്ലാവരുടെയുംസ്ഥാനത്ത്നർമദസ്ഥിരതാമസമാക്കി.

നർമദഇവിടെയുംഇവിടെയുംഎല്ലായിടത്തും

 

॥ദോഹ॥

ഭക്തിഭവഉർഅനികി,

മന്ത്രംചൊല്ലുന്നവൻ.

 

അമ്മയുടെകൃപയാൽ,

അകലെയുള്ളസമാധാനം

CHALISA IN MEITEI

Meitei and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा ॥

देवि पूजित, नर्मदा, महिमा बड़ी अपार।
चालीसा वर्णन करत, कवि अरु भक्त उदार॥

इनकी सेवा से सदा, मिटते पाप महान।
तट पर कर जप दान नर, पाते हैं नित ज्ञान ॥

॥ चौपाई ॥

जय-जय-जय नर्मदा भवानी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
अमरकण्ठ से निकली माता, सर्व सिद्धि नव निधि की दाता।

कन्या रूप सकल गुण खानी, जब प्रकटीं नर्मदा भवानी।
सप्तमी सुर्य मकर रविवारा, अश्वनि माघ मास अवतारा।

वाहन मकर आपको साजैं, कमल पुष्प पर आप विराजैं।
ब्रह्मा हरि हर तुमको ध्यावैं, तब ही मनवांछित फल पावैं।

दर्शन करत पाप कटि जाते, कोटि भक्त गण नित्य नहाते।
जो नर तुमको नित ही ध्यावै, वह नर रुद्र लोक को जावैं।

मगरमच्छा तुम में सुख पावैं, अंतिम समय परमपद पावैं।
मस्तक मुकुट सदा ही साजैं, पांव पैंजनी नित ही राजैं।

कल-कल ध्वनि करती हो माता, पाप ताप हरती हो माता।
पूरब से पश्चिम की ओरा, बहतीं माता नाचत मोरा।

शौनक ऋषि तुम्हरौ गुण गावैं, सूत आदि तुम्हरौं यश गावैं।
शिव गणेश भी तेरे गुण गवैं, सकल देव गण तुमको ध्यावैं।

कोटि तीर्थ नर्मदा किनारे, ये सब कहलाते दु:ख हारे।
मनोकमना पूरण करती, सर्व दु:ख माँ नित ही हरतीं।

कनखल में गंगा की महिमा, कुरुक्षेत्र में सरस्वती महिमा।
पर नर्मदा ग्राम जंगल में, नित रहती माता मंगल में।

एक बार कर के स्नाना, तरत पिढ़ी है नर नारा।
मेकल कन्या तुम ही रेवा, तुम्हरी भजन करें नित देवा।

जटा शंकरी नाम तुम्हारा, तुमने कोटि जनों को है तारा।
समोद्भवा नर्मदा तुम हो, पाप मोचनी रेवा तुम हो।

तुम्हरी महिमा कहि नहीं जाई, करत न बनती मातु बड़ाई।
जल प्रताप तुममें अति माता, जो रमणीय तथा सुख दाता।

चाल सर्पिणी सम है तुम्हारी, महिमा अति अपार है तुम्हारी।
तुम में पड़ी अस्थि भी भारी, छुवत पाषाण होत वर वारि।

यमुना मे जो मनुज नहाता, सात दिनों में वह फल पाता।
सरस्वती तीन दीनों में देती, गंगा तुरत बाद हीं देती।

पर रेवा का दर्शन करके मानव फल पाता मन भर के।
तुम्हरी महिमा है अति भारी, जिसको गाते हैं नर-नारी।

जो नर तुम में नित्य नहाता, रुद्र लोक मे पूजा जाता।
जड़ी बूटियां तट पर राजें, मोहक दृश्य सदा हीं साजें|

वायु सुगंधित चलती तीरा, जो हरती नर तन की पीरा।
घाट-घाट की महिमा भारी, कवि भी गा नहिं सकते सारी।

नहिं जानूँ मैं तुम्हरी पूजा, और सहारा नहीं मम दूजा।
हो प्रसन्न ऊपर मम माता, तुम ही मातु मोक्ष की दाता।

जो मानव यह नित है पढ़ता, उसका मान सदा ही बढ़ता।
जो शत बार इसे है गाता, वह विद्या धन दौलत पाता।

अगणित बार पढ़ै जो कोई, पूरण मनोकामना होई।
सबके उर में बसत नर्मदा, यहां वहां सर्वत्र नर्मदा ।

॥ दोहा ॥

भक्ति भाव उर आनि के, जो करता है जाप।
माता जी की कृपा से, दूर होत संताप॥

॥ इति श्री नर्मदा चालीसा समाप्त ॥

CHALISA IN MARATHI

॥दोहा॥

देवीपूजानर्मदा,

महिमाअफाटआहे.

 

चालीसावर्णनकरतात,

कवीअरुभक्तउदार॥

 

नेहमीत्यांच्यासेवेसह,

पापेमिटवणेउत्तमआहे.

 

किना्यावरदानपुरुषजपकरीतआहेत.

शाश्वतज्ञानमिळवा.

 

॥चौकार॥

जय-जय-जयनर्मदाभवानी।

सर्ववैभवतुम्हालाजागृतहोवो

 

आईअमरकंठातूनबाहेरआली.

सर्वसिद्धिनवनिधीचेदाता

 

मादीस्वरुपस्थूलगुणखातो.

जेव्हानर्मदाभवानीप्रकटली

 

सप्तमीसूर्यमकरारविवरा।

अश्वनीमाघमासअवतार॥

 

वाहनमकरतुलासजवतो

तुम्हीकमळाच्याफुलावरबसा.

 

ब्रह्माहरीहरकायध्यानतुझे।

तरचइच्छितफळउपलब्धआहे

 

दर्शनपापातपडायचे.

कोटिभक्तगणनित्यस्नान॥

 

जोपुरुषतुझीनेहमीकाळजीघेतो.

नररुद्रलोकांकडेजा.

 

मगरीतुमच्यातआनंदअसूशकेल.

शेवटचीवेळपरमपवित्रआहे.

 

कायमचेमुकुटनेहमीचसजविलेजातात.

पायपांजिनीसदैवराजाअसतो.

 

उद्या, उद्यातूआईचानादकर.

आईपापउष्णताहरवूशकते

 

पूर्वतेपश्चिमेकडेओरा.

बहतीमातानचतमोरा॥

 

शौनक .षितुम्हागौरागाव।

सूतवगैरेतुम्हीप्रसिद्धआहात

 

शिवगणेशदेखीलतुमचेपुण्यआहे.

सकाळदेवगण, आभार.

 

कोटितीर्थनर्मदाकिनारा।

यासर्वांनादुःखम्हणतात.

 

इच्छापूर्णहोते

सर्वदु: खाचीआईनेहमीचछळलीजाते.

 

कणखळातीलगंगेचामहिमा.

कुरुक्षेत्रातसारसुतीवैभव

 

पणनर्मदागावजंगलात.

आईनेहमीचमंगळ॥मध्येअसते.

 

आसनएकदाका.

एकपिढीआहे, एकपुरुषमातृआजोबा.

 

मेकलकन्या, तूरेवा

देवा, तुझेगुणगानकर

 

तुमचेनावजटाशंकरीआहे.

आपणकाहीलोकांनाएकतारादिलाआहे

 

तूंसंभुद्वानर्मदा।

आपणपापमोचीआहात

 

 

आपणवैभवातगेलानाही

माझेप्रेममोठेकेलेनाही.

 

तुमच्यातछानआई.

जेआनंददायकआणिआनंददायकआहे.

 

आपलीहालचालअगदीतुमचीआहे.

तुझावैभवअपारआहे

 

तुमच्यातपडलेलाहाडहीभारीआहे.

चुवटदगडहोरीवारीवारी

 

मनुजयमुनेतस्नानकरतो.

त्यालासातदिवसांतफळमिळते.

