RAVIDAS JI CHALISA IN ALL LANGUAGES

CHALISA IN ASSAMESE

॥ দোহা ॥

বন্দন বীনা পানি, দেহু উপাৰ্জন মহিন বিজ্ঞান।

পাই ৱিট ৰবিদাসৰ পৰা কৰো চৰিত্ৰ বকখান।

 

মাটোৰ মহিমা হৈছে আমিত, তেওঁ লিখিব নোৱাৰিব।

তাতে হয় শৰণত, পূৰৱাহু লোকসকল ওচৰত আছে।

 

॥ চৌপাই ||

জয় হোভাই ৰবিদাস তোমালোক। অনুগ্ৰহ কৰি কৰহু হৰিজন হিতকাৰী|

ৰাহু ভক্তসকল তোমালোকৰ তাইতা। কৰ্মে আপোনাৰ মাকৰ নাম দিয়ক।

 

কাশী ধিং মাদুৰ থনা। ৰং পাৰিয়া কৰত গুজৰানা ||

যেতিয়া ডডেকেশ বছৰবয়স হৈছিল। তুমহাৰে মন হৰি ভক্তি সমাই।

 

ৰমনান্তৰ শিষ্য কওঁক। পেই গ্যন ব্যক্তিগত নাম বৃদ্ধি।

শাস্ত্ৰবোৰ তৰ্ক কাশীত আছে। চৰ্চাবোৰলৈ গ্যনিনৰ প্ৰদৰ্শন কৰা হয়।

 

দল মাত’ৰ ভক্ত। কাউৰী দিন উহীন উপহাৰ।

পণ্ডাত জান তাকো লাই। দিনটো গাং মাত’লৈ উঠিছিল।

 

হাতে হাতে। ভক্তৰ মহিমা || য় অমীত বক্নী

পণ্ডিত কাশীৰ দ্বাৰা আচৰিত। আপুনি নাশিৰ ভয় দেখিব পাৰে।

 

ৰাল-সামজৰী ব্ৰেছলেটতাৰ পিছত ডিন্ধে। ৰবিদাস অধিকাৰী, ১০০

মোক পন্দিত দিজউ ভকতে। জন্ম আদিৰ লোকসকল চেৰে।

 

পন্দিত ধাগ ৰবিদাস। দাই ব্ৰেছলেট বিশুদ্ধ কাম ||

তাৰ পিছত ৰবিদাসে এইটো কৈছিল। দচাৰ ব্ৰেছলেট লাভহু তাইতা|

 

পণ্ডিত জান কসম খাব। দ্বাৰ দিন ন গংগা মাই ||

তাৰ পিছত ৰবিদাসে শব্দটো তৈয়াৰ কৰিলে। মানুহৰ মুখত থকা লোকসকল সকলো।

 

যিসকল সদায় আৰোগ্য হয়। তৌ ঘৰ বাস্তি মাতাউ হৈছে গংগা ||।

হাতটো তেতিয়া কঠিন হৈ আছে। দুচাৰ ব্ৰেছলেট এটা নিকাৰা।

 

অতি নমৰ পৰীশিত। আপোনাৰ নিজৰ মাৰ্গ লওক।

তেতিয়াৰ পৰা প্ৰচলিত এটা থিম। যদি মন টো আৰোগ্য হয়, কঠোৰ পৰিশ্ৰমত গঙ্গা।

 

আকৌ এবাৰ পেৰিয়ো জেমেলা। মিলি পঁয়দিৎজনে কেননবোৰ বজোৱাইছিল।

চালিগ ৰাম গাং থালাইভান। চই প্ৰেৰক ভকতা কহলভা।

 

 

সকলো মানুহ েদললৈ গৈছিল। মূৰ্তি সাঁতোৰা নাইৰা দ্বিতীয়

সকলো বোৰ বিৰল হৈ পৰিছিল। হৃদয়ৰ সকলো মন দুখ।

 

শিলৰ মূৰ্তিটো আনলোড কৰি আছিল। সুৰ মালে মিলি উল্লাস িত।

ওফৰ ৰবিদাস নামটো তোমালোকৰ। মাচো নগৰ মহন হাহাকৰা।

 

তুমি গাখীৰ এৰিদিবা। আপোনাক জেন’ওৰ জন্ম দেখুৱাওক।

চাওঁক, সকলো পুৰুষ মহিলা। পণ্ডিত সুধি বিসৰী শাৰী ||।

 

কবিৰাৰ সৈতে জ্ঞানৰ যুক্তি। তেওঁলোকক দেখি আচৰিত হৈছিল যে আপুনি মানুহ।

গুৰু গোৰাখী দিন। সেই মান্য-তানো সাধুসকল।

 

সদানা পিৰ তৰ্ক বহু-১। আপুনি তাতো প্ৰচাৰ কৰে।

মন-তুমি-হাৰো ঘৰ কচাৰী। যিয়ে দিল্লীৰ খাবাৰী বৰ্ণনা কৰিছিল।

 

মুছলিম ধৰ্মৰ ভাল। লোধি সিকন্দর গয়’ ক্ৰোধিত|

আপোনাৰ ঘৰ তেতিয়া আপুনি ফোন কৰে। মুছলিম হুনৰ বাবে চামুঝাৱা।

 

আপুনি তেওঁৰ প্ৰতিষ্ঠাপক। কাৰাগাৰখন ৰাণীয়ে কাটিছে।

কৃষ্ণ দাৰেশে ৰবিদাসক বিচাৰি পাইছিল। সফল মে তুমহাৰী সকলো আশা|

 

 

লকবোৰ হৈছে টিটি খুলিও কাৰা। মাম সিকদাৰৰ তুমি হত্যা কৰিছ।

কাশী পুৰ আপুনি ক’ব লাগিব। দাই প্ৰভুতা অৰুমন বাদি|

 

মীৰা যোগীৱতী গুৰু কেননছ। যিসকল ক্ষত্ৰিয় ৰাজবংশ প্ৰভিনো।

টিনকো দিৱসৰ উপদেশ। আপোনাক কেননৰ দ্বাৰা সৰহ হওক।

 

॥ দোহা ||

এনেদৰে, ৰবিদাস অপৰিসীম হৈ আছে।

এজন কবি, গৱাই কিতাই, তাহ না পাভি পাৰ।

 

হৰিজন, নিয়ম, ধ্যান, ধাৰাই চালিচাসহ।

তেওঁ জগতপতি জগদীশাক সুৰক্ষিত কৰিব।

CHALISA IN BENGALI

|| দোহা ||

বন্দৌউন বীণা পানী, দেহু আয় মহিন জ্ঞান।

তোমার মন রবিদাসকে দাও, আমি কি কথা বলি

 

মাতুর গৌরব অপরিসীম, কোন দাস লিখতে পারে না।

আশ্রয়ে আসার আশায়, বৃদ্ধের আশা

 

|| বাউন্ড ||

জয় হো রবিদাস তোমার। দয়া করে হরিজনকে দোয়া করুন।

রাহু ভক্ত আপনার প্রিয়। কর্মা তোমার মায়ের নাম

 

কাশী ধিং মাদুরের জায়গা। অস্পৃশ্য অক্ষরটি পাস করুন

কুড়ি বছর বয়সে তিনি এসেছিলেন। হরে ভক্তি তোমাকে মুগ্ধ করে

 

রামানন্দের শিষ্যরা কোথায়। আপনার জ্ঞান আপনার নাম বাড়াতে পারে।

শাস্ত্রগুলি কাশীতে তর্ক করে। জ্ঞানিন প্রচার করেন

 

গ্যাং মাতুর ভক্ত অপরা। কৈরি দিনহ আনহি উনাহারা।

পণ্ডিত জন টাকো লাই জয় গ্যাং মাতুতে রাতের খাবার

 

হাত পসারী লেনঃ চৌগনি ভক্তের গৌরব অমিত বখানি

পণ্ডিত কাশীর অবাক ভাই। মৃত্যুর ভয়াবহতা দেখুন।

 

তখন ব্রেসলেটটি সাজানো হয়েছিল। রবিদাস অধিকারী

পণ্ডিত দিঘো আমায় ভক্ত। যারা মূল জন্মের অন্তর্ভুক্ত

 

পণ্ডিত ধীগ রবিদাসে পৌঁছেছেন। ব্রেসলেট পুরী ইচ্ছা।

তখন রবিদাস এ কথা বললেন দ্বিতীয় ব্রেসলেটটি লাহু তাইতা।

 

পুরোহিত তখন শপথ করলেন। দ্বিতীয় দিন না গঙ্গা মাই।

তখন রবিদাস প্রতিশ্রুতি উচ্চারণ করলেন। সমস্ত প্রিয় মানুষ সুখ আছে

 

যে মন চিরকাল সুস্থ থাকে গঙ্গা তোমার বাড়ি।

তারপর হাতে ভয়। আর একটি ব্রেসলেট একটি নিকারা।

 

চিট বাশফুল পন্ডিত। আপনার নিজের পথ নিন

তার পর থেকে একটি উত্তরণ মন সুস্থ থাকলে সব কিছু ঠিক আছে।

 

আবারও গণ্ডগোল হয়েছে। মিলি পণ্ডিতজান খেলেন

সলীগ রাম গাং উতরাভাই ai সোই প্রগা  ভক্ত।

 

সমস্ত লোক গঙ্গায় গেল। মুর্তি সুইমবান বিছ নীরা।

সবাই ডুবে গেল। সবার দুঃখকে ভয় পান

 

পাথর প্রতিমা অবতরণ। সুর ​​পুরুষ মিলিয়ো উল্লাস করলেন

তোমার নাম রবিদাস তোমার। মাছিও নগর মহা হাহাকার।

 

চেরি দেহ তুমি দুধের দুধ। আমাকে তোমার জন্ম দেখান

দেখুন, সমস্ত পুরুষ এবং মহিলা অবাক হয়ে আছেন। পণ্ডিত সুধি বিসারি শাড়ি।

 

 

জ্ঞানের যুক্তি দিয়ে কবিরা তাদের অবাক করে দিয়েছি

গুরু গোরক্ষী দীন প্রচার করছেন। বিশেষত যারা অনেক সাধু

 

সদনা পীর আর্গুমেন্ট একাধিক আপনি প্রচার করছেন

মনের মাঝে কসাই হাউস কে দিল্লিতে খবর শুনেছিল

 

মুসলিম ধর্মের সুন্নী বিদ্রোহ। লোধি সিকান্দার গায়ো রাগী।

তারপরে আপনাকে আপনার বাড়িতে ফোন করুন। মুসলিম হওয়ার জন্য সামজহওয়া

 

আমি আপনার সাথে একমত. কারাগারে ফসল কাটা রানী

রবীদাস কৃষ্ণকে খুঁজে পান। আশা করি আপনারা সবাই সফল হবেন

 

তালা খোলে ভাঙা ম্যাম সিকান্দার কে তুম মার

কাশী পুরে কোথায় পৌঁছেছেন শ্বর আরুমানকে মঙ্গল করুন।

 

মীরা যোগবতী গুরু কেনোহো। যাদের ক্ষত্রিয় রাজবংশ রয়েছে।

থিঙ্কো প্রচার করুন অপরা। চোখের জল ফেলে কীভাবে বসবেন||

 

|| দোহা ||

 

রবিদাস এর মতো, তিনি ছিলেন অপরিসীম।

কোনও কবিই কবি নন, কেউ এটিকে পার করতে পারবেন না।

 

নিয়ম, ধ্যান, চালিসহ হরিজন আগর।

জগতিপতি জগদীশা আপনাকে রক্ষা করবে

CHALISA IN BODO

Bodo and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा ॥

बंदौं वीणा पाणि को, देहु आय मोहिं ज्ञान।

पाय बुद्धि रविदास को, करौं चरित्र बखान॥

 

मातु की महिमा अमित है, लिखि न सकत है दास।

ताते आयों शरण में, पुरवहु जन की आस॥

 

॥ चौपाई ॥

जै होवै रविदास तुम्हारी। कृपा करहु हरिजन हितकारी॥

राहू भक्त तुम्हारे ताता। कर्मा नाम तुम्हारी माता॥

 

काशी ढिंग माडुर स्थाना। वर्ण अछूत करत गुजराना॥

द्वादश वर्ष उम्र जब आई। तुम्हरे मन हरि भक्ति समाई॥

 

रामानन्द के शिष्य कहाये। पाय ज्ञान निज नाम बढ़ाये॥

शास्त्र तर्क काशी में कीन्हों। ज्ञानिन को उपदेश है दीन्हों॥

 

गंग मातु के भक्त अपारा। कौड़ी दीन्ह उनहिं उपहारा॥

पंडित जन ताको लै जाई। गंग मातु को दीन्ह चढ़ाई॥

 

हाथ पसारि लीन्ह चौगानी। भक्त की महिमा अमित बखानी॥

चकित भये पंडित काशी के। देखि चरित भव भय नाशी के॥

 

 

रल जटित कंगन तब दीन्हाँ । रविदास अधिकारी कीन्हाँ॥

पंडित दीजौ भक्त को मेरे। आदि जन्म के जो हैं चेरे॥

 

पहुँचे पंडित ढिग रविदासा। दै कंगन पुरइ अभिलाषा॥

तब रविदास कही यह बाता। दूसर कंगन लावहु ताता॥

 

पंडित जन तब कसम उठाई। दूसर दीन्ह न गंगा माई॥

तब रविदास ने वचन उचारे। पडित जन सब भये सुखारे॥

 

जो सर्वदा रहै मन चंगा। तौ घर बसति मातु है गंगा॥

हाथ कठौती में तब डारा। दूसर कंगन एक निकारा॥

 

चित संकोचित पंडित कीन्हें। अपने अपने मारग लीन्हें॥

तब से प्रचलित एक प्रसंगा। मन चंगा तो कठौती में गंगा॥

 

एक बार फिरि परयो झमेला। मिलि पंडितजन कीन्हों खेला॥

सालिग राम गंग उतरावै। सोई प्रबल भक्त कहलावै॥

 

सब जन गये गंग के तीरा। मूरति तैरावन बिच नीरा॥

डूब गईं सबकी मझधारा। सबके मन भयो दुःख अपारा॥

 

पत्थर मूर्ति रही उतराई। सुर नर मिलि जयकार मचाई॥

रह्यो नाम रविदास तुम्हारा। मच्यो नगर महँ हाहाकारा॥

 

चीरि देह तुम दुग्ध बहायो। जन्म जनेऊ आप दिखाओ॥

देखि चकित भये सब नर नारी। विद्वानन सुधि बिसरी सारी॥

 

ज्ञान तर्क कबिरा संग कीन्हों। चकित उनहुँ का तुम करि दीन्हों॥

गुरु गोरखहि दीन्ह उपदेशा। उन मान्यो तकि संत विशेषा॥

 

सदना पीर तर्क बहु कीन्हाँ। तुम ताको उपदेश है दीन्हाँ॥

मन महँ हार्योो सदन कसाई। जो दिल्ली में खबरि सुनाई॥

 

मुस्लिम धर्म की सुनि कुबड़ाई। लोधि सिकन्दर गयो गुस्साई॥

अपने गृह तब तुमहिं बुलावा। मुस्लिम होन हेतु समुझावा॥

 

मानी नाहिं तुम उसकी बानी। बंदीगृह काटी है रानी॥

कृष्ण दरश पाये रविदासा। सफल भई तुम्हरी सब आशा॥

 

 

ताले टूटि खुल्यो है कारा। माम सिकन्दर के तुम मारा॥

काशी पुर तुम कहँ पहुँचाई। दै प्रभुता अरुमान बड़ाई॥

 

मीरा योगावति गुरु कीन्हों। जिनको क्षत्रिय वंश प्रवीनो॥

तिनको दै उपदेश अपारा। कीन्हों भव से तुम निस्तारा॥

 

॥ दोहा ॥

ऐसे ही रविदास ने, कीन्हें चरित अपार।

कोई कवि गावै कितै, तहूं न पावै पार॥

 

नियम सहित हरिजन अगर, ध्यान धरै चालीसा।

ताकी रक्षा करेंगे, जगतपति जगदीशा॥

CHALISA IN DOGRI

Dogri and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा ॥

बंदौं वीणा पाणि को, देहु आय मोहिं ज्ञान।

पाय बुद्धि रविदास को, करौं चरित्र बखान॥

 

मातु की महिमा अमित है, लिखि न सकत है दास।

ताते आयों शरण में, पुरवहु जन की आस॥

 

॥ चौपाई ॥

जै होवै रविदास तुम्हारी। कृपा करहु हरिजन हितकारी॥

राहू भक्त तुम्हारे ताता। कर्मा नाम तुम्हारी माता॥

 

