VISHNU JI CHALISA IN ALL LANGUAGES

CHALISA IN ASSAMESE

|| দোহা ||

সেৱকৰ ছবি বিষ্ণু বিনয়ৰ কথা শুনক।

কিবা বৰ্ণনা কৰক, দিজাই জ্ঞান কওঁক।

 

॥ চৌপাই ||

নমো বিষ্ণু ভগৱান খাৰাৰী। বিপদৰ ঔষধ সকলো বিহাৰী|

এক শক্তিশালী পৃথিৱীত আপোনাৰ শক্তি আছে। ত্ৰিভুৱনে উজিয়াৰী || বিয়পি আছে

 

সুন্দৰ ৰূপ মনোহৰ চুৰাট। সৰল প্ৰকৃতি মুনি আইডল|

শৰীৰৰ পিতামবাৰ। বৈজান্তি মালা মন মোহনত ||

 

গদা বিৰাজেৰ দ্বাৰা শংখ চক্ৰ। দানৱ অসুৰ দল ভজ চাওক।

প্ৰকৃত ধৰ্ম বস্তুটো লোভ নকৰিব। কামৰ খং বস্তুপ্ৰলোভিত নহয়।

 

সন্ত ভকতা সজ্জন মনৰঞ্জন। দানউজ অসুৰ দুষ্টন দল গঞ্জন ||

সুখ সকলো ভাঙি আছে। ভদ্ৰলোকৰ লোকসকলক দোষাৰোপ কৰক।

 

আপুনি পাপে কাটি চিঁচা লওঁক। ভক্তসকলৰ কষ্ট।

প্ৰভুৱে বহুতো ৰূপ ধাৰণ কৰে। কেৱল আপোনাৰ ভক্তিৰ বাবে।

 

 

ধননি ধেনু আপোনাক বুলি কোৱা হৈছিল। তাৰ পিছত আপুনি ৰামৰ স্ট্ৰিম গঠন কৰে।

লোড-আপবোৰে অসুৰ ডালত আঘাত কৰিছিল। ৰাৱণৰ আদিকে আছিল সংহাৰা।

 

আপুনি ভাৰাহ ৰূপ সৃষ্টি কৰিছে। হিৰ্যক্ষে গুলীয়াই হত্যা কৰিছিল।

ধাৰ মাছ ৰং ইণ্ডাচ তৈয়াৰ কৰা হৈছে। চৌদ্দ টা ৰতনা উলিয়াই ছিল।

 

তেওঁ এটা আমন্ত্ৰণ হীনতা কৰিছিল। আপুনি দেখুৱাইছিল।

দিভানক অমৃত দিয়া হৈছিল। তেওঁ দি চয়লছক প্ৰতাৰিত কৰিছিল।

 

কঁপটোৱে ধৰ সিন্ধু মাধায়া গঠন কৰে। মাণ্ডৰাচাল গিৰিয়ে সোনকালে তুলি ল’লে।

আপুনি শংকৰৰ নাক টো কাঢ়ি ছে। ভাস্মাসুৰে ৰূপটো দেখুৱাইছিল।

 

যেতিয়া কষ্ট টো নিমজ্জিত হয়। কৰ ব্যৱস্থাপনাই তেওঁলোকক বিচাৰি পাইছিল।

মুগ্ধ। সেই কৰৰ দ্বাৰা গ্ৰহণ কৰা।

 

অসুৰ জলন্ধৰ অভাৰ-বাল্ডাই। সেই কাণবোৰে শংকৰৰ সৈতে যুদ্ধ কৰে।

পৰাজয়ে শিৱ গ্ৰোচ অতিক্ৰম কৰিছিল। কেন সতিৰ কৌশল।

 

সুমিৰণ কনান তুমি শিৱৰাণী। সকলো কাহিনী কওঁক।

তাৰ পিছত আপুনি মুনিেশ্বৰ জ্ঞানী হৈ পৰিছিল। বৃন্দাৰ সকলো সুৰটি পাহৰি যাওক।

 

 

তিনিটা ডানজ চয়তানিক চাওক। বৃন্দা উপাৰ্জন আপুনি আৰেতানি ||।

ধৰ্মৰ ক্ষতি স্পৰ্শ কৰিব। হনা অসুৰ তোমালোকৰ শিৱ চেটানিক|

 

আপুনি এইটো কৰিবলৈ সক্ষম হৈছে। হিংৰাকুশ আদিক খালক হত্যা কৰা হৈছিল।

গণিকা আৰু আজমিল তাৰকা। আপুনি অতি ভক্ত হওঁক আৰু ইস্ত্ৰীসকলে অৱতৰণ কৰিছিল।

 

হৰহু সকাল যন্ত্ৰনা আমাৰ। অনুগ্ৰহ কৰি হৰি চিৰজান হেৰোঁ।

মই আপোনাক ব্যক্তিগত ধৰণে দেখিছো। দীন বান্ধু ভকতান হিটকাৰে|

 

আপোনাৰ সেৱক দৰ্শন। কৰহু দয়া তেওঁৰ মধুসূদান।

যোগ্য জপ পুজন নাজানে। হোয়া যগনা প্ৰশংসা অনুমোদন|

 

নগৰীয় সন্তুষ্টি সুস্থতা। জনা নাযায়, একবচন।

আপোনাৰ আইনৰ উপাসনা কি|| কুমাটি বিভিলতক হোতে সাদি।

 

উপাসনাৰ নিয়ম কোন|| মই কাক আত্মসমৰ্পণ কৰিম||

সুৰ মুনি কৰত সদায় চিভকাই। আনন্দময় ৰাহাত চূড়ান্ত গতি পাইছিল।

 

সদায় লাহে লাহে দুখিন। ব্যক্তিগত জান জান লেভগ্ৰহণ কৰিছিল।

পাত্ৰৰ ত্ৰুটিবোৰ নিচা কৰা হয়। আপুনি বন্ধনৰ পৰা মুক্ত হওক।

 

 

সম্পত্তিক সুখ দিয়ক। বিশেষ চৰণনৰ দাস বনক।

নিগমে সদায় এই বিনয় শুনি ছে। সুনাই পঢ়ক গতিকে জন সুখ পাৱাই।

CHALISA IN BENGALI

|| দোহা ||

বিষ্ণু বিনয়ের কথা শুনুন, ভৃত্যের মন।

আমাকে কিছু বলুন, জ্ঞান বলুন।

 

|| বাউন্ড ||

নমো বিষ্ণু ভগবান খারি। কাশা নাশওয়ান আখিল বিহারী ||

প্রভাবশালী বিশ্বে আপনার শক্তি। ত্রিভুবন শক্তি ছড়ায়

 

মনোহর সুরত সুন্দর রূপ। সরল প্রকৃতি মোহিনী মুরাত

এতটুকু শরীরে পিতাম্বর। বিজন্তি মালা মন মোহাত।

 

শঙ্খচক্র সংযুক্ত করুন। দানব রাক্ষস দল ভজা দেখুন

সত্য ধর্ম প্রলোভিত করা উচিত নয়। কাম ক্রোধ আইটেম লোভ না ছাজে

 

সাধু ভদ্রলোক মনরঞ্জন। দানুজ অসুর বিকরণ ডাল গঞ্জন

সুখ দুঃখের কারণ এবং সবকিছু ভেঙে যায়। জান সজ্জন, দোষ দূর করতে

 

 

আপনি পাপ কাটাতে পারেন, সিন্ধু উটুন। ভক্তদের ধ্বংস করতে সমস্যা

শ্বর অনেক রূপ ধারণ করে। শুধুমাত্র আপনার ভক্তি কারণেই

 

 

ধরনি ধেনু তোমাকে ডেকে আনে। তারপরে আপনি রামের স্রোত গঠন করেন।

অসুর দলটি নামিয়ে আনল। রাবণ আদিক কো সমহরা।

 

আপনি ভারাহ রূপ তৈরি করেছেন। হিরণ্যাক্ষ গুলি করে হত্যা করলেন।

ধর মাতস তান সিন্ধু তৈরি হয়েছিল। চৌদ্দ বেত সরিয়েছে।

 

অমিলখ আসুরান দ্বন্দ্ব তৈরি করেছিলেন। রূপ মোহানী তোমাকে দেখিয়েছে।

দেওয়ান অমৃত পান করলেন। ছবিটি দেখে আশুরান প্রলুব্ধ হয়েছিল।

 

সিন্ধু কোম ফর্মকে উজ্জীবিত করেছিল। ম্যান্ড্রচল গিরি ততক্ষণে তুলে নিল।

শঙ্কর তোমাকে মুক্তি দিয়েছে। তিনি ভাসমাসুরকে রূপটি দেখিয়েছিলেন।

 

অসুর যখন বেদকে ডুবে গেল। ট্যাক্স ম্যানেজমেন্ট সেগুলি করিয়েছে।

শুরু করলেন মুগ্ধ ও নাচে। একই কর সহ এটি গ্রহণ করুন।

 

অসুর জলন্ধর খুব শক্ত। শঙ্করের সাথে সেই ছোট লড়াই

শিব পরাজয়ের বাইরেও সাকলকে তৈরি করেছিলেন। কিয়ন সতী প্রতারিত হয়েছিল

 

 

সুমিরান কেইন শিবরানি তোমাকে। বাতালাই সব বিপাট কাহানী

তারপরে আপনি মুনিস্বর জ্ঞানী হয়ে উঠলেন। বৃন্দার সমস্ত সৌন্দর্য ভুলে যায়

 

তিনটি দানুজ শয়তানকে দেখুন। বৃন্দা আয়ে লাপানী

হো স্পর্শ ধর্মের ক্ষতি অনুভূত। হান্না অসুর ও শিব দেবীলিশ।

 

তুমি সিদ্ধ করে ধ্রু প্রহ্লাদ। হিরণাকুশ আদিক খল কারে।

গণেশ ও আজমিল তারকারা। আপনি খুব ভক্ত সিন্ধু হতে পারেন

 

হারুহ আমাদের স্থূল দুর্দশা। দয়া করে আমার হরি সিরজনকে হারাবেন।

দেখুন, আমি আমার নিজস্ব সংস্থায় আছি। দ্বীন বান্ধু ভক্ত দয়ালু

 

আপনার দাস দর্শন চ্যাট করুন। করহু দয়ায় অপনী মধুসূদন।

আমি নামাজ পড়ার উপযুক্ত জানি না। হোয়া যজ্ঞ প্রশংসার অনুমোদন।

 

শীলদা সন্তোষ সোধন জানা নেই, উপবাস কল্পিত।

আমি কি আপনার বিধি পূজা করা উচিত|| কুমতি বিলোকে হো দুঃখ করুণ।

 

কাকে বৈধ করা উচিত|| আমি কার মতো আত্মসমর্পণ করব||

সুর ​​মুনি করাত সর্বদা শিবকই। আনন্দ চূড়ান্ত গতি।

 

সর্বদা দীন দুখিনের সাথে বন্ধুত্ব করা। তার নিজের জীবন অনুসরণ করে।

পাপ ও পাপ পান করুন। আমাকে দাসত্ব থেকে মুক্ত করুন।

 

ভাল সম্পদ দিয়ে সুখ উত্পাদন করুন। তোমার রথের দাস বানিয়ে দাও।

কর্পোরেশন সর্বদা বিনয় সুনাওয়াই। পড়ুন, শুনুন, তাই সুখ আছে

CHALISA IN BODO

Bodo and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा ॥

विष्णु सुनिए विनय, सेवक की चितलाय।

कीरत कुछ वर्णन करूँ, दीजै ज्ञान बताय॥

 

॥ चौपाई ॥

नमो विष्णु भगवान खरारी। कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी। त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥

 

सुन्दर रूप मनोहर सूरत। सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥

तन पर पीताम्बर अति सोहत। बैजन्ती माला मन मोहत॥

 

शंख चक्र कर गदा बिराजे। देखत दैत्य असुर दल भाजे॥

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे। काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥

 

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन। दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन। दोष मिटाय करत जन सज्जन॥

 

पाप काट भव सिन्धु उतारण। कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥

करत अनेक रूप प्रभु धारण। केवल आप भक्ति के कारण॥

 

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा। तब तुम रूप राम का धारा॥

भार उतार असुर दल मारा। रावण आदिक को संहारा॥

 

आप वाराह रूप बनाया। हिरण्याक्ष को मार गिराया॥

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया। चौदह रतनन को निकलाया॥

 

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया। रूप मोहनी आप दिखाया॥

देवन को अमृत पान कराया। असुरन को छबि से बहलाया॥

 

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया। मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया॥

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया। भस्मासुर को रूप दिखाया॥

 

वेदन को जब असुर डुबाया। कर प्रबन्ध उन्हें ढुँढवाया॥

मोहित बनकर खलहि नचाया। उसही कर से भस्म कराया॥

 

असुर जलंधर अति बलदाई। शंकर से उन कीन्ह लड़ाई॥

हार पार शिव सकल बनाई। कीन सती से छल खल जाई॥

 

 

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी। बतलाई सब विपत कहानी॥

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी। वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥

 

देखत तीन दनुज शैतानी। वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी। हना असुर उर शिव शैतानी॥

 

तुमने धुरू प्रहलाद उबारे। हिरणाकुश आदिक खल मारे॥

गणिका और अजामिल तारे। बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥

 

हरहु सकल संताप हमारे। कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥

देखहुँ मैं निज दरश तुम्हारे। दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥

 

चहत आपका सेवक दर्शन। करहु दया अपनी मधुसूदन॥

जानूं नहीं योग्य जप पूजन। होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥

 

शीलदया सन्तोष सुलक्षण। विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥

करहुँ आपका किस विधि पूजन। कुमति विलोक होत दुख भीषण॥

 

करहुँ प्रणाम कौन विधिसुमिरण। कौन भांति मैं करहुँ समर्पण॥

सुर मुनि करत सदा सिवकाई। हर्षित रहत परम गति पाई॥

 