 

सरसूतीतीनदिवसातदेतअसे.

गंगातेलगेचदेतअसे.

 

पणरेवापाहून.

मानवीफळमनानेपूर्णहोते

 

तुझावैभवखूपभारीआहे.

जोगातोतोनरवमादीआहे.

 

 

दररोजतुमच्यातआंघोळकरणारानर.

रुद्रलोकातपूजाकेली

 

औषधीवनस्पतीकिना्यावरराज्यकरतात.

दृश्यास्पददृष्यसदैवसजवा॥

 

वायुसुवासिकचालणारातिरराव.

जोनरदेहाचेमांसधारणकरतो.

 

घाट-घाटाचामहिमाअपारआहे.

कवीसुद्धासर्व॥गाऊशकतनाहीत

 

नाही, मलामाहितआहेकीतूमाझीउपासनाकरतोस

आणिसमर्थननाही, मामाडोजा

 

आनंदीराहाआई, आई.

तूतारणारादेवआहेस.

 

हेचिरंतनवाचणारेमानव.

त्याचेमूल्यनेहमीचवाढते.

 

कोणहेशंभरवेळागातो.

त्यालासंपत्तीआणिसंपत्तीमिळूशकते.

 

 

जोकोणीबर्‍याचवेळावाचतो.

पूरणमनोकामनाहोई॥

 

नर्मदासर्वांच्याजागीस्थायिकझाली.

इकडेतिकडेसर्वत्रनर्मदा

 

॥दोहा॥

भक्तिभावउरकी,

जोजपकरतोतो.

 

आईच्याकृपेने,

दूरशांती

CHALISA IN NEPALI

Nepali and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 

॥ दोहा ॥

देवि पूजित, नर्मदा, महिमा बड़ी अपार।
चालीसा वर्णन करत, कवि अरु भक्त उदार॥

इनकी सेवा से सदा, मिटते पाप महान।
तट पर कर जप दान नर, पाते हैं नित ज्ञान ॥

॥ चौपाई ॥

जय-जय-जय नर्मदा भवानी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
अमरकण्ठ से निकली माता, सर्व सिद्धि नव निधि की दाता।

कन्या रूप सकल गुण खानी, जब प्रकटीं नर्मदा भवानी।
सप्तमी सुर्य मकर रविवारा, अश्वनि माघ मास अवतारा।

वाहन मकर आपको साजैं, कमल पुष्प पर आप विराजैं।
ब्रह्मा हरि हर तुमको ध्यावैं, तब ही मनवांछित फल पावैं।

दर्शन करत पाप कटि जाते, कोटि भक्त गण नित्य नहाते।
जो नर तुमको नित ही ध्यावै, वह नर रुद्र लोक को जावैं।

मगरमच्छा तुम में सुख पावैं, अंतिम समय परमपद पावैं।
मस्तक मुकुट सदा ही साजैं, पांव पैंजनी नित ही राजैं।

कल-कल ध्वनि करती हो माता, पाप ताप हरती हो माता।
पूरब से पश्चिम की ओरा, बहतीं माता नाचत मोरा।

शौनक ऋषि तुम्हरौ गुण गावैं, सूत आदि तुम्हरौं यश गावैं।
शिव गणेश भी तेरे गुण गवैं, सकल देव गण तुमको ध्यावैं।

कोटि तीर्थ नर्मदा किनारे, ये सब कहलाते दु:ख हारे।
मनोकमना पूरण करती, सर्व दु:ख माँ नित ही हरतीं।

कनखल में गंगा की महिमा, कुरुक्षेत्र में सरस्वती महिमा।
पर नर्मदा ग्राम जंगल में, नित रहती माता मंगल में।

एक बार कर के स्नाना, तरत पिढ़ी है नर नारा।
मेकल कन्या तुम ही रेवा, तुम्हरी भजन करें नित देवा।

जटा शंकरी नाम तुम्हारा, तुमने कोटि जनों को है तारा।
समोद्भवा नर्मदा तुम हो, पाप मोचनी रेवा तुम हो।

तुम्हरी महिमा कहि नहीं जाई, करत न बनती मातु बड़ाई।
जल प्रताप तुममें अति माता, जो रमणीय तथा सुख दाता।

चाल सर्पिणी सम है तुम्हारी, महिमा अति अपार है तुम्हारी।
तुम में पड़ी अस्थि भी भारी, छुवत पाषाण होत वर वारि।

यमुना मे जो मनुज नहाता, सात दिनों में वह फल पाता।
सरस्वती तीन दीनों में देती, गंगा तुरत बाद हीं देती।

पर रेवा का दर्शन करके मानव फल पाता मन भर के।
तुम्हरी महिमा है अति भारी, जिसको गाते हैं नर-नारी।

जो नर तुम में नित्य नहाता, रुद्र लोक मे पूजा जाता।
जड़ी बूटियां तट पर राजें, मोहक दृश्य सदा हीं साजें|

वायु सुगंधित चलती तीरा, जो हरती नर तन की पीरा।
घाट-घाट की महिमा भारी, कवि भी गा नहिं सकते सारी।

नहिं जानूँ मैं तुम्हरी पूजा, और सहारा नहीं मम दूजा।
हो प्रसन्न ऊपर मम माता, तुम ही मातु मोक्ष की दाता।

जो मानव यह नित है पढ़ता, उसका मान सदा ही बढ़ता।
जो शत बार इसे है गाता, वह विद्या धन दौलत पाता।

अगणित बार पढ़ै जो कोई, पूरण मनोकामना होई।
सबके उर में बसत नर्मदा, यहां वहां सर्वत्र नर्मदा ।

॥ दोहा ॥

भक्ति भाव उर आनि के, जो करता है जाप।
माता जी की कृपा से, दूर होत संताप॥

॥ इति श्री नर्मदा चालीसा समाप्त ॥

CHALISA IN ODIA

॥ଦୋହା॥

ଦେବୀପୂଜିତାନର୍ମଦା,

ଗoryରବଅତୁଳନୀୟ |

 

ଚଲିସାବର୍ଣ୍ଣନାକରିଛନ୍ତି,

କବିଅରୁଭକ୍ତଉଦାର।

 

ସର୍ବଦାସେମାନଙ୍କସେବାସହିତ,

ପାପଲିଭାଇବାମହାନଅଟେ |

 

 

ଉପକୂଳରେଡାନ୍ପୁରୁଷମାନେଜପକରୁଛନ୍ତି,

ଅନନ୍ତଜ୍ଞାନପ୍ରାପ୍ତକର |

 

॥ସୀମା॥

ଜୟ-ଜୟ-ଜୟନର୍ମଦାଭବାନୀ |

ସମସ୍ତଗରବତୁମକୁଜାଗ୍ରତକର |

 

ମାଅମରକାନ୍ତରୁବାହାରିଆସିଲେ |

ସରବସିଦ୍ଧନାଭନିଧିଙ୍କରଦାତା |

 

ନାରୀରୂପମୋଟଗୁଣଖାଏ |

ଯେତେବେଳେନର୍ମଦାଭବାନୀଦେଖାଦେଲେ |

 

ସାପଟାମିସୂର୍ଯ୍ୟମାକରାରବିଭାରା |

ଅଶ୍ୱାନିମାଗମାସଅବତାର।

 

ଯାନମକରରାଶିଆପଣଙ୍କୁସଜାଇଥାଏ |

ଆପଣଏକକମଲଫୁଲଉପରେବସନ୍ତି |

 

ବ୍ରହ୍ମାହରିହରକାୟାଧାନେତୁମକୁ |

କେବଳସେତେବେଳେଇଚ୍ଛାକୃତଫଳଉପଲବ୍ଧ |

 

ଦର୍ଶନପାପରେପଡ଼ୁଥିଲା |

କୋଟିଭକ୍ତଗାନାକ୍ରମାଗତସ୍ନାନ।

 