काशी ढिंग माडुर स्थाना। वर्ण अछूत करत गुजराना॥

द्वादश वर्ष उम्र जब आई। तुम्हरे मन हरि भक्ति समाई॥

 

रामानन्द के शिष्य कहाये। पाय ज्ञान निज नाम बढ़ाये॥

शास्त्र तर्क काशी में कीन्हों। ज्ञानिन को उपदेश है दीन्हों॥

 

गंग मातु के भक्त अपारा। कौड़ी दीन्ह उनहिं उपहारा॥

पंडित जन ताको लै जाई। गंग मातु को दीन्ह चढ़ाई॥

 

हाथ पसारि लीन्ह चौगानी। भक्त की महिमा अमित बखानी॥

चकित भये पंडित काशी के। देखि चरित भव भय नाशी के॥

 

 

रल जटित कंगन तब दीन्हाँ । रविदास अधिकारी कीन्हाँ॥

पंडित दीजौ भक्त को मेरे। आदि जन्म के जो हैं चेरे॥

 

पहुँचे पंडित ढिग रविदासा। दै कंगन पुरइ अभिलाषा॥

तब रविदास कही यह बाता। दूसर कंगन लावहु ताता॥

 

पंडित जन तब कसम उठाई। दूसर दीन्ह न गंगा माई॥

तब रविदास ने वचन उचारे। पडित जन सब भये सुखारे॥

 

जो सर्वदा रहै मन चंगा। तौ घर बसति मातु है गंगा॥

हाथ कठौती में तब डारा। दूसर कंगन एक निकारा॥

 

चित संकोचित पंडित कीन्हें। अपने अपने मारग लीन्हें॥

तब से प्रचलित एक प्रसंगा। मन चंगा तो कठौती में गंगा॥

 

एक बार फिरि परयो झमेला। मिलि पंडितजन कीन्हों खेला॥

सालिग राम गंग उतरावै। सोई प्रबल भक्त कहलावै॥

 

सब जन गये गंग के तीरा। मूरति तैरावन बिच नीरा॥

डूब गईं सबकी मझधारा। सबके मन भयो दुःख अपारा॥

 

पत्थर मूर्ति रही उतराई। सुर नर मिलि जयकार मचाई॥

रह्यो नाम रविदास तुम्हारा। मच्यो नगर महँ हाहाकारा॥

 

चीरि देह तुम दुग्ध बहायो। जन्म जनेऊ आप दिखाओ॥

देखि चकित भये सब नर नारी। विद्वानन सुधि बिसरी सारी॥

 

ज्ञान तर्क कबिरा संग कीन्हों। चकित उनहुँ का तुम करि दीन्हों॥

गुरु गोरखहि दीन्ह उपदेशा। उन मान्यो तकि संत विशेषा॥

 

सदना पीर तर्क बहु कीन्हाँ। तुम ताको उपदेश है दीन्हाँ॥

मन महँ हार्योो सदन कसाई। जो दिल्ली में खबरि सुनाई॥

 

मुस्लिम धर्म की सुनि कुबड़ाई। लोधि सिकन्दर गयो गुस्साई॥

अपने गृह तब तुमहिं बुलावा। मुस्लिम होन हेतु समुझावा॥

 

मानी नाहिं तुम उसकी बानी। बंदीगृह काटी है रानी॥

कृष्ण दरश पाये रविदासा। सफल भई तुम्हरी सब आशा॥

 

 

ताले टूटि खुल्यो है कारा। माम सिकन्दर के तुम मारा॥

काशी पुर तुम कहँ पहुँचाई। दै प्रभुता अरुमान बड़ाई॥

 

मीरा योगावति गुरु कीन्हों। जिनको क्षत्रिय वंश प्रवीनो॥

तिनको दै उपदेश अपारा। कीन्हों भव से तुम निस्तारा॥

 

॥ दोहा ॥

ऐसे ही रविदास ने, कीन्हें चरित अपार।

कोई कवि गावै कितै, तहूं न पावै पार॥

 

नियम सहित हरिजन अगर, ध्यान धरै चालीसा।

ताकी रक्षा करेंगे, जगतपति जगदीशा॥

CHALISA IN ENGLISH

॥ Doha ॥

Bandau Vina Pani Ko, Dehu Ayi Mohin Gyana।

Paya Buddhi Ravidas Ko, Karaun Charitra Bakhana॥

 

Matu Ki Mahima Amita Hai, Likhi Na Sakata Hai Dasa।

Tate Ayon Sharana Mein, Puravahuna Jana Ki Asa॥

॥ Chaupai ॥

Jai Hovai Ravidasa Tumhari। Kripa Karahu Harijana Hitakari॥

Rahu Bhakta Tumhare Tata। Karma Nama Tumhari Mata॥

 

Kashi Dhinga Madura Sthana। Varna Achhuta Karata Gujarana॥

Dvadasha Varsha Umra Jaba Ayi। Tumhare Mana Hari Bhakti Samayi॥

 

Ramananda Ke Shishya Kahaye। Paya Gyana Nija Nama Badhaye॥

Shastra Tarka Kashi Mein Kinhon। Gyanina Ko Upadesha Hai Dinhon॥

 

Ganga Matu Ke Bhakta Apara। Kaudi Dinha Unahin Upahara॥

Pandita Jana Tako Lai Jayi। Ganga Matu Ko Dinha Chadhayi॥

 

Hatha Pasari Linha Chaigani,। Bhakta Ki Mahima Amita Bakhani॥

Chakita Bhaye Pandita Kashi Ke। Dekhi Charita Bhava Bhayanashi Ke॥

 

Ratna Jatita Kangana Taba Dinhan। Ravidasa Adhikari Kinhan॥

Pandita Dijau Bhakta Ko Mere। Adi Janma Ke Jo Hain Chere॥

 

Pahunche Pandita Dhiga Ravidasa। Dei Kangan Puri Abhilasha॥

Taba Ravidasa Kahi Yaha Bata। Dusara Kangana Lavahu Tata॥

 

Pandita Ja Taba Kasama Uthayi। Dusara Dinha Na Ganga Mayi॥

Taba Ravidasa Ne Vachana Uchare। Pandita Jana Saba Bhaye Sukhare.॥

 

Jo Sarvada Rahai Mana Changa। Tau Ghara Basati Matu Hai Ganga॥

Hatha Kathauti Mein Taba Dara। Dusara Kangana Eka Nikara॥

 

 

Chita Sankochita Pandita Kinhen। Apane Apane Maraga Linhen॥

Taba Se Prachalita Eka Prasanga। Mana Changa To Kathauti Mein Ganga॥

 

Ek Bara Phiri Parayo Jhamela। Mili Panditajana Kinho Khela॥

Saligarama Ganga Utaravai। Soi Prabala Bhakta Kahalavai॥

 

Saba Jana Gaye Ganga Ke Tira। Murati Tairavan Bicha Nira॥

Duba Gai Sabaki Majhadhara। Sabake Mana Bhayo Dukha Apara॥

 

Patthara Ki Murti Rahi Utarai। Sura Nara Mili Jayakara Machai॥

Rahayo Nama Ravidas Tumhara। Machyo Nagar Mahan Hahakara॥

 

Chiri Deha Tuma Dugdha Bahayo। Janma Janeu apa Dikhao॥

Dekhi Chakit Bhaye Saba Nara Nari। Vidvanan Sudhi Bisari Sari॥

 

Gyana Tarka Kabira Sanga Kinhon। Chakita Unahun Ka Tuka Kari Dinhon॥

Guru Gorakhahin Dinha Upadesha। Un Manyo Taki Santa Vishesha॥

 

Sadana Pira Tarka Bahu Kinhan। Tuma Tako Upadesha Hai Dinhan॥

Mana Maha Harayo Sadan Kasai। Jo Dilli Mein Khabari Sunai॥

 

Muslima Dharma Ki Suni Kubadai। Lodhi Sikandara Gayo Gussai॥

Apane Graha Taba Tumahin Bulava। Muslim Hon Hetu Samujhava॥

 

Mani Nahin Tuma Usaki Bani। Bandigriha Kati Hai Rani॥

Krishna Darasha Paye Ravidasa। Saphala Bhi Tumhari Saba asha॥

 

Tale Tuti Khulyo Hai Kara। Nama Sikandara Ke Tuma Mara॥

Kashi Pur Tum Kahan Pahunchai। Dai Prabhuta Arumana Badai॥

 

Mira Yogavati Guru Kinhon। Jinako Kshatriya Vansha Pravino॥

Tinako Dai Upadesha Apara। Kinhon Bhava Se Tuma Nistara॥

 

॥ Doha ॥

Aise Hi Ravidasa Ne, Kinhen Charita Apara।

Koi Kavi Gavai Kitai, Tahun Na Pavai Para॥

 

Niyama Sahita Harijana Agara, Dhyana Dharai Chalisa।

Taki Raksha Karenge, Jagatapati Jagadisha॥

CHALISA IN GUJRATI

|| દોહા | |

બંદૂન વીણા પાની, દેહુ આ મોહિં જ્ાન.

તમારા મનને રવિદાસને ચૂકવો, મારે બોલવું જોઈએ

 

માટુનો મહિમા અપાર છે, ગુલામ લખી શકતો નથી.

આશ્રય આવવાની આશામાં વૃદ્ધની આશા

 

|| બાઉન્ડ ||

જય હો હો રવિદાસ તમારો. કૃપા કરીને હરિજનને આશીર્વાદ આપો.

રાહુ ભક્ત તમારો પ્રિય છે. કર્મ તારી માતાનું નામ

 

કાશી ધિંગ મદુર સ્થળ. અક્ષરને અસ્પૃશ્ય પસાર કરો

વીસ વર્ષનો હતો ત્યારે આવ્યો. હરે ભક્તિ તમને સમાઈ જાય છે

 

રામાનંદના શિષ્યો ક્યાં છે. તમારું જ્ ાન તમારું નામ વધારશે.

શાસ્ત્રો કાશીમાં દલીલ કરે છે. જ્ાનિન ઉપદેશ આપે છે

 

ગંગ મટુના ભક્ત અપારા. કૌરી દિન્હ ઉની ઉનહારા॥

પંડિત જન ટાકો લાઇ જય ગેંગ માટુને ડિનર

 

હાથ પસારી લેનહ ચૌગની ભક્ત અમિત બખાણીનો મહિમા

પંડિત કાશીનો આશ્ચર્યચકિત ભાઈ. મૃત્યુની ભયાનકતા પછી જુઓ.

 

ત્યારબાદ બંગડી શણગારવામાં આવી હતી. રવિદાસ અધિકારી

પંડિત દિજો મને ભક્ત. જેઓ મૂળ જન્મથી સંબંધિત છે

 

પંડિત ધિગ રવિદાસા પહોંચ્યા. બંગડી પુરી ઇચ્છા॥

ત્યારે રવિદાસે આ કહ્યું બીજો કંકણ લાહુ તાઈતા છે.

 

ત્યારબાદ પુજારીએ શપથ લીધા. બીજો દિન્હ ના ગંગા માઇ॥

ત્યારે રવિદાસે વચન વચન આપ્યું. બધા પ્રિય લોકોને ખુશી છે

 

જે મન કાયમ સ્વસ્થ રહે છે ગંગા તમારું ઘર છે.

પછી હાથમાં બીક. બીજું કંકણ એક નિકારા॥

 

ચિત બાષ્ફુલ પંડિતો. તમારી પોતાની રીતે લો

ત્યારથી એક માર્ગ. જો મન સ્વસ્થ હોય તો બધું બરાબર છે.

 

ફરી એક વાર અવ્યવસ્થા આવી. મીલી પંડિતજન રમ્યો

સાલિગ રામ ગંગ ઉતરાય. સોઇ પ્રખર ભક્ત છે.

બધા લોકો ગંગા ગયા. મૂર્તિ સ્વિમવન બિચ નીરા॥

દરેક ડૂબી ગયા. દરેકના દુ: ખથી ડર

 

પથ્થરની મૂર્તિ ઉતરી. સુર પુરુષ પુરુષ

તમારું નામ રવિદાસ તમારું છે. માચિઓ નગર મા હાહાકાર॥

 

ચેરી શરીર તમે દૂધ દૂધ. મને તમારો જન્મ બતાવો

જુઓ, બધા પુરુષો અને સ્ત્રીઓ આશ્ચર્યચકિત થઈ ગયા છે. વિદ્વાન સુધિ બિસારી સાડી॥

 

જ્ ાન તર્ક સાથે કબીરા તેમને આશ્ચર્યચકિત કર્યા

ગુરુ ગોરખી દિન્હ ઉપદેશ. તે ઘણા સંતો ખાસ કરીને

 

સદના પીર દલીલ બહુવિધ તમે ઉપદેશ આપી રહ્યા છો

દિમાગમાં બુચર હાઉસ. જેમણે દિલ્હીમાં સમાચાર સાંભળ્યા

 

મુસ્લિમ ધર્મની સુન્ની બળવો. લોધી સિકંદર ગાયો ક્રોધિત॥

પછી તમને તમારા ઘરે બોલાવશે. મુસ્લિમ બનવા માટે સમાજવા

 

હું તમારી સાથે સંમત છું. જેલની રાણીને પાક ભેગો કરવો પડે છે

રવિદાસ કૃષ્ણને શોધે છે. આશા છે કે તમે બધા સફળ થશો

 

તાળાઓ ખુલ્લા ભાંગી ગયા છે મમ સિકંદર કે તુમ માર

તમે કાશી પુર ક્યાં પહોંચ્યા હતા ભગવાન અરુમાનને આશીર્વાદ આપે.

 

મીરા યોગાવતી ગુરુ કીનો. જેમની પાસે ક્ષત્રિય રાજવંશ છે.

થિન્ગો ઉપદેશ ઉપરા. તમે આંસુ સાથે કેવી રીતે સમાધાન કરી શકો છો||

 

|| દોહા | |

આ રીતે રવિદાસ, તે અપાર હતો.

કોઈ કવિ કવિ નથી, કોઈ તેને પાર કરી શકશે નહીં.

 

નિયમો, ધ્યાન, ચાળીસા સાથે હરિજન અગર.

જગતપતિ જગદિશા તમારું રક્ષણ કરશે

CHALISA IN HINDI

॥ दोहा ॥

बंदौं वीणा पाणि को, देहु आय मोहिं ज्ञान।

पाय बुद्धि रविदास को, करौं चरित्र बखान॥

 

मातु की महिमा अमित है, लिखि न सकत है दास।

ताते आयों शरण में, पुरवहु जन की आस॥

 

॥ चौपाई ॥

जै होवै रविदास तुम्हारी। कृपा करहु हरिजन हितकारी॥

राहू भक्त तुम्हारे ताता। कर्मा नाम तुम्हारी माता॥

 

काशी ढिंग माडुर स्थाना। वर्ण अछूत करत गुजराना॥

द्वादश वर्ष उम्र जब आई। तुम्हरे मन हरि भक्ति समाई॥

 

रामानन्द के शिष्य कहाये। पाय ज्ञान निज नाम बढ़ाये॥

शास्त्र तर्क काशी में कीन्हों। ज्ञानिन को उपदेश है दीन्हों॥

 

गंग मातु के भक्त अपारा। कौड़ी दीन्ह उनहिं उपहारा॥

पंडित जन ताको लै जाई। गंग मातु को दीन्ह चढ़ाई॥

 

हाथ पसारि लीन्ह चौगानी। भक्त की महिमा अमित बखानी॥

चकित भये पंडित काशी के। देखि चरित भव भय नाशी के॥

 

 

रल जटित कंगन तब दीन्हाँ । रविदास अधिकारी कीन्हाँ॥

पंडित दीजौ भक्त को मेरे। आदि जन्म के जो हैं चेरे॥

 

पहुँचे पंडित ढिग रविदासा। दै कंगन पुरइ अभिलाषा॥

तब रविदास कही यह बाता। दूसर कंगन लावहु ताता॥

 

पंडित जन तब कसम उठाई। दूसर दीन्ह न गंगा माई॥

तब रविदास ने वचन उचारे। पडित जन सब भये सुखारे॥

 

जो सर्वदा रहै मन चंगा। तौ घर बसति मातु है गंगा॥

हाथ कठौती में तब डारा। दूसर कंगन एक निकारा॥

 

चित संकोचित पंडित कीन्हें। अपने अपने मारग लीन्हें॥

तब से प्रचलित एक प्रसंगा। मन चंगा तो कठौती में गंगा॥

 

एक बार फिरि परयो झमेला। मिलि पंडितजन कीन्हों खेला॥

सालिग राम गंग उतरावै। सोई प्रबल भक्त कहलावै॥

 

सब जन गये गंग के तीरा। मूरति तैरावन बिच नीरा॥

डूब गईं सबकी मझधारा। सबके मन भयो दुःख अपारा॥

 

पत्थर मूर्ति रही उतराई। सुर नर मिलि जयकार मचाई॥

रह्यो नाम रविदास तुम्हारा। मच्यो नगर महँ हाहाकारा॥

 

चीरि देह तुम दुग्ध बहायो। जन्म जनेऊ आप दिखाओ॥

देखि चकित भये सब नर नारी। विद्वानन सुधि बिसरी सारी॥

 

ज्ञान तर्क कबिरा संग कीन्हों। चकित उनहुँ का तुम करि दीन्हों॥

गुरु गोरखहि दीन्ह उपदेशा। उन मान्यो तकि संत विशेषा॥

 

सदना पीर तर्क बहु कीन्हाँ। तुम ताको उपदेश है दीन्हाँ॥

मन महँ हार्योो सदन कसाई। जो दिल्ली में खबरि सुनाई॥

 

मुस्लिम धर्म की सुनि कुबड़ाई। लोधि सिकन्दर गयो गुस्साई॥

अपने गृह तब तुमहिं बुलावा। मुस्लिम होन हेतु समुझावा॥

 

मानी नाहिं तुम उसकी बानी। बंदीगृह काटी है रानी॥

कृष्ण दरश पाये रविदासा। सफल भई तुम्हरी सब आशा॥

 

 

ताले टूटि खुल्यो है कारा। माम सिकन्दर के तुम मारा॥

काशी पुर तुम कहँ पहुँचाई। दै प्रभुता अरुमान बड़ाई॥

 

मीरा योगावति गुरु कीन्हों। जिनको क्षत्रिय वंश प्रवीनो॥

तिनको दै उपदेश अपारा। कीन्हों भव से तुम निस्तारा॥

 

॥ दोहा ॥

ऐसे ही रविदास ने, कीन्हें चरित अपार।

कोई कवि गावै कितै, तहूं न पावै पार॥

 

नियम सहित हरिजन अगर, ध्यान धरै चालीसा।

ताकी रक्षा करेंगे, जगतपति जगदीशा॥

CHALISA IN KANNADA

|| ದೋಹಾ | |

ಬಂದೌನ್ ವೀಣಾ ಪಾನಿ, ದೇಹು ಆಯೆ ಮೋಹಿನ್ ಜ್ಞಾನ.