दीन दुखिन पर सदा सहाई। निज जन जान लेव अपनाई॥

पाप दोष संताप नशाओ। भव बन्धन से मुक्त कराओ॥

 

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ। निज चरनन का दास बनाओ॥

निगम सदा ये विनय सुनावै। पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥

CHALISA IN DOGRI

Dogri and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा ॥

विष्णु सुनिए विनय, सेवक की चितलाय।

कीरत कुछ वर्णन करूँ, दीजै ज्ञान बताय॥

 

॥ चौपाई ॥

नमो विष्णु भगवान खरारी। कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी। त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥

 

सुन्दर रूप मनोहर सूरत। सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥

तन पर पीताम्बर अति सोहत। बैजन्ती माला मन मोहत॥

 

शंख चक्र कर गदा बिराजे। देखत दैत्य असुर दल भाजे॥

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे। काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥

 

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन। दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन। दोष मिटाय करत जन सज्जन॥

 

पाप काट भव सिन्धु उतारण। कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥

करत अनेक रूप प्रभु धारण। केवल आप भक्ति के कारण॥

 

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा। तब तुम रूप राम का धारा॥

भार उतार असुर दल मारा। रावण आदिक को संहारा॥

 

आप वाराह रूप बनाया। हिरण्याक्ष को मार गिराया॥

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया। चौदह रतनन को निकलाया॥

 

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया। रूप मोहनी आप दिखाया॥

देवन को अमृत पान कराया। असुरन को छबि से बहलाया॥

 

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया। मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया॥

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया। भस्मासुर को रूप दिखाया॥

 

वेदन को जब असुर डुबाया। कर प्रबन्ध उन्हें ढुँढवाया॥

मोहित बनकर खलहि नचाया। उसही कर से भस्म कराया॥

 

असुर जलंधर अति बलदाई। शंकर से उन कीन्ह लड़ाई॥

हार पार शिव सकल बनाई। कीन सती से छल खल जाई॥

 

 

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी। बतलाई सब विपत कहानी॥

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी। वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥

 

देखत तीन दनुज शैतानी। वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी। हना असुर उर शिव शैतानी॥

 

तुमने धुरू प्रहलाद उबारे। हिरणाकुश आदिक खल मारे॥

गणिका और अजामिल तारे। बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥

 

हरहु सकल संताप हमारे। कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥

देखहुँ मैं निज दरश तुम्हारे। दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥

 

चहत आपका सेवक दर्शन। करहु दया अपनी मधुसूदन॥

जानूं नहीं योग्य जप पूजन। होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥

 

शीलदया सन्तोष सुलक्षण। विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥

करहुँ आपका किस विधि पूजन। कुमति विलोक होत दुख भीषण॥

 

करहुँ प्रणाम कौन विधिसुमिरण। कौन भांति मैं करहुँ समर्पण॥

सुर मुनि करत सदा सिवकाई। हर्षित रहत परम गति पाई॥

 

दीन दुखिन पर सदा सहाई। निज जन जान लेव अपनाई॥

पाप दोष संताप नशाओ। भव बन्धन से मुक्त कराओ॥

 

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ। निज चरनन का दास बनाओ॥

निगम सदा ये विनय सुनावै। पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥

CHALISA IN ENGLISH

॥ Doha ॥

Vishnu Suniye Vinaya, Sevaka Ki Chitalaya।

Kirata Kuchha Varnana Karu, Dijai Gyana Bataya॥

 

॥ Chaupai ॥

Namo Vishnu Bhagawana Kharari। Kashta Nashavana Akhila Bihari॥

Prabala Jagata Mein Shakti Tumhari। Tribhuvana Phaila Rahi Ujiyari॥

 

Sundara Rupa Manohara Surata। Sarala Svabhava Mohini Murata॥

Tana Para Pitambara Ati Sohata। Baijanti Mala Mana Mohata॥

 

Shankha Chakra Kara Gada Biraje। Dekhata Detaye Asura Dala Bhaje॥

Satya Dharma Mada Lobha Na Gaje। Kama Krodha Mada Lobha Na Chhaje॥

Santabhakta Sajjana Manaranjana। Danuja Asura Dushtana Dala Ganjana॥

Sukha Upjaye Kashta Saba Bhanjana। Dhosha Mitaye Karata Jana Sajjana॥

 

Papa Kata Bhava Sindhu Utarana। Kashta Nashkara Bhakata Ubarana॥

Karata Aneka Rupa Prabhu Dharana। Kevala Apa Bhakti Ke Karana॥

 

Dharani Dhenu Bana Tumhi Pukara। Taba Tuma Rupa Rama Ka Dhara॥

Bhara Utara Asura Dala Mara। Ravana Adika Ko Samhara॥

 

Apa Varaha Rupa Banaya। Hiranyaksha Ko Mara Giraya॥

Dhara Matsya Tana Sindhu Banaya। Chaudaha Ratanana Ko Nikalaya॥

 

Amilakha Asurana Dwanda Machaya। Rupa Mohini Apa Dikhaya॥

Devana Ko Amrita Pana Karaya। Asurana Ko Chhabi Se Bahalaya॥

 

Kurma Rupa Dhara Sindhu Majhaya। Mandrachala Giri Turata Uthaya॥

Shankara Ka Tuma Phanda Chudaya। Bhasmasura Ko Rupa Dikhaya॥

 

Vedana Ko Jaba Asura Dubaya। Kara Prabandha Unhe Dhundhawaya॥

Mohita Bankara Khalahi Nachaya। Usahi Kara Se Bhasma Karaya॥

 

Asura Jalandhara Ati Baladayi। Shankara Se Una Kinha Ladayi॥

Hara Para Shiva Sakala Banaye। Kina Sati Se Chala Khala Jayi॥

 

Sumirana Kina Tumhe Shivarani। Batalayi Saba Vipata Kahani॥

Taba Tuma Bane Munishwara Gyani। Vrinda Ki Saba Surati Bhulani॥

 

Dekhata Tina Danuja Shaitani। Vrinda Aya Tumhein Laptani॥

Ho Sparsha Dharma Kshati Mani। Hana Asura Ura Shiva Shaitani॥

 

Tumane Dhruru Prahalada Ubare। Hiranakusha Adika Khala Mare॥

Ganika Aur Ajamila Tare। Bahuta Bhakta Bhava Sindhu Utare॥

 

Harahu Sakala Santapa Hamare। Kripa Karahu Kari Sirajana Hare॥

Dekhahun Main Nija Darasha Tumhare। Dina Bandhu Bhaktana Hitkare॥

 

Chahata Apka Sevaka Darshana। Karahu Daya Apni Madhusudana॥

Janu Nahi Yogya Japa Pujana। Hoye Yajna Shtuti Anumodana॥

 

 

Shiladaya Santosha Sulakshana। Vidita Nahi Vratabodha Vilakshana॥

Karahu Apka Kisa Vidhi Pujana। Kumati Viloka Hota Dukha Bhishana॥

 

Karahu Pranama Kauna Vidhisumirana। Kauna Bhanti Main Karahu Samarpana॥

Sura Muni Karata Sada Sivakai। Harshita Rahata Parama Gati Payi॥

 

Dina Dukhina Para Sada Sahai। Nija Jana Jana Leva Apanayi॥

Papa Dosha Santapa Nashao। Bhava Bandhana Se Mukta Karao॥

 

Suta Sampati De Sukha Upjao। Nija Charanana Ka Dasa Banao॥

Nigama Sada Ye Vinaya Sunavai। Padhae Sunae So Jan Sukh Pave ||

CHALISA IN GUJRATI

|| દોહા ||

વિષ્ણુ વિનય, સેવકનું મન સાંભળો.

મને કંઈક કહો, મને શાણપણ કહો.

 

|| બાઉન્ડ ||

નમો વિષ્ણુ ભગવાન ઉરી. કાશા નશવાન અખિલ બિહારી ||

પ્રબળ વિશ્વમાં તમારી તાકાત. ત્રિભુવન શક્તિ ફેલાવતો

 

સુંદર રૂપ મનોહર સુરત. સરળ સ્વભાવ મોહિની મુરત

શરીર ઉપર એટલું બધું પીતામ્બર. બિજંતિ માલા મન મોહત ||

 

શંખ ચક્રને જોડો. રાક્ષસ રાક્ષસ પક્ષ ભજા જુઓ

સત્ય ધર્મની લાલચ ન હોવી જોઈએ. કામ ક્રોધ વસ્તુ લોભ ના છજે

 

સંત સજ્જન મનરંજન. દનુજ અસુર વિક્રન દાળ ગંજન

સુખ દુ ખનું કારણ છે અને બધું તૂટી ગયું છે. જન સજ્જન, દોષ દૂર કરવા

 

તમે પાપ પાક, સિંધુ  શકે છે. ભક્તોનો નાશ કરવામાં મુશ્કેલી

ભગવાન ઘણા સ્વરૂપો ધરાવે છે. ફક્ત તમારી ભક્તિને કારણે

 

 

ધરણી ેનુ તમને બોલાવાયો. પછી તમે રામના પ્રવાહની રચના કરો.

અસુર ટીમને ઉતારી. રાવણ આદિક કો સમહારા॥

 

તમે વરાહ સ્વરૂપ બનાવ્યું છે. હિરણ્યક્ષા ગોળી વાગી.

ધર મત્સ્ય તન સિંધુની રચના થઈ. ચૌદ રતન કા .ી.

 

 

અમિલાખ અસુરને તકરાર સર્જી. રૂપ મોહની તમને બતાવી॥

દેવને અમૃત પીધો. અસૂરનને તે છબીથી આકર્ષાયો.

 

સિંધુએ કૂમ ફોર્મને લલચાવ્યું. મંદ્રેચલ ગિરી તરત જ ઉપાડી ગયો.

શંકરે તમને મુકત કરી. તેણે ભસ્માસુરને રૂપ બતાવ્યું.

 

જ્યારે રાક્ષસે વેદાનને ડૂબી દીધું. ટેક્સ મેનેજમેન્ટ તેમને પૂર્ણ કરાવ્યું.

શરૂ કર્યું મોહિત અને નૃત્ય. સમાન કર સાથે તેનો વપરાશ કરો.

 

અસુર જલંધર ખૂબ જ મજબૂત છે. શંકર સાથેની તે થોડી લડાઈઓ

શિવએ સકલને હારથી પણ આગળ કરી દીધો. કીન સતી સાથે છેતરપિંડી કરવામાં આવી હતી

 

 

સુમિરન કીન શિવરાણી તને. બટલાઇ સબ વિપત કહાની

પછી તમે મુનિસ્વર જ્ .ાની બન્યા. વૃંદાની બધી સુંદરતા ભૂલી ગઈ છે

 

ત્રણ દાનુઝ શેતાનોને જુઓ. વૃંદા આયે લપાણી

હો સ્પર્શ ધર્મ નુકસાન લાગ્યું. હન્ના અસુર અને શિવ ડેવિલિશ॥

 

તમે ધ્રુ પ્રહલાદને બાફ્યા. હિરણકુશ અદિક ખલ કરે॥

ગણેશ અને અજમિલ તારા. તમે ખૂબ જ સમર્પિત સિંધુ બની શકો

 

 

અમારામાં હારુહા એકંદર દુeryખ. મારા હરિ સિર્જનને ગુમાવો.

જુઓ, હું મારી પોતાની કંપનીમાં છું. દીન બંધુ ભક્ત કૃપાળુ

 

ચાટ તમારા નોકર દર્શન. કરહુ દયા અપની મધુસુદન॥

હું યોગ્ય જાપ પ્રાર્થનાઓ જાણતો નથી. હોય યજ્yaની સ્તુતિ મંજૂરી॥

 

શીલદાય સંતોષ સોધન ન જાણે, ઉપવાસ વિચિત્ર॥

મારે તમારા નિયમની ઉપાસના કરવી જોઈએ|| કુમતી વિલોક હો દુ: ખી॥

 

કોને કાયદેસર બનાવવો જોઈએ|| મારે કોની જેમ સમર્પણ કરવું જોઈએ||

સુર મુનિ કરત સદા શિવકાય. આનંદ એ અંતિમ ગતિ છે.

 

હંમેશાં દીન દુખિન સાથે દોસ્તી કરી. તેના પોતાના જીવન દ્વારા અનુસરવામાં.

પાપો અને પાપો પીવો. મને બંધનમાંથી મુક્ત બનાવો.

 

સારી સંપત્તિ આપીને સુખ ઉત્પન્ન કરો. તમારા રથનો ગુલામ બનાવો.