ଯେଉଁପୁରୁଷସର୍ବଦାତୁମରଯତ୍ନନିଏ |

ପୁରୁଷରୁଦ୍ରଲୋକକୁଯାଆନ୍ତୁ |

 

କୁମ୍ଭୀରଟିତୁମଭିତରେସୁଖପାଇପାରେ |

ଶେଷଥରହେଉଛିତାଙ୍କରପବିତ୍ରତା |

 

ସବୁଦିନପାଇଁମୁକୁଟସବୁବେଳେସଜାଯାଇଥାଏ |

ପାଦପଞ୍ଜିନୀସର୍ବଦାରାଜାଅଟନ୍ତି |

 

ଆସନ୍ତାକାଲି, କାଲିତୁମେମାତାଶବ୍ଦକର |

ମାତାପାପରଉତ୍ତାପକୁପରାସ୍ତକରିପାରନ୍ତି |

 

ପୂର୍ବରୁପଶ୍ଚିମପର୍ଯ୍ୟନ୍ତଓରା |

ବାହାଟିମାତାନାଚତ୍ମୋରା।

 

ଶନାକ୍ishiଷିତୁମ୍ହାଗGa ରାଗାଓନ୍ |

ସୂତାଇତ୍ୟାଦିତୁମେପ୍ରସିଦ୍ଧ |

 

ଶିବଗଣେଶମଧ୍ୟତୁମରଗୁଣ।

ସାକଲଦେବଗଣ, ଧନ୍ୟବାଦ |

 

କୋଟିତିର୍ଥାନର୍ମଦାକୂଳ |

ଏସବୁକୁଦୁs ଖକୁହାଯାଏ |

 

ଇଚ୍ଛାପୂରଣକରେ |

ସମସ୍ତଦୁowsଖରମାତାସର୍ବଦାହନ୍ତସନ୍ତହୁଅନ୍ତି |

 

କଙ୍କାଳରେଗଙ୍ଗାରଗoryରବ |

କୁରୁକ୍ଷେତ୍ରରେସରସୁତିଗରବ |

 

କିନ୍ତୁନର୍ମଦାଗ୍ରାମଜଙ୍ଗଲରେ |

ମାତାସର୍ବଦାମଙ୍ଗଳ॥ରେଥାଆନ୍ତି |

 

ଆସାନାଥରେ |

ସେଠାରେଏକପି଼ିଅଛି, ଜଣେପୁରୁଷମାତୃଦାଦା |

 

ମେକଲକାନିଆ, ତୁମେରେଭା |

ଦେବତା, ତୁମରପ୍ରଶଂସାକର |

 

ତୁମରନାମଜତାଶଙ୍କାରୀ |

ଆପଣକିଛିଲୋକଙ୍କୁଏକତାରାଦେଇଛନ୍ତି |

 

ତୁମେସମ୍ବୁଦ୍ନର୍ମଦା |

ତୁମେଏକପାପକୋବଲର୍ |

 

ତୁମେଗglory ରବକୁଯାଇନାହଁ |

ମୋରପ୍ରେମବଡ଼ନୁହେଁ |

 

ତୁମଭିତରେମହାନମା

ଯାହାଆନନ୍ଦଦାୟକଏବଂଆନନ୍ଦଦାୟକଅଟେ |

 

ତୁମରଗତିବିଧିମଧ୍ୟତୁମର |

ତୁମରଗ ରବଅତୁଳନୀୟ |

 

ତୁମଭିତରେପଡ଼ିଥିବାଅସ୍ଥିମଧ୍ୟଭାରୀ |

ଚୁୱାଟ୍ଷ୍ଟୋନ୍ହୋର୍ଭାରିବିଭିନ୍ନ |

 

ମନୁଜଯମୁନାରେସ୍ନାନକରନ୍ତି |

ସେସାତଦିନରେଫଳପାଆନ୍ତି |

 

ସରସୁତିତିନିଦିନରେଦେଉଥିଲେ |

ଗଙ୍ଗାଏହାକୁତୁରନ୍ତଦେବ |

 

କିନ୍ତୁରେଭାଙ୍କୁଦେଖି |

ମଣିଷରଫଳମନରେପରିପୂର୍ଣ୍ଣହୁଏ |

 

ତୁମରଗglory ରବବହୁତଭାରୀ |

ଯିଏଗାଇଥାଏସେପୁରୁଷଏବଂସ୍ତ୍ରୀଅଟେ |

 

ଯେଉଁପୁରୁଷପ୍ରତିଦିନତୁମଠାରେସ୍ନାନକରନ୍ତି |

ରୁଦ୍ରଲୋକରେପୂଜା |

 

 

ଷଧଉପକୂଳକୁଶାସନକରେ |

ସର୍ବଦାଭିଜୁଆଲ୍ଦୃଶ୍ୟକୁସଜାନ୍ତୁ।

 

ବାୟୁସୁଗନ୍ଧିତଗତିଶୀଳତିରୋ |

ଯିଏପୁରୁଷଶରୀରରମାଂସବହନକରେ |

 

ଘାଟ-ଘାଟରଗglory ରବଅତୁଳନୀୟ |

ଏପରିକିକବିମାନେସମସ୍ତ॥ଗୀତଗାଇପାରିବେନାହିଁ |

 

 

ନା, ମୁଁଜାଣେତୁମେମୋତେପୂଜାକର |

ଏବଂସମର୍ଥନନୁହେଁ, ମାମାଡୋଜା |

 

ମାଆ, ଖୁସିହୁଅ |

ତୁମେପରିତ୍ରାଣରପରମେଶ୍ୱର।

 

ମଣିଷଯିଏଏହାକୁଅନନ୍ତକାଳପread େ |

ତାଙ୍କରମୂଲ୍ୟସର୍ବଦାବୃଦ୍ଧିପାଇଥାଏ |

 

ଯିଏଏହାକୁଶହେଥରଗାଇଥାଏ |

ସେଧନଏବଂଧନପାଇପାରିବେ |

 

ଯେକେହିଅନେକଥରପread ନ୍ତି |

ଗରିବମନୋକାମନାହୋ।

 

ନର୍ମଦାସମସ୍ତଙ୍କସ୍ଥାନରେବସବାସକଲେ |

ନର୍ମଦାଏଠାରେଏବଂସେଠାରେସର୍ବତ୍ର |

 

॥ଦୋହା॥

ଭକ୍ତଭବାଉରିକି,

ଯିଏଜପକରନ୍ତି |

 

ମାତାଙ୍କକୃପାଦ୍ୱାରା,

ଦୂରଶାନ୍ତି |

CHALISA IN PUNJABI

॥ਦੋਹਾ॥

ਦੇਵੀਪੂਜੀਤਾਨਰਮਦਾ,

ਮਹਿਮਾਬੇਅੰਤਹੈ.

 

ਚਾਲੀਸਾਦੱਸਦਾਹੈ,

ਕਵੀਅਰੂਭਕਤਖੁੱਲ੍ਹਕੇ॥

 

ਹਮੇਸ਼ਾਉਨ੍ਹਾਂਦੀਸੇਵਾਨਾਲ,

ਪਾਪਾਂਨੂੰਮਿਟਾਉਣਾਮਹਾਨਹੈ.

 

ਡੈਨਆਦਮੀਸਮੁੰਦਰੀਕੰਤੇਜਾਪਕਰਦੇਹਨ,

ਸਦੀਵੀਗਿਆਨਪ੍ਰਾਪਤਕਰੋ.

 

॥ਚੌਪਾਈ॥

ਜੈ-ਜੈ-ਜੈਨਰਮਦਾਭਵਾਨੀ।

ਸਾਰੀਸ਼ਾਨਤੁਹਾਨੂੰਜਗਾਵੇ

 

ਮਾਂਅਮਰਕੰਠਾਤੋਂਬਾਹਰਆਗਈ.

ਸਰਵਸਿਧੀਨਵਨਿਧੀਦਾਦਾਨੀ

 

ਮਾਦਾਰੂਪਸੰਪੂਰਨਗੁਣਾਂਨੂੰਖਾਂਦਾਹੈ.