ನಾನು ಮಾತನಾಡಬೇಕಾದರೆ ನಿಮ್ಮ ಮನಸ್ಸನ್ನು ರವಿದಾಸ್‌ಗೆ ಕೊಡಿ

 

ಮಾಟುವಿನ ಮಹಿಮೆ ಅಪಾರ, ಗುಲಾಮ ಬರೆಯಲು ಸಾಧ್ಯವಿಲ್ಲ.

ಆಶ್ರಯಕ್ಕೆ ಬರುವ ಭರವಸೆಯಲ್ಲಿ, ಮುದುಕನ ಭರವಸೆ

 

|| ಬೌಂಡ್ ||

ಜೈ ಹೋವೆ ರವಿದಾಸ್ ಯುವರ್ಸ್. ದಯವಿಟ್ಟು ಹರಿಜನರನ್ನು ಆಶೀರ್ವದಿಸಿ.

ರಾಹು ಭಕ್ತ ನಿಮ್ಮ ನೆಚ್ಚಿನವನು. ಕರ್ಮ ನಿಮ್ಮ ತಾಯಿಗೆ ಹೆಸರಿಡಿ

 

ಕಾಶಿ ಧಿಂಗ್ ಮದೂರ್ ಸ್ಥಳ. ಅಸ್ಪೃಶ್ಯರಿಗೆ ಪತ್ರವನ್ನು ರವಾನಿಸಿ

ಅವನು ಬಂದಾಗ ಇಪ್ಪತ್ತು ವರ್ಷ. ಹರೇ ಭಕ್ತಿ ನಿಮ್ಮನ್ನು ಆವರಿಸಿದೆ

 

ರಾಮಾನಂದ ಶಿಷ್ಯರು ಎಲ್ಲಿದ್ದಾರೆ. ನಿಮ್ಮ ಜ್ಞಾನವು ನಿಮ್ಮ ಹೆಸರನ್ನು ಹೆಚ್ಚಿಸಲಿ.

ಕಾಶಿಯಲ್ಲಿ ಧರ್ಮಗ್ರಂಥಗಳು ವಾದಿಸುತ್ತವೆ. ಗಯಾನಿನ್ ಬೋಧಿಸುತ್ತಾನೆ

 

ಅಪರಾ, ಗ್ಯಾಂಗ್ ಮಾತು ಭಕ್ತ. ಕೌರಿ ದಿನ್ಹ್ ಉನ್ಹಿ ಉನಹರಾ

ಪಂಡಿತ್ ಜಾನ್ ಟಕೋ ಲೈ ಜೈ ಗ್ಯಾಂಗ್ ಮಾಟುಗೆ ಭೋಜನ

 

ಹಾಥ್ ​​ಪಸಾರಿ ಲೀನ್ ಚೌಗಾನಿ ಭಕ್ತ ಅಮಿತ್ ಬಖಾನಿಯ ಮಹಿಮೆ

ಪಂಡಿತ್ ಕಾಶಿಯ ಆಶ್ಚರ್ಯಚಕಿತನಾದ ಸಹೋದರ. ಸಾವಿನ ಭೀಕರತೆಯನ್ನು ನೋಡಿಕೊಳ್ಳಿ.

 

ನಂತರ ಕಂಕಣವನ್ನು ಅಲಂಕರಿಸಲಾಗಿತ್ತು. ರವಿದಾಸ್ ಅಧಿಕಾರಿ

ಪಂಡಿತ್ ಡಿಜೌ ನನಗೆ ಭಕ್ತ. ಮೂಲ ಜನ್ಮಕ್ಕೆ ಸೇರಿದವರು

 

 

 

ಪಂಡಿತ್ ಧಿಗ್ ರವಿದಾಸ ತಲುಪಿದರು. ಕಂಕಣ ಪುರಿ ಆಸೆ

ಆಗ ರವಿದಾಸ್ ಈ ಮಾತನ್ನು ಹೇಳಿದರು ಎರಡನೇ ಕಂಕಣ ಲಾಹು ಟೈಟಾ.

 

ಆಗ ಪಾದ್ರಿ ಪ್ರಮಾಣ ಮಾಡಿದರು. ಎರಡನೇ ದಿನ್ ನಾ ಗಂಗಾ ಮಾ

ಆಗ ರವಿದಾಸ್ ವಾಗ್ದಾನವನ್ನು ಉಚ್ಚರಿಸಿದರು. ಎಲ್ಲಾ ಪ್ರಿಯ ಜನರಿಗೆ ಸಂತೋಷವಿದೆ

 

ಶಾಶ್ವತವಾಗಿ ಉಳಿಯುವ ಮನಸ್ಸು ವಾಸಿಯಾಗುತ್ತದೆ ಗಂಗಾ ನಿಮ್ಮ ಮನೆ.

ನಂತರ ಕೈಯಲ್ಲಿ ಹೆದರಿಸಿ. ಮತ್ತೊಂದು ಕಂಕಣ ನಿಕರಾ

 

ಚಿಟ್ ಬ್ಯಾಷ್ಫುಲ್ ಪಂಡಿತರು. ನಿಮ್ಮ ಸ್ವಂತ ಮಾರ್ಗವನ್ನು ತೆಗೆದುಕೊಳ್ಳಿ

ಅಂದಿನಿಂದ ಒಂದು ಮಾರ್ಗ. ಮನಸ್ಸು ಆರೋಗ್ಯಕರವಾಗಿದ್ದರೆ ಎಲ್ಲವೂ ಚೆನ್ನಾಗಿರುತ್ತದೆ.

 

ಮತ್ತೊಮ್ಮೆ ಅವ್ಯವಸ್ಥೆ ಉಂಟಾಯಿತು. ಮಿಲ್ಲಿ ಪಂಡಿತ್ಜನ್ ಆಡಿದರು

ಸಾಲಿಗ್ ರಾಮ್ ಗ್ಯಾಂಗ್ ಉತಾರವಾಯಿ. ಸೋಯಿ ಕಟ್ಟಾ ಭಕ್ತ.

 

ಜನರೆಲ್ಲರೂ ಗಂಗಾಕ್ಕೆ ಹೋದರು. ಮೂರ್ತಿ ಈಜುಗಾರ ಬಿಚ್ ನೀರಾ

ಎಲ್ಲರೂ ಮುಳುಗಿದರು. ಎಲ್ಲರ ದುಃಖಕ್ಕೆ ಹೆದರಿ

 

ಕಲ್ಲಿನ ವಿಗ್ರಹ ಇಳಿಯಿತು. ಸುರ್ ಪುರುಷ ಪರಿಸರ ಹುರಿದುಂಬಿಸಿತು

ನಿಮ್ಮ ಹೆಸರು ರವಿದಾಸ್ ನಿಮ್ಮದು. ಮಾಚಿಯೋ ನಗರ ಮಹಾ ಹಹಕರ

 

ಚೀರಿ ಬಾಡಿ ಯು ಹಾಲು ಹಾಲು. ನಿಮ್ಮ ಜನ್ಮವನ್ನು ನನಗೆ ತೋರಿಸಿ

ನೋಡಿ, ಎಲ್ಲಾ ಪುರುಷರು ಮತ್ತು ಮಹಿಳೆಯರು ಆಶ್ಚರ್ಯಚಕಿತರಾಗಿದ್ದಾರೆ. ವಿದ್ವತ್ಪೂರ್ಣ ಸುಧಿ ಬಿಸಾರಿ ಸೀರೆ

 

ಜ್ಞಾನ ತರ್ಕದೊಂದಿಗೆ ಕಬೀರಾ ಅವರನ್ನು ಆಶ್ಚರ್ಯಚಕಿತರಾದರು

ಗುರು ಗೋರಖಿ ದಿನ್ಹ್ ಉಪದೇಶ. ವಿಶೇಷವಾಗಿ ಅನೇಕ ಸಂತರು

 

ಸಡ್ನಾ ಪಿರ್ ವಾದ ಬಹು ನೀವು ಉಪದೇಶ ಮಾಡುತ್ತಿದ್ದೀರಿ

ಮನಸ್ಸಿನ ಹೃದಯದಲ್ಲಿ ಬುತ್ಚೆರ್ ಹೌಸ್. ದೆಹಲಿಯಲ್ಲಿ ಸುದ್ದಿ ಕೇಳಿದವರು

 

ಮುಸ್ಲಿಂ ಧರ್ಮದ ಸುನ್ನಿ ದಂಗೆ. ಲೋಧಿ ಸಿಕಂದರ್ ಗಯೋ ಆಂಗ್ರಿ

ನಂತರ ನಿಮ್ಮ ಮನೆಯಲ್ಲಿ ನಿಮ್ಮನ್ನು ಕರೆ ಮಾಡಿ. ಮುಸ್ಲಿಂ ಆಗಲು ಸಮಾಜವಾದಿ

 

ನಾನು ಒಪ್ಪುತ್ತೇನೆ. ಜೈಲು ಕೊಯ್ಯುತ್ತದೆ ರಾಣಿ

ರವಿದಾಸನು ಕೃಷ್ಣನನ್ನು ಕಂಡುಕೊಳ್ಳುತ್ತಾನೆ. ನೀವೆಲ್ಲರೂ ಯಶಸ್ವಿಯಾಗುತ್ತೀರಿ ಎಂದು ಭಾವಿಸುತ್ತೇವೆ

 

ಬೀಗಗಳು ತೆರೆದಿವೆ ಮಾಮ್ ಸಿಕಂದರ್ ಕೆ ತುಮ್ ಮಾರ

ನೀವು ಕಾಶಿ ಪುರನ್ನು ಎಲ್ಲಿಗೆ ತಲುಪಿದ್ದೀರಿ ದೇವರು ಅರುಮನನ್ನು ಆಶೀರ್ವದಿಸುತ್ತಾನೆ.

 

ಮೀರಾ ಯೋಗಾವತಿ ಗುರು ಕೀನ್ಹೋ. ಕ್ಷತ್ರಿಯ ರಾಜವಂಶ ಹೊಂದಿರುವವರು.

ಥಿಂಕೊ ಅಪರಾ ಬೋಧಿಸಿ. ಕಣ್ಣೀರಿನೊಂದಿಗೆ ನೀವು ಹೇಗೆ ನೆಲೆಗೊಳ್ಳಬಹುದು||

 

|| ದೋಹಾ | |

ಈ ರೀತಿ ರವಿದಾಸ್, ಅವರು ಅಪಾರ.

ಯಾವ ಕವಿಯೂ ಕವಿ ಅಲ್ಲ, ಅದನ್ನು ದಾಟಲು ಯಾರಿಂದಲೂ ಸಾಧ್ಯವಿಲ್ಲ.

 

ನಿಯಮಗಳು, ಧ್ಯಾನ, ಚಾಲಿಸಾ ಜೊತೆ ಹರಿಜನ್ ಅಗರ್.

ಜಗಪತಿ ಜಗದೀಶಾ ನಿಮ್ಮನ್ನು ರಕ್ಷಿಸುತ್ತಾರೆ

CHALISA IN KASHMIRI

Kashmiri and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा ॥

बंदौं वीणा पाणि को, देहु आय मोहिं ज्ञान।

पाय बुद्धि रविदास को, करौं चरित्र बखान॥

 

मातु की महिमा अमित है, लिखि न सकत है दास।

ताते आयों शरण में, पुरवहु जन की आस॥

 

॥ चौपाई ॥

जै होवै रविदास तुम्हारी। कृपा करहु हरिजन हितकारी॥

राहू भक्त तुम्हारे ताता। कर्मा नाम तुम्हारी माता॥

 

काशी ढिंग माडुर स्थाना। वर्ण अछूत करत गुजराना॥

द्वादश वर्ष उम्र जब आई। तुम्हरे मन हरि भक्ति समाई॥

 

रामानन्द के शिष्य कहाये। पाय ज्ञान निज नाम बढ़ाये॥

शास्त्र तर्क काशी में कीन्हों। ज्ञानिन को उपदेश है दीन्हों॥

 

गंग मातु के भक्त अपारा। कौड़ी दीन्ह उनहिं उपहारा॥

पंडित जन ताको लै जाई। गंग मातु को दीन्ह चढ़ाई॥

 

हाथ पसारि लीन्ह चौगानी। भक्त की महिमा अमित बखानी॥

चकित भये पंडित काशी के। देखि चरित भव भय नाशी के॥

 

 

रल जटित कंगन तब दीन्हाँ । रविदास अधिकारी कीन्हाँ॥

पंडित दीजौ भक्त को मेरे। आदि जन्म के जो हैं चेरे॥

 

पहुँचे पंडित ढिग रविदासा। दै कंगन पुरइ अभिलाषा॥

तब रविदास कही यह बाता। दूसर कंगन लावहु ताता॥

 

पंडित जन तब कसम उठाई। दूसर दीन्ह न गंगा माई॥

तब रविदास ने वचन उचारे। पडित जन सब भये सुखारे॥

 

जो सर्वदा रहै मन चंगा। तौ घर बसति मातु है गंगा॥

हाथ कठौती में तब डारा। दूसर कंगन एक निकारा॥

 

चित संकोचित पंडित कीन्हें। अपने अपने मारग लीन्हें॥

तब से प्रचलित एक प्रसंगा। मन चंगा तो कठौती में गंगा॥

 

एक बार फिरि परयो झमेला। मिलि पंडितजन कीन्हों खेला॥

सालिग राम गंग उतरावै। सोई प्रबल भक्त कहलावै॥

 

सब जन गये गंग के तीरा। मूरति तैरावन बिच नीरा॥

डूब गईं सबकी मझधारा। सबके मन भयो दुःख अपारा॥

 

पत्थर मूर्ति रही उतराई। सुर नर मिलि जयकार मचाई॥

रह्यो नाम रविदास तुम्हारा। मच्यो नगर महँ हाहाकारा॥

 

चीरि देह तुम दुग्ध बहायो। जन्म जनेऊ आप दिखाओ॥

देखि चकित भये सब नर नारी। विद्वानन सुधि बिसरी सारी॥

 

ज्ञान तर्क कबिरा संग कीन्हों। चकित उनहुँ का तुम करि दीन्हों॥

गुरु गोरखहि दीन्ह उपदेशा। उन मान्यो तकि संत विशेषा॥

 

सदना पीर तर्क बहु कीन्हाँ। तुम ताको उपदेश है दीन्हाँ॥

मन महँ हार्योो सदन कसाई। जो दिल्ली में खबरि सुनाई॥

 