નિગમ હંમેશાં વિનય સુનાવણી છે. વાંચો, સાંભળો, તેથી આનંદ છે

CHALISA IN HINDI

॥ दोहा ॥

विष्णु सुनिए विनय, सेवक की चितलाय।

कीरत कुछ वर्णन करूँ, दीजै ज्ञान बताय॥

 

॥ चौपाई ॥

नमो विष्णु भगवान खरारी। कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी। त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥

 

सुन्दर रूप मनोहर सूरत। सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥

तन पर पीताम्बर अति सोहत। बैजन्ती माला मन मोहत॥

 

शंख चक्र कर गदा बिराजे। देखत दैत्य असुर दल भाजे॥

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे। काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥

 

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन। दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन। दोष मिटाय करत जन सज्जन॥

 

पाप काट भव सिन्धु उतारण। कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥

करत अनेक रूप प्रभु धारण। केवल आप भक्ति के कारण॥

 

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा। तब तुम रूप राम का धारा॥

भार उतार असुर दल मारा। रावण आदिक को संहारा॥

 

आप वाराह रूप बनाया। हिरण्याक्ष को मार गिराया॥

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया। चौदह रतनन को निकलाया॥

 

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया। रूप मोहनी आप दिखाया॥

देवन को अमृत पान कराया। असुरन को छबि से बहलाया॥

 

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया। मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया॥

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया। भस्मासुर को रूप दिखाया॥

 

वेदन को जब असुर डुबाया। कर प्रबन्ध उन्हें ढुँढवाया॥

मोहित बनकर खलहि नचाया। उसही कर से भस्म कराया॥

 

असुर जलंधर अति बलदाई। शंकर से उन कीन्ह लड़ाई॥

हार पार शिव सकल बनाई। कीन सती से छल खल जाई॥

 

 

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी। बतलाई सब विपत कहानी॥

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी। वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥

 

देखत तीन दनुज शैतानी। वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी। हना असुर उर शिव शैतानी॥

 

तुमने धुरू प्रहलाद उबारे। हिरणाकुश आदिक खल मारे॥

गणिका और अजामिल तारे। बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥

 

हरहु सकल संताप हमारे। कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥

देखहुँ मैं निज दरश तुम्हारे। दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥

 

चहत आपका सेवक दर्शन। करहु दया अपनी मधुसूदन॥

जानूं नहीं योग्य जप पूजन। होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥

 

शीलदया सन्तोष सुलक्षण। विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥

करहुँ आपका किस विधि पूजन। कुमति विलोक होत दुख भीषण॥

 

करहुँ प्रणाम कौन विधिसुमिरण। कौन भांति मैं करहुँ समर्पण॥

सुर मुनि करत सदा सिवकाई। हर्षित रहत परम गति पाई॥

 

दीन दुखिन पर सदा सहाई। निज जन जान लेव अपनाई॥

पाप दोष संताप नशाओ। भव बन्धन से मुक्त कराओ॥

 

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ। निज चरनन का दास बनाओ॥

निगम सदा ये विनय सुनावै। पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥

CHALISA IN KANNADA

|| ದೋಹಾ||

ಸೇವಕನ ಮನಸ್ಸು ವಿಷ್ಣು ವಿನಯವನ್ನು ಕೇಳಿ.

ಏನಾದರೂ ಹೇಳಿ, ಬುದ್ಧಿವಂತಿಕೆ ಹೇಳಿ.

 

|| ಬೌಂಡ್ ||

ನಮೋ ವಿಷ್ಣು ಭಗವಾನ್ ಖಾರಿ. ಕಾಶಾ ನಶ್ವಾನ್ ಅಖಿಲ್ ಬಿಹಾರಿ ||

ಪ್ರಬಲ ಜಗತ್ತಿನಲ್ಲಿ ನಿಮ್ಮ ಶಕ್ತಿ. ತ್ರಿಭುವನ್ ಹರಡುವ ಶಕ್ತಿ

 

ಸುಂದರ ರೂಪ ಮನೋಹರ್ ಸೂರತ್. ಸರಳ ಸ್ವಭಾವ ಮೋಹಿಣಿ ಮುರಾತ್

ಪಿಟಂಬಾರ್ ದೇಹದ ಮೇಲೆ ತುಂಬಾ. ಬಿಜಂತಿ ಮಾಲಾ ಮ್ಯಾನ್ ಮೋಹತ್ ||

 

 

ಶಂಖ ಚಕ್ರವನ್ನು ಜೋಡಿಸಿ. ದೈತ್ಯಾಕಾರದ ರಾಕ್ಷಸ ಪಕ್ಷ ಭಜಾ ನೋಡಿ

ಸತ್ಯ ಧರ್ಮವನ್ನು ಪ್ರಲೋಭಿಸಬಾರದು. ಕಾಮ ಕ್ರೋಧಾ ಐಟಂ ದುರಾಶೆ ನಾ  ಾಜೆ

 

ಸಂತ ಸಂಭಾವಿತ ಮನ್ರಾಂಜನ್. ದನುಜ್ ಅಸುರ ವಿಕ್ರನ್ ದಾಲ್ ಗಂಜನ್

ಸಂತೋಷವೇ ದುಃಖಕ್ಕೆ ಕಾರಣವಾಗಿದೆ ಮತ್ತು ಎಲ್ಲವೂ ಮುರಿದುಹೋಗಿದೆ. ಜಾನ್ ಸಜ್ಜನ್, ಆಪಾದನೆಯನ್ನು ತೆಗೆದುಹಾಕಲು

 

ಸಿಂಧೂ ಉಟ್ರಾನ್, ನೀವು ಪಾಪಗಳನ್ನು ಕೊಯ್ಯಲಿ. ಭಕ್ತರನ್ನು ನಾಶಮಾಡುವಲ್ಲಿ ತೊಂದರೆ

ದೇವರು ಅನೇಕ ರೂಪಗಳನ್ನು ಹೊಂದಿದ್ದಾನೆ. ನಿಮ್ಮ ಭಕ್ತಿಯಿಂದ ಮಾತ್ರ

 

 

ಧರಣಿ ಧೇನು ನಿಮ್ಮನ್ನು ಕರೆದರು. ನಂತರ ನೀವು ರಾಮನ ಹೊಳೆಯನ್ನು ರೂಪಿಸುತ್ತೀರಿ.

ಅಸುರ ತಂಡವನ್ನು ಇಳಿಸಲಾಯಿತು. ರಾವಣ ಆದಿಕ್ ಕೋ ಸಂಹಾರ॥

 

ನೀವು ವರಾಹ್ ರೂಪವನ್ನು ರಚಿಸಿದ್ದೀರಿ. ಹಿರಣ್ಯಕ್ಷ ಗುಂಡು ಹಾರಿಸಿದರು.

ಧಾರ್ ಮತ್ಸ್ಯ ತನ್ ಸಿಂಧು ರಚಿಸಲಾಗಿದೆ. ಹದಿನಾಲ್ಕು ರಾಟನ್ ತೆಗೆದುಹಾಕಲಾಗಿದೆ.

 

ಅಮಿಲಖ್ ಅಸುರನ್ ಸಂಘರ್ಷವನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸಿದರು. ರೂಪ್ ಮೋಹನಿ ನಿಮಗೆ ತೋರಿಸಿದರು

ದೇವನ್ ಪಾನೀಯ ಮಕರಂದವನ್ನು ತಯಾರಿಸಿದರು. ಅಸುರನ್ ಚಿತ್ರದಿಂದ ಮೋಹಗೊಂಡನು.

 

ಸಿಂಧೂ ಕೂಮ್ ರೂಪವನ್ನು ಮೆಚ್ಚಿಸಿತು. ಮಂದ್ರಾಚಲ್ ಗಿರಿ ತಕ್ಷಣ ಎತ್ತಿಕೊಂಡರು.

ಶಂಕರ್ ನಿಮ್ಮನ್ನು ಮುಕ್ತಗೊಳಿಸಿದರು. ಅವರು ಭಾಸ್ಮಸುರನಿಗೆ ರೂಪವನ್ನು ತೋರಿಸಿದರು.

 

ರಾಕ್ಷಸನು ವೇದನನ್ನು ಮುಳುಗಿಸಿದಾಗ. ತೆರಿಗೆ ನಿರ್ವಹಣೆ ಅವುಗಳನ್ನು ಪೂರೈಸಿದೆ.

ಆಕರ್ಷಿತರಾದರು ಮತ್ತು ನೃತ್ಯ ಮಾಡಿದರು. ಅದೇ ತೆರಿಗೆಯಿಂದ ಅದನ್ನು ಸೇವಿಸಿ.

 

ಅಸುರ ಜಲಂಧರ್ ತುಂಬಾ ಸ್ಟ್ರಾಂಗ್. ಶಂಕರ್ ಅವರೊಂದಿಗೆ ಆ ಸಣ್ಣ ಯುದ್ಧಗಳು

ಶಿವನು ಸಕಾಲ್ನನ್ನು ಸೋಲನ್ನು ಮೀರಿ ಮಾಡಿದನು. ಕೀನ್ ಸತಿ ಮೋಸ ಹೋದರು

 

 

ಸುಮಿರನ್ ಕೀನ್ ಶಿವರಾಣಿ ನಿಮಗೆ. ಬಟಲೈ ಸಬ್ ವಿಪತ್ ಕಹಾನಿ

ಆಗ ನೀವು ಮುನೀಶ್ವರ ಜ್ಞಾನ ಹೊಂದಿದ್ದೀರಿ. ವೃಂದಾಳ ಸೌಂದರ್ಯವೆಲ್ಲ ಮರೆತುಹೋಗಿದೆ

 

ಮೂರು ಡ್ಯಾನುಜ್ ದೆವ್ವಗಳನ್ನು ನೋಡಿ. ವೃಂದಾ ಆಯೆ ಲಪಾನಿ

ಸ್ಪರ್ಶ ಧರ್ಮದ ಹಾನಿ ಎಂದು ಹೋ ಭಾವಿಸಿದರು. ಹನ್ನಾ ಅಸುರ ಮತ್ತು ಶಿವ ದೆವ್ವ

 

ನೀವು ಧ್ರು ಪ್ರಹ್ಲಾದನನ್ನು ಕುದಿಸಿದ್ದೀರಿ. ಹಿರಾನಕುಶ್ ಆದಿಕ್ ಖಲ್ ಕಾರೆ

ಗಣೇಶ ಮತ್ತು ಅಜಮಿಲ್ ತಾರೆಯರು. ನೀವು ತುಂಬಾ ಶ್ರದ್ಧಾಭರಿತ ಸಿಂಧು ಆಗಿರಲಿ

 

ಹರುಹಾ ನಮ್ಮ ತೀವ್ರ ದುಃಖ. ದಯವಿಟ್ಟು ನನ್ನ ಹರಿ ಸಿರ್ಜನ್ ಅವರನ್ನು ಕಳೆದುಕೊಳ್ಳಿ.

ನೋಡಿ, ನಾನು ನನ್ನ ಸ್ವಂತ ಕಂಪನಿಯಲ್ಲಿದ್ದೇನೆ. ದೀನ್ ಬಂಧು ಭಕ್ತ ಫಲಾನುಭವಿ

 

ಚಾಟ್ ಯುವಕ ಸೇವಕ ದರ್ಶನ. ಕರ್ಹು ದಯಾ ಅಪ್ನಿ ಮಧುಸೂದನ್

ಯೋಗ್ಯವಾದ ಜಪ ಪ್ರಾರ್ಥನೆಗಳು ನನಗೆ ತಿಳಿದಿಲ್ಲ. ಹೋಯ್ ಯಜ್ಞ ಪ್ರಶಂಸೆ ಅನುಮೋದನೆ

 

ಶಿಲದಾಯ ಸಂತೋಷ್ ಸೋಧನ್ ತಿಳಿದಿಲ್ಲ, ಉಪವಾಸ ಅದ್ಭುತ॥

ನಾನು ನಿಮ್ಮ ಕಾನೂನನ್ನು ಪೂಜಿಸಬೇಕೇ|| ಕುಮ್ತಿ ವಿಲೋಕ್ ಹೋ ದುಃಖ ಭಯಂಕರ

 

ಯಾರನ್ನು ಕಾನೂನುಬದ್ಧಗೊಳಿಸಬೇಕು|| ನಾನು ಯಾರಂತೆ ಶರಣಾಗಬೇಕು||

ಸುರ್ ಮುನಿ ಕರತ್ ಯಾವಾಗಲೂ ಶಿವಕೈ. ಹಿಗ್ಗು ಅಂತಿಮ ವೇಗ.

 

ಯಾವಾಗಲೂ ದೀನ್ ದುಖಿನ್ ಜೊತೆ ಸ್ನೇಹ ಬೆಳೆಸಿದರು. ನಂತರ ಅವರ ಸ್ವಂತ ಜೀವನ.

ಪಾಪ ಮತ್ತು ಪಾಪಗಳನ್ನು ಕುಡಿಯಿರಿ. ನನ್ನನ್ನು ಬಂಧನದಿಂದ ಮುಕ್ತಗೊಳಿಸಿ.

 

ಉತ್ತಮ ಸಂಪತ್ತನ್ನು ನೀಡುವ ಮೂಲಕ ಸಂತೋಷವನ್ನು ಉತ್ಪಾದಿಸಿ. ನಿಮ್ಮ ಚಾರಿಜಾರ್ಡ್‌ನ ಗುಲಾಮರನ್ನಾಗಿ ಮಾಡಿ.