ਜਦੋਂਨਰਮਦਾਭਵਾਨੀਪ੍ਰਗਟਹੋਏ

 

ਸਪਤਾਮੀਸੂਰਿਆਮਕਾਰਾਰਵੀਵਾਰਾ.

ਅਸ਼ਵਨੀਮਾਘਮਾਸਅਵਤਾਰਾ॥

 

ਵਾਹਨਮਕਰਤੁਹਾਨੂੰਸਜਾਉਂਦਾਹੈ

ਤੁਸੀਂਕਮਲਦੇਫੁੱਲ ‘ਤੇਬੈਠੋ.

 

ਬ੍ਰਹਮਾਹਰਿਹਰਿਕੀਧਿਆਏ॥

ਕੇਵਲਤਾਂਲੋੜੀਂਦਾਫਲਮਿਲਦਾਹੈ

 

ਦਰਸ਼ਨਪਾਪਵਿੱਚਪੈਜਾਂਦੇਸਨ।

ਕੋਟਿਭਕਤਗਣੇਨਿਰੰਤਰਇਸ਼ਨਾਨ॥

 

ਉਹਨਰਜੋਹਮੇਸ਼ਾਂਤੁਹਾਡੀਦੇਖਭਾਲਕਰਦਾਹੈ.

ਨਰਰੁਦ੍ਰਲੋਕਤੇਜਾਉ।

 

ਮਗਰਮੱਛੀਤੁਹਾਡੇਵਿਚਖੁਸ਼ੀਆਂਲੈਸਕਦੀਹੈ.

ਆਖਰੀਸਮਾਂਹੈਪਵਿੱਤਰਤਾ.

 

ਹਮੇਸ਼ਾਲਈਤਾਜਸਜਾਏਜਾਂਦੇਹਨ.

ਪੈਰਪੰਜੀਨੀਹਮੇਸ਼ਾਂਰਾਜਾਹੁੰਦਾਹੈ.

 

ਕੱਲ੍ਹ, ਕੱਲ੍ਹਤੁਸੀਂਮਾਂਨੂੰਆਵਾਜ਼ਦਿਓ.

ਮਾਂਪਾਪਦੀਗਰਮੀਨੂੰਹਰਾਸਕਦੀਹੈ

 

 

ਪੂਰਬਤੋਂਪੱਛਮਤੱਕਓਰਾ.

ਬਹਤਿਮਾਤਾਨਛਤਮੋਰਾ॥

 

ਸ਼ੌਨਕਰਿਸ਼ੀਤੁਮ੍ਹੌਗੌਰਾਗਾਓਂ।

ਸੂਤਆਦਿਤੁਸੀਂਮਸ਼ਹੂਰਹੋ

 

ਸ਼ਿਵਗਣੇਸ਼ਵੀਤੁਹਾਡਾਗੁਣਹੈ.

ਸਕਾਲਦੇਵਗਾਨ, ਧੰਨਵਾਦ।

 

ਕੋਟਿਤੀਰਥਨਰਮਦਾਕੰੇ।

ਇਹਸਾਰੇਦੁੱਖਕਹਿੰਦੇਹਨ.

 

ਇੱਛਾਪੂਰੀਕਰਦਾਹੈ

ਸਾਰੇਦੁੱਖਾਂਦੀਮਾਂਹਮੇਸ਼ਾਂਤੰਗੀਰਹਿੰਦੀਹੈ.

 

ਕਾਂਖਲਵਿਚਗੰਗਾਦੀਮਹਿਮਾ.

ਕੁਰੂਕਸ਼ੇਤਰਵਿਚਸਰਸੁਤੀਪ੍ਰਤਾਪ

 

ਪਰਨਰਮਦਾਪਿੰਡਦੇਜੰਗਲਵਿਚ.

ਮਾਂਹਮੇਸ਼ਾਂਮੰਗਲ॥ਵਿਚਹੈ.

 

ਇੱਕਵਾਰਆਸਣ

ਇਕਪੀੜ੍ਹੀਹੈ, ਇਕਮਰਦਮਾਮਾ.

 

 

ਮੇਕਲਕੰਨਿਆ, ਤੁਸੀਂਰੇਵਾਹੋ

ਦੇਵਤਾ, ਤੇਰੀਉਸਤਤਿਕਰੋ

 

ਤੁਹਾਡਾਨਾਮਜੱਟਸ਼ੰਕਰੀਹੈ

ਤੁਸੀਂਕੁਝਲੋਕਾਂਨੂੰਇੱਕਤਾਰਾਦਿੱਤਾਹੈ

 

ਤੁਮਸੰਭੁਦ੍ਵਨਰਮਦਾ।

ਤੁਸੀਂਇੱਕਪਾਪਮੋਚੀਹੋ

 

ਤੁਸੀਂਮਹਿਮਾਲਈਨਹੀਂਗਏ

ਮੇਰਾਪਿਆਰਵਿਸ਼ਾਲਨਹੀਂਹੋਇਆ.

 

ਤੁਹਾਡੇਵਿੱਚਮਹਾਨਮਾਂ.

ਜੋਅਨੰਦਮਈਅਤੇਮਨਮੋਹਕਹੈ.

 

ਤੁਹਾਡੀਅੰਦੋਲਨਵੀਤੁਹਾਡੀਹੈ.

ਤੁਹਾਡੀਮਹਿਮਾਬੇਅੰਤਹੈ

 

ਤੁਹਾਡੇਅੰਦਰਪਈਹੱਡੀਵੀਭਾਰੀਹੈ.

ਚੁਵਾਤਪੱਥਰਹੋਰੀਵਾਰਿਵਾਰਿ

 

ਮਨੂਜਯਮੁਨਾਵਿਚਇਸ਼ਨਾਨਕਰਦਾਹੈ.

ਉਸਨੂੰਸੱਤਦਿਨਾਂਵਿੱਚਫਲਮਿਲਜਾਂਦਾਹੈ.

 

 

ਸਰਸੁਤੀਤਿੰਨਦਿਨਾਂਵਿਚਦਿੰਦੀਸੀ।

ਗੰਗਾਤੁਰੰਤਦੇਦਿੰਦੀ.

 

ਪਰਰੇਵਾਨੂੰਵੇਖਕੇ।

ਮਨੁੱਖਦਾਫਲਪੂਰੇਮਨਨਾਲਭਰਜਾਂਦਾਹੈ

 

ਤੁਹਾਡੀਸ਼ਾਨਬਹੁਤਭਾਰੀਹੈ.

ਉਹਜਿਹੜਾਗਾਉਂਦਾਹੈਉਹਨਰਅਤੇਮਾਦਾਹੈ.

 

ਉਹਨਰਜੋਹਰਰੋਜ਼ਤੁਹਾਡੇਵਿੱਚਇਸ਼ਨਾਨਕਰਦਾਹੈ.

ਰੁਦ੍ਰਲੋਕਵਿਚਪੂਜਾਕੀਤੀ

 

ਬੂਟੀਆਂਤੱਟਤੇਰਾਜਕਰਦੇਹਨ.

ਹਮੇਸ਼ਾਂਦ੍ਰਿਸ਼ਟਦ੍ਰਿਸ਼ਨੂੰਸਜਾਓ॥

 

ਹਵਾਖੁਸ਼ਬੂਦਾਰਚਲਦਾਤਿਰਓ।

ਉਹਜਿਹੜਾਨਰਦੇਹਦਾਮਾਸਧਾਰਦਾਹੈ.

 

ਘਾਟ-ਘਾਟਦੀਮਹਿਮਾਭਾਰੀਹੈ.

ਕਵੀਵੀਸਾਰੇsing ਨਹੀਂਗਾਸਕਦੇ

 

ਨਹੀਂ, ਮੈਂਜਾਣਦਾਹਾਂਤੁਸੀਂਮੇਰੀਪੂਜਾਕਰਦੇਹੋ

ਅਤੇਸਮਰਥਨਨਹੀਂ, ਮਾਮਾਡੋਜਾ

 

 

ਖੁਸ਼ਰਹੋਮਾਂ, ਮਾਂ.

ਤੁਸੀਂਮੁਕਤੀਦਾਪਰਮੇਸ਼ੁਰਹੋ.

 

ਮਨੁੱਖਜੋਇਸਨੂੰਸਦਾਲਈਪੜ੍ਹਦਾਹੈ.

ਉਸਦਾਮੁੱਲਹਮੇਸ਼ਾਂਵਧਦਾਜਾਂਦਾਹੈ.

 

ਜੋਇਸਨੂੰਸੌਵਾਰਗਾਉਂਦਾਹੈ.

ਉਹਧਨ-ਦੌਲਤਪ੍ਰਾਪਤਕਰਸਕਦਾਹੈ.

 

ਕੋਈਵੀਜੋਕਈਵਾਰਪੜ੍ਹਦਾਹੈ.

ਪੂਰਨਮਨੋਕਾਮਨਾਹੋਇ॥

 

ਨਰਮਦਾਸਾਰਿਆਂਦੀਥਾਂਵੱਸਗਿਆ।

ਇਥੇਅਤੇਉਥੇਹਰਜਗ੍ਹਾਨਰਮਦਾ

 

॥ਦੋਹਾ॥

ਭਕਤਿਭਾਵਾਤੇਰੀਕੀ,

ਉਹੀਜੋਜਪਦਾਹੈ।

 

ਮਾਂਦੀਕਿਰਪਾਨਾਲ,

ਦੂਰਸ਼ਾਂਤੀ

CHALISA IN SANSKRIT

Sanskrit and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 

॥ दोहा ॥

देवि पूजित, नर्मदा, महिमा बड़ी अपार।
चालीसा वर्णन करत, कवि अरु भक्त उदार॥

इनकी सेवा से सदा, मिटते पाप महान।
तट पर कर जप दान नर, पाते हैं नित ज्ञान ॥

॥ चौपाई ॥

जय-जय-जय नर्मदा भवानी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
अमरकण्ठ से निकली माता, सर्व सिद्धि नव निधि की दाता।

कन्या रूप सकल गुण खानी, जब प्रकटीं नर्मदा भवानी।
सप्तमी सुर्य मकर रविवारा, अश्वनि माघ मास अवतारा।

वाहन मकर आपको साजैं, कमल पुष्प पर आप विराजैं।
ब्रह्मा हरि हर तुमको ध्यावैं, तब ही मनवांछित फल पावैं।

दर्शन करत पाप कटि जाते, कोटि भक्त गण नित्य नहाते।
जो नर तुमको नित ही ध्यावै, वह नर रुद्र लोक को जावैं।

मगरमच्छा तुम में सुख पावैं, अंतिम समय परमपद पावैं।
मस्तक मुकुट सदा ही साजैं, पांव पैंजनी नित ही राजैं।

कल-कल ध्वनि करती हो माता, पाप ताप हरती हो माता।
पूरब से पश्चिम की ओरा, बहतीं माता नाचत मोरा।

शौनक ऋषि तुम्हरौ गुण गावैं, सूत आदि तुम्हरौं यश गावैं।
शिव गणेश भी तेरे गुण गवैं, सकल देव गण तुमको ध्यावैं।

कोटि तीर्थ नर्मदा किनारे, ये सब कहलाते दु:ख हारे।
मनोकमना पूरण करती, सर्व दु:ख माँ नित ही हरतीं।

कनखल में गंगा की महिमा, कुरुक्षेत्र में सरस्वती महिमा।
पर नर्मदा ग्राम जंगल में, नित रहती माता मंगल में।

एक बार कर के स्नाना, तरत पिढ़ी है नर नारा।
मेकल कन्या तुम ही रेवा, तुम्हरी भजन करें नित देवा।

जटा शंकरी नाम तुम्हारा, तुमने कोटि जनों को है तारा।
समोद्भवा नर्मदा तुम हो, पाप मोचनी रेवा तुम हो।

तुम्हरी महिमा कहि नहीं जाई, करत न बनती मातु बड़ाई।
जल प्रताप तुममें अति माता, जो रमणीय तथा सुख दाता।

चाल सर्पिणी सम है तुम्हारी, महिमा अति अपार है तुम्हारी।
तुम में पड़ी अस्थि भी भारी, छुवत पाषाण होत वर वारि।

यमुना मे जो मनुज नहाता, सात दिनों में वह फल पाता।
सरस्वती तीन दीनों में देती, गंगा तुरत बाद हीं देती।

पर रेवा का दर्शन करके मानव फल पाता मन भर के।
तुम्हरी महिमा है अति भारी, जिसको गाते हैं नर-नारी।

जो नर तुम में नित्य नहाता, रुद्र लोक मे पूजा जाता।
जड़ी बूटियां तट पर राजें, मोहक दृश्य सदा हीं साजें|

वायु सुगंधित चलती तीरा, जो हरती नर तन की पीरा।
घाट-घाट की महिमा भारी, कवि भी गा नहिं सकते सारी।

नहिं जानूँ मैं तुम्हरी पूजा, और सहारा नहीं मम दूजा।
हो प्रसन्न ऊपर मम माता, तुम ही मातु मोक्ष की दाता।

जो मानव यह नित है पढ़ता, उसका मान सदा ही बढ़ता।
जो शत बार इसे है गाता, वह विद्या धन दौलत पाता।

अगणित बार पढ़ै जो कोई, पूरण मनोकामना होई।
सबके उर में बसत नर्मदा, यहां वहां सर्वत्र नर्मदा ।

॥ दोहा ॥

भक्ति भाव उर आनि के, जो करता है जाप।
माता जी की कृपा से, दूर होत संताप॥

॥ इति श्री नर्मदा चालीसा समाप्त ॥

CHALISA IN SANTALI

Santali and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 

॥ दोहा ॥

देवि पूजित, नर्मदा, महिमा बड़ी अपार।
चालीसा वर्णन करत, कवि अरु भक्त उदार॥

इनकी सेवा से सदा, मिटते पाप महान।
तट पर कर जप दान नर, पाते हैं नित ज्ञान ॥

॥ चौपाई ॥

जय-जय-जय नर्मदा भवानी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
अमरकण्ठ से निकली माता, सर्व सिद्धि नव निधि की दाता।

कन्या रूप सकल गुण खानी, जब प्रकटीं नर्मदा भवानी।
सप्तमी सुर्य मकर रविवारा, अश्वनि माघ मास अवतारा।

वाहन मकर आपको साजैं, कमल पुष्प पर आप विराजैं।
ब्रह्मा हरि हर तुमको ध्यावैं, तब ही मनवांछित फल पावैं।

दर्शन करत पाप कटि जाते, कोटि भक्त गण नित्य नहाते।
जो नर तुमको नित ही ध्यावै, वह नर रुद्र लोक को जावैं।

मगरमच्छा तुम में सुख पावैं, अंतिम समय परमपद पावैं।
मस्तक मुकुट सदा ही साजैं, पांव पैंजनी नित ही राजैं।

कल-कल ध्वनि करती हो माता, पाप ताप हरती हो माता।
पूरब से पश्चिम की ओरा, बहतीं माता नाचत मोरा।

शौनक ऋषि तुम्हरौ गुण गावैं, सूत आदि तुम्हरौं यश गावैं।
शिव गणेश भी तेरे गुण गवैं, सकल देव गण तुमको ध्यावैं।

कोटि तीर्थ नर्मदा किनारे, ये सब कहलाते दु:ख हारे।
मनोकमना पूरण करती, सर्व दु:ख माँ नित ही हरतीं।

कनखल में गंगा की महिमा, कुरुक्षेत्र में सरस्वती महिमा।
पर नर्मदा ग्राम जंगल में, नित रहती माता मंगल में।

एक बार कर के स्नाना, तरत पिढ़ी है नर नारा।
मेकल कन्या तुम ही रेवा, तुम्हरी भजन करें नित देवा।

जटा शंकरी नाम तुम्हारा, तुमने कोटि जनों को है तारा।
समोद्भवा नर्मदा तुम हो, पाप मोचनी रेवा तुम हो।

तुम्हरी महिमा कहि नहीं जाई, करत न बनती मातु बड़ाई।
जल प्रताप तुममें अति माता, जो रमणीय तथा सुख दाता।

चाल सर्पिणी सम है तुम्हारी, महिमा अति अपार है तुम्हारी।
तुम में पड़ी अस्थि भी भारी, छुवत पाषाण होत वर वारि।

यमुना मे जो मनुज नहाता, सात दिनों में वह फल पाता।
सरस्वती तीन दीनों में देती, गंगा तुरत बाद हीं देती।

पर रेवा का दर्शन करके मानव फल पाता मन भर के।
तुम्हरी महिमा है अति भारी, जिसको गाते हैं नर-नारी।

जो नर तुम में नित्य नहाता, रुद्र लोक मे पूजा जाता।
जड़ी बूटियां तट पर राजें, मोहक दृश्य सदा हीं साजें|

वायु सुगंधित चलती तीरा, जो हरती नर तन की पीरा।
घाट-घाट की महिमा भारी, कवि भी गा नहिं सकते सारी।

नहिं जानूँ मैं तुम्हरी पूजा, और सहारा नहीं मम दूजा।
हो प्रसन्न ऊपर मम माता, तुम ही मातु मोक्ष की दाता।

जो मानव यह नित है पढ़ता, उसका मान सदा ही बढ़ता।
जो शत बार इसे है गाता, वह विद्या धन दौलत पाता।

अगणित बार पढ़ै जो कोई, पूरण मनोकामना होई।
सबके उर में बसत नर्मदा, यहां वहां सर्वत्र नर्मदा ।

॥ दोहा ॥

भक्ति भाव उर आनि के, जो करता है जाप।
माता जी की कृपा से, दूर होत संताप॥

॥ इति श्री नर्मदा चालीसा समाप्त ॥

CHALISA IN SINDHI

Sindhi and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 

॥ दोहा ॥

देवि पूजित, नर्मदा, महिमा बड़ी अपार।
चालीसा वर्णन करत, कवि अरु भक्त उदार॥

इनकी सेवा से सदा, मिटते पाप महान।
तट पर कर जप दान नर, पाते हैं नित ज्ञान ॥

॥ चौपाई ॥

जय-जय-जय नर्मदा भवानी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
अमरकण्ठ से निकली माता, सर्व सिद्धि नव निधि की दाता।

कन्या रूप सकल गुण खानी, जब प्रकटीं नर्मदा भवानी।
सप्तमी सुर्य मकर रविवारा, अश्वनि माघ मास अवतारा।

वाहन मकर आपको साजैं, कमल पुष्प पर आप विराजैं।
ब्रह्मा हरि हर तुमको ध्यावैं, तब ही मनवांछित फल पावैं।

दर्शन करत पाप कटि जाते, कोटि भक्त गण नित्य नहाते।
जो नर तुमको नित ही ध्यावै, वह नर रुद्र लोक को जावैं।

मगरमच्छा तुम में सुख पावैं, अंतिम समय परमपद पावैं।
मस्तक मुकुट सदा ही साजैं, पांव पैंजनी नित ही राजैं।

कल-कल ध्वनि करती हो माता, पाप ताप हरती हो माता।
पूरब से पश्चिम की ओरा, बहतीं माता नाचत मोरा।

शौनक ऋषि तुम्हरौ गुण गावैं, सूत आदि तुम्हरौं यश गावैं।
शिव गणेश भी तेरे गुण गवैं, सकल देव गण तुमको ध्यावैं।

कोटि तीर्थ नर्मदा किनारे, ये सब कहलाते दु:ख हारे।
मनोकमना पूरण करती, सर्व दु:ख माँ नित ही हरतीं।

कनखल में गंगा की महिमा, कुरुक्षेत्र में सरस्वती महिमा।
पर नर्मदा ग्राम जंगल में, नित रहती माता मंगल में।

एक बार कर के स्नाना, तरत पिढ़ी है नर नारा।
मेकल कन्या तुम ही रेवा, तुम्हरी भजन करें नित देवा।

जटा शंकरी नाम तुम्हारा, तुमने कोटि जनों को है तारा।
समोद्भवा नर्मदा तुम हो, पाप मोचनी रेवा तुम हो।

तुम्हरी महिमा कहि नहीं जाई, करत न बनती मातु बड़ाई।
जल प्रताप तुममें अति माता, जो रमणीय तथा सुख दाता।

चाल सर्पिणी सम है तुम्हारी, महिमा अति अपार है तुम्हारी।
तुम में पड़ी अस्थि भी भारी, छुवत पाषाण होत वर वारि।

यमुना मे जो मनुज नहाता, सात दिनों में वह फल पाता।
सरस्वती तीन दीनों में देती, गंगा तुरत बाद हीं देती।

पर रेवा का दर्शन करके मानव फल पाता मन भर के।
तुम्हरी महिमा है अति भारी, जिसको गाते हैं नर-नारी।

जो नर तुम में नित्य नहाता, रुद्र लोक मे पूजा जाता।
जड़ी बूटियां तट पर राजें, मोहक दृश्य सदा हीं साजें|

वायु सुगंधित चलती तीरा, जो हरती नर तन की पीरा।
घाट-घाट की महिमा भारी, कवि भी गा नहिं सकते सारी।

नहिं जानूँ मैं तुम्हरी पूजा, और सहारा नहीं मम दूजा।
हो प्रसन्न ऊपर मम माता, तुम ही मातु मोक्ष की दाता।

जो मानव यह नित है पढ़ता, उसका मान सदा ही बढ़ता।
जो शत बार इसे है गाता, वह विद्या धन दौलत पाता।

अगणित बार पढ़ै जो कोई, पूरण मनोकामना होई।
सबके उर में बसत नर्मदा, यहां वहां सर्वत्र नर्मदा ।

॥ दोहा ॥

भक्ति भाव उर आनि के, जो करता है जाप।
माता जी की कृपा से, दूर होत संताप॥

॥ इति श्री नर्मदा चालीसा समाप्त ॥

CHALISA IN TAMIL

॥தோஹ॥

தேவிபூஜிதாநர்மதா,

மகிமைமகத்தானது.

 

சாலிசாவிவரிக்கிறார்,

கவிஞர்அருபக்ததாராளமான

 

எப்போதும்அவர்களின்சேவையுடன்,

பாவங்களைஅழிப்பதுசிறந்தது.

 

கடற்கரையில்கோஷமிடும்டான்ஆண்கள்,

நித்தியஅறிவைப்பெறுங்கள்.

 

॥கட்டு॥

ஜெய்-ஜெய்-ஜெய்நர்மதாபவானி.

எல்லாமகிமையும்உங்களுக்குவிழித்துக்கொள்ளட்டும்

 

அம்மாகாந்தாவிலிருந்துவெளியேவந்தாள்.

சர்வசித்திநவ்நிதியின்நன்கொடையாளர்

 

பெண்வடிவம்மொத்தகுணங்களைசாப்பிடுகிறது.

நர்மதாபவானிதோன்றியபோது

 

சப்தமிசூர்யமகரரவிவரா.

அஸ்வானிமாக்மாஸ்அவதாரா

 

வாகனமகரஉங்களைஅலங்கரிக்கிறது

நீங்கள்தாமரைமலரில்உட்கார்ந்துகொள்ளுங்கள்.

 

உங்களுக்குபிரம்மாஹரிஹர்க்யாதியானே.

அப்போதுதான்விரும்பியபழம்கிடைக்கும்

 

தரிசனம்பாவத்தில்விழும்.

கோட்டிபக்தகணதொடர்ச்சியானகுளியல்

 

எப்போதும்உங்களைகவனிக்கும்ஆண்.

ஆண்ருத்ராலோக்கிற்குச்செல்லுங்கள்.

 

முதலைஉங்களுக்குமகிழ்ச்சிஅளிக்கக்கூடும்.

கடைசிநேரம்அவருடையபுனிதத்தன்மை.

 

எப்போதும்கிரீடங்கள்எப்போதும்அலங்கரிக்கப்படுகின்றன.

அடிபஞ்சினிஎப்போதும்ராஜா.

 

நாளை, நாளைநீங்கள்ஒலிஅம்மா.

அம்மாபாவவெப்பத்தைவெல்லமுடியும்

 

கிழக்கிலிருந்துமேற்குநோக்கிஓரா.

பஹதிமாதாநச்சத்மோரா

 

ஷனக்ரிஷிதும்ஹாவ்கராகாவ்ன்.

நூல்போன்றவைநீங்கள்பிரபலமானவை

 

சிவகணேஷும்உங்கள்நல்லொழுக்கம்.

சாகல்தேவ்கான், நன்றி.

 

கோட்டிதீர்த்தநர்மதாகரையில்.

இவைஅனைத்தும்துக்கங்கள்என்றுஅழைக்கப்படுகின்றன.

 

விருப்பம்நிறைவேறும்

எல்லாதுக்கங்களுக்கும்தாய்எப்போதும்பேய்.

 

கங்கலில்கங்கையின்மகிமை.

குருக்ஷேத்திரத்தில்சர்சுதிமகிமை

 

ஆனால்நர்மதாகிராமகாட்டில்.

தாய்எப்போதும்செவ்வாய்॥இல்இருக்கிறார்.

 

ஆசனாஒருகாலத்தில்.

ஒருதலைமுறைஉள்ளது, ஒருஆண்தாய்வழிதாத்தா.

 

மேக்கல்கன்யா, நீரேவா

தேவதா, உங்களைப்புகழ்ந்துபேசுங்கள்

 

உங்கள்பெயர்ஜதாசங்கரி.

நீங்கள்சிலருக்குஒருநட்சத்திரத்தைவழங்கியுள்ளீர்கள்

 

நீங்கள்சம்பூத்வநர்மதா.

நீங்கள்ஒருபாவக்குமிழி

 

நீங்கள்மகிமைக்குச்செல்லவில்லை

என்காதல்பெரிதாகஇல்லை.

 

உங்களில்பெரியதாய்.

இதுமகிழ்ச்சிகரமானதாகவும்மகிழ்ச்சிகரமானதாகவும்இருக்கிறது.

 

உங்கள்இயக்கம்உங்களுடையது.

உங்கள்மகிமைமகத்தானது

 

உன்னில்கிடந்தஎலும்பும்கனமானது.

சுவத்கல்ஹோர்வாரிவாரி

 

மனுஜ்யமுனாவில்குளிக்கிறான்.

அவர்ஏழுநாட்களில்பழம்பெறுகிறார்.

 

சரசூதிமூன்றுநாட்களில்கொடுப்பார்.

கங்கைஉடனடியாகஅதைக்கொடுக்கும்.

 

ஆனால்ரேவாவைப்பார்த்ததன்மூலம்.

மனிதபழம்மனதில்நிறைந்தது

 

உங்கள்மகிமைமிகவும்கனமானது.

பாடுபவர்ஆண், பெண்.

 

ஒவ்வொருநாளும்உங்களில்குளிக்கும்ஆண்.

ருத்ராலோக்கில்வழிபட்டார்

 

மூலிகைகள்கடற்கரையைஆளுகின்றன.

காட்சிகாட்சியைஎப்போதும்அலங்கரிக்கவும்

 

காற்றுமணம்நகரும்டிராவ்.

ஆண்உடலின்மாமிசத்தைத்தாங்கியவன்.

 

காட்-காட்டின்மகிமைமகத்தானது.

கவிஞர்களால்கூட॥பாடல்களைப்பாடமுடியாது

 

இல்லை, நீங்கள்என்னைவணங்குவதைநான்அறிவேன்

மற்றும்ஆதரவுஇல்லை, மாமாடோஜா

 

அம்மாஅம்மா, மகிழ்ச்சியாகஇருங்கள்.

நீங்கள்இரட்சிப்பின்கடவுள்.

 

இதைநித்தியமாகப்படிக்கும்மனிதர்.

அவரதுமதிப்புஎப்போதும்அதிகரிக்கிறது.

 

அதைநூறுமுறைபாடியவர்.

அவர்செல்வத்தையும்செல்வத்தையும்பெறமுடியும்.

 

எவரும்பலமுறைபடித்தவர்.

பூரன்மனோகம்னாஹோய்

 

அனைவரின்இடத்திலும்நர்மதாகுடியேறினார்.

இங்கேமற்றும்அங்கேஎல்லாஇடங்களிலும்நர்மதா

 

॥தோஹ॥

பக்திபாவாஉர்அனிகி,

கோஷமிடுபவன்.

 

தாயின்அருளால்,

தொலைவில்அமைதி

CHALISA IN TELUGU

॥దోహా॥

దేవిపూజితనర్మదా,

కీర్తిఅపారమైనది.

 

చాలిసావివరిస్తుంది,

కవిఅరుభక్తాఉదార॥

 

ఎల్లప్పుడూవారిసేవతో,

పాపాలనుతొలగించడంగొప్పది.

 

తీరంలోజపిస్తున్నడాన్పురుషులు,

శాశ్వతమైనజ్ఞానంపొందండి.

 

 

 

॥బౌండ్॥

జై-జై-జైనర్మదాభవానీ.

కీర్తిఅంతామీకుమేల్కొలపండి

 

తల్లిఅమర్కాంతనుండిబయటకువచ్చింది.

సర్వ్సిద్ధినవ్నిధిదాత

 

స్త్రీరూపంస్థూలలక్షణాలనుతింటుంది.

నర్మదాభవానీకనిపించినప్పుడు

 

సప్తమిసూర్యమకరరవివారా.

అశ్వనిమాగ్మాస్అవతారా

 

వాహనమకరంమిమ్మల్నిఅలంకరిస్తుంది

మీరుతామరపువ్వుమీదకూర్చోండి.

 

మీకుబ్రహ్మహరిహర్క్యాధ్యానే.

అప్పుడేకావలసినపండులభిస్తుంది

 

దర్శనంపాపంలోపడేది.

కోటిభక్తగణనిరంతరస్నానం

 

ఎప్పుడూమీకోసంపట్టించుకునేమగవాడు.

మగరుద్రలోక్వెళ్ళండి.

 

మొసలిమీలోఆనందంకలిగిఉండవచ్చు.

చివరిసారిఆయనపవిత్రత.

 

ఎప్పటికీకిరీటాలుఎల్లప్పుడూఅలంకరించబడతాయి.

అడుగులపంజినిఎప్పుడూరాజు.

 

రేపు, రేపుమీరుతల్లిఅనిపిస్తుంది.

తల్లిపాపంవేడినికొట్టగలదు

 

ఓరాతూర్పునుండిపడమరవరకు.

బహతిమాతానాచట్మోరా

 

షౌనక్రిషితుమ్హావుగౌరగావ్.

నూలుమొదలైనవిమీరుప్రసిద్ధులు

 

శివగణేష్కూడామీధర్మం.

సకల్దేవ్గన్, ధన్యవాదాలు.

 

కోటితీర్థనర్మదాతీరం.

వీటన్నిటినీదు .ఖాలుఅంటారు.

 

సంకల్పంనెరవేరుతుంది

అన్నిదుs ఖాలతల్లిఎప్పుడూవెంటాడేది.

 

కంఖల్లోగంగాయొక్కకీర్తి.

కురుక్షేత్రంలోసర్సుతికీర్తి

 

కానీనర్మదాగ్రామఅడవిలో.

తల్లిఎప్పుడూమార్స్॥లోఉంటుంది.

 

ఆసనఒకప్పుడు.

ఒకతరంఉంది, మగమాతృమూర్తి.

 

మేకల్కన్యా, నువ్వురేవా

దేవతా, నిన్నుస్తుతించండి

 

మీపేరుజాతాశంకరి.

మీరుకొంతమందికిఒకనక్షత్రంఇచ్చారు

 

మీరుసంభుద్వనర్మదా.

మీరుపాపంకొబ్బరికాయ

 

మీరుకీర్తికివెళ్ళలేదు

నాప్రేమపెద్దదికాదు.

 

మీలోగొప్పతల్లి.

ఇదిసంతోషకరమైనదిమరియుఆహ్లాదకరంగాఉంటుంది.

 

మీకదలికకూడామీదే.

మీకీర్తిఅపారమైనది

 

మీలోపడుకున్నఎముకకూడాభారీగాఉంటుంది.

చువత్స్టోన్హోర్వరివరి

 

మనుజ్యమునాలోస్నానంచేశాడు.

అతనుఏడురోజుల్లోపండుపొందుతాడు.

 

సరసుతిమూడురోజుల్లోఇచ్చేది.

గంగావెంటనేఇస్తాడు.

 

కానీరేవాచూడటంద్వారా.

మానవఫలంమనస్సుతోనిండిపోతుంది

 

మీకీర్తిచాలాభారమైనది.

పాడేవాడుమగ, ఆడవాడు.

 

ప్రతిరోజూమీలోస్నానంచేసేమగవాడు.

రుద్రలోక్‌లోపూజలుచేశారు

 

మూలికలుతీరాన్నిశాసిస్తాయి.

దృశ్యదృశ్యాన్నిఎల్లప్పుడూఅలంకరించండి

 

గాలిసువాసనకదిలేటిరావ్.

మగశరీరంయొక్కమాంసాన్నిభరించేవాడు.

 

ఘాట్-ఘాట్యొక్కకీర్తిఅపారమైనది.

కవులుకూడా॥పాడలేరు

 

లేదు, మీరునన్నుఆరాధిస్తారనినాకుతెలుసు

మరియుమద్దతులేదు, మామాడోజా

 

సంతోషంగాఉండండి, తల్లితల్లి.

నీవుమోక్షానికిదేవుడు.

 

దీన్నిశాశ్వతంగాచదివేమానవుడు.

అతనివిలువఎప్పుడూపెరుగుతుంది.

 

ఎవరువందసార్లుపాడారు.

అతనుసంపదమరియుసంపదనుపొందగలడు.

 

అనేకసార్లుచదివినఎవరైనా.

పూరన్మనోకమ్నాహోయి

 

అందరిస్థానంలోనర్మదాస్థిరపడింది.

నర్మదాఇక్కడమరియుఅక్కడప్రతిచోటా

 

॥దోహా॥

భక్తిభవఉర్అనికి,

జపించేవాడు.

 

తల్లిదయద్వారా,

దూరంగాశాంతి

CHALISA IN URDU

॥دوحہ۔॥

دیویپوجیتانرمدا،

پاکبےحدہے۔

 

چلیسانےبیانکیا،

شاعراروبھکتاسخاوت۔

 

ہمیشہانکیخدمتکےساتھ،

گناہوںکومٹادینابہتاچھاہے۔

 

ڈینمردساحلپرنعرےلگارہےہیں،

دائمیعلمحاصلکریں۔

 

॥پابند॥

جئے-جئے-جئےنرمدابھوانی۔

تمامشانآپکوبیدارکرے

 

ماںامرکانٹھہسےباہرآئی۔

سروسدھینویندھیکاڈونر

 

لڑکیکیشکلمجموعیخصوصیاتکوکھاتیہے۔

جبنرمدابھوانینمودارہوئے

 

سپتیامیسوریہمکارارویرا۔

اشوانیماگماساوتارا۔

 

گاڑیاںکاآپکوسجانا

آپکملکےپھولپربیٹھتےہیں۔

 

برہماہریہرکیادھیانآپکو۔

تبہیمطلوبہپھلمیسرآجاتےہیں

 

درشنگناہمیںپڑتےتھے۔

کوٹیبھکٹگانامستقلغسل۔

 

وہمردجوہمیشہآپکیدیکھبھالکرتاہے۔

مردرودرلوککےپاسجائیں۔

 

مگرمچھکوآپمیںخوشیملسکتیہے۔

آخریوقتتقدیسہے۔

 

ہمیشہکےلئےتاجہمیشہسجائےجاتےہیں۔

پیرپنجینیہمیشہبادشاہہوتاہے۔

 

کل،کلآپماںآوازلگائیںگے۔

ماںگناہکیگرمیکوماتدےسکتیہے

 

مشرقسےمغربتک.

بہتیماتاناچتمورا۔

 

شانکرشیتمھاؤگوراگاون۔

سوتوغیرہآپمشہورہیں

 

شیوگنیشبھیآپکیخوبیہے۔

سکلدیوگان،آپکاشکریہ۔

 

کوٹیتیرتھانرمداساحل۔

انسبکوغمکہتےہیں۔

 

خواہشپوریہوتیہے

تمامغموںکیماںہمیشہپریتوادترہتیہے۔

 

کنکھالمیںگنگاکیشان۔

کوروکشترامیںسرسوتیکیشانہے

 

لیکننرمداگاؤںکےجنگلمیں۔

ماںہمیشہمریخ॥میںہوتیہے۔

 

آسناایکبار

ایکنسلہے،ایکنرزاتی۔

 

میکالکنیا،آپریواہیں

دیوتا،تیریستائشکریں

 

آپکانامجٹاشنکریہے۔

آپنےکچھلوگوںکوایکستارہدیاہے

 

آپسمبھوڈوانرمداہیں۔

آپگناہموچیہیں

 

آپشانمیںنہیںگئے

میریمحبتمیںاضافہنہیںہواہے۔

 

آپمیںبڑیماں۔

جولذتبخشاورخوشکنہے۔

 

آپکیتحریکبھیآپکیہے۔

آپکیشانبہتہے

 

آپمیںپڑیہڈیبھیبھاریہے۔

چوتپتھرہوارویریویری

 

منوجنےیمنمیںغسلدیا۔

اسےساتدنمیںپھلملجاتاہے۔

 

سرسوتیتیندنمیںدیتاتھا۔

گنگافورا. دےدیتے۔

 

لیکنریواکودیکھکر۔

انسانیپھلدماغسےبھرجاتاہے

 

آپکیشانبہتبھاریہے۔

جوگاتاہےوہنراورمادہہوتاہے۔

 

وہنرجوآپکوہردنغسلدیتاہے۔

رودرلوکمیںپوجاکی

 

جڑیبوٹیاںساحلپرراجکرتیہیں۔

بصریمنظرکوہمیشہسجائیں۔

 

ہواخوشبودارحرکتپذیرتیراؤ۔

وہجومردانہجسمکاگوشتاٹھائے۔

 

گھاٹگھاٹکیشانبہتزیادہہے۔

یہاںتککہشاعرتمام॥نہیںگاتے

 

نہیں،میںجانتاہوںکہتممیریعبادتکرتےہو

اورسہارانہیں،ماماڈوجا

 

خوشرہو،ماں۔

آپنجاتدینےوالےخداہیں۔

 

انسانجوابدتکپڑھتاہے۔

اسکیقدرہمیشہبڑھتیہے۔

 

جواسےسوبارگاتاہے۔

اسےدولتاوردولتملسکتیہے۔

 

جوبھیمتعددبارپڑھے۔

پورنمنوکمناہوئی۔

 

نرماسبکیجگہپربسگیا۔

یہاںاوروہاںہرجگہنرمدا

 

॥دوحہ۔॥

بھکتیبھاوااورعینیکی،

وہجومنترکرتاہے۔

 

ماںکےفضلسے،

دورامن

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