मुस्लिम धर्म की सुनि कुबड़ाई। लोधि सिकन्दर गयो गुस्साई॥

अपने गृह तब तुमहिं बुलावा। मुस्लिम होन हेतु समुझावा॥

 

मानी नाहिं तुम उसकी बानी। बंदीगृह काटी है रानी॥

कृष्ण दरश पाये रविदासा। सफल भई तुम्हरी सब आशा॥

 

 

ताले टूटि खुल्यो है कारा। माम सिकन्दर के तुम मारा॥

काशी पुर तुम कहँ पहुँचाई। दै प्रभुता अरुमान बड़ाई॥

 

मीरा योगावति गुरु कीन्हों। जिनको क्षत्रिय वंश प्रवीनो॥

तिनको दै उपदेश अपारा। कीन्हों भव से तुम निस्तारा॥

 

॥ दोहा ॥

ऐसे ही रविदास ने, कीन्हें चरित अपार।

कोई कवि गावै कितै, तहूं न पावै पार॥

 

नियम सहित हरिजन अगर, ध्यान धरै चालीसा।

ताकी रक्षा करेंगे, जगतपति जगदीशा॥

CHALISA IN KONKANI

Konkani and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा ॥

बंदौं वीणा पाणि को, देहु आय मोहिं ज्ञान।

पाय बुद्धि रविदास को, करौं चरित्र बखान॥

 

मातु की महिमा अमित है, लिखि न सकत है दास।

ताते आयों शरण में, पुरवहु जन की आस॥

 

॥ चौपाई ॥

जै होवै रविदास तुम्हारी। कृपा करहु हरिजन हितकारी॥

राहू भक्त तुम्हारे ताता। कर्मा नाम तुम्हारी माता॥

 

काशी ढिंग माडुर स्थाना। वर्ण अछूत करत गुजराना॥

द्वादश वर्ष उम्र जब आई। तुम्हरे मन हरि भक्ति समाई॥

 

रामानन्द के शिष्य कहाये। पाय ज्ञान निज नाम बढ़ाये॥

शास्त्र तर्क काशी में कीन्हों। ज्ञानिन को उपदेश है दीन्हों॥

 

गंग मातु के भक्त अपारा। कौड़ी दीन्ह उनहिं उपहारा॥

पंडित जन ताको लै जाई। गंग मातु को दीन्ह चढ़ाई॥

 

हाथ पसारि लीन्ह चौगानी। भक्त की महिमा अमित बखानी॥

चकित भये पंडित काशी के। देखि चरित भव भय नाशी के॥

 

 

रल जटित कंगन तब दीन्हाँ । रविदास अधिकारी कीन्हाँ॥

पंडित दीजौ भक्त को मेरे। आदि जन्म के जो हैं चेरे॥

 

पहुँचे पंडित ढिग रविदासा। दै कंगन पुरइ अभिलाषा॥

तब रविदास कही यह बाता। दूसर कंगन लावहु ताता॥

 

पंडित जन तब कसम उठाई। दूसर दीन्ह न गंगा माई॥

तब रविदास ने वचन उचारे। पडित जन सब भये सुखारे॥

 

जो सर्वदा रहै मन चंगा। तौ घर बसति मातु है गंगा॥

हाथ कठौती में तब डारा। दूसर कंगन एक निकारा॥

 

चित संकोचित पंडित कीन्हें। अपने अपने मारग लीन्हें॥

तब से प्रचलित एक प्रसंगा। मन चंगा तो कठौती में गंगा॥

 

एक बार फिरि परयो झमेला। मिलि पंडितजन कीन्हों खेला॥

सालिग राम गंग उतरावै। सोई प्रबल भक्त कहलावै॥

 

सब जन गये गंग के तीरा। मूरति तैरावन बिच नीरा॥

डूब गईं सबकी मझधारा। सबके मन भयो दुःख अपारा॥

 

पत्थर मूर्ति रही उतराई। सुर नर मिलि जयकार मचाई॥

रह्यो नाम रविदास तुम्हारा। मच्यो नगर महँ हाहाकारा॥

 

चीरि देह तुम दुग्ध बहायो। जन्म जनेऊ आप दिखाओ॥

देखि चकित भये सब नर नारी। विद्वानन सुधि बिसरी सारी॥

 

ज्ञान तर्क कबिरा संग कीन्हों। चकित उनहुँ का तुम करि दीन्हों॥

गुरु गोरखहि दीन्ह उपदेशा। उन मान्यो तकि संत विशेषा॥

 

सदना पीर तर्क बहु कीन्हाँ। तुम ताको उपदेश है दीन्हाँ॥

मन महँ हार्योो सदन कसाई। जो दिल्ली में खबरि सुनाई॥

 

मुस्लिम धर्म की सुनि कुबड़ाई। लोधि सिकन्दर गयो गुस्साई॥

अपने गृह तब तुमहिं बुलावा। मुस्लिम होन हेतु समुझावा॥

 

मानी नाहिं तुम उसकी बानी। बंदीगृह काटी है रानी॥

कृष्ण दरश पाये रविदासा। सफल भई तुम्हरी सब आशा॥

 

 

ताले टूटि खुल्यो है कारा। माम सिकन्दर के तुम मारा॥

काशी पुर तुम कहँ पहुँचाई। दै प्रभुता अरुमान बड़ाई॥

 

मीरा योगावति गुरु कीन्हों। जिनको क्षत्रिय वंश प्रवीनो॥

तिनको दै उपदेश अपारा। कीन्हों भव से तुम निस्तारा॥

 

॥ दोहा ॥

ऐसे ही रविदास ने, कीन्हें चरित अपार।

कोई कवि गावै कितै, तहूं न पावै पार॥

 

नियम सहित हरिजन अगर, ध्यान धरै चालीसा।

ताकी रक्षा करेंगे, जगतपति जगदीशा॥

CHALISA IN MAITHILI

Maithili and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा ॥

बंदौं वीणा पाणि को, देहु आय मोहिं ज्ञान।

पाय बुद्धि रविदास को, करौं चरित्र बखान॥

 

मातु की महिमा अमित है, लिखि न सकत है दास।

ताते आयों शरण में, पुरवहु जन की आस॥

 

॥ चौपाई ॥

जै होवै रविदास तुम्हारी। कृपा करहु हरिजन हितकारी॥

राहू भक्त तुम्हारे ताता। कर्मा नाम तुम्हारी माता॥

 

काशी ढिंग माडुर स्थाना। वर्ण अछूत करत गुजराना॥

द्वादश वर्ष उम्र जब आई। तुम्हरे मन हरि भक्ति समाई॥

 

रामानन्द के शिष्य कहाये। पाय ज्ञान निज नाम बढ़ाये॥

शास्त्र तर्क काशी में कीन्हों। ज्ञानिन को उपदेश है दीन्हों॥

 

गंग मातु के भक्त अपारा। कौड़ी दीन्ह उनहिं उपहारा॥

पंडित जन ताको लै जाई। गंग मातु को दीन्ह चढ़ाई॥

 

हाथ पसारि लीन्ह चौगानी। भक्त की महिमा अमित बखानी॥

चकित भये पंडित काशी के। देखि चरित भव भय नाशी के॥

 

 

रल जटित कंगन तब दीन्हाँ । रविदास अधिकारी कीन्हाँ॥

पंडित दीजौ भक्त को मेरे। आदि जन्म के जो हैं चेरे॥

 

पहुँचे पंडित ढिग रविदासा। दै कंगन पुरइ अभिलाषा॥

तब रविदास कही यह बाता। दूसर कंगन लावहु ताता॥

 

पंडित जन तब कसम उठाई। दूसर दीन्ह न गंगा माई॥

तब रविदास ने वचन उचारे। पडित जन सब भये सुखारे॥

 

जो सर्वदा रहै मन चंगा। तौ घर बसति मातु है गंगा॥

हाथ कठौती में तब डारा। दूसर कंगन एक निकारा॥

 

चित संकोचित पंडित कीन्हें। अपने अपने मारग लीन्हें॥

तब से प्रचलित एक प्रसंगा। मन चंगा तो कठौती में गंगा॥

 

एक बार फिरि परयो झमेला। मिलि पंडितजन कीन्हों खेला॥

सालिग राम गंग उतरावै। सोई प्रबल भक्त कहलावै॥

 

सब जन गये गंग के तीरा। मूरति तैरावन बिच नीरा॥

डूब गईं सबकी मझधारा। सबके मन भयो दुःख अपारा॥

 

पत्थर मूर्ति रही उतराई। सुर नर मिलि जयकार मचाई॥

रह्यो नाम रविदास तुम्हारा। मच्यो नगर महँ हाहाकारा॥

 

चीरि देह तुम दुग्ध बहायो। जन्म जनेऊ आप दिखाओ॥

देखि चकित भये सब नर नारी। विद्वानन सुधि बिसरी सारी॥

 

ज्ञान तर्क कबिरा संग कीन्हों। चकित उनहुँ का तुम करि दीन्हों॥

गुरु गोरखहि दीन्ह उपदेशा। उन मान्यो तकि संत विशेषा॥

 

सदना पीर तर्क बहु कीन्हाँ। तुम ताको उपदेश है दीन्हाँ॥

मन महँ हार्योो सदन कसाई। जो दिल्ली में खबरि सुनाई॥

 

मुस्लिम धर्म की सुनि कुबड़ाई। लोधि सिकन्दर गयो गुस्साई॥

अपने गृह तब तुमहिं बुलावा। मुस्लिम होन हेतु समुझावा॥

 

मानी नाहिं तुम उसकी बानी। बंदीगृह काटी है रानी॥

कृष्ण दरश पाये रविदासा। सफल भई तुम्हरी सब आशा॥

 

 

ताले टूटि खुल्यो है कारा। माम सिकन्दर के तुम मारा॥

काशी पुर तुम कहँ पहुँचाई। दै प्रभुता अरुमान बड़ाई॥

 

मीरा योगावति गुरु कीन्हों। जिनको क्षत्रिय वंश प्रवीनो॥

तिनको दै उपदेश अपारा। कीन्हों भव से तुम निस्तारा॥

 

॥ दोहा ॥

ऐसे ही रविदास ने, कीन्हें चरित अपार।

कोई कवि गावै कितै, तहूं न पावै पार॥

 

नियम सहित हरिजन अगर, ध्यान धरै चालीसा।

ताकी रक्षा करेंगे, जगतपति जगदीशा॥

CHALISA IN MALAYALAM

|| ദോഹ॥

ബന്ദ oun ൻ വീണ പാനി, ഡെഹു ആയ് മോഹിൻ ഗ്യാൻ.

ഞാൻ സംസാരിച്ചാൽ നിങ്ങളുടെ മനസ്സ് രവിദാസിനോട് പറയുക

 

മാതുവിന്റെ മഹത്വം വളരെ വലുതാണ്, ഒരു അടിമയ്ക്ക് എഴുതാൻ കഴിയില്ല.

അഭയകേന്ദ്രത്തിൽ വരുമെന്ന പ്രതീക്ഷയിൽ, വൃദ്ധന്റെ പ്രതീക്ഷ

 

|| അതിർത്തി ||

ജയ് ഹ e രവിദാസ് നിങ്ങളുടേത്. ഹരിജനെ അനുഗ്രഹിക്കൂ.

രാഹു ഭക്തനാണ് നിങ്ങളുടെ പ്രിയപ്പെട്ടവൻ. കർമ്മം നിങ്ങളുടെ അമ്മയുടെ പേര്

 

കാശി ഡിംഗ് മദൂർ സ്ഥലം. തൊട്ടുകൂടാത്തവർക്ക് കത്ത് നൽകുക

അദ്ദേഹം വരുമ്പോൾ ഇരുപത് വയസ്സ്. ഹരേ ഭക്തി നിങ്ങളെ വലയം ചെയ്യുന്നു

 

രാമാനന്ദിന്റെ ശിഷ്യന്മാർ എവിടെ|| നിങ്ങളുടെ അറിവ് നിങ്ങളുടെ പേര് വർദ്ധിപ്പിക്കട്ടെ.

കാശിയിൽ തിരുവെഴുത്തുകൾ വാദിക്കുന്നു. ഗ്യാനിൻ പ്രസംഗിക്കുന്നു

 

അപാര, ഗാംഗ് മാതുവിന്റെ ഭക്തൻ. ക ri രി ദിൻ‌ ഉൻ‌ഹി ഉനഹാര॥

പണ്ഡിറ്റ് ജാൻ ടാക്കോ ലൈ ജയ് ഗാംഗ് മാതുവിന് അത്താഴം

 

ഹത്ത് പസാരി ലീൻ ച ug ഗാനി ഭക്ത അമിത് ബഖാനിയുടെ മഹത്വം

പണ്ഡിറ്റ് കാശിയുടെ സഹോദരൻ. മരണത്തിന്റെ ഭീകരത നോക്കൂ.

 

തുടർന്ന് ബ്രേസ്ലെറ്റ് അലങ്കരിച്ചിരുന്നു. രവിദാസ് അധികാരി

പണ്ഡിറ്റ് ഡിജോ എന്നോട് ഭക്തൻ. യഥാർത്ഥ ജന്മത്തിൽപ്പെട്ടവർ

 

പണ്ഡിറ്റ് ദിഗ് രവിദാസയിലെത്തി. ബ്രേസ്ലെറ്റ് പുരി മോഹം

അപ്പോൾ രവിദാസ് ഇത് പറഞ്ഞു രണ്ടാമത്തെ ബ്രേസ്ലെറ്റ് ലാഹു ടൈറ്റയാണ്.

 

പുരോഹിതൻ സത്യം ചെയ്തു. രണ്ടാമത്തെ ദിൻ‌ ന ഗംഗ മായ്

അപ്പോൾ രവിദാസ് വാഗ്ദാനം പറഞ്ഞു. പ്രിയപ്പെട്ട എല്ലാവർക്കും സന്തോഷമുണ്ട്

 

എന്നെന്നേക്കുമായി നിലനിൽക്കുന്ന മനസ്സ് സുഖപ്പെടുത്തുന്നു ഗംഗയാണ് നിങ്ങളുടെ വീട്.

പിന്നെ കയ്യിൽ ഭയപ്പെടുത്തുക. മറ്റൊരു ബ്രേസ്ലെറ്റ് ഒരു നിക്കര

 

 

ചിറ്റ് ബഷ്ഫുൾ പണ്ഡിറ്റുകൾ. നിങ്ങളുടേതായ വഴിയിലൂടെ പോകുക

അതിനുശേഷം ഒരു ഭാഗം. മനസ്സ് ആരോഗ്യകരമാണെങ്കിൽ എല്ലാം നല്ലതാണ്.

 

വീണ്ടും ഒരു കുഴപ്പമുണ്ടായി. മില്ലി പണ്ഡിറ്റ്ജാൻ കളിച്ചു

സാലിഗ് റാം ഗാംഗ് ഉത്തരവായ്. കടുത്ത ഭക്തനാണ് സോയി.

 

ജനങ്ങളെല്ലാം ഗംഗയിലേക്ക് പോയി. മൂർത്തി നീന്തൽ ബിച് നീര

എല്ലാവരും മുങ്ങിമരിച്ചു. എല്ലാവരുടെയും സങ്കടത്തെ ഭയപ്പെടുക

 

കല്ല് വിഗ്രഹം വന്നിറങ്ങി. സർ പുരുഷ പരിസരം ആഹ്ലാദിച്ചു

നിങ്ങളുടെ പേര് രവിദാസ് നിങ്ങളുടേതാണ്. മച്ചിയോ നഗർ മഹാ ഹഹകര॥

 

ചേരി ബോഡി നിങ്ങൾ പാൽ പാൽ. നിങ്ങളുടെ ജനനം എന്നെ കാണിക്കൂ

നോക്കൂ, എല്ലാ പുരുഷന്മാരും സ്ത്രീകളും ആശ്ചര്യപ്പെടുന്നു. പണ്ഡിതൻ സുധി ബിസാരി സാരി

 

വിജ്ഞാന യുക്തി ഉപയോഗിച്ച് കബീറ അവരെ അത്ഭുതപ്പെടുത്തി

ഗുരു ഗോരഖി ദിൻ പ്രസംഗിക്കുന്നു. ആ വിശുദ്ധന്മാർ പ്രത്യേകിച്ചും

 

സദ്‌ന പിർ ആർഗ്യുമെന്റ് ഒന്നിലധികം നിങ്ങൾ പ്രസംഗിക്കുന്നു

മനസ്സിന്റെ ഹൃദയത്തിൽ ബുച്ചർ ഹ House സ്. ആരാണ് ദില്ലിയിൽ വാർത്ത കേട്ടത്

 

മുസ്ലീം മതത്തിന്റെ സുന്നി കലാപം. ലോധി സിക്കന്ദർ ഗായോ ആംഗ്രി

നിങ്ങളുടെ വീട്ടിൽ നിങ്ങളെ വിളിക്കുക. ഒരു മുസ്ലീം ആയതിന് സമാജ്വ

 

ഞാൻ നിങ്ങളോട് യോജിക്കുന്നു. ജയിൽ കൊയ്യുന്നത് രാജ്ഞിയാണ്

രവിദാസ കൃഷ്ണനെ കണ്ടെത്തുന്നു. നിങ്ങൾ എല്ലാവരും വിജയിക്കുമെന്ന് പ്രതീക്ഷിക്കുന്നു

 

ലോക്കുകൾ തുറന്നിരിക്കുന്നു മാം സിക്കന്ദർ കെ തും മാര

നിങ്ങൾ എവിടെയാണ് കാശി പുറിൽ എത്തിയത് ദൈവം അരുമാനെ അനുഗ്രഹിക്കട്ടെ.

 

മീര യോഗാവതി ഗുരു കീൻഹോ. ക്ഷത്രിയ രാജവംശം ഉള്ളവർ.

തിങ്കോ പ്രസംഗിക്കുന്നു. നിങ്ങൾക്ക് എങ്ങനെ കണ്ണീരോടെ സ്ഥിരതാമസമാക്കാം||

 

|| ദോഹ॥

രവിദാസ് ഇതുപോലെ, അവൻ അപാരനായിരുന്നു.

ഒരു കവിയും കവിയല്ല, ആർക്കും അത് മറികടക്കാൻ കഴിയില്ല.

 

നിയമങ്ങൾ, ധ്യാനം, ചാലിസ എന്നിവയുള്ള ഹരിജൻ അഗർ.

ജഗപതി ജഗദിഷ നിങ്ങളെ സംരക്ഷിക്കും

CHALISA IN MEITEI

Meitei and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा ॥

बंदौं वीणा पाणि को, देहु आय मोहिं ज्ञान।

पाय बुद्धि रविदास को, करौं चरित्र बखान॥

 

मातु की महिमा अमित है, लिखि न सकत है दास।

ताते आयों शरण में, पुरवहु जन की आस॥

 

॥ चौपाई ॥

जै होवै रविदास तुम्हारी। कृपा करहु हरिजन हितकारी॥

राहू भक्त तुम्हारे ताता। कर्मा नाम तुम्हारी माता॥

 

काशी ढिंग माडुर स्थाना। वर्ण अछूत करत गुजराना॥

द्वादश वर्ष उम्र जब आई। तुम्हरे मन हरि भक्ति समाई॥

 

रामानन्द के शिष्य कहाये। पाय ज्ञान निज नाम बढ़ाये॥

शास्त्र तर्क काशी में कीन्हों। ज्ञानिन को उपदेश है दीन्हों॥

 

गंग मातु के भक्त अपारा। कौड़ी दीन्ह उनहिं उपहारा॥

पंडित जन ताको लै जाई। गंग मातु को दीन्ह चढ़ाई॥

 

हाथ पसारि लीन्ह चौगानी। भक्त की महिमा अमित बखानी॥

चकित भये पंडित काशी के। देखि चरित भव भय नाशी के॥

 

 

रल जटित कंगन तब दीन्हाँ । रविदास अधिकारी कीन्हाँ॥

पंडित दीजौ भक्त को मेरे। आदि जन्म के जो हैं चेरे॥

 

पहुँचे पंडित ढिग रविदासा। दै कंगन पुरइ अभिलाषा॥

तब रविदास कही यह बाता। दूसर कंगन लावहु ताता॥

 

पंडित जन तब कसम उठाई। दूसर दीन्ह न गंगा माई॥

तब रविदास ने वचन उचारे। पडित जन सब भये सुखारे॥

 

जो सर्वदा रहै मन चंगा। तौ घर बसति मातु है गंगा॥

हाथ कठौती में तब डारा। दूसर कंगन एक निकारा॥

 

चित संकोचित पंडित कीन्हें। अपने अपने मारग लीन्हें॥

तब से प्रचलित एक प्रसंगा। मन चंगा तो कठौती में गंगा॥

 

एक बार फिरि परयो झमेला। मिलि पंडितजन कीन्हों खेला॥

सालिग राम गंग उतरावै। सोई प्रबल भक्त कहलावै॥

 

सब जन गये गंग के तीरा। मूरति तैरावन बिच नीरा॥

डूब गईं सबकी मझधारा। सबके मन भयो दुःख अपारा॥

 

पत्थर मूर्ति रही उतराई। सुर नर मिलि जयकार मचाई॥

रह्यो नाम रविदास तुम्हारा। मच्यो नगर महँ हाहाकारा॥

 

चीरि देह तुम दुग्ध बहायो। जन्म जनेऊ आप दिखाओ॥

देखि चकित भये सब नर नारी। विद्वानन सुधि बिसरी सारी॥

 

ज्ञान तर्क कबिरा संग कीन्हों। चकित उनहुँ का तुम करि दीन्हों॥

गुरु गोरखहि दीन्ह उपदेशा। उन मान्यो तकि संत विशेषा॥

 

सदना पीर तर्क बहु कीन्हाँ। तुम ताको उपदेश है दीन्हाँ॥

मन महँ हार्योो सदन कसाई। जो दिल्ली में खबरि सुनाई॥

 

मुस्लिम धर्म की सुनि कुबड़ाई। लोधि सिकन्दर गयो गुस्साई॥

अपने गृह तब तुमहिं बुलावा। मुस्लिम होन हेतु समुझावा॥

 

मानी नाहिं तुम उसकी बानी। बंदीगृह काटी है रानी॥

कृष्ण दरश पाये रविदासा। सफल भई तुम्हरी सब आशा॥

 

 

ताले टूटि खुल्यो है कारा। माम सिकन्दर के तुम मारा॥

काशी पुर तुम कहँ पहुँचाई। दै प्रभुता अरुमान बड़ाई॥

 

मीरा योगावति गुरु कीन्हों। जिनको क्षत्रिय वंश प्रवीनो॥

तिनको दै उपदेश अपारा। कीन्हों भव से तुम निस्तारा॥

 

॥ दोहा ॥

ऐसे ही रविदास ने, कीन्हें चरित अपार।

कोई कवि गावै कितै, तहूं न पावै पार॥

 

नियम सहित हरिजन अगर, ध्यान धरै चालीसा।

ताकी रक्षा करेंगे, जगतपति जगदीशा॥

CHALISA IN MARATHI

|| दोहा ||

बंडौन वीणा पानी, देहु आय मोहिन ज्ञान।

रविदासांकडे लक्ष दे, मी बोलू का

 

मातूचा वैभव अपार आहे, गुलाम लिहू शकत नाही.

आश्रयावर येण्याच्या आशेने, म्हातार्‍याची आशा

 

|| चौकार ||

जय होवे रविदास आपला. कृपया हरिजनला आशीर्वाद द्या.

राहु भक्त तुझा आवडता। कर्मा तुझ्या आईचे नाव घ्या

 

काशी धिंग मदूर ठिकाण. अस्पृश्य पत्र पाठवा

तो आला तेव्हा वीस वर्षांचा. हरे भक्ती तुला गुंतवून घेते

 

रामानंदांचे शिष्य कोठे आहेत. आपले ज्ञान आपले नाव वाढवू शकेल.

शास्त्र काशीमध्ये युक्तिवाद करतो. ज्ञानीं उपदेश

 

गँग मातूचा भक्त अपारा. कौरि दिन्ह उनि उनाहारा॥

पंडित जन टाको लाई जय गँग मातूला रात्रीचे जेवण

 

हाथ पसारी लेन चौगणी भक्त अमित बखानी यांचा महिमा

पंडित काशीचा चकित भाऊ. मृत्यूची भीती पहा.

 

त्यानंतर बांगडी सजविली गेली. रविदास अधिकारी

पंडित दिढो भक्त मला। जे मूळ जन्माचे आहेत

 

पंडित धिग रविदास गाठले. ब्रेसलेट पुरी इच्छा॥

तेव्हा रविदास असे म्हणाले दुसरे ब्रेसलेट लाहू टायटा आहे.

 

त्यानंतर याजकाने शपथ घेतली. द्वितीय दिन न गंगा मै॥

मग रविदास वचन दिले. सर्व प्रिय लोकांना आनंद आहे

 

मन कायमचे बरे होते गंगा आपले घर आहे.

मग हातात घाबरा. आणखी एक बांगडी म्हणजे निकारा॥

 

चिट बेशफुल पंडित. स्वतःचा मार्ग घ्या

तेव्हापासून एक उतारा. जर मन निरोगी असेल तर सर्व काही ठीक आहे.

 

पुन्हा एकदा गडबड झाली. मिली पंडितजन खेळली

सालिग राम गंग उतारावई। सोई एक उत्साही भक्त आहे.

 

सर्व लोक गंगाला गेले. मूर्ती स्वीमवान बिच नीरा॥

प्रत्येकजण बुडाला. प्रत्येकाच्या दु: खाला घाबरा

 

दगडाची मूर्ती उतरली. सूर नर मिलिउ जयजयकार

तुझे नाव रविदास तुझे आहे. माचियो नगर माझा हाकारा॥

 

 

चीरी शरीर तू दुधाचे दूध। मला तुमचा जन्म दाखवा

पहा, सर्व पुरुष आणि स्त्रिया आश्चर्यचकित आहेत. विद्वान सुधी बिसारी साडी॥

 

कबीरा ज्ञानाने युक्त त्यांना आश्चर्यचकित केले

गुरू गोरखी दिहें उपदेश। ते बरेच संत विशेषतः

 

सदना पीर तर्क अनेक आपण उपदेश करीत आहात

मनातील बुचर हाऊस. दिल्लीत बातमी कोणी ऐकली

 

मुस्लिम धर्माचा सुन्नी उठाव. लोधी सिकंदर गेयो क्रोध॥

मग आपल्या घरी आपल्याला कॉल करा. मुसलमान होण्यासाठी समाजवा

 

मी तुझ्याशी सहमत आहे. तुरुंगात राणी कापणी केली जाते

रवीदास कृष्णाला सापडला. आशा आहे की आपण सर्व यशस्वी व्हाल

 

कुलूप खुले आहेत मम सिकंदर के तुम मारा

आपण काशी पुर कुठे पोहोचला|| देव अरुमानला आशीर्वाद दे.

 

मीरा योगवती गुरु कीनो। ज्यांना क्षत्रिय राजवंश आहे.

थिंको उपदेश अपारा। आपण अश्रूंनी कसे निराकरण करू शकता||

 

 

|| दोहा ||

रविदास असे, ते अपार होते.

कोणताही कवी हा कवी नसतो, त्याला कोणीही ओलांडू शकत नाही.

 

नियम, ध्यान, चालीसा हरीजन अगर.

जगतपती जगदिशा तुमचे रक्षण करील

CHALISA IN NEPALI

Nepali and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 

॥ दोहा ॥

बंदौं वीणा पाणि को, देहु आय मोहिं ज्ञान।

पाय बुद्धि रविदास को, करौं चरित्र बखान॥

 

मातु की महिमा अमित है, लिखि न सकत है दास।

ताते आयों शरण में, पुरवहु जन की आस॥

 

॥ चौपाई ॥

जै होवै रविदास तुम्हारी। कृपा करहु हरिजन हितकारी॥

राहू भक्त तुम्हारे ताता। कर्मा नाम तुम्हारी माता॥

 

काशी ढिंग माडुर स्थाना। वर्ण अछूत करत गुजराना॥

द्वादश वर्ष उम्र जब आई। तुम्हरे मन हरि भक्ति समाई॥

 

रामानन्द के शिष्य कहाये। पाय ज्ञान निज नाम बढ़ाये॥

शास्त्र तर्क काशी में कीन्हों। ज्ञानिन को उपदेश है दीन्हों॥

 

गंग मातु के भक्त अपारा। कौड़ी दीन्ह उनहिं उपहारा॥

पंडित जन ताको लै जाई। गंग मातु को दीन्ह चढ़ाई॥

 

हाथ पसारि लीन्ह चौगानी। भक्त की महिमा अमित बखानी॥

चकित भये पंडित काशी के। देखि चरित भव भय नाशी के॥

 

 

रल जटित कंगन तब दीन्हाँ । रविदास अधिकारी कीन्हाँ॥

पंडित दीजौ भक्त को मेरे। आदि जन्म के जो हैं चेरे॥

 

पहुँचे पंडित ढिग रविदासा। दै कंगन पुरइ अभिलाषा॥

तब रविदास कही यह बाता। दूसर कंगन लावहु ताता॥

 

पंडित जन तब कसम उठाई। दूसर दीन्ह न गंगा माई॥

तब रविदास ने वचन उचारे। पडित जन सब भये सुखारे॥

 

जो सर्वदा रहै मन चंगा। तौ घर बसति मातु है गंगा॥

हाथ कठौती में तब डारा। दूसर कंगन एक निकारा॥

 

चित संकोचित पंडित कीन्हें। अपने अपने मारग लीन्हें॥

तब से प्रचलित एक प्रसंगा। मन चंगा तो कठौती में गंगा॥

 

एक बार फिरि परयो झमेला। मिलि पंडितजन कीन्हों खेला॥

सालिग राम गंग उतरावै। सोई प्रबल भक्त कहलावै॥

 

सब जन गये गंग के तीरा। मूरति तैरावन बिच नीरा॥

डूब गईं सबकी मझधारा। सबके मन भयो दुःख अपारा॥

 

पत्थर मूर्ति रही उतराई। सुर नर मिलि जयकार मचाई॥

रह्यो नाम रविदास तुम्हारा। मच्यो नगर महँ हाहाकारा॥

 

चीरि देह तुम दुग्ध बहायो। जन्म जनेऊ आप दिखाओ॥

देखि चकित भये सब नर नारी। विद्वानन सुधि बिसरी सारी॥

 

ज्ञान तर्क कबिरा संग कीन्हों। चकित उनहुँ का तुम करि दीन्हों॥

गुरु गोरखहि दीन्ह उपदेशा। उन मान्यो तकि संत विशेषा॥

 

सदना पीर तर्क बहु कीन्हाँ। तुम ताको उपदेश है दीन्हाँ॥

मन महँ हार्योो सदन कसाई। जो दिल्ली में खबरि सुनाई॥

 

मुस्लिम धर्म की सुनि कुबड़ाई। लोधि सिकन्दर गयो गुस्साई॥

अपने गृह तब तुमहिं बुलावा। मुस्लिम होन हेतु समुझावा॥

 

मानी नाहिं तुम उसकी बानी। बंदीगृह काटी है रानी॥

कृष्ण दरश पाये रविदासा। सफल भई तुम्हरी सब आशा॥

 

 

ताले टूटि खुल्यो है कारा। माम सिकन्दर के तुम मारा॥

काशी पुर तुम कहँ पहुँचाई। दै प्रभुता अरुमान बड़ाई॥

 

मीरा योगावति गुरु कीन्हों। जिनको क्षत्रिय वंश प्रवीनो॥

तिनको दै उपदेश अपारा। कीन्हों भव से तुम निस्तारा॥

 

॥ दोहा ॥

ऐसे ही रविदास ने, कीन्हें चरित अपार।

कोई कवि गावै कितै, तहूं न पावै पार॥

 

नियम सहित हरिजन अगर, ध्यान धरै चालीसा।

ताकी रक्षा करेंगे, जगतपति जगदीशा॥

CHALISA IN ODIA

|| ଦୋହା ||

ବୃନ୍ଦାବନ ଭେନା ପାନି, ଦେହୁ ଆଏ ମୋହିନ୍ ଜିଆନ୍ |

ରବିଦାଙ୍କୁ ତୁମର ମନ ଦିଅ, ଯଦି ମୁଁ କହିବି |

 

ମତୁର ଗ ରବ ଅପାର, ଜଣେ ଦାସ ଲେଖିପାରିବ ନାହିଁ |

ଆଶ୍ରୟସ୍ଥଳକୁ ଆସିବାର ଆଶାରେ, ବୃଦ୍ଧାଙ୍କ ଭରସା |

 

|| ସୀମା ||

ଜୟ ହାଓ ରବିଦାସ ତୁମର | ଦୟାକରି ହରିଜନଙ୍କୁ ଆଶୀର୍ବାଦ କରନ୍ତୁ |

ରାହୁ ଭକ୍ତ ତୁମର ପ୍ରିୟ | କରିସ୍ମା ତୁମର ମାତା ନାମ ଦିଅ |

 

କାଶୀ ଧିଙ୍ଗ ମଦୁର ସ୍ଥାନ | ଅକ୍ଷରକୁ ଅସ୍ପୃଶ୍ୟ ପାସ୍ କରନ୍ତୁ |

ଯେତେବେଳେ ସେ ଆସିଲେ କୋଡ଼ିଏ ବର୍ଷ | ହରେ ଭକ୍ତି ତୁମକୁ ଘୋଡାଇ ଦିଏ |

 

ରାମାନନ୍ଦଙ୍କ ଶିଷ୍ୟମାନେ କେଉଁଠାରେ ଅଛନ୍ତି|| ତୁମର ଜ୍ଞାନ ତୁମର ନାମ ବୃଦ୍ଧି କର |

ଶାସ୍ତ୍ର ଶାସ୍ତ୍ରରେ ଯୁକ୍ତି କରେ | ଜିଆନିନ ପ୍ରଚାର କରନ୍ତି |

 

ଆପା, ଗ୍ୟାଙ୍ଗ ମାଟୁଙ୍କର ଜଣେ ଭକ୍ତ | କ  ରୀ ଦିନ୍ ଉନ୍ହି ଉନାହାରା।

ପଣ୍ଡିତ ଜନ ଟାକୋ ଲାଇ ଜୟ | ଗ୍ୟାଙ୍ଗ ମାତୁ ପାଇଁ ରାତ୍ରୀ ଭୋଜନ |

 

ହାଥ ପାସାରୀ ଲେନ୍ ଚାଉଗାନି | ଭକ୍ତ ଅମିତ ବଖାନୀଙ୍କ ଗ  ରବ |

ପଣ୍ଡିତ କାଶୀଙ୍କ ବିସ୍ମିତ ଭାଇ | ମୃତ୍ୟୁର ଭୟାବହତାକୁ ଦେଖ |

 

ପରେ ବ୍ରେସଲେଟ୍ ସଜାଯାଇଥିଲା | ରବିଦାସ ଆଦିକାରୀ |

ପଣ୍ଡିତ ଡିଜୋ ମୋ ପାଇଁ ଭକ୍ତ। ଯେଉଁମାନେ ମୂଳ ଜନ୍ମର ଅଟନ୍ତି |

 

ପଣ୍ଡିତ ig ିଗ ରବିଦାସାଙ୍କ ନିକଟରେ ପହଞ୍ଚିଥିଲେ। ବ୍ରେସଲେଟ୍ ପୁରୀ ଇଚ୍ଛା।

ତା’ପରେ ରବିଦାସ ଏହା କହିଥିଲେ ଦ୍ୱିତୀୟ ବ୍ରେସଲେଟ୍ ହେଉଛି ଲାହୁ ଟାଇଟା |

 

ପୁରୋହିତ ଏହା ପରେ ଶପଥ କଲେ। ଦ୍ୱିତୀୟ ଦିନ୍ ନା ଗଙ୍ଗା ମା।

ତା’ପରେ ରବିଦାସ ପ୍ରତିଶ୍ରୁତି ଦେଇଥିଲେ। ସମସ୍ତ ପ୍ରିୟ ଲୋକଙ୍କର ସୁଖ ଅଛି |

 

ଯେଉଁ ମନ ସବୁଦିନ ପାଇଁ ସୁସ୍ଥ ରହିଥାଏ | ଗଙ୍ଗା ହେଉଛି ତୁମର ଘର |

ତା’ପରେ ହାତରେ ଭୟ କର | ଅନ୍ୟ ଏକ ବ୍ରେସଲେଟ୍ ହେଉଛି ଏକ ନିକାରା।

 

 

ଚିଟ୍ ବାସ୍ଫୁଲ୍ ପାଣ୍ଡିସ୍ | ନିଜ ପଥ ନିଅ

ସେବେଠାରୁ ଏକ ପାସ୍ | ଯଦି ମନ ସୁସ୍ଥ ଅଛି ତେବେ ସବୁକିଛି ଠିକ ଅଛି |

 

ପୁଣି ଥରେ ଏକ ବିଶୃଙ୍ଖଳା ହେଲା | ମିଲି ପଣ୍ଡିତଜନ ଖେଳିଥିଲେ

ସାଲିଗ ରାମ ଗ୍ୟାଙ୍ଗ ଉତ୍କଳ | ସୋ ଜଣେ ଉତ୍ସାହୀ ଭକ୍ତ।

 

ସମସ୍ତ ଲୋକ ଗଙ୍ଗା ଯାଇଥିଲେ। ମୁର୍ତ୍ତୀ ସ୍ୱିମ୍ଭାନ୍ ବିଚ୍ ନେରା।

ସମସ୍ତେ ବୁଡ଼ିଗଲେ। ସମସ୍ତଙ୍କ ଦୁ  ଖକୁ ଭୟ କର |

 

ପଥର ମୂର୍ତ୍ତି ଅବତରଣ କଲା। ସୁର ପୁରୁଷ ମିଲିୟୋ ଖୁସି ହେଲେ |

ତୁମର ନାମ ରବିଦାସ ତୁମର | ମାସିଓ ନାଗର ମହା ହକର |

 

ଚେରି ଶରୀର ତୁମେ କ୍ଷୀର କ୍ଷୀର କର | ମୋତେ ତୁମର ଜନ୍ମ ଦେଖାନ୍ତୁ |

ଦେଖ, ସମସ୍ତ ପୁରୁଷ ଓ ସ୍ତ୍ରୀ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ହୋଇଗଲେ | ବିଦ୍ୱାନ ସୁଧୀ ବିସାରୀ ସାର।

 

ଜ୍ଞାନ ତର୍କ ସହିତ କବିରା | ସେମାନଙ୍କୁ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ କଲା |

ଗୁରୁ ଗୋରଖୀ ଦିନ୍ ପ୍ରଚାର କରୁଛନ୍ତି | ବିଶେଷ ଭାବରେ ସେହି ଅନେକ ସାଧୁ |

 

ସାଡନା ପିର ଯୁକ୍ତି ଏକାଧିକ | ତୁମେ ପ୍ରଚାର କରୁଛ |

ମନର ହୃଦୟରେ ବୁଚର୍ ହାଉସ୍ | ଦିଲ୍ଲୀରେ କିଏ ଏହି ଖବର ଶୁଣିଥିଲେ

 

 

ମୁସଲମାନ ଧର୍ମର ସୁନ୍ନି ବିଦ୍ରୋହ। ଲୋଡି ସିକନ୍ଦର ଗାୟୋ କ୍ରୋଧ।

ତା’ପରେ ତୁମ ଘରେ ଡାକ | ମୁସଲମାନ ହେବା ପାଇଁ ସମାଜ

 

ମୁଁ ତୁମ ସହ ସହମତ। କାରାଗାରରେ ରାଣୀ ଅମଳ କରାଯାଏ |

ରବିଦା କୃଷ୍ଣଙ୍କୁ ପାଇଲେ | ଆଶା କରେ ଆପଣ ସମସ୍ତେ ସଫଳ ହେବେ |

 

ତାଲା ଖୋଲା ଅଛି | ମା ସିକନ୍ଦର କେ ତୁମ୍ ମାରା |

ଆପଣ କାଶୀ ପୁରରେ କେଉଁଠାରେ ପହଞ୍ଚିଲେ | ଭଗବାନ ଅରୁମାନଙ୍କୁ ଆଶୀର୍ବାଦ କରନ୍ତୁ |

 

ମେରା ଯୋଗବତୀ ଗୁରୁ କିନ୍ହୋ | ଯେଉଁମାନଙ୍କର କ୍ଷତ୍ରିୟ ରାଜବଂଶ ଅଛି |

ଥିଙ୍କୋ ଆପାରା ପ୍ରଚାର କରେ | ତୁମେ କିପରି ଲୁହରେ ବସିବ||

 

|| ଦୋହା ||

ରବିଦାସ ଏହିପରି, ସେ ବହୁତ ଥିଲେ |

କ  ଣସି କବି କବି ନୁହଁନ୍ତି, କେହି ଏହାକୁ ଅତିକ୍ରମ କରିପାରିବେ ନାହିଁ |

 

ନିୟମ, ଧ୍ୟାନ, ଚଲିସା ସହିତ ହରିଜନ ଅଗର |

ଜଗତପତି ଜଗଦୀଶ ଆପଣଙ୍କୁ ସୁରକ୍ଷା ଦେବେ

CHALISA IN PUNJABI

|| ਦੋਹਾ॥

ਬੰਦਨੁ ਵੀਨਾ ਪਾਨੀ, ਦੇਹੁ ਆਇ ਮੋਹਿਨ ਗਿਆਨ।

ਰਵਿਦਾਸ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਮਨ ਅਦਾ ਕਰੋ, ਕੀ ਮੈਨੂੰ ਬੋਲਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ

 

ਮਤੂ ਦੀ ਮਹਿਮਾ ਬੇਅੰਤ ਹੈ, ਇੱਕ ਗੁਲਾਮ ਲਿਖ ਨਹੀਂ ਸਕਦਾ।

ਪਨਾਹ ਵਿਚ ਆਉਣ ਦੀ ਉਮੀਦ ਵਿਚ, ਬੁੱ manੇ ਆਦਮੀ ਦੀ ਉਮੀਦ

 

|| ਚੌਪਾਈ  ||

ਜੈ ਹੋਵੇ ਰਵਿਦਾਸ ਤੇਰਾ। ਕ੍ਰਿਪਾ ਕਰਕੇ ਹਰਿਜਨ ਨੂੰ ਬਖਸ਼ੋ।

ਰਹਾਉ ਭਗਤ ਤੇਰਾ ਪਸਾਰਾ ਹੈ। ਕਰਮਾ ਆਪਣੀ ਮਾਂ ਦਾ ਨਾਮ

 

ਕਾਸ਼ੀ ਧਿੰਗ ਮਦੁਰ ਸਥਾਨ। ਅਛੂਤ ਪੱਤਰ ਨੂੰ ਪਾਸ ਕਰੋ

ਵੀਹ ਸਾਲ ਦਾ ਜਦੋਂ ਉਹ ਆਇਆ. ਹਰਿ ਭਗਤੀ ਤੈਨੂੰ ਘੇਰ ਲੈਂਦੀ ਹੈ

 

ਰਾਮਾਨੰਦ ਦੇ ਚੇਲੇ ਕਿੱਥੇ ਹਨ. ਤੁਹਾਡਾ ਗਿਆਨ ਤੁਹਾਡੇ ਨਾਮ ਨੂੰ ਵਧਾਏ.

ਹਵਾਲੇ ਕਾਸ਼ੀ ਵਿੱਚ ਬਹਿਸ ਕਰਦੇ ਹਨ. ਗਿਆਨੀਨ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰਦਾ ਹੈ

 

ਗੰਗ ਮਟੂ ਦਾ ਭਗਤ ਅਪਾਰਾ। ਕਉਰੀ ਦਿਨ ਅੰਹੀ ਉਨਾਹਾਰਾ॥

ਪੰਡਿਤ ਜਨ ਟਕੋ ਲਾਈ ਜਾਇ॥ ਗੈਂਗ ਮਟੂ ਨੂੰ ਡਿਨਰ

 

ਹਥ ਪਸਾਰਿ ਲੀਨ੍ਹ ਚੌਗਾਨੀ ਭਗਤ ਅਮਿਤ ਬਖਾਨੀ ਦੀ ਮਹਿਮਾ

ਪੰਡਿਤ ਕਾਸ਼ੀ ਦਾ ਹੈਰਾਨ ਭਰਾ। ਮੌਤ ਦੀ ਭਿਆਨਕਤਾ ਦਾ ਧਿਆਨ ਰੱਖੋ.

 

ਫਿਰ ਕੰਗਣ ਸਜਾਇਆ ਗਿਆ ਸੀ. ਰਵਿਦਾਸ ਅਧਿਕਾਰ

ਪੰਡਿਤ ਦਿਜੌ ਮੇਰੇ ਲਈ ਭਗਤ. ਜਿਹੜੇ ਅਸਲ ਜਨਮ ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ ਹਨ

 

ਪੰਡਿਤ ਿਗ ਰਵਿਦਾਸਾ ਪਹੁੰਚੇ। ਕੰਗੜੀ ਪੁਰੀ ਇੱਛਾ॥

ਫਿਰ ਰਵਿਦਾਸ ਨੇ ਇਹ ਕਿਹਾ ਦੂਜਾ ਬਰੇਸਲੈੱਟ ਲਾਹੁ ਟਾਇਟਾ ਹੈ.

 

ਪੁਜਾਰੀ ਨੇ ਫਿਰ ਸਹੁੰ ਖਾਧੀ। ਦੂਜਾ ਦਿਨ ਨ ਗੰਗਾ ਮਾਈ॥

ਫੇਰ ਰਵਿਦਾਸ ਨੇ ਵਾਅਦਾ ਕੀਤਾ। ਸਾਰੇ ਪਿਆਰੇ ਲੋਕ ਖੁਸ਼ ਹਨ

 

ਉਹ ਮਨ ਜੋ ਸਦਾ ਲਈ ਚੰਗਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਗੰਗਾ ਤੁਹਾਡਾ ਘਰ ਹੈ.

ਫਿਰ ਹੱਥ ਵਿਚ ਡਰਾਉਣਾ. ਇਕ ਹੋਰ ਕੰਗਣ ਇਕ ਨਿਕਾਰਾ ਹੈ॥

 

ਚਿਤ ਬੇਸਮਝ ਪੰਡਿਤ। ਆਪਣਾ ਰਸਤਾ ਲਓ

ਉਸ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਦਾ ਇੱਕ ਰਸਤਾ ਜੇ ਮਨ ਸਿਹਤਮੰਦ ਹੈ ਸਭ ਕੁਝ ਠੀਕ ਹੈ.

 

ਇਕ ਵਾਰ ਫਿਰ ਗੜਬੜ ਹੋਈ. ਮਿਲਿ ਪੰਡਿਤਜਨ ਨਿਭਾਈ

ਸਲੀਗ ਰਾਮ ਗੰਗ ਉਤਾਰਾਵੈ। ਸੋਈ ਇੱਕ ਜੋਸ਼ ਭਗਤ ਹੈ.

 

ਸਾਰੇ ਲੋਕ ਗੰਗਾ ਗਏ। ਮੂਰਤਿ ਸਵਿਮਵਾਨ ਬਿਛ ਨੀਰਾ॥

ਹਰ ਕੋਈ ਡੁੱਬ ਗਿਆ. ਹਰ ਕਿਸੇ ਦੇ ਦੁੱਖ ਤੋਂ ਡਰੋ

 

ਪੱਥਰ ਦੀ ਮੂਰਤੀ ਉਤਰ ਗਈ. ਸੁਰ ਨਰ ਮਿਲਿਓ ਖੁਸ਼ ਹੋ ਗਏ

ਤੁਹਾਡਾ ਨਾਮ ਰਵਿਦਾਸ ਤੁਹਾਡਾ ਹੈ ਮਾਛਿਓ ਨਾਗਰ ਮਹਾ ਹਾਕਾਰਾ॥

 

ਚੀਰੀ ਸਰੀਰ ਤੂੰ ਦੁੱਧ ਦਾ ਦੁੱਧ। ਮੈਨੂੰ ਆਪਣਾ ਜਨਮ ਦਿਖਾਓ

ਦੇਖੋ, ਸਾਰੇ ਆਦਮੀ ਅਤੇ ਰਤ ਹੈਰਾਨ ਹਨ. ਵਿਦਵਾਨ ਸੁਧਿ ਬਿਸਾਰੀ ਸਾੜੀ॥

 

ਗਿਆਨ ਤਰਕ ਨਾਲ ਕਬੀਰਾ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਹੈਰਾਨ ਕਰ ਦਿੱਤਾ

ਗੁਰੂ ਗੋਰਖਿ ਦਿਨ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰਦੇ। ਉਹ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਸੰਤਾਂ ਖਾਸ ਕਰਕੇ

 

ਸਦਨਾ ਪੀਰ ਦਲੀਲ ਬਹੁ ਤੁਸੀਂ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰ ਰਹੇ ਹੋ

ਮਨ ਦੇ ਦਿਲ ਵਿੱਚ ਕਸਾਈ ਘਰ. ਜਿਸ ਨੇ ਦਿੱਲੀ ਵਿਚ ਖ਼ਬਰ ਸੁਣੀ

 

ਮੁਸਲਿਮ ਧਰਮ ਦੀ ਸੁੰਨੀ ਬਗਾਵਤ. ਲੋਧੀ ਸਿਕੰਦਰ ਗਯੋ ਗੁੱਸੇ ਵਿਚ॥

ਫਿਰ ਤੁਹਾਨੂੰ ਆਪਣੇ ਘਰ ਬੁਲਾਓ. ਮੁਸਲਮਾਨ ਬਣਨ ਲਈ ਸਮਾਜਵਾ

 

ਮੈਂ ਤੁਹਾਡੇ ਨਾਲ ਸਹਿਮਤ ਹਾਂ l. ਜੇਲ੍ਹ ਦੀ ਰਾਣੀ ਵੱੀ ਗਈ ਹੈ

ਰਵਿਦਾਸ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਨੂੰ ਪਾ ਲੈਂਦਾ ਹੈ। ਉਮੀਦ ਹੈ ਤੁਸੀਂ ਸਾਰੇ ਸਫਲ ਹੋਵੋਗੇ

 

ਤਾਲੇ ਖੁੱਲੇ ਟੁੱਟੇ ਹੋਏ ਹਨ ਮੈਮ ਸਿਕੰਦਰ ਕੇ ਤੂੰ ਮਾਰਾ

ਕਿੱਥੇ ਪਹੁੰਚੇ ਕਾਸ਼ੀ ਪੁਰ ਪ੍ਰਮਾਤਮਾ ਅਰੂਮਾਨ ਨੂੰ ਅਸੀਸ ਦੇਵੇ.

 

ਮੀਰਾ ਯੋਗਵਤਿ ਗੁਰੂ ਕੀਨ੍ਹੋ। ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੋਲ ਖਤਰੀ ਰਾਜਵੰਸ਼ ਹੈ।

ਥਿੰਕੋ ਪ੍ਰਚਾਰ ਉਪਰਾ। ਤੁਸੀਂ ਹੰਝੂਆਂ ਨਾਲ ਕਿਵੇਂ ਨਿਪਟ ਸਕਦੇ ਹੋ||

 

|| ਦੋਹਾ||

ਰਵਿਦਾਸ ਇਸ ਤਰਾਂ, ਉਹ ਬੇਅੰਤ ਸੀ.

ਕੋਈ ਕਵੀ ਕਵੀ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ, ਕੋਈ ਇਸ ਨੂੰ ਪਾਰ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦਾ.

 

ਹਰਿਜਨ ਅਗਰ ਨਿਯਮ, ਸਿਮਰਨ, ਚਾਲੀਸਾ ਨਾਲ।

ਜਗਤਪਤੀ ਜਗਦੀਸ਼ਾ ਤੁਹਾਡੀ ਰੱਖਿਆ ਕਰੇਗੀ

CHALISA IN SANSKRIT

Sanskrit and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 

॥ दोहा ॥

बंदौं वीणा पाणि को, देहु आय मोहिं ज्ञान।

पाय बुद्धि रविदास को, करौं चरित्र बखान॥

 

मातु की महिमा अमित है, लिखि न सकत है दास।

ताते आयों शरण में, पुरवहु जन की आस॥

 

॥ चौपाई ॥

जै होवै रविदास तुम्हारी। कृपा करहु हरिजन हितकारी॥

राहू भक्त तुम्हारे ताता। कर्मा नाम तुम्हारी माता॥

 

काशी ढिंग माडुर स्थाना। वर्ण अछूत करत गुजराना॥

द्वादश वर्ष उम्र जब आई। तुम्हरे मन हरि भक्ति समाई॥

 

रामानन्द के शिष्य कहाये। पाय ज्ञान निज नाम बढ़ाये॥

शास्त्र तर्क काशी में कीन्हों। ज्ञानिन को उपदेश है दीन्हों॥

 

गंग मातु के भक्त अपारा। कौड़ी दीन्ह उनहिं उपहारा॥

पंडित जन ताको लै जाई। गंग मातु को दीन्ह चढ़ाई॥

 

हाथ पसारि लीन्ह चौगानी। भक्त की महिमा अमित बखानी॥

चकित भये पंडित काशी के। देखि चरित भव भय नाशी के॥

 

 

रल जटित कंगन तब दीन्हाँ । रविदास अधिकारी कीन्हाँ॥

पंडित दीजौ भक्त को मेरे। आदि जन्म के जो हैं चेरे॥

 

पहुँचे पंडित ढिग रविदासा। दै कंगन पुरइ अभिलाषा॥

तब रविदास कही यह बाता। दूसर कंगन लावहु ताता॥

 

पंडित जन तब कसम उठाई। दूसर दीन्ह न गंगा माई॥

तब रविदास ने वचन उचारे। पडित जन सब भये सुखारे॥

 

जो सर्वदा रहै मन चंगा। तौ घर बसति मातु है गंगा॥

हाथ कठौती में तब डारा। दूसर कंगन एक निकारा॥

 

चित संकोचित पंडित कीन्हें। अपने अपने मारग लीन्हें॥

तब से प्रचलित एक प्रसंगा। मन चंगा तो कठौती में गंगा॥

 

एक बार फिरि परयो झमेला। मिलि पंडितजन कीन्हों खेला॥

सालिग राम गंग उतरावै। सोई प्रबल भक्त कहलावै॥

 

सब जन गये गंग के तीरा। मूरति तैरावन बिच नीरा॥

डूब गईं सबकी मझधारा। सबके मन भयो दुःख अपारा॥

 

पत्थर मूर्ति रही उतराई। सुर नर मिलि जयकार मचाई॥

रह्यो नाम रविदास तुम्हारा। मच्यो नगर महँ हाहाकारा॥

 

चीरि देह तुम दुग्ध बहायो। जन्म जनेऊ आप दिखाओ॥

देखि चकित भये सब नर नारी। विद्वानन सुधि बिसरी सारी॥

 

ज्ञान तर्क कबिरा संग कीन्हों। चकित उनहुँ का तुम करि दीन्हों॥

गुरु गोरखहि दीन्ह उपदेशा। उन मान्यो तकि संत विशेषा॥

 

सदना पीर तर्क बहु कीन्हाँ। तुम ताको उपदेश है दीन्हाँ॥

मन महँ हार्योो सदन कसाई। जो दिल्ली में खबरि सुनाई॥

 

मुस्लिम धर्म की सुनि कुबड़ाई। लोधि सिकन्दर गयो गुस्साई॥

अपने गृह तब तुमहिं बुलावा। मुस्लिम होन हेतु समुझावा॥

 

मानी नाहिं तुम उसकी बानी। बंदीगृह काटी है रानी॥

कृष्ण दरश पाये रविदासा। सफल भई तुम्हरी सब आशा॥

 

 

ताले टूटि खुल्यो है कारा। माम सिकन्दर के तुम मारा॥

काशी पुर तुम कहँ पहुँचाई। दै प्रभुता अरुमान बड़ाई॥

 

मीरा योगावति गुरु कीन्हों। जिनको क्षत्रिय वंश प्रवीनो॥

तिनको दै उपदेश अपारा। कीन्हों भव से तुम निस्तारा॥

 

॥ दोहा ॥

ऐसे ही रविदास ने, कीन्हें चरित अपार।

कोई कवि गावै कितै, तहूं न पावै पार॥

 

नियम सहित हरिजन अगर, ध्यान धरै चालीसा।

ताकी रक्षा करेंगे, जगतपति जगदीशा॥

CHALISA IN SANTALI

Santali and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 

॥ दोहा ॥

बंदौं वीणा पाणि को, देहु आय मोहिं ज्ञान।

पाय बुद्धि रविदास को, करौं चरित्र बखान॥

 

मातु की महिमा अमित है, लिखि न सकत है दास।

ताते आयों शरण में, पुरवहु जन की आस॥

 

॥ चौपाई ॥

जै होवै रविदास तुम्हारी। कृपा करहु हरिजन हितकारी॥

राहू भक्त तुम्हारे ताता। कर्मा नाम तुम्हारी माता॥

 

काशी ढिंग माडुर स्थाना। वर्ण अछूत करत गुजराना॥

द्वादश वर्ष उम्र जब आई। तुम्हरे मन हरि भक्ति समाई॥

 

रामानन्द के शिष्य कहाये। पाय ज्ञान निज नाम बढ़ाये॥

शास्त्र तर्क काशी में कीन्हों। ज्ञानिन को उपदेश है दीन्हों॥

 

गंग मातु के भक्त अपारा। कौड़ी दीन्ह उनहिं उपहारा॥

पंडित जन ताको लै जाई। गंग मातु को दीन्ह चढ़ाई॥

 

हाथ पसारि लीन्ह चौगानी। भक्त की महिमा अमित बखानी॥

चकित भये पंडित काशी के। देखि चरित भव भय नाशी के॥

 

 

रल जटित कंगन तब दीन्हाँ । रविदास अधिकारी कीन्हाँ॥

पंडित दीजौ भक्त को मेरे। आदि जन्म के जो हैं चेरे॥

 

पहुँचे पंडित ढिग रविदासा। दै कंगन पुरइ अभिलाषा॥

तब रविदास कही यह बाता। दूसर कंगन लावहु ताता॥

 

पंडित जन तब कसम उठाई। दूसर दीन्ह न गंगा माई॥

तब रविदास ने वचन उचारे। पडित जन सब भये सुखारे॥

 

जो सर्वदा रहै मन चंगा। तौ घर बसति मातु है गंगा॥

हाथ कठौती में तब डारा। दूसर कंगन एक निकारा॥

 

चित संकोचित पंडित कीन्हें। अपने अपने मारग लीन्हें॥

तब से प्रचलित एक प्रसंगा। मन चंगा तो कठौती में गंगा॥

 

एक बार फिरि परयो झमेला। मिलि पंडितजन कीन्हों खेला॥

सालिग राम गंग उतरावै। सोई प्रबल भक्त कहलावै॥

 

सब जन गये गंग के तीरा। मूरति तैरावन बिच नीरा॥

डूब गईं सबकी मझधारा। सबके मन भयो दुःख अपारा॥

 

पत्थर मूर्ति रही उतराई। सुर नर मिलि जयकार मचाई॥

रह्यो नाम रविदास तुम्हारा। मच्यो नगर महँ हाहाकारा॥

 

चीरि देह तुम दुग्ध बहायो। जन्म जनेऊ आप दिखाओ॥

देखि चकित भये सब नर नारी। विद्वानन सुधि बिसरी सारी॥

 

ज्ञान तर्क कबिरा संग कीन्हों। चकित उनहुँ का तुम करि दीन्हों॥

गुरु गोरखहि दीन्ह उपदेशा। उन मान्यो तकि संत विशेषा॥

 

सदना पीर तर्क बहु कीन्हाँ। तुम ताको उपदेश है दीन्हाँ॥

मन महँ हार्योो सदन कसाई। जो दिल्ली में खबरि सुनाई॥

 

मुस्लिम धर्म की सुनि कुबड़ाई। लोधि सिकन्दर गयो गुस्साई॥

अपने गृह तब तुमहिं बुलावा। मुस्लिम होन हेतु समुझावा॥

 

मानी नाहिं तुम उसकी बानी। बंदीगृह काटी है रानी॥

कृष्ण दरश पाये रविदासा। सफल भई तुम्हरी सब आशा॥

 

 

ताले टूटि खुल्यो है कारा। माम सिकन्दर के तुम मारा॥

काशी पुर तुम कहँ पहुँचाई। दै प्रभुता अरुमान बड़ाई॥

 

मीरा योगावति गुरु कीन्हों। जिनको क्षत्रिय वंश प्रवीनो॥

तिनको दै उपदेश अपारा। कीन्हों भव से तुम निस्तारा॥

 

॥ दोहा ॥

ऐसे ही रविदास ने, कीन्हें चरित अपार।

कोई कवि गावै कितै, तहूं न पावै पार॥

 

नियम सहित हरिजन अगर, ध्यान धरै चालीसा।

ताकी रक्षा करेंगे, जगतपति जगदीशा॥

CHALISA IN SINDHI

Sindhi and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 

॥ दोहा ॥

बंदौं वीणा पाणि को, देहु आय मोहिं ज्ञान।

पाय बुद्धि रविदास को, करौं चरित्र बखान॥

 

मातु की महिमा अमित है, लिखि न सकत है दास।

ताते आयों शरण में, पुरवहु जन की आस॥

 

॥ चौपाई ॥

जै होवै रविदास तुम्हारी। कृपा करहु हरिजन हितकारी॥

राहू भक्त तुम्हारे ताता। कर्मा नाम तुम्हारी माता॥

 

काशी ढिंग माडुर स्थाना। वर्ण अछूत करत गुजराना॥

द्वादश वर्ष उम्र जब आई। तुम्हरे मन हरि भक्ति समाई॥

 

रामानन्द के शिष्य कहाये। पाय ज्ञान निज नाम बढ़ाये॥

शास्त्र तर्क काशी में कीन्हों। ज्ञानिन को उपदेश है दीन्हों॥

 

गंग मातु के भक्त अपारा। कौड़ी दीन्ह उनहिं उपहारा॥

पंडित जन ताको लै जाई। गंग मातु को दीन्ह चढ़ाई॥

 

हाथ पसारि लीन्ह चौगानी। भक्त की महिमा अमित बखानी॥

चकित भये पंडित काशी के। देखि चरित भव भय नाशी के॥

 

 

रल जटित कंगन तब दीन्हाँ । रविदास अधिकारी कीन्हाँ॥

पंडित दीजौ भक्त को मेरे। आदि जन्म के जो हैं चेरे॥

 

पहुँचे पंडित ढिग रविदासा। दै कंगन पुरइ अभिलाषा॥

तब रविदास कही यह बाता। दूसर कंगन लावहु ताता॥

 

पंडित जन तब कसम उठाई। दूसर दीन्ह न गंगा माई॥

तब रविदास ने वचन उचारे। पडित जन सब भये सुखारे॥

 

जो सर्वदा रहै मन चंगा। तौ घर बसति मातु है गंगा॥

हाथ कठौती में तब डारा। दूसर कंगन एक निकारा॥

 

चित संकोचित पंडित कीन्हें। अपने अपने मारग लीन्हें॥

तब से प्रचलित एक प्रसंगा। मन चंगा तो कठौती में गंगा॥

 

एक बार फिरि परयो झमेला। मिलि पंडितजन कीन्हों खेला॥

सालिग राम गंग उतरावै। सोई प्रबल भक्त कहलावै॥

 

सब जन गये गंग के तीरा। मूरति तैरावन बिच नीरा॥

डूब गईं सबकी मझधारा। सबके मन भयो दुःख अपारा॥

 

पत्थर मूर्ति रही उतराई। सुर नर मिलि जयकार मचाई॥

रह्यो नाम रविदास तुम्हारा। मच्यो नगर महँ हाहाकारा॥

 

चीरि देह तुम दुग्ध बहायो। जन्म जनेऊ आप दिखाओ॥

देखि चकित भये सब नर नारी। विद्वानन सुधि बिसरी सारी॥

 

ज्ञान तर्क कबिरा संग कीन्हों। चकित उनहुँ का तुम करि दीन्हों॥

गुरु गोरखहि दीन्ह उपदेशा। उन मान्यो तकि संत विशेषा॥

 

सदना पीर तर्क बहु कीन्हाँ। तुम ताको उपदेश है दीन्हाँ॥

मन महँ हार्योो सदन कसाई। जो दिल्ली में खबरि सुनाई॥

 

मुस्लिम धर्म की सुनि कुबड़ाई। लोधि सिकन्दर गयो गुस्साई॥

अपने गृह तब तुमहिं बुलावा। मुस्लिम होन हेतु समुझावा॥

 

मानी नाहिं तुम उसकी बानी। बंदीगृह काटी है रानी॥

कृष्ण दरश पाये रविदासा। सफल भई तुम्हरी सब आशा॥

 

 

ताले टूटि खुल्यो है कारा। माम सिकन्दर के तुम मारा॥

काशी पुर तुम कहँ पहुँचाई। दै प्रभुता अरुमान बड़ाई॥

 

मीरा योगावति गुरु कीन्हों। जिनको क्षत्रिय वंश प्रवीनो॥

तिनको दै उपदेश अपारा। कीन्हों भव से तुम निस्तारा॥

 

॥ दोहा ॥

ऐसे ही रविदास ने, कीन्हें चरित अपार।

कोई कवि गावै कितै, तहूं न पावै पार॥

 

नियम सहित हरिजन अगर, ध्यान धरै चालीसा।

ताकी रक्षा करेंगे, जगतपति जगदीशा॥

CHALISA IN TAMIL

|| தோஹா ||

பந்தவுன் வீணா பானி, தேஹு ஆயி மோஹின் கியான்.

நான் பேச வேண்டுமா, ரவிதாஸுக்கு உங்கள் மனதை செலுத்துங்கள்

 

மாத்துவின் மகிமை மகத்தானது, ஒரு அடிமை எழுத முடியாது.

தங்குமிடம் வரும் என்ற நம்பிக்கையில், முதியவரின் நம்பிக்கை

 

|| கட்டு ||

ஜெய் ஹோவ் ரவிடாஸ் உங்களுடையது. தயவுசெய்து ஹரிஜனை ​​ஆசீர்வதியுங்கள்.

ராகு பக்தர் உங்களுக்கு மிகவும் பிடித்தவர். கர்மா உங்கள் தாயின் பெயர்

 

காஷி திங் மதுர் இடம். தீண்டத்தகாதவர்கள் என்ற கடிதத்தை அனுப்பவும்

அவர் வந்தபோது இருபது வயது. ஹரே பக்தி உங்களை மூழ்கடித்து விடுகிறார்

 

ராமானந்தின் சீடர்கள் எங்கே. உங்கள் அறிவு உங்கள் பெயரை அதிகரிக்கட்டும்.

காஷியில் வேதங்கள் வாதிடுகின்றன. கயனின் உபதேசம் செய்கிறார்

 

அபரா, கும்பல் மாது பக்தர். க ri ரி தின் உன்ஹி உனஹாரா

பண்டிட் ஜான் டகோ லை ஜெய் கேங் மாதுவுக்கு இரவு உணவு

 

ஹத் பசாரி லீன் ச ug கனி பக்தர் அமித் பகானியின் மகிமை

பண்டிட் காஷியின் ஆச்சரியப்பட்ட சகோதரர். மரணத்தின் கொடூரங்களைக் கவனியுங்கள்.

 

பின்னர் வளையல் அலங்கரிக்கப்பட்டது. ரவிதாஸ் ஆதிகாரி

எனக்கு பண்டிட் டிஜோ பக்தர். அசல் பிறப்பைச் சேர்ந்தவர்கள்

 

பண்டிட் திக் ரவிடாசாவை அடைந்தார். காப்பு பூரி ஆசை

பின்னர் ரவிதாஸ் இதைச் சொன்னார் இரண்டாவது வளையல் லாஹு டைட்டா.

 

அப்போது பூசாரி சத்தியம் செய்தார். இரண்டாவது தின் நா கங்க மை॥

பின்னர் ரவிதாஸ் வாக்குறுதியை உச்சரித்தார். அன்புள்ள அனைவருக்கும் மகிழ்ச்சி

 

என்றென்றும் இருக்கும் மனம் குணமாகும் கங்கை உங்கள் வீடு.

பின்னர் கையில் பயம். மற்றொரு வளையல் ஒரு நிகரா is

 

சிட் பாஷ்ஃபுல் பண்டிதர்கள். உங்கள் சொந்த வழியில் செல்லுங்கள்

அப்போதிருந்து ஒரு பத்தியில். மனம் ஆரோக்கியமாக இருந்தால் எல்லாம் நன்றாக இருக்கும்.

 

மீண்டும் ஒரு குழப்பம் ஏற்பட்டது. மில்லி பண்டிட்ஜன் நடித்தார்

சலிக் ராம் கேங் உத்தரவாய். சோய் ஒரு தீவிர பக்தர்.

 

மக்கள் அனைவரும் கங்கா சென்றனர். மூர்த்தி ஸ்விம்வான் பிச் நீரா

அனைவரும் நீரில் மூழ்கினர். அனைவரின் துக்கத்திற்கும் அஞ்சுங்கள்

 

கல் சிலை இறங்கியது. சுர் ஆண் சூழல் உற்சாகப்படுத்தியது

உங்கள் பெயர் ரவிதாஸ் உங்களுடையது. மச்சியோ நகர் மஹா ஹாககர॥

 

சீரி உடல் நீங்கள் பால் பால். உங்கள் பிறப்பை எனக்குக் காட்டு

பாருங்கள், ஆண்கள் மற்றும் பெண்கள் அனைவரும் ஆச்சரியப்படுகிறார்கள். அறிவார்ந்த சுதி பிசாரி சேலை

 

அறிவு தர்க்கத்துடன் கபிரா அவர்களை ஆச்சரியப்படுத்தியது

குரு கோரகி தின் பிரசங்கம். குறிப்பாக பல புனிதர்கள்

 

சத்னா பிர் வாதம் பல நீங்கள் பிரசங்கிக்கிறீர்கள்

மனதின் இதயத்தில் புத்செர் ஹவுஸ். டெல்லியில் செய்தியைக் கேட்டவர்

 

முஸ்லீம் மதத்தின் சுன்னி கிளர்ச்சி. லோதி சிக்கந்தர் கயோ கோபம்

பின்னர் உங்கள் வீட்டில் உங்களை அழைக்கவும். ஒரு முஸ்லீமாக மாறிய சமாஜ்வா

 

நான் உங்களுடன் உடன்படுகிறேன். சிறைச்சாலை அறுவடை செய்யப்படுகிறது

ரவிதாச கிருஷ்ணரைக் காண்கிறார். நீங்கள் அனைவரும் வெற்றி பெறுவீர்கள் என்று நம்புகிறேன்

 

பூட்டுகள் திறந்திருக்கும் மாம் சிக்கந்தர் கே தும் மாரா

காஷி புரை எங்கே வந்தீர்கள் கடவுள் அருமானை ஆசீர்வதிப்பார்.

 

மீரா யோகாவதி குரு கீன்ஹோ. க்ஷத்திரிய வம்சத்தைக் கொண்டவர்கள்.

திங்கோ அபாரா பிரசங்கம். கண்ணீருடன் நீங்கள் எவ்வாறு குடியேற முடியும்||

 

|| தோஹா ||

இப்படி ரவிதாஸ், அவர் அபரிமிதமானவர்.

எந்தக் கவிஞரும் கவிஞர் அல்ல, அதை யாராலும் கடக்க முடியாது.

 

விதிகள், தியானம், சாலிசாவுடன் ஹரிஜன் அகர்.

ஜகதபதி ஜகதீஷா உங்களைப் பாதுகாக்கும்

CHALISA IN TELUGU

|| దోహా ||

బండౌన్ వీణ పాణి, దేహు ఆయ్ మోహిన్ జ్ఞాన్.

నేను మాట్లాడాలంటే రవిదాస్‌కు మీ మనస్సు చెల్లించండి

 

మాతు కీర్తి అపారమైనది, బానిస రాయలేడు.

ఆశ్రయానికి వస్తారనే ఆశతో, వృద్ధుడి ఆశ

 

 

 

 

|| బౌండ్ ||

జై హోవే రవిదాస్ యువర్స్. దయచేసి హరిజన్‌ను ఆశీర్వదించండి.

రాహు భక్తుడు మీకు ఇష్టమైనది. కర్మ మీ తల్లి పేరు

 

కాశీ ధింగ్ మదూర్ స్థలం. అంటరానివారికి లేఖ పంపండి

అతను వచ్చినప్పుడు ఇరవై సంవత్సరాలు. హరే భక్తి మిమ్మల్ని చుట్టుముడుతుంది

 

రామానంద్ శిష్యులు ఎక్కడ ఉన్నారు. మీ జ్ఞానం మీ పేరును పెంచుకుందాం.

కాశీలో లేఖనాలు వాదించాయి. జ్ఞానిన్ బోధిస్తాడు

 

అపారా, గ్యాంగ్ మాతు భక్తుడు. కౌరి దిన్హ్ ఉన్హి ఉనహారా

పండిట్ జాన్ టాకో లై జై గ్యాంగ్ మాతుకు విందు

 

హాత్ పసరి లీన్ చౌగాని భక్తుడు అమిత్ బఖానీ కీర్తి

ఆశ్చర్యపోయిన సోదరుడు పండిట్ కాశీ. మరణం యొక్క భయానక పరిస్థితులను చూసుకోండి.

 

అప్పుడు బ్రాస్లెట్ అలంకరించబడింది. రవిదాస్ అధికారి

పండిట్ డిజౌ నాకు భక్తుడు. అసలు పుట్టుకకు చెందిన వారు

 

 

 

పండిట్ ధిగ్ రవిదాస చేరుకున్నారు. బ్రాస్లెట్ పూరి కోరిక

అప్పుడు రవిదాస్ ఈ విషయం చెప్పాడు రెండవ బ్రాస్లెట్ లాహు టైటా.

 

అప్పుడు పూజారి ప్రమాణం చేశాడు. రెండవ దిన్ నా గంగా మై

అప్పుడు రవిదాస్ వాగ్దానం చేశాడు. ప్రియమైన ప్రజలందరికీ ఆనందం ఉంది

 

ఎప్పటికీ మిగిలిపోయిన మనస్సు నయం అవుతుంది గంగా మీ ఇల్లు.

అప్పుడు చేతిలో భయపడండి. మరొక బ్రాస్లెట్ నికారా is

 

చిట్ బాష్ఫుల్ పండితులు. మీ స్వంత మార్గంలో వెళ్ళండి

అప్పటి నుండి ఒక మార్గం. మనస్సు ఆరోగ్యంగా ఉంటే అంతా బాగానే ఉంటుంది.

 

మరోసారి గందరగోళం ఏర్పడింది. మిల్లీ పండిట్జన్ ఆడారు

సాలిగ్ రామ్ గ్యాంగ్ ఉత్తరావై. సోయి గొప్ప భక్తుడు.

 

ప్రజలందరూ గంగా వెళ్ళారు. మూర్తి స్విమ్వాన్ బిచ్ నీరా

అందరూ మునిగిపోయారు. అందరి దు .ఖానికి భయపడండి

 

రాతి విగ్రహం దిగింది. సుర్ మగ పరిసరాలు ఉత్సాహంగా ఉన్నాయి

మీ పేరు రవిదాస్ మీదే. మాచియో నగర్ మహా హాహకర

 

చీరి బాడీ యు మిల్క్ మిల్క్. మీ పుట్టుకను నాకు చూపించు

చూడండి, పురుషులు మరియు మహిళలు అందరూ ఆశ్చర్యపోతున్నారు. పండితుల సుధీ బిసారీ చీర

 

జ్ఞాన తర్కంతో కబీరా వారిని ఆశ్చర్యపరిచింది

గురు గోరఖి దిన్ బోధించారు. ముఖ్యంగా చాలా మంది సాధువులు

 

సద్నా పిర్ ఆర్గ్యుమెంట్ బహుళ మీరు బోధించారు

మనస్సు యొక్క గుండెలో బుట్చేర్ హౌస్. .ిల్లీలో ఈ వార్త ఎవరు విన్నారు

 

ముస్లిం మతం యొక్క సున్నీ తిరుగుబాటు. లోధి సికందర్ గాయో యాంగ్రీ

అప్పుడు మీ ఇంటికి కాల్ చేయండి. ముస్లిం అయినందుకు సమాజ్వా

 

నేను మీతో అంగీకరిస్తున్నాను. జైలును రాణి కోస్తారు

రవిదాస కృష్ణుడిని కనుగొంటాడు. మీరందరూ విజయం సాధిస్తారని ఆశిస్తున్నాను

 

తాళాలు తెరిచి ఉన్నాయి మామ్ సికందర్ కే తుమ్ మారా

మీరు కాశీ పుర్‌కు ఎక్కడికి చేరుకున్నారు దేవుడు అరుమన్‌ను ఆశీర్వదిస్తాడు.

 

మీరా యోగవతి గురు కీన్హో. క్షత్రియ రాజవంశం ఉన్నవారు.

థింకో అపారా బోధించండి. మీరు కన్నీళ్లతో ఎలా స్థిరపడగలరు||

 

|| దోహా||

ఇలా రవిదాస్, అతను అపారంగా ఉన్నాడు.

ఏ కవి కవి కాదు, దాన్ని ఎవరూ దాటలేరు.

 

నియమాలు, ధ్యానం, చలిసాతో హరిజన్ అగర్.

జగపతి జగదీషా మిమ్మల్ని రక్షిస్తుంది

CHALISA IN URDU

|| دوحہ۔ ||

بندون وینا پانی ، دیہو آئے موہن گیان۔

اپنا خیال رویداس کو ادا کرو ، کیا میں بولوں

 

متو کی شان بے حد ہے ، بندہ نہیں لکھ سکتا۔

پناہ میں آنے کی امید میں ، بوڑھے کی امید

 

|| پابند ||

جئے ہو رویداس تمہارا۔ برائے مہربانی ہریجان کو برکت دیں۔

راہو بھکت آپ کا پسندیدہ ہے۔ کرما اپنی ماں کا نام

 

کاشی ڈھنگ مدور جگہ۔ خط اچھوت پاس کریں

جب وہ آیا تو بیس سال کا تھا۔ ہر بھکتی آپ کو گھیر لیتی ہے

 

رامانند کے شاگرد کہاں ہیں؟ آپ کے علم سے آپ کا نام بڑھ جائے۔

صحیفہ کاشی میں بحث کرتے ہیں۔ گیانین تبلیغ کرتا ہے

 

اپارا ، گینگ متو کا عقیدت مند۔ کوری ڈنہ انھی اناہارہ۔

پنڈت جان تکو لائ جئے رات کا کھانا گینگ ماتو کو

 

ہت پساری لینھ چوگانی عقیدت مند امیت بخانی کی شان

پنڈت کاشی کا حیرت زدہ بھائی۔ موت کی ہولناکیوں کے بعد دیکھو۔

 

تب کڑا سجایا گیا تھا۔ رویداس ادھیکاری

پنڈت ڈیجو مجھ سے عقیدت مند۔ جو اصل پیدائش سے تعلق رکھتے ہیں

 

پنڈت دِگ رویداسا پہنچا۔ کڑا پوری خواہش۔

تب رویداس نے یہ کہا دوسرا کڑا لاوہ تائٹا ہے۔

 

پادری نے پھر قسم کھائی۔ دوسرا دن نہ گنگا مائی۔

تب رویداس نے وعدہ سنادیا۔ تمام عزیز لوگوں کو خوشی ہے

 

وہ دماغ جو ہمیشہ کے لئے ٹھیک رہتا ہے گنگا آپ کا گھر ہے۔

پھر ہاتھ میں ڈراؤ۔ ایک اور کڑا نکارا ہے۔

 

چٹ بے چین پنڈت۔ اپنا راستہ اپنائیں

اس کے بعد سے ایک گزر اگر دماغ صحت مند ہے تو سب کچھ ٹھیک ہے۔

 

ایک بار پھر گڑبڑ ہوئی۔ ملی پنڈتجن نے کھیلا

سالگ رام گینگ اتراوائی۔ سوئی ایک پرجوش عقیدت مند ہے۔

 

 

سب لوگ گنگا گئے۔ مورتی تیراوان بیچ نیرا۔

سب ڈوب گئے۔ سب کے غم سے ڈرو

 

پتھر کا بت اتارا۔ سور مرد ملی

آپ کا نام رویداس آپ کا ہے۔ ماچیو نگر مہا ہاکارہ۔

 

چیری جسم آپ دودھ کا دودھ۔ اپنی پیدائش مجھے دکھاؤ

دیکھو ، تمام مرد اور خواتین حیران ہیں۔ علمی طور پر سدھی بیساری ساڑی۔

 

علم منطق کے ساتھ کبیرہ حیرت زدہ

گرو گورکھھی دینہ تبلیغ کرتے ہوئے۔ خاص طور پر بہت سارے اولیاء

 

سدنا پیر دلیل ایک سے زیادہ آپ تبلیغ کررہے ہیں

دماغ کے دل میں کسائ ہاؤس. جس نے دہلی میں خبر سنی

 

مسلم مذہب کی سنی بغاوت۔ لودھی سکندر گیو ناراض۔

پھر آپ کو اپنے گھر پر بلاؤ۔ مسلمان ہونے کا سماجوہ

 

مجھے تم سے ااتفاق ہے. قید خانے کی رانی ہے

رویداسا نے کرشنا کو پایا۔ امید ہے کہ آپ سب کامیاب ہوں گے

 

تالے توڑے ہوئے ہیں میم سکندر کے تم مارا

آپ کاشی پور کہاں پہنچے؟ خدا کرے ارومان کو سلامت رکھے۔

 

میرا یوگاوتی گرو کینو۔ جن کے پاس کشتریہ خاندان ہے۔

تھنکو تبلیغ اپارا۔ آپ آنسوں سے کیسے بسر کر سکتے ہیں؟

 

|| دوحہ۔ ||

رویداس اس طرح ، وہ بہت تھا۔

کوئی شاعر شاعر نہیں ہوتا ، کوئی اسے عبور نہیں کرسکتا۔

 

قواعد ، مراقبہ ، چالیسہ کے ساتھ ہریجن آگر۔

جگت پتی جگدیشا آپ کی حفاظت کرے گی

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