ಕಾರ್ಪೊರೇಷನ್ ಯಾವಾಗಲೂ ವಿನಯ್ ಸುನವಾಯಿ. ಓದಿ, ಕೇಳು, ಆದ್ದರಿಂದ ಸಂತೋಷವಿದೆ

CHALISA IN KASHMIRI

Kashmiri and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा ॥

विष्णु सुनिए विनय, सेवक की चितलाय।

कीरत कुछ वर्णन करूँ, दीजै ज्ञान बताय॥

 

॥ चौपाई ॥

नमो विष्णु भगवान खरारी। कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी। त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥

 

सुन्दर रूप मनोहर सूरत। सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥

तन पर पीताम्बर अति सोहत। बैजन्ती माला मन मोहत॥

 

शंख चक्र कर गदा बिराजे। देखत दैत्य असुर दल भाजे॥

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे। काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥

 

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन। दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन। दोष मिटाय करत जन सज्जन॥

 

पाप काट भव सिन्धु उतारण। कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥

करत अनेक रूप प्रभु धारण। केवल आप भक्ति के कारण॥

 

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा। तब तुम रूप राम का धारा॥

भार उतार असुर दल मारा। रावण आदिक को संहारा॥

 

आप वाराह रूप बनाया। हिरण्याक्ष को मार गिराया॥

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया। चौदह रतनन को निकलाया॥

 

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया। रूप मोहनी आप दिखाया॥

देवन को अमृत पान कराया। असुरन को छबि से बहलाया॥

 

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया। मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया॥

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया। भस्मासुर को रूप दिखाया॥

 

वेदन को जब असुर डुबाया। कर प्रबन्ध उन्हें ढुँढवाया॥

मोहित बनकर खलहि नचाया। उसही कर से भस्म कराया॥

 

असुर जलंधर अति बलदाई। शंकर से उन कीन्ह लड़ाई॥

हार पार शिव सकल बनाई। कीन सती से छल खल जाई॥

 

 

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी। बतलाई सब विपत कहानी॥

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी। वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥

 

देखत तीन दनुज शैतानी। वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी। हना असुर उर शिव शैतानी॥

 

तुमने धुरू प्रहलाद उबारे। हिरणाकुश आदिक खल मारे॥

गणिका और अजामिल तारे। बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥

 

हरहु सकल संताप हमारे। कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥

देखहुँ मैं निज दरश तुम्हारे। दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥

 

चहत आपका सेवक दर्शन। करहु दया अपनी मधुसूदन॥

जानूं नहीं योग्य जप पूजन। होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥

 

शीलदया सन्तोष सुलक्षण। विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥

करहुँ आपका किस विधि पूजन। कुमति विलोक होत दुख भीषण॥

 

करहुँ प्रणाम कौन विधिसुमिरण। कौन भांति मैं करहुँ समर्पण॥

सुर मुनि करत सदा सिवकाई। हर्षित रहत परम गति पाई॥

 

दीन दुखिन पर सदा सहाई। निज जन जान लेव अपनाई॥

पाप दोष संताप नशाओ। भव बन्धन से मुक्त कराओ॥

 

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ। निज चरनन का दास बनाओ॥

निगम सदा ये विनय सुनावै। पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥

CHALISA IN KONKANI

Konkani and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा ॥

विष्णु सुनिए विनय, सेवक की चितलाय।

कीरत कुछ वर्णन करूँ, दीजै ज्ञान बताय॥

 

॥ चौपाई ॥

नमो विष्णु भगवान खरारी। कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी। त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥

 

सुन्दर रूप मनोहर सूरत। सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥

तन पर पीताम्बर अति सोहत। बैजन्ती माला मन मोहत॥

 

शंख चक्र कर गदा बिराजे। देखत दैत्य असुर दल भाजे॥

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे। काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥

 

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन। दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन। दोष मिटाय करत जन सज्जन॥

 

पाप काट भव सिन्धु उतारण। कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥

करत अनेक रूप प्रभु धारण। केवल आप भक्ति के कारण॥

 

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा। तब तुम रूप राम का धारा॥

भार उतार असुर दल मारा। रावण आदिक को संहारा॥

 

आप वाराह रूप बनाया। हिरण्याक्ष को मार गिराया॥

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया। चौदह रतनन को निकलाया॥

 

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया। रूप मोहनी आप दिखाया॥

देवन को अमृत पान कराया। असुरन को छबि से बहलाया॥

 

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया। मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया॥

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया। भस्मासुर को रूप दिखाया॥

 

वेदन को जब असुर डुबाया। कर प्रबन्ध उन्हें ढुँढवाया॥

मोहित बनकर खलहि नचाया। उसही कर से भस्म कराया॥

 

असुर जलंधर अति बलदाई। शंकर से उन कीन्ह लड़ाई॥

हार पार शिव सकल बनाई। कीन सती से छल खल जाई॥

 

 

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी। बतलाई सब विपत कहानी॥

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी। वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥

 

देखत तीन दनुज शैतानी। वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी। हना असुर उर शिव शैतानी॥

 

तुमने धुरू प्रहलाद उबारे। हिरणाकुश आदिक खल मारे॥

गणिका और अजामिल तारे। बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥

 

हरहु सकल संताप हमारे। कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥

देखहुँ मैं निज दरश तुम्हारे। दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥

 

चहत आपका सेवक दर्शन। करहु दया अपनी मधुसूदन॥

जानूं नहीं योग्य जप पूजन। होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥

 

शीलदया सन्तोष सुलक्षण। विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥

करहुँ आपका किस विधि पूजन। कुमति विलोक होत दुख भीषण॥

 

करहुँ प्रणाम कौन विधिसुमिरण। कौन भांति मैं करहुँ समर्पण॥

सुर मुनि करत सदा सिवकाई। हर्षित रहत परम गति पाई॥

 

दीन दुखिन पर सदा सहाई। निज जन जान लेव अपनाई॥

पाप दोष संताप नशाओ। भव बन्धन से मुक्त कराओ॥

 

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ। निज चरनन का दास बनाओ॥

निगम सदा ये विनय सुनावै। पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥

CHALISA IN MAITHILI

Maithili and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा ॥

विष्णु सुनिए विनय, सेवक की चितलाय।

कीरत कुछ वर्णन करूँ, दीजै ज्ञान बताय॥

 

॥ चौपाई ॥

नमो विष्णु भगवान खरारी। कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी। त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥

 

सुन्दर रूप मनोहर सूरत। सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥

तन पर पीताम्बर अति सोहत। बैजन्ती माला मन मोहत॥

 

शंख चक्र कर गदा बिराजे। देखत दैत्य असुर दल भाजे॥

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे। काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥

 

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन। दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन। दोष मिटाय करत जन सज्जन॥

 

पाप काट भव सिन्धु उतारण। कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥

करत अनेक रूप प्रभु धारण। केवल आप भक्ति के कारण॥

 

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा। तब तुम रूप राम का धारा॥

भार उतार असुर दल मारा। रावण आदिक को संहारा॥

 

आप वाराह रूप बनाया। हिरण्याक्ष को मार गिराया॥

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया। चौदह रतनन को निकलाया॥

 

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया। रूप मोहनी आप दिखाया॥

देवन को अमृत पान कराया। असुरन को छबि से बहलाया॥

 

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया। मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया॥

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया। भस्मासुर को रूप दिखाया॥

 

वेदन को जब असुर डुबाया। कर प्रबन्ध उन्हें ढुँढवाया॥

मोहित बनकर खलहि नचाया। उसही कर से भस्म कराया॥

 

असुर जलंधर अति बलदाई। शंकर से उन कीन्ह लड़ाई॥

हार पार शिव सकल बनाई। कीन सती से छल खल जाई॥

 

 

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी। बतलाई सब विपत कहानी॥

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी। वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥

 

देखत तीन दनुज शैतानी। वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी। हना असुर उर शिव शैतानी॥

 

तुमने धुरू प्रहलाद उबारे। हिरणाकुश आदिक खल मारे॥

गणिका और अजामिल तारे। बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥

 

हरहु सकल संताप हमारे। कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥

देखहुँ मैं निज दरश तुम्हारे। दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥

 

चहत आपका सेवक दर्शन। करहु दया अपनी मधुसूदन॥

जानूं नहीं योग्य जप पूजन। होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥

 

शीलदया सन्तोष सुलक्षण। विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥

करहुँ आपका किस विधि पूजन। कुमति विलोक होत दुख भीषण॥

 

करहुँ प्रणाम कौन विधिसुमिरण। कौन भांति मैं करहुँ समर्पण॥

सुर मुनि करत सदा सिवकाई। हर्षित रहत परम गति पाई॥

 

दीन दुखिन पर सदा सहाई। निज जन जान लेव अपनाई॥

पाप दोष संताप नशाओ। भव बन्धन से मुक्त कराओ॥

 

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ। निज चरनन का दास बनाओ॥

निगम सदा ये विनय सुनावै। पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥

CHALISA IN MALAYALAM

|| ദോഹ ||

ദാസന്റെ മനസ്സ് വിഷ്ണു വിനയ ശ്രദ്ധിക്കുക.

എന്നോട് എന്തെങ്കിലും പറയുക, ജ്ഞാനം പറയുക.

 

|| അതിർത്തി ||

നമോ വിഷ്ണു പ്രഭു ഖാരി. കാഷ നശ്വൻ അഖിൽ ബിഹാരി ||

ആധിപത്യ ലോകത്ത് നിങ്ങളുടെ ശക്തി. ത്രിഭുവൻ പടരുന്ന ശക്തി

 

 

മനോഹരമായ രൂപം മനോഹർ സൂറത്ത്. ലളിതമായ സ്വഭാവം മോഹിനി മുറാത്ത്

ശരീരത്തിന് മുകളിൽ പിറ്റാംബർ. ബിജന്തി മാല മാൻ മോഹത് ||

 

കൊഞ്ച് ചക്രവുമായി സംയോജിപ്പിക്കുക. രാക്ഷസ രാക്ഷസ പാർട്ടി ഭജ കാണുക

സത്യമതം പരീക്ഷിക്കപ്പെടരുത്. കാമ ക്രോധ ഇനം അത്യാഗ്രഹം നാ ചാജെ

 

വിശുദ്ധ മാന്യൻ മഞ്ജൻ. ദാനുജ് അസുര വിക്രൺ ദാൽ ഗഞ്ചൻ

സന്തോഷമാണ് കഷ്ടപ്പാടുകളുടെ കാരണം, എല്ലാം തകർന്നിരിക്കുന്നു. കുറ്റപ്പെടുത്തൽ നീക്കാൻ ജൻ സഞ്ജൻ

 

സിന്ധു ഉത്രോൺ, നിങ്ങൾ പാപങ്ങൾ കൊയ്യട്ടെ. ഭക്തരെ നശിപ്പിക്കുന്നതിൽ പ്രശ്‌നം

ദൈവം പല രൂപങ്ങളുണ്ട്. നിങ്ങളുടെ ഭക്തി കാരണം മാത്രം

 

 

ധരണി ധേനു നിങ്ങളെ വിളിച്ചു. എന്നിട്ട് നിങ്ങൾ രാമന്റെ അരുവി ഉണ്ടാക്കുന്നു.

അസുര ടീമിനെ അൺലോഡുചെയ്തു. രാവണ ആദിക് കോ സംഹാര

 

നിങ്ങൾ വരാ ഫോം സൃഷ്ടിച്ചു. ഹിരണ്യക്ഷ വെടിവച്ചു.

ധാർ മാത്സ്യ ടാൻ സിന്ധു സൃഷ്ടിക്കപ്പെട്ടു. പതിനാല് റാറ്റൻ നീക്കം ചെയ്തു.

 

അമിലാക് അസുരൻ സംഘർഷം സൃഷ്ടിച്ചു. രൂപ മോഹാനി നിങ്ങളെ കാണിച്ചു

ദേവൻ പാനീയം അമൃത് ഉണ്ടാക്കി. അസുരനെ ചിത്രം വശീകരിച്ചു.

 

 

സിന്ധു കൂം ഫോം ആകർഷിച്ചു. മന്ദ്രചൽ ഗിരി ഉടനെ എടുത്തു.

ശങ്കർ നിങ്ങളെ മോചിപ്പിച്ചു. അദ്ദേഹം ഭാസ്മസുരന് രൂപം കാണിച്ചു.

 

രാക്ഷസൻ വേദനെ മുക്കിയപ്പോൾ. ടാക്സ് മാനേജ്മെന്റ് അവ ചെയ്തു.

കൗതുകവും നൃത്തവും തുടങ്ങി. ഒരേ നികുതിയോടെ ഇത് ഉപയോഗിക്കുക.

 

അസുര ജലന്ധർ വളരെ ശക്തനാണ്. ശങ്കറുമായുള്ള ആ ചെറിയ യുദ്ധങ്ങൾ

ശിവൻ സക്കലിനെ പരാജയത്തിനപ്പുറത്തേക്ക് മാറ്റി. കീൻ സതിയെ വഞ്ചിച്ചു

 

 

സുമിരൻ കീൻ ശിവരണി നിങ്ങൾക്ക്. ബടലൈ സബ് വിപത് കഹാനി

അപ്പോൾ നിങ്ങൾ മുനിശ്വരന്റെ അറിവുള്ളവരായി. വൃന്ദയുടെ എല്ലാ സൗന്ദര്യവും മറന്നു

 

മൂന്ന് ഡാനുസ് പിശാചുക്കളെ നോക്കൂ. വൃന്ദ അയേ ലപാനി

മതത്തെ സ്പർശിക്കുന്നതായി ഹോയ്ക്ക് തോന്നി. ഹന്ന അസുരയും ശിവ പിശാചും

 

നിങ്ങൾ ധ്രു പ്രഹ്ലാദയെ തിളപ്പിച്ചു. ഹിരാനകുഷ് ആദിക് ഖൽ കരേ

ഗണേശ, അജാമിൽ താരങ്ങൾ. നിങ്ങൾ വളരെ അർപ്പണബോധമുള്ള സിന്ധുവാകട്ടെ

 

ഹരുഹയുടെ കടുത്ത ദുരിതങ്ങൾ. എന്റെ ഹരി സിർജനെ നഷ്ടപ്പെടുത്തുക.

നോക്കൂ, ഞാൻ എന്റെ സ്വന്തം കമ്പനിയിലാണ്. ദീൻ ബന്ദു ഭക്തൻ

 

 

ചാറ്റ് നിങ്ങളുടെ ദാസൻ ദർശനം. കാർഹു ദയാ അപ്നി മധുസൂദൻ

യോഗ്യമായ മന്ത്രോച്ചാരങ്ങൾ എനിക്കറിയില്ല. ഹോയ് യജ്ഞ സ്തുതി അംഗീകാരം

 

ശിലാദയ സന്തോഷ് സോധൻ അറിയില്ല, ഉപവാസം അതിശയകരമാണ്

ഞാൻ നിങ്ങളുടെ നിയമത്തെ ആരാധിക്കണോ|| കുമതി വില്ലോക്ക് ഹോ ദു rief ഖം ഭയാനകം

 

ആരെയാണ് നിയമവിധേയമാക്കേണ്ടത്|| ഞാൻ ആരെയാണ് കീഴടങ്ങേണ്ടത്||

സുർ മുനി കാരത്ത് എപ്പോഴും ശിവകായ്. ആനന്ദമാണ് ആത്യന്തിക വേഗത.

 

എല്ലായ്പ്പോഴും ദീൻ ദുഖിനുമായി ചങ്ങാത്തം കൂടുന്നു. തുടർന്ന് സ്വന്തം ജീവിതം.

പാപങ്ങളും പാപങ്ങളും കുടിക്കുക. എന്നെ അടിമത്തത്തിൽ നിന്ന് മോചിപ്പിക്കുക.

 

നല്ല സമ്പത്ത് നൽകി സന്തോഷം ഉൽപാദിപ്പിക്കുക. നിങ്ങളുടെ കരിസാർഡിന്റെ അടിമയാക്കുക.

കോർപ്പറേഷൻ എല്ലായ്പ്പോഴും വിനയ് സുനവായ് ആണ്. വായിക്കുക, ശ്രദ്ധിക്കൂ, അതിനാൽ സന്തോഷമുണ്ട്

CHALISA IN MEITEI

Meitei and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥ दोहा ॥

विष्णु सुनिए विनय, सेवक की चितलाय।

कीरत कुछ वर्णन करूँ, दीजै ज्ञान बताय॥

 

॥ चौपाई ॥

नमो विष्णु भगवान खरारी। कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी। त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥

 

सुन्दर रूप मनोहर सूरत। सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥

तन पर पीताम्बर अति सोहत। बैजन्ती माला मन मोहत॥

 

शंख चक्र कर गदा बिराजे। देखत दैत्य असुर दल भाजे॥

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे। काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥

 

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन। दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन। दोष मिटाय करत जन सज्जन॥

 

पाप काट भव सिन्धु उतारण। कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥

करत अनेक रूप प्रभु धारण। केवल आप भक्ति के कारण॥

 

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा। तब तुम रूप राम का धारा॥

भार उतार असुर दल मारा। रावण आदिक को संहारा॥

 

आप वाराह रूप बनाया। हिरण्याक्ष को मार गिराया॥

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया। चौदह रतनन को निकलाया॥

 

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया। रूप मोहनी आप दिखाया॥

देवन को अमृत पान कराया। असुरन को छबि से बहलाया॥

 

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया। मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया॥

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया। भस्मासुर को रूप दिखाया॥

 

वेदन को जब असुर डुबाया। कर प्रबन्ध उन्हें ढुँढवाया॥

मोहित बनकर खलहि नचाया। उसही कर से भस्म कराया॥

 

असुर जलंधर अति बलदाई। शंकर से उन कीन्ह लड़ाई॥

हार पार शिव सकल बनाई। कीन सती से छल खल जाई॥

 

 

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी। बतलाई सब विपत कहानी॥

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी। वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥

 

देखत तीन दनुज शैतानी। वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी। हना असुर उर शिव शैतानी॥

 

तुमने धुरू प्रहलाद उबारे। हिरणाकुश आदिक खल मारे॥

गणिका और अजामिल तारे। बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥

 

हरहु सकल संताप हमारे। कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥

देखहुँ मैं निज दरश तुम्हारे। दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥

 

चहत आपका सेवक दर्शन। करहु दया अपनी मधुसूदन॥

जानूं नहीं योग्य जप पूजन। होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥

 

शीलदया सन्तोष सुलक्षण। विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥

करहुँ आपका किस विधि पूजन। कुमति विलोक होत दुख भीषण॥

 

करहुँ प्रणाम कौन विधिसुमिरण। कौन भांति मैं करहुँ समर्पण॥

सुर मुनि करत सदा सिवकाई। हर्षित रहत परम गति पाई॥

 

दीन दुखिन पर सदा सहाई। निज जन जान लेव अपनाई॥

पाप दोष संताप नशाओ। भव बन्धन से मुक्त कराओ॥

 

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ। निज चरनन का दास बनाओ॥

निगम सदा ये विनय सुनावै। पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥

CHALISA IN MARATHI

|| दोहा||

विष्णू विनया, सेवकांचे मन ऐका.

मला काहीतरी सांगा, शहाणपणा सांगा.

 

|| चौकार ||

नमो विष्णु भगवान खारी। काशा नश्वान अखिल बिहारी ||

वर्चस्व असलेल्या जगात आपली शक्ती. त्रिभुवन प्रसारित शक्ती

 

मनोहर सूरत सुंदर फॉर्म. साधा स्वभाव मोहिनी मुरत

शरीरावर इतका पितंबर. बिजंती माला मन मोहत ||

 

शंख चक्र एकत्रित करा. राक्षस राक्षस पक्ष भजा पहा

सत्य धर्माचा मोह होऊ नये. काम क्रोधा वस्तू लोभ न छाजे

 

संत सभ्य मानरंजन। दनुज असुर विक्रण दाल गंजन

सुख दु: खाचे कारण आहे आणि सर्व काही खंडित आहे. जान सज्जन, दोष दूर करण्यासाठी

 

आपण पापांची कापणी करू, सिंधू . भक्तांचा नाश करण्यात त्रास

देव अनेक रूप धारण करतो. केवळ आपल्या भक्तीमुळे

 

 

धरणी धेनु तुला बोलावले। मग तुम्ही रामाचा प्रवाह तयार करा.

असुर संघ उतरविला. रावण आदिक को समारा॥

 

आपण वराह फॉर्म तयार केला. हिरण्यक्षने गोळ्या घातल्या.

धार मत्स्य तान सिंधू तयार झाला. चौदा रतन काढले.

 

अमीलाख असुरन यांनी संघर्ष निर्माण केला. रूप मोहनी तुझें दाखविला॥

देवन केले अमृत। असुरानला त्या प्रतिमेमुळे भुरळ घातली.

 

सिंधूने कोम फॉर्म आवळला. मंदराचल गिरी यांनी ताबडतोब उचलले.

शंकर तुला मुक्त केले. त्यांनी भस्मासुर हा फॉर्म दाखविला.

 

जेव्हा राक्षसाने वेदान बुडविले. कर व्यवस्थापन त्यांना केले.

मोह झाला आणि नाचला लागला. त्याच करासह त्याचा वापर करा.

 

असुर जालंधर खूप मजबूत. शंकरशी त्या छोट्या लढाया

शिवने पराभवाच्या पलीकडे सकल केले. कीन सती यांची फसवणूक झाली

 

 

सुमिरन कीन शिवरानी तुला। बटालाय सब विपात कहानी

मग तू मुनीश्वर ज्ञानी झालास. वृंदाचे सर्व सौंदर्य विसरले जाते

 

तीन डानूझ भुते पहा. वृंदा आय लापाणी

होला स्पर्श धर्माचे नुकसान झाले. हन्ना असुर आणि शिव देविलीश॥

 

तू ध्रु प्रल्हादा उकळलास. हिरणाकुश आदिक खाल करे॥

गणेश आणि अजमल तारे. तू खूप भक्त सिंधू होवो

 

आमचे हरुहा सकल दु: ख. कृपया माझा हरि सरजन गमाव.

पाहा, मी माझ्या स्वतःच्या कंपनीत आहे. दीन बंधु भक्त दयाळू

 

आपला सेवक दर्शनाचा चाट करा. करहु दया आपनी मधुसूदन॥

मला योग्य प्रार्थना सांगणे माहित नाही. होई यज्ञ स्तुती मंजुरी॥

 

शिलादय संतोष सोधान माहित नाही, उपवास विलक्षण॥

मी तुझ्या शिकवणीची पूजा करावी काय|| कुमती विलोक हो दु: खाची भीती॥

 

कायदेशीर केले पाहिजे|| मी कोणासारखे आत्मसमर्पण करावे||

सुर मुनी करत सदैव शिवकाय। आनंद हा अंतिम वेग आहे.

 

दीन दुकिनशी सदैव मैत्री केली. त्याच्या स्वत: च्या आयुष्यानंतर.

पापं आणि पापं प्या. मला गुलामगिरीतून मुक्त करा.

 

चांगली संपत्ती देऊन आनंद उत्पन्न करा. आपल्या रथांचा गुलाम बनवा.

कॉर्पोरेशन नेहमी विनय सुनावाई असते. वाचा, ऐका म्हणजे आनंद आहे

CHALISA IN NEPALI

Nepali and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 

॥ दोहा ॥

विष्णु सुनिए विनय, सेवक की चितलाय।

कीरत कुछ वर्णन करूँ, दीजै ज्ञान बताय॥

 

॥ चौपाई ॥

नमो विष्णु भगवान खरारी। कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी। त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥

 

सुन्दर रूप मनोहर सूरत। सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥

तन पर पीताम्बर अति सोहत। बैजन्ती माला मन मोहत॥

 

शंख चक्र कर गदा बिराजे। देखत दैत्य असुर दल भाजे॥

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे। काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥

 

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन। दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन। दोष मिटाय करत जन सज्जन॥

 

पाप काट भव सिन्धु उतारण। कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥

करत अनेक रूप प्रभु धारण। केवल आप भक्ति के कारण॥

 

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा। तब तुम रूप राम का धारा॥

भार उतार असुर दल मारा। रावण आदिक को संहारा॥

 

आप वाराह रूप बनाया। हिरण्याक्ष को मार गिराया॥

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया। चौदह रतनन को निकलाया॥

 

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया। रूप मोहनी आप दिखाया॥

देवन को अमृत पान कराया। असुरन को छबि से बहलाया॥

 

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया। मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया॥

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया। भस्मासुर को रूप दिखाया॥

 

वेदन को जब असुर डुबाया। कर प्रबन्ध उन्हें ढुँढवाया॥

मोहित बनकर खलहि नचाया। उसही कर से भस्म कराया॥

 

असुर जलंधर अति बलदाई। शंकर से उन कीन्ह लड़ाई॥

हार पार शिव सकल बनाई। कीन सती से छल खल जाई॥

 

 

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी। बतलाई सब विपत कहानी॥

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी। वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥

 

देखत तीन दनुज शैतानी। वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी। हना असुर उर शिव शैतानी॥

 

तुमने धुरू प्रहलाद उबारे। हिरणाकुश आदिक खल मारे॥

गणिका और अजामिल तारे। बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥

 

हरहु सकल संताप हमारे। कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥

देखहुँ मैं निज दरश तुम्हारे। दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥

 

चहत आपका सेवक दर्शन। करहु दया अपनी मधुसूदन॥

जानूं नहीं योग्य जप पूजन। होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥

 

शीलदया सन्तोष सुलक्षण। विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥

करहुँ आपका किस विधि पूजन। कुमति विलोक होत दुख भीषण॥

 

करहुँ प्रणाम कौन विधिसुमिरण। कौन भांति मैं करहुँ समर्पण॥

सुर मुनि करत सदा सिवकाई। हर्षित रहत परम गति पाई॥

 

दीन दुखिन पर सदा सहाई। निज जन जान लेव अपनाई॥

पाप दोष संताप नशाओ। भव बन्धन से मुक्त कराओ॥

 

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ। निज चरनन का दास बनाओ॥

निगम सदा ये विनय सुनावै। पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥

CHALISA IN ODIA

|| ଦୋହା।

ଚାକରର ମନ ବିଷ୍ଣୁ ବିନୟ ଶୁଣ।

ମୋତେ କିଛି କୁହ, ମୋତେ ଜ୍ଞାନ କୁହ |

 

|| ସୀମା ||

ନାମୋ ବିଷ୍ଣୁ ପ୍ରଭୁ ଖରି | କାଶା ନାଶୱାନ୍ ଅଖିଲ ବିହାରୀ || |

ପ୍ରାଧାନ୍ୟ ଦୁନିଆରେ ତୁମର ଶକ୍ତି | ଟ୍ରିବୁଭାନ୍ ଶକ୍ତି ବିସ୍ତାର କରେ |

 

ସୁନ୍ଦର ରୂପ ମନୋହର ସୁରଟ | ସରଳ ପ୍ରକୃତି ମୋହିନୀ ମୁରାଟ |

ଶରୀର ଉପରେ ପିଟମ୍ବର ବହୁତ | ବିଜନ୍ତୀ ମଲା ମନ ମୋହତ ||

 

କନକ୍ ଚକ୍ରକୁ ଏକତ୍ର କର | ରାକ୍ଷସ ଭୂତ ପାର୍ଟୀ ଭଜା  ଦେଖନ୍ତୁ |

ସତ୍ୟ ଧର୍ମ ପ୍ରଲୋଭିତ ହେବା ଉଚିତ୍ ନୁହେଁ। କାମା କ୍ରୋଡା ଆଇଟମ୍ ଲୋଭ ନା ଚାଜେ |

 

ସନ୍ଥ ଭଦ୍ରଲୋକ ମନ୍ରଜନ | ଦାନୁଜ ଅସୁରା ବିକ୍ରାନ୍ ଡାଲ୍ ଗଞ୍ଜନ୍ |

ସୁଖ ଦୁ ଖର କାରଣ ଏବଂ ସବୁକିଛି ଭାଙ୍ଗିଗଲା | ଜନ ସାଜନ, ଦୋଷ ହଟାଇବା ପାଇଁ |

 

ତୁମେ ପାପ ଅମଳ କର, ଇଣ୍ଡସ୍ ଉତରନ୍ | ଭକ୍ତମାନଙ୍କୁ ବିନାଶ କରିବାରେ ଅସୁବିଧା |

ଭଗବାନ ଅନେକ ରୂପ ଧାରଣ କରନ୍ତି | କେବଳ ତୁମର ଭକ୍ତି ହେତୁ |

 

 

ଧରାନି ଧନୁ ତୁମକୁ ଡାକିଲେ | ତା’ପରେ ତୁମେ ରାମାର ଷ୍ଟ୍ରିମ୍ ଗଠନ କର |

ଅସୁରା ଦଳକୁ ଅନଲୋଡ୍ କଲେ | ରାବଣ ଆଡିକ୍ କୋ ସମହାର।

 

ଆପଣ ଭାରା ଫର୍ମ ସୃଷ୍ଟି କରିଛନ୍ତି | ହିରାନକଶା ଗୁଳି ଚଳାଇଲା।

ଧର ମାଟିୟା ତାନ୍ ସିନ୍ଧୁ ସୃଷ୍ଟି ହୋଇଥିଲେ | ଚଉଦ ରତନ ହଟାଇଲେ |

 

ଅମିଲାଖ ଅସୁରାନ୍ ବିବାଦ ସୃଷ୍ଟି କରିଥିଲେ | ରୂପ ମୋହାନି ଆପଣଙ୍କୁ ଦେଖାଇଲେ।

ଦେବନ୍ ଅମୃତଭଣ୍ଡା ପିଇଲା | ପ୍ରତିମୂର୍ତ୍ତି ଦ୍ୱାରା ଅସୁରାନ୍ ପ୍ରତାରିତ ହୋଇଥିଲେ।

 

ଇଣ୍ଡସ୍ କୁମ୍ ଫର୍ମକୁ ବାନ୍ଧିଲା | ମାଣ୍ଡ୍ରାଚାଲ ଗିରି ତୁରନ୍ତ ଉଠାଇଲେ।

ଶଙ୍କର ତୁମକୁ ମୁକ୍ତ କଲେ | ସେ ଭାସ୍ମୁରାଙ୍କୁ ଫର୍ମ ଦେଖାଇଲେ |

 

ଯେତେବେଳେ ଭୂତ ବେଦକୁ ବୁଡ଼ାଇ ଦେଲା | କର ପରିଚାଳନା ସେମାନଙ୍କୁ ସମାପ୍ତ କଲା |

ଆକର୍ଷିତ ହୋଇ ନାଚିଲେ | ସମାନ ଟ୍ୟାକ୍ସ ସହିତ ଏହାକୁ ଖାଆନ୍ତୁ |

 

ଅସୁରା ଜଲନ୍ଦର ବହୁତ ଶକ୍ତିଶାଳୀ | ଶଙ୍କରଙ୍କ ସହିତ ସେହି ଛୋଟ ଯୁଦ୍ଧ |

ଶିବ ସାକାଲଙ୍କୁ ପରାଜୟର ବାହାରେ କରିଥିଲେ। କିନ୍ ସତୀଙ୍କୁ ପ୍ରତାରଣା କରାଯାଇଥିଲା

 

ତୁମ ପାଇଁ ସୁମିରନ୍ କିନ୍ ଶିବାରାଣୀ | ବତାଲାଇ ସାବ ଭିପାଟ କାହାନି |

ତାପରେ ତୁମେ ମୁନିଶ୍ୱର ଜ୍ଞାନବାନ ହୋଇଗଲ | ଶ୍ରୀମନ୍ଦିରର ସମସ୍ତ ସ  ନ୍ଦର୍ଯ୍ୟ ଭୁଲିଯାଇଛି |

 

 

ତିନୋଟି ଡାନୁଜ୍ ଭୂତକୁ ଦେଖ | ଭ୍ରିଣ୍ଡା ଆଏ ଲାପାନି |

ହୋ ଧର୍ମର କ୍ଷତି ଅନୁଭବ କଲା | ହାନ୍ନା ଅସୁରା ଏବଂ ଶିବ ଶୟତାନ।

 

ତୁମେ ଧ୍ରୁ ପ୍ରହଲଦାକୁ ଫୁଟାଇଛ | ହିରାନକୁଶ ଆଦିକ ଖାଲ କର।

ଗଣେଶ ଏବଂ ଅଜାମିଲ ତାରକା | ଆପଣ ଜଣେ ଅତି ନିଷ୍ଠାପର ସିନ୍ଧୁ ହୁଅନ୍ତୁ |

 

ହାରୁହା ଆମର ଚରମ ଦୁ y ଖ | ଦୟାକରି ମୋର ହରି ସରଜନଙ୍କୁ ହରାନ୍ତୁ |

ଦେଖନ୍ତୁ, ମୁଁ ମୋର ନିଜ କମ୍ପାନୀରେ ଅଛି | ଦେନ୍ ବାନ୍ଧୁ ଭକ୍ତ ଉପକାରକାରୀ |

 

ତୁମର ସେବକ ଦର୍ଶନ କରହୁ ଦିନା ଅପନୀ ମଧୁସୂଦନ।

ମୁଁ ଯୋଗ୍ୟ ଜପ ପ୍ରାର୍ଥନା ଜାଣେ ନାହିଁ | ହୋ ୟାଗା ପ୍ରଶଂସା ଅନୁମୋଦନ।

 

ଶୀଲାଦୟ ସାନ୍ତୋଶ ସୋଦାନ | ଜଣା ନାହିଁ, ଉପବାସ କଳ୍ପନା।

ମୁଁ ତୁମ୍ଭର ନିୟମକୁ ପୂଜା କରିବି କି|| କୁମତି ଭିଲୋକ ହୋ ଦୁ  ଖ ଭୟଙ୍କର।

 

କାହାକୁ ଆଇନଗତ କରାଯିବା ଉଚିତ୍|| ମୁଁ କାହା ପରି ଆତ୍ମସମର୍ପଣ କରିବି||

ସୁର ମୁନି କରାଟ ସର୍ବଦା ସିଭାକାଇ | ଆନନ୍ଦ ହେଉଛି ଚରମ ଗତି |

 

ସର୍ବଦା ଦେନ୍ ଦୁଖିନଙ୍କ ସହିତ ବନ୍ଧୁତା କର | ତାଙ୍କ ନିଜ ଜୀବନ ଅନୁସରଣ କଲେ |

ପାପ ଓ ପାପ ପିଅ। ମୋତେ ବନ୍ଧନରୁ ମୁକ୍ତ କର |

 

 

ଭଲ ଧନ ଦେଇ ସୁଖ ଉତ୍ପାଦନ କର | ତୁମର ଚାରିଜାର୍ଡର ଦାସ କର |

ନିଗମ ସର୍ବଦା ବିନୟ ସୁନାଭାଇ | ପ , ଶୁଣ, ତେଣୁ ସୁଖ ଅଛି |

CHALISA IN PUNJABI

|| ਦੋਹਾ॥

ਵਿਸ਼ਨੂੰ ਵਿਨਿਆ, ਸੇਵਕ ਦੇ ਮਨ ਨੂੰ ਸੁਣੋ.

ਮੈਨੂੰ ਕੁਝ ਦੱਸੋ, ਮੈਨੂੰ ਸਿਆਣਪ ਦੱਸੋ.

 

|| ਚੌਪਾਈ ||

ਨਮੋ ਵਿਸ਼ਨੂੰ ਸੁਆਮੀ ਖਾਰੀ। ਕਾਸ਼ਾ ਨਸ਼ਵਾਨ ਅਖਿਲ ਬਿਹਾਰੀ ||

ਪ੍ਰਬਲ ਦੁਨੀਆਂ ਵਿਚ ਤੁਹਾਡੀ ਤਾਕਤ. ਤ੍ਰਿਭੁਵਨ ਸ਼ਕਤੀ ਫੈਲਾ ਰਹੇ ਹਨ

 

ਸੁੰਦਰ ਰੂਪ ਮਨੋਹਰ ਸੁਰਤ. ਸਰਲ ਸੁਭਾਅ ਮੋਹਿਨੀ ਮੂਰਤ

ਸਰੀਰ ਉਪਰ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਪੀਤਮਬਰ। ਬਿਜਨਤਿ ਮਾਲਾ ਮਨ ਮੋਹਤ ||

 

ਸ਼ੰਚਕ ਚੱਕਰ ਜੋੜੋ. ਰਾਖਸ਼ ਭੂਤ ਪਾਰਟੀ ਭਜਾ ਦੇਖੋ

ਸੱਚ ਧਰਮ ਨੂੰ ਪਰਤਾਇਆ ਨਹੀਂ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ. ਕਾਮ ਕ੍ਰੋਧ ਵਸਤੂ ਲਾਲਚ ਨ ਛਾਜੇ

 

ਸਦਕੇ ਸੱਜਣ ਮਨੋਰੰਜਨ। ਦਾਨੁਜ ਅਸੁਰ ਵਿਕਰਨ ਦਾਲ ਗੰਜਨ

ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਦੁੱਖ ਦਾ ਕਾਰਨ ਹੈ ਅਤੇ ਸਭ ਕੁਝ ਟੁੱਟ ਗਿਆ ਹੈ. ਜਨ ਸੱਜਣ, ਦੋਸ਼ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨ ਲਈ

 

ਇੰਡਸ ਉਟੋਨ, ਤੁਸੀਂ ਪਾਪਾਂ ਦੀ ਵਾ  ਕਰ ਸਕਦੇ ਹੋ. ਸ਼ਰਧਾਲੂਆਂ ਨੂੰ ਤਬਾਹ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਮੁਸੀਬਤ

ਪ੍ਰਮਾਤਮਾ ਦੇ ਕਈ ਰੂਪ ਹਨ. ਕੇਵਲ ਤੁਹਾਡੀ ਸ਼ਰਧਾ ਦੇ ਕਾਰਨ

 

 

ਧਾਰਨੀ ਧੇਨੁ ਤੈਨੂੰ ਬੁਲਾਇਆ ਗਿਆ। ਫਿਰ ਤੁਸੀਂ ਰਾਮ ਦੀ ਧਾਰਾ ਬਣਦੇ ਹੋ.

ਅਸੁਰ ਟੀਮ ਨੂੰ ਉਤਾਰਿਆ. ਰਾਵਣ ਆਦਿਕ ਕੋ ਸਮਹਾਰਾ॥

 

ਤੁਸੀਂ ਵਾਰਾ ਸਰੂਪ ਬਣਾਇਆ ਹੈ. ਹਿਰਨਯਕਸ਼ ਨੇ ਗੋਲੀ ਮਾਰ ਦਿੱਤੀ।

ਧਾਰ ਮਸਤ ਤਨ ਸਿੰਧੂ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ। ਚੌਦਾਂ ਰਤਨ ਕੱdੇ।

 

ਅਮਿਲਾਖ ਅਸੁਰਨ ਨੇ ਵਿਵਾਦ ਪੈਦਾ ਕੀਤਾ। ਰੂਪ ਮੋਹਣੀ ਤੈਨੂੰ ਦਿਖਾਇਆ॥

ਦੇਵਨ ਨੂੰ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਛਕਿਆ। ਅਸੁਰਾਨ ਨੂੰ ਚਿੱਤਰ ਦੁਆਰਾ ਭਰਮਾਇਆ ਗਿਆ ਸੀ.

 

ਸਿੰਧ ਨੇ ਕੋਮ ਰੂਪ ਨੂੰ ਖੂਬਸੂਰਤ ਕੀਤਾ. ਮੰਦਰਚਲ ਗਿਰੀ ਨੇ ਤੁਰੰਤ ਚੁੱਕ ਲਿਆ.

ਸ਼ੰਕਰ ਨੇ ਤੁਹਾਨੂੰ ਅਜ਼ਾਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਉਸਨੇ ਭਸਮਾਸੁਰ ਨੂੰ ਰੂਪ ਦਿਖਾਇਆ।

 

ਜਦ ਭੂਤ ਵੇਦਨ ਨੂੰ ਡੁੱਬ ਗਿਆ. ਟੈਕਸ ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ.

ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ ਅਤੇ ਨੱਚਿਆ. ਇਸ ਨੂੰ ਇਕੋ ਟੈਕਸ ਨਾਲ ਖਪਤ ਕਰੋ.

 

ਅਸੁਰਾ ਜਲੰਧਰ ਬਹੁਤ ਮਜ਼ਬੂਤ. ਸ਼ੰਕਰ ਨਾਲ ਉਹ ਛੋਟੀਆਂ ਲੜਾਈਆਂ

ਸ਼ਿਵ ਨੇ ਸਕਲ ਨੂੰ ਹਾਰ ਤੋਂ ਪਰ੍ਹੇ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਕੀਨ ਸਤੀ ਨਾਲ ਧੋਖਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ

 

 

ਸੁਮਿਰਨ ਕੀਨ ਸ਼ਿਵਰਾਣੀ ਤੈਨੂੰ। ਬਟਾਲੇ ਸਭ ਵਿਪਟ ਕਹਾਨੀ

ਫਿਰ ਤੁਸੀਂ ਮੁਨੀਸ਼ਵਰ ਗਿਆਨਵਾਨ ਹੋ ਗਏ. ਵਰਿੰਦਾ ਦੀ ਸਾਰੀ ਸੁੰਦਰਤਾ ਭੁੱਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ

 

ਤਿੰਨ ਡੈਨਜ਼ ਸ਼ੈਤਾਨਾਂ ਵੱਲ ਦੇਖੋ. ਵਰਿੰਦਾ ਆਈ ਲਪਾਨੀ

ਹੋ ਨੂੰ ਅਹਿਸਾਸ ਹੋਇਆ ਕਿ ਧਰਮ ਨੂੰ ਨੁਕਸਾਨ ਹੋਇਆ ਹੈ. ਹੰਨਾ ਅਸੁਰ ਅਤੇ ਸ਼ਿਵ ਡੇਵਿਲਿਸ਼॥

 

ਤੁਸੀਂ ਧ੍ਰੁ ਪ੍ਰਹਿਲਾਦ ਉਬਾਲਿਆ. ਹੀਰਨਾਕੁਸ਼ ਆਦਿਕ ਖਲ ਕਰੇ॥

ਗਣੇਸ਼ ਅਤੇ ਅਜਮਿਲ ਤਾਰੇ. ਤੁਹਾਨੂੰ ਇੱਕ ਬਹੁਤ ਹੀ ਸਮਰਪਤ ਸਿੰਧੂ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ

 

ਸਾਡੇ ਨਾਲ ਹਾਰੂਹਾ ਕੁੱਲ ਦੁੱਖ. ਕ੍ਰਿਪਾ ਕਰਕੇ ਮੇਰੇ ਹਰੀ ਸਿਰਜਨ ਨੂੰ ਗੁਆ ਦਿਓ.

ਦੇਖੋ, ਮੈਂ ਆਪਣੀ ਕੰਪਨੀ ਵਿਚ ਹਾਂ. ਦੀਨ ਬੰਧੁ ਭਗਤ ਮਿਹਰਬਾਨ॥

 

ਆਪਣੇ ਸੇਵਕ ਦਰਸਨ ਦਾ ਚਾਤ੍ਰਤ ਕਰ। ਕਰਹੁ ਦਇਆ ਅਪਨੀ ਮਧਸੂਦਨ॥

ਮੈਂ ਅਰਦਾਸ ਕਰਨ ਯੋਗ ਯੋਗ ਨਹੀਂ ਜਾਣਦਾ. ਹੋਇ ਯੱਗ ਦੀ ਪ੍ਰਸੰਸਾ ਪ੍ਰਵਾਨਗੀ॥

 

ਸ਼ਿਲਦਾਯ ਸੰਤੋਸ਼ ਸੋਧਨ ਪਤਾ ਨਹੀਂ, ਵਰਤ ਰੱਖਣਾ ਸ਼ਾਨਦਾਰ ਹੈ॥

ਕੀ ਮੈਨੂੰ ਤੁਹਾਡੀ ਬਿਵਸਥਾ ਦੀ ਪੂਜਾ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ|| ਕੁਮਤੀ ਵਿਲੋਕ ਹੋ ਗਮ ਦੁਖੀ॥

 

 

ਕੌਣ ਕਾਨੂੰਨੀ ਬਣਾਇਆ ਜਾਵੇ|| ਮੈਨੂੰ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਮਰਪਣ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ||

ਸੁਰ ਮੁਨਿ ਕਰਤ ਸਦਾ ਸਿਵਾਕੈ॥ ਅਨੰਦ ਅਤਿ ਗਤੀ ਹੈ.

 

ਦੀਨ ਦੁਖੀਨ ਸਦਾ ਦੋਸਤੀ ਕੀਤੀ। ਉਸ ਦੀ ਆਪਣੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਤੋਂ ਬਾਅਦ.

ਪਾਪ ਅਤੇ ਪਾਪ ਨੂੰ ਪੀਓ. ਮੈਨੂੰ ਗ਼ੁਲਾਮੀ ਤੋਂ ਮੁਕਤ ਕਰੋ.

 

ਚੰਗੀ ਦੌਲਤ ਦੇ ਕੇ ਖੁਸ਼ੀਆਂ ਪੈਦਾ ਕਰੋ. ਆਪਣੇ ਚਰਿੱਤਰ ਦਾ ਇੱਕ ਗੁਲਾਮ ਬਣਾਓ.

ਨਿਗਮ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਵਿਨੈ ਸੁਨਾਵੈ ਹੈ. ਪੜ੍ਹੋ, ਸੁਣੋ, ਤਾਂ ਖੁਸ਼ਹਾਲੀ ਹੈ

CHALISA IN SANSKRIT

Sanskrit and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 

॥ दोहा ॥

विष्णु सुनिए विनय, सेवक की चितलाय।

कीरत कुछ वर्णन करूँ, दीजै ज्ञान बताय॥

 

॥ चौपाई ॥

नमो विष्णु भगवान खरारी। कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी। त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥

 

सुन्दर रूप मनोहर सूरत। सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥

तन पर पीताम्बर अति सोहत। बैजन्ती माला मन मोहत॥

 

शंख चक्र कर गदा बिराजे। देखत दैत्य असुर दल भाजे॥

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे। काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥

 

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन। दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन। दोष मिटाय करत जन सज्जन॥

 

पाप काट भव सिन्धु उतारण। कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥

करत अनेक रूप प्रभु धारण। केवल आप भक्ति के कारण॥

 

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा। तब तुम रूप राम का धारा॥

भार उतार असुर दल मारा। रावण आदिक को संहारा॥

 

आप वाराह रूप बनाया। हिरण्याक्ष को मार गिराया॥

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया। चौदह रतनन को निकलाया॥

 

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया। रूप मोहनी आप दिखाया॥

देवन को अमृत पान कराया। असुरन को छबि से बहलाया॥

 

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया। मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया॥

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया। भस्मासुर को रूप दिखाया॥

 

वेदन को जब असुर डुबाया। कर प्रबन्ध उन्हें ढुँढवाया॥

मोहित बनकर खलहि नचाया। उसही कर से भस्म कराया॥

 

असुर जलंधर अति बलदाई। शंकर से उन कीन्ह लड़ाई॥

हार पार शिव सकल बनाई। कीन सती से छल खल जाई॥

 

 

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी। बतलाई सब विपत कहानी॥

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी। वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥

 

देखत तीन दनुज शैतानी। वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी। हना असुर उर शिव शैतानी॥

 

तुमने धुरू प्रहलाद उबारे। हिरणाकुश आदिक खल मारे॥

गणिका और अजामिल तारे। बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥

 

हरहु सकल संताप हमारे। कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥

देखहुँ मैं निज दरश तुम्हारे। दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥

 

चहत आपका सेवक दर्शन। करहु दया अपनी मधुसूदन॥

जानूं नहीं योग्य जप पूजन। होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥

 

शीलदया सन्तोष सुलक्षण। विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥

करहुँ आपका किस विधि पूजन। कुमति विलोक होत दुख भीषण॥

 

करहुँ प्रणाम कौन विधिसुमिरण। कौन भांति मैं करहुँ समर्पण॥

सुर मुनि करत सदा सिवकाई। हर्षित रहत परम गति पाई॥

 

दीन दुखिन पर सदा सहाई। निज जन जान लेव अपनाई॥

पाप दोष संताप नशाओ। भव बन्धन से मुक्त कराओ॥

 

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ। निज चरनन का दास बनाओ॥

निगम सदा ये विनय सुनावै। पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥

CHALISA IN SANTALI

Santali and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 

॥ दोहा ॥

विष्णु सुनिए विनय, सेवक की चितलाय।

कीरत कुछ वर्णन करूँ, दीजै ज्ञान बताय॥

 

॥ चौपाई ॥

नमो विष्णु भगवान खरारी। कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी। त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥

 

सुन्दर रूप मनोहर सूरत। सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥

तन पर पीताम्बर अति सोहत। बैजन्ती माला मन मोहत॥

 

शंख चक्र कर गदा बिराजे। देखत दैत्य असुर दल भाजे॥

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे। काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥

 

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन। दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन। दोष मिटाय करत जन सज्जन॥

 

पाप काट भव सिन्धु उतारण। कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥

करत अनेक रूप प्रभु धारण। केवल आप भक्ति के कारण॥

 

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा। तब तुम रूप राम का धारा॥

भार उतार असुर दल मारा। रावण आदिक को संहारा॥

 

आप वाराह रूप बनाया। हिरण्याक्ष को मार गिराया॥

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया। चौदह रतनन को निकलाया॥

 

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया। रूप मोहनी आप दिखाया॥

देवन को अमृत पान कराया। असुरन को छबि से बहलाया॥

 

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया। मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया॥

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया। भस्मासुर को रूप दिखाया॥

 

वेदन को जब असुर डुबाया। कर प्रबन्ध उन्हें ढुँढवाया॥

मोहित बनकर खलहि नचाया। उसही कर से भस्म कराया॥

 

असुर जलंधर अति बलदाई। शंकर से उन कीन्ह लड़ाई॥

हार पार शिव सकल बनाई। कीन सती से छल खल जाई॥

 

 

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी। बतलाई सब विपत कहानी॥

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी। वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥

 

देखत तीन दनुज शैतानी। वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी। हना असुर उर शिव शैतानी॥

 

तुमने धुरू प्रहलाद उबारे। हिरणाकुश आदिक खल मारे॥

गणिका और अजामिल तारे। बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥

 

हरहु सकल संताप हमारे। कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥

देखहुँ मैं निज दरश तुम्हारे। दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥

 

चहत आपका सेवक दर्शन। करहु दया अपनी मधुसूदन॥

जानूं नहीं योग्य जप पूजन। होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥

 

शीलदया सन्तोष सुलक्षण। विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥

करहुँ आपका किस विधि पूजन। कुमति विलोक होत दुख भीषण॥

 

करहुँ प्रणाम कौन विधिसुमिरण। कौन भांति मैं करहुँ समर्पण॥

सुर मुनि करत सदा सिवकाई। हर्षित रहत परम गति पाई॥

 

दीन दुखिन पर सदा सहाई। निज जन जान लेव अपनाई॥

पाप दोष संताप नशाओ। भव बन्धन से मुक्त कराओ॥

 

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ। निज चरनन का दास बनाओ॥

निगम सदा ये विनय सुनावै। पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥

CHALISA IN SINDHI

Sindhi and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 

॥ दोहा ॥

विष्णु सुनिए विनय, सेवक की चितलाय।

कीरत कुछ वर्णन करूँ, दीजै ज्ञान बताय॥

 

॥ चौपाई ॥

नमो विष्णु भगवान खरारी। कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी। त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥

 

सुन्दर रूप मनोहर सूरत। सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥

तन पर पीताम्बर अति सोहत। बैजन्ती माला मन मोहत॥

 

शंख चक्र कर गदा बिराजे। देखत दैत्य असुर दल भाजे॥

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे। काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥

 

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन। दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन। दोष मिटाय करत जन सज्जन॥

 

पाप काट भव सिन्धु उतारण। कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥

करत अनेक रूप प्रभु धारण। केवल आप भक्ति के कारण॥

 

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा। तब तुम रूप राम का धारा॥

भार उतार असुर दल मारा। रावण आदिक को संहारा॥

 

आप वाराह रूप बनाया। हिरण्याक्ष को मार गिराया॥

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया। चौदह रतनन को निकलाया॥

 

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया। रूप मोहनी आप दिखाया॥

देवन को अमृत पान कराया। असुरन को छबि से बहलाया॥

 

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया। मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया॥

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया। भस्मासुर को रूप दिखाया॥

 

वेदन को जब असुर डुबाया। कर प्रबन्ध उन्हें ढुँढवाया॥

मोहित बनकर खलहि नचाया। उसही कर से भस्म कराया॥

 

असुर जलंधर अति बलदाई। शंकर से उन कीन्ह लड़ाई॥

हार पार शिव सकल बनाई। कीन सती से छल खल जाई॥

 

 

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी। बतलाई सब विपत कहानी॥

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी। वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥

 

देखत तीन दनुज शैतानी। वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी। हना असुर उर शिव शैतानी॥

 

तुमने धुरू प्रहलाद उबारे। हिरणाकुश आदिक खल मारे॥

गणिका और अजामिल तारे। बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥

 

हरहु सकल संताप हमारे। कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥

देखहुँ मैं निज दरश तुम्हारे। दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥

 

चहत आपका सेवक दर्शन। करहु दया अपनी मधुसूदन॥

जानूं नहीं योग्य जप पूजन। होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥

 

शीलदया सन्तोष सुलक्षण। विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥

करहुँ आपका किस विधि पूजन। कुमति विलोक होत दुख भीषण॥

 

करहुँ प्रणाम कौन विधिसुमिरण। कौन भांति मैं करहुँ समर्पण॥

सुर मुनि करत सदा सिवकाई। हर्षित रहत परम गति पाई॥

 

दीन दुखिन पर सदा सहाई। निज जन जान लेव अपनाई॥

पाप दोष संताप नशाओ। भव बन्धन से मुक्त कराओ॥

 

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ। निज चरनन का दास बनाओ॥

निगम सदा ये विनय सुनावै। पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥

CHALISA IN TAMIL

|| தோஹா||

வேலைக்காரனின் மனம் விஷ்ணு வினயாவைக் கேளுங்கள்.

ஏதாவது சொல்லுங்கள், எனக்கு ஞானம் சொல்லுங்கள்.

 

|| கட்டு ||

நமோ விஷ்ணு பகவான் காரி. காஷா நஷ்வான் அகில் பிஹாரி ||

ஆதிக்க உலகில் உங்கள் பலம். திரிபுவன் சக்தியை பரப்புகிறார்

 

அழகான வடிவம் மனோகர் சூரத். எளிய இயல்பு மோகினி முராத்

பிதம்பர் உடலுக்கு மேல். பிஜாந்தி மாலா மன் மொஹத் ||

 

 

சங்கு சக்ராவை இணைக்கவும். அசுரன் பேய் கட்சி பாஜா See ஐப் பாருங்கள்

உண்மை மதம் சோதிக்கப்படக்கூடாது. காம க்ரோதா உருப்படி பேராசை நா சாஜே

 

புனித மனிதர் மன்ரஞ்சன். தனுஜ் அசுரா விக்ரன் தால் கஞ்சன்

மகிழ்ச்சியே துன்பத்திற்கு காரணம், எல்லாம் உடைந்துவிட்டது. ஜான் சஜ்ஜன், பழியை நீக்க

 

சிந்து உத்ரான், நீங்கள் பாவங்களை அறுவடை செய்யட்டும். பக்தர்களை அழிப்பதில் சிக்கல்

கடவுள் பல வடிவங்களை வைத்திருக்கிறார். உங்கள் பக்தியால் மட்டுமே

 

 

தரணி தேனு உங்களை அழைத்தார். பின்னர் நீங்கள் ராமரின் நீரோடை உருவாக்குகிறீர்கள்.

அசுரா அணியை இறக்கியது. இராவண ஆதிக் கோ சம்ஹாரா

 

வரா வடிவத்தை உருவாக்கியுள்ளீர்கள். ஹிரண்யக்ஷா சுட்டுக் கொல்லப்பட்டார்.

தர் மத்ஸ்யா டான் சிந்து உருவாக்கப்பட்டது. பதினான்கு பிரம்பு அகற்றப்பட்டது.

 

 

அமிலாக் அசுரன் மோதலை உருவாக்கினார். ரூப் மோகனி உங்களுக்குக் காட்டினார்

தேவன் பான அமிர்தம் செய்தார். அசுரன் உருவத்தால் மயக்கமடைந்தான்.

 

சிந்து கூம் வடிவத்தை கவர்ந்தது. மன்ட்ராச்சல் கிரி உடனே அழைத்துச் சென்றார்.

சங்கர் உங்களை விடுவித்தார். அவர் பாஸ்மாசுர வடிவத்தைக் காட்டினார்.

 

அரக்கன் வேதத்தை மூழ்கடித்தபோது. வரி நிர்வாகம் அவற்றைச் செய்து முடித்தது.

கவரப்பட்டு நடனமாடினார். அதே வரியுடன் அதை உட்கொள்ளுங்கள்.

 

அசுரா ஜலந்தர் மிகவும் வலிமையானவர். அந்த சிறிய சண்டைகள் சங்கருடன்

சிவன் சாகலைத் தோல்வியைத் தாண்டினான். கீன் சதி ஏமாற்றப்பட்டார்

 

 

உங்களுக்கு சுமிரன் கீன் சிவராணி. படலாய் சப் விபத் கஹானி

பின்னர் நீங்கள் முனிஸ்வர் அறிவு பெற்றீர்கள். பிருந்தாவின் அழகு அனைத்தும் மறந்துவிட்டது

 

மூன்று டானுஸ் பிசாசுகளைப் பாருங்கள். பிருந்தா ஆயே லாபானி

தொடு மதம் சேதத்தை ஹோ உணர்ந்தார். ஹன்னா அசுரா மற்றும் சிவா பிசாசு

 

நீங்கள் துரு பிரஹ்லதாவை வேகவைத்தீர்கள். ஹிரானாகுஷ் ஆதிக் கல் கரே

விநாயகர் மற்றும் அஜமில் நட்சத்திரங்கள். நீங்கள் மிகவும் பக்தியுள்ள சிந்து ஆகட்டும்

 

ஹருஹா எங்களுக்கு மிகுந்த துன்பம். தயவுசெய்து எனது ஹரி சிர்ஜனை இழக்கவும்.

பார், நான் எனது சொந்த நிறுவனத்தில் இருக்கிறேன். தீன் பந்து பக்தர் பயனாளி

 

உங்கள் வேலைக்காரர் தரிசனம் செய்யுங்கள். கர்ஹு தயா அப்னி மதுசூதன்

தகுதியான கோஷமிடும் ஜெபங்கள் எனக்குத் தெரியாது. ஹோய் யாக்யா பாராட்டு ஒப்புதல்

 

ஷிலதயா சந்தோஷ் சோதன் தெரியவில்லை, உண்ணாவிரதம் அற்புதம்

நான் உங்கள் சட்டத்தை வணங்க வேண்டுமா|| கும்தி வில்லோக் ஹோ துக்கம் பயங்கரமான

 

யாரை சட்டப்பூர்வமாக்க வேண்டும்|| நான் யாரைப் போல சரணடைய வேண்டும்||

சுர் முனி காரத் எப்போதும் சிவாகை. மகிழ்ச்சி என்பது இறுதி வேகம்.

 

 

எப்போதும் தீன் துகினுடன் நட்பு. அதைத் தொடர்ந்து அவரது சொந்த வாழ்க்கையும்.

பாவங்களையும் பாவங்களையும் குடிக்கவும். என்னை அடிமைத்தனத்திலிருந்து விடுவிக்கவும்.

 

நல்ல செல்வத்தை அளித்து மகிழ்ச்சியை உருவாக்குங்கள். உங்கள் கரிஸார்ட்டின் அடிமையாக்குங்கள்.

கார்ப்பரேஷன் எப்போதும் வினய் சுனவாய் தான். படியுங்கள், கேளுங்கள், அதனால் மகிழ்ச்சி இருக்கிறது

CHALISA IN TELUGU

|| దోహా ||

సేవకుడి మనస్సు విష్ణు వినయ వినండి.

నాకు ఏదో చెప్పండి, నాకు జ్ఞానం చెప్పండి.

 

|| బౌండ్ ||

నామో విష్ణు లార్డ్ ఖరీ. కాషా నశ్వన్ అఖిల్ బిహారీ ||

ఆధిపత్య ప్రపంచంలో మీ బలం. త్రిభువన్ శక్తిని వ్యాప్తి చేస్తుంది

 

 

అందమైన రూపం మనోహర్ సూరత్. సాధారణ స్వభావం మోహిని మురాత్

శరీరంపై పితాంబర్ చాలా. బిజంతి మాలా మాన్ మోహత్ ||

 

శంఖ చక్రం కలపండి. రాక్షసుడు దెయ్యాల పార్టీ భాజా చూడండి

సత్య మతాన్ని ప్రలోభపెట్టకూడదు. కామ క్రోద అంశం దురాశ నా చాజే

 

సెయింట్ జెంటిల్మాన్ మన్రంజన్. దనుజ్ అసుర విక్రన్ దాల్ గంజన్

ఆనందం బాధలకు కారణం మరియు ప్రతిదీ విచ్ఛిన్నమైంది. జాన్ సజ్జన్, నింద తొలగించడానికి

 

సింధు ఉట్రాన్, మీరు పాపాలను పొందుతారు. భక్తులను నాశనం చేయడంలో ఇబ్బంది

దేవుడు అనేక రూపాలను కలిగి ఉన్నాడు. మీ భక్తి వల్ల మాత్రమే

 

ధరణి ధేను మిమ్మల్ని పిలిచారు. అప్పుడు మీరు రాముడి ప్రవాహాన్ని ఏర్పరుస్తారు.

అసుర బృందాన్ని దించుతున్నాడు. రావణ ఆదిక్ కో సంహారా

 

మీరు వరహ్ రూపాన్ని సృష్టించారు. హిరణ్యాక్ష కాల్చివేసింది.

ధార్ మత్స్య టాన్ సింధు సృష్టించబడింది. పద్నాలుగు రట్టన్ తొలగించబడింది.

 

అమిలాఖ్ అసురాన్ సంఘర్షణను సృష్టించాడు. రూప్ మోహని మీకు చూపించారు

దేవన్ పానీయం అమృతం చేసింది. అసురాన్ చిత్రం ద్వారా మోహింపబడ్డాడు.

 

సింధు కూమ్ రూపాన్ని ఆకర్షించింది. మంద్రాచల్ గిరి వెంటనే తీసుకున్నాడు.

శంకర్ మిమ్మల్ని విడిపించాడు. అతను భాస్మసుర రూపాన్ని చూపించాడు.

 

భూతం వేదాన్‌ను ముంచినప్పుడు. పన్ను నిర్వహణ వాటిని పూర్తి చేసింది.

ఆకర్షితుడయ్యాడు మరియు నృత్యం చేశాడు. అదే పన్నుతో తినండి.

 

అసుర జలంధర్ చాలా బలంగా ఉన్నారు. శంకర్‌తో ఆ చిన్న యుద్ధాలు

శివుడు సకాల్‌ను ఓటమికి మించినవాడు. కీన్ సతి మోసపోయాడు

 

సుమిరన్ కీన్ శివరాణి మీకు. బటలై సబ్ విపాట్ కహానీ

అప్పుడు మీరు మునిశ్వర్ పరిజ్ఞానం పొందారు. బృందా అందం అంతా మర్చిపోతారు

 

 

 

ముగ్గురు దనుజ్ డెవిల్స్ చూడండి. బృందా ఆయే లాపాని

టచ్ మతం దెబ్బతిన్నట్లు హో భావించాడు. హన్నా అసుర మరియు శివ డెవిలిష్

 

మీరు ధ్రు ప్రహ్లాదను ఉడకబెట్టారు. హిరానకుష్ ఆదిక్ ఖల్ కరే

గణేశ, అజామిల్ తారలు. మీరు చాలా భక్తి గల సింధు కావచ్చు

 

హరుహా మాకు తీవ్ర దు ఖం. దయచేసి నా హరి సిర్జన్‌ను కోల్పోండి.

చూడండి, నేను నా స్వంత కంపెనీలో ఉన్నాను. దీన్ బంధు భక్తుడు లబ్ధిదారుడు

 

చాట్ యువర్ సర్వెంట్ దర్శన్. కర్హు దయా అప్ని మధుసూదన్

విలువైన జప ప్రార్థనలు నాకు తెలియదు. హోయ్ యజ్ఞ ప్రశంసల ఆమోదం

 

శిలాదయ సంతోష్ సోధన్ తెలియదు, ఉపవాసం అద్భుతం

నేను మీ చట్టాన్ని ఆరాధించాలా|| కుమ్తి విల్లోక్ హో శోకం భీకరమైన

 

ఎవరిని చట్టబద్ధం చేయాలి|| నేను ఎవరిని లొంగిపోవాలి||

సుర్ ముని కారత్ ఎప్పుడూ శివకై. ఆనందం అంతిమ వేగం.

 

ఎల్లప్పుడూ దీన్ దుఖిన్‌తో స్నేహం చేస్తాడు. తన సొంత జీవితాన్ని అనుసరిస్తుంది.

పాపాలను, పాపాలను త్రాగాలి. నన్ను బానిసత్వం నుండి విముక్తి కలిగించండి.

 

మంచి సంపద ఇవ్వడం ద్వారా ఆనందాన్ని ఉత్పత్తి చేయండి. మీ చారిజార్డ్ యొక్క బానిసగా చేసుకోండి.

కార్పొరేషన్ ఎల్లప్పుడూ వినయ్ సునావై. చదవండి, వినండి, కాబట్టి ఆనందం ఉంది

CHALISA IN URDU

|| دوحہ۔ ||

وشنو ونیا ، نوکر کے دماغ سے سنو۔

مجھے کچھ بتاؤ ، حکمت بتاؤ۔

 

|| پابند ||

نمو وشنو لارڈ کھری۔ کاشا ناشون اخیل بہاری ||

غالب دنیا میں آپ کی طاقت تریھوون طاقت پھیلاتا ہے

 

 

خوبصورت شکل منوہر سورت۔ سادہ فطرت موہنی مراد

اتنا زیادہ جسم پر پیٹمبر۔ بجنتی مالا من موہت ||

 

شنک چکر جوڑ دیں۔ راکشس شیطان پارٹی بھاجا دیکھیں

حق دین کو آزمایا نہیں جانا چاہئے۔ کاما کروڈھا شے لالچ نا چھجے

 

مہذب شریف آدمی مینارجن۔ دنوج اسورا وکرن دال گنجان

خوشی مصائب کی وجہ ہے اور سب کچھ ٹوٹ چکا ہے۔ جان سججن ، الزام کو دور کرنے کے لئے

 

آپ گناہوں کی کٹائی کریں ، انڈس یوٹرن۔ عقیدت مندوں کو تباہ کرنے میں پریشانی

خدا کی بہت سی صورتیں ہیں۔ صرف آپ کی عقیدت کی وجہ سے

 

 

دھرنھی دھنو آپ کو پکارا گیا۔ تب آپ رام کی ندی کو تشکیل دیتے ہیں۔

اسور ٹیم کو اتار لیا۔ راون اڈک کو سمارہ۔

 

آپ نے ورہ فارم بنایا ہے۔ ہیرنیاکشا گولی مار دی۔

دھر میتسے تان سندھو پیدا ہوا۔ چودہ رتن ہٹا دیا۔

 

امیلخ اسورن نے تنازعہ پیدا کیا۔ روپ موہانی نے آپ کو دکھایا۔

دیوان نے امرت پیتی ہے۔ اسوران کو شبیہہ نے اپنی طرف راغب کیا۔

 

انڈس نے کووم کی شکل اختیار کی۔ مندرچل گیری نے فورا. ہی اٹھا لیا۔

شنکر نے آپ کو آزاد کیا۔ اس نے بھسماسورا کو شکل دکھائی۔

 

جب شیطان نے ویدن کو غرق کردیا۔ ٹیکس مینجمنٹ نے انہیں کروایا۔

موہ لیا اور ناچ لیا۔ اسی ٹیکس کے ساتھ استعمال کریں۔

 

اسورا جالندھر بہت مضبوط ہے۔ شنکر کے ساتھ وہ چھوٹی لڑائیاں

شیو نے سکل کو شکست سے بالاتر کردیا۔ گہری ستی کو دھوکہ دیا گیا

 

 

آپ کو سمیران کین شیورانی۔ بتائی سب وپت کہانی

تب آپ منیسوار کے عالم بن گئے۔ ورندا کی ساری خوبصورتی کو بھلا دیا گیا ہے

 

تین دانز شیطانوں کو دیکھو۔ ورندا آئے لاپانی

ہو نے ٹچ مذہب کو پہنچنے والا نقصان محسوس کیا۔ ہنا آسورا تے شیوا شیطان۔

 

آپ نے دھرو پرہلڈا کو ابالا۔ ہیرناکوش عدلک خلے۔

گنیشھا اور اجمیل ستارے۔ آپ بہت عقیدت مند سندھو بنیں

 

ہاروہا ہم سے بڑا غم۔ برائے مہربانی میرا ہری سرجن کھو۔

دیکھو ، میں اپنی ہی کمپنی میں ہوں۔ دین بندھو عقیدت مند

 

اپنے خادم درشن کو چاٹ کرو۔ کارھو دایا اپنی مدھوسوڈن۔

میں نماز کے قابل لائق نہیں جانتا ہوں۔ ہویا یگیا تعریف منظوری۔

 

شیلدایا سنتوش سدھن معلوم نہیں ، روزے کی کمال

کیا مجھے آپ کی شریعت کی عبادت کرنی چاہئے؟ کمتی ولوک ہو غمناک۔

 

 

کس کو قانونی حیثیت دی جائے؟ میں کس کی طرح ہتھیار ڈال دوں؟

سور مونی کرت ہمیشہ شیوکائی۔ خوشی کی حتمی رفتار ہے۔

 

دین دوکھین سے ہمیشہ دوستی کرو۔ اس کی اپنی زندگی کے بعد.

گناہوں اور گناہوں کو پی لو۔ مجھے غلامی سے آزاد کرو۔

 

اچھی دولت دے کر خوشی پیدا کریں۔ اپنے رتبہ کا ایک غلام بناؤ۔

کارپوریشن ہمیشہ ونئے سناوائی ہے۔ پڑھو ، سنو ، تو خوشی ہے

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