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Ganga Maa Ji Ki Aarti In Hindi For Purity and Divine

GANGA MAA JI KI AARTI

GANGA MAA AARTI - 1

आरती श्री गंगा जी की

 

जय भगवति गंगे मां, जय-जय भगवति गंगे।

 

तरल तरंगे, दुर्मति भंगे, सुरमति संगे ॥ जय० ॥

विष्णु पदादनुसरणी, खंडिनि ब्रह्मांडे।

शंकर जटा के, विहरिन अतिरंगे ॥

जाह्नवी नाम तुम्हारा शोभित ।

जय जय भागीरथी मति लगने, सगर जग उद्धरणे ॥ जय०१ ॥

 

अघनाशन त्रासन भवनाशन दासन शिवतनुजे ।

मोह विकारन ब्रह्म पदे ॥

सुरसरि धारा सहधारा कलिमल टारन ।

जय शरणागत प्रतिपालक बालक शिवसुखदे ॥ जय०२ ॥

 

शिवशरणी जगतरणी हरणी भवसिन्धो ।

हरि पद पाता धाता वंदित जगमाता ॥

काम क्रोध विदारिणि दारुण दुर सुभगे ।

पाथोधि परतिय सुरधुनि गुण जंगे ॥ जय०३ ॥

 

तव धारा जय पारा दर्शित भक्तजने ।

सेवत काशीनिवासी अखिल जन्य तरने ॥

शेष नरेश कवेश गुण गावे ।

तेरी पूर्ण आश निराशा सुरसरि सुखदंगे ॥ जय०४ ॥

 

सुरवधु सारी नृपति सुनारी स्नया मृदमद देते ।

सुरलोक गच्छति सुरधर निर्मलदे ॥

 तेरी महिमा का लगि बरनूं गंगे बरनूं गंगे भवभंजे ।

 त्रिपथगामिनि सुर नर पन्नगधे ॥ जय०५ ॥

 

गंगा आरती सकल उधारिन हरजनने ।

सुनत सुनावत फल पावेत मन के ॥

गावत ‘आरती राम कृष्णजन के ।

सकल कामना पूरन करत श्री गंगे ॥ जय०६ ॥

GANGA MAA AARTI - 2

॥आरतीश्रीगंगाजी॥

 

ॐजय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।

जो नर तुम को ध्याता, मनवांछित फल पाता॥

ॐजय गंगे माता॥

 

चन्द्र-सी ज्योति तुम्हारी, जल निर्मल आता।

शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता॥

ॐजय गंगे माता॥

 

पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता।

कृपा दृष्टि हो तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता॥

ॐजय गंगे माता॥

 

एक बार जो प्राणी, शरण तेरीआता।

यम कीत्रास मिटाकर, परम गति पाता॥

ॐजय गंगे माता॥

 

आरती मा तुम्हारी, जो नर नित गाता।

सेवक वही सहज में, मुक्ति को पाता॥

ॐजय गंगे माता॥